मुंबई के आतंकवादी हमले के बाद नेताओं के नाम पर इतनी थू-थू हुई है कि लगता है राजनेता बौखला गए हैं। इसी बौखलाहट में अजीब-ओ-गरीब बयान सामने आ रहे हैं। नया कारनामा बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी का है। नकवी ने मुंबई में राजनेताओं के खिलाफ नारेबाजी कर रहीं कुछ महिलाओं के बारे में कहा कि ये लिपस्टिक-पाउडर लगाकर क्या विरोध करेंगी। नकवी ने इन महिलाओं की तुलना कश्मीर के अलगाववादियों से कर दी। उन्होंने कहा कि नेताओं के विरोध में नारे लगाने वाले ग्रुपों की जांच होनी चाहिए। नकवी के इस बयान पर बीजेपी भी मुश्किल में आ गई है। आनन-फानन में बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूड़ी ने बयान जारी किया कि यह नकवी के अपने विचार हैं और बीजेपी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
आगे यहाँ पढे ,
अब हम को अपने मन का आक्रोश भी इनकी सलाह से करना होगा । लिपस्टिक लगा कर विरोध करना , मोमबती जला कर विरोध करना पाश्चात्य सभ्यता हैं ।
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
December 01, 2008
"ये लिपस्टिक-पाउडर लगाकर क्या विरोध करेंगी।" मुख्तार अब्बास नकवी
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एक मूर्खतापूर्ण बयान.
ReplyDeleteइस तरह के लोग नेता होने के लायक ही नहीं.
इस बेवकूफीपूर्ण बयान की भर्त्सना हम भी करते हैं.
ReplyDeleteनकवी बी जे पी का दामाद की हसियत से कोई भी बयाँ दे सकते है .बी जे पी जो मुस्लिम तुष्टिकरण का जो दिन्डोरा पीटती है उसी पार्टी का एक उधारन है
ReplyDeletenakvi ko aise hi aany-baany bakvaas karne ki aadat ban chuki hai
ReplyDeleteइस तरह के मूर्खों को दलों में भरती कौन कर लेता है? और कौन पद देता है? क्या यह तुष्टिकरण के लिए सब से अधिक हल्ला करने वाले दल का निम्नस्तरीय तुष्टिकरण नहीं है?
ReplyDeleteनक़वी साहब सठिया गये है.. इसीलिए उन्होने ये बयान दिया.. जोश18 पर ये खबर पढ़ी थी .. नक़वी साहब ने ये बयान दिया था...
ReplyDelete"“लिपस्टिक-मैकअप” लगाए हुए वे महिलाएं और सूट-बूट पहने वे पुरुष कौन थे, जो “पश्चिमी सभ्यता” के अनुसार सरकार विरोधी प्रदर्शन कर रहे थे।
इस पर जोश 18 की प्रतिक्रिया थी..
"हास्यास्पद बात यह है कि इस दौरान स्वयं नकवी सूट-बूट पहने हुए थे।"
ऐसे नेताओ का तो अल्लाह ही मालिक है
नक़वी साहब सठिया गये है.. ऐसे नेताओ का तो अल्लाह ही मालिक है,इस तरह के लोग नेता होने के लायक ही नहीं.
ReplyDeleteविचित्र कठिनाई है, साध्वी बनकर नारे लगा नहीं सकते, गेरुआ वस्त्र पहन नहीं सकते । किसी को लिपस्टिक से आपत्ति किसी को गेरूआ रंग से ! अब नारे लगाने से पहले एक सर्वे करवा लेंगे कि क्या पहनें, क्या लगाएँ ! :(
ReplyDeleteवैसे यदि स्त्रियों की लिपस्टिक आदि की बजाए नारों पर ध्यान देते तो बेहतर होता ।
घुघूती बासूती
ना जी ना, हम कुछ नहीं कहेंगे.
ReplyDeleteअगर कहीं गुस्से में हमने यहां कुछ उल्टा सीधा टिप्पिया दिया और नकवी साहब को कहीं पता चल गया तो खाम्ख्वाह मुसीबत मौल लेने वाली बात हो जायेगी.
अच्छा जी, जै राम जी की
बोलते वक्त नकवी साहब को वाकई यह अहसास नहीं होगा कि वो कितनी बड़ी मुसीबत मोल लेने जा रहे हैं।
ReplyDeletenakwi ka lipistik wali baat to galat thi. Lekin ye candle jala kar kaun sa kaam kar rahe hain hum log. Kyon nahin hum log kuchh sensitive kaam karen. Kya candle jalane se shahido ki atma ko shanti milegi? (aisa kahin nahin likha hai), kya terrorists attack karana chhor denge?, Kya hum jyada solidarity show kar rahe hain? This is rediculous. Hum log har shok me ek bazaar naa dhundhe. Ek channel waale ne to had kar di hai. Ek candle ka animated picture laga kar bol raha hai ki lau ko jalte rahne ke liye SMS kijiye. 6 rupees ka SMS kijiye unake channel par animated lau ko jalane ke liye. Public frustrate ho gayee hai een netawon aur bazaru media se. Can you please write a blog to stop such type of stupidity of lighting candle, wearing hats or bla bla. Why can't we light candle or agarbatti at the ground zero where people became shahid. CST Station, Cama hospital, Taj, Oberai etc. Kyon gandhi statue ke pass? Kyon nahin wahan jahan log shahid hue hain. India ka almost har city me attack ho chuka hoga. Log wahan jakar agarbati, mombati ya dua mangate.
ReplyDeleteयह सचमुच में मूर्खतापूर्ण वक्तव्य है । बेहतर स्थितियों में जी रही, काम कर रही, अपनी जिममेदारी निभा रही स्त्री इन्हें अच्छी नहीं लगती । ये उसे रसोई घर में ही काम करते देखना चाहते हैं । ऐसे लोगों की मानसिकता की चिकित्सा आवश्यक है । ऐसे लोग जहां भी रहेंगे, बोझ ही बन कर रहेंगे ।
ReplyDeleteयह भी तो सच है की मोमबत्ती प्रदर्शन से क्या हासिल हो जाएगा? क्या आतंकवादी शांत हो जायेंगे या हमले रुक जायेंगे? जे पढेलिखे पैसे वाले लोग कुछ ठोस काम क्यों नहीं करते? किसी भी हमले या आपदा के बाद लिए मोमबत्ती और निकल पड़ते हैं, पर जीवन में कभी पोलिंग बूथ नहीं देखा होगा इन्होने.
ReplyDelete@updhyaay ji @ ab inconvenienti
ReplyDeletemujeh lagtaa haen ki aap log muddae sae bhatak gayae haen . yaahan nakvi ji ki maansiktaa dikh rahee haen jo bokhlaahat mae wo sach bol gaye jo unkae man mae thaa
apne parijano ko agar koi bhi yaad karna chahataa haen to kya aur kaese yaad karey yae uskae upar hi chhod dae . maere dil aur dimaag ko shantee agar mombatii jalane sae miltee haen to mae kyun nahin jalaa saktee ?
प्रजातंत्र में अगर जनता यह महसूस करती है कि नेता अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं और एक तरह से वह इस देश पर एक वोझ बन गए हैं तब उनका विरोध जरूरी है. प्रदूषित मानसिकता वाले नेताओं को समाज से बाहर कर देना चाहिए.
ReplyDeletehorrible thinking of a politician....
ReplyDeleteरचना जी, ऐसे बयान देने वाले नेताओ पर आजीवन चुनाव न लड पाने का प्रतिबन्ध लगाना चाहिये। खैर नकवी तो चुनाव लडते नही है। उनके ऊपर भावनाए भडकाने का अपराध दर्ज होना चाहिये।
ReplyDeleteगुस्सा इजहार करने का सबका अपना तरीका है। कोई मोमबत्ती जलाता है, कोई ब्लाग लिखता है तो कोई चुप रहकर मन ही मन गाली देता है। ऐसे मे ऐसे न करो वैसा न करो -ऐसा कहने वाले हम कौन होते है?
नकवी .....केरल के मुख्या मंत्री सब सठियाये लोग है ....अब देश को ऐसे बड़बोले नेताओ से मुक्ति की जरुरत है
ReplyDeleteina netaon ko kuchh bhi bolana hai, yahi hain na jo mahilaaon ke aarakshana ke liye varshon se sansad men maamala latakaye hain. jinhe bolane se pahale taulana nahin aata ve kya karenge?
ReplyDeleteaam adami behtar hai kam se kam desh ke liye dukh aur sukh ko anubhav kar vyakt kar raha hai na ki kori bayaanbaaji.
रचना जी जिसको जितनी समझ होगी वो उसी के अनुसार ही कमेन्ट करेगा...ऐसे लोगों को उनके हाल पर ही छोड़ देना चाहिए उनपर बात करना अपना समय गंवाना है...
ReplyDeleteनीरज