अगर ये बिल पास हो जाता हैं तो
- विवाहित महिला को अपने पति संपत्ति पर समान अधिकार मिल जाएगा । यानी कोर्ट को ये अधिकार होगा की अलगाव की स्थिति में संपत्ति का किस तरह विभाजित किया जाए ।
- डिवोर्स के लिये "कुलिंग पीरियड " की सीमा भी कौर्ट निर्धारित कर सकता हैं जो अभी ६ महीने हैं
- दत्तक बच्चो के अधिकार वही होगे जो अपने जाये बच्चो के होते हैं ।
तमाम सर्वे ये बताते हैं भारतीये महिला एक गलत शादी में केवल इस लिये रहती हैं क्युकी वो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होती हैं और डिवोर्स इस लिये नहीं देती हैं क्युकी पति की आय को साबित करना उनका जिम्मा हैं अगर उनको अलिमनी चाहिये तो । ८० प्रतिशत के पास तो अपने माता पिता के पास वापस जाने का अलावा को चारा ही नहीं होता हैं ।
पत्नी अब इस लिये भी तलाक ले सकती हैं की किन्ही अपरिहार्य कारणों से शादी नहीं निभ सकती हैं लेकिन इस कारण से अगर पति तालक मांगेगा तो पत्नी को अधिकार हैं की वो मना कर दे
अच्छे कानून बनाने के साथ साथ जरुरत हैं की सरकार नारी को इन कानूनों को लागू करने और समझने की सुविधाये भी उपलब्ध करवाये ।
और मानसिकता बदलना बेहद जरुरी हैं वरना एक टकराव की स्थिति की तरफ हमारा समाज अग्रसर हैं जहां As the country grows, there will be areas where the two Indias, one modernising and progressive and the other regressive and hidebound, will collide. This means that the crimes against women could unfortunately rise. The first priority of the local administrations should be to tackle them through strong action, not kneejerk reactions like the one by the Gurgaon administration. Otherwise, even the best of laws will have no effect. It would be like going one step forward and then many steps backward. Instead, we really need to keep in step with the law as it moves forward.
इंग्लिश का ये अंश आज के हिंदुस्तान टाइम्स का एडिटोरिअल हैं
क्युकी इस एडिटोरिअल का एक एक शब्द वही कह रहा हैं जो मै कई बार कह चुकी हूँ कानून के साथ चलना बहुत जरुरी हैं
मैने उस एडिटोरिअल की कुछ बातो को हिंदी में लिख दिया हैं
अगर आप पूरा इंग्लिश में पढना चाहते हैं तो यहाँ जाए
और एक नज़र इस पोस्ट पर डाले , इंग्लिश में हैं पर पढनी चाहिये
समय के साथ चलिये कानून को मानिये तभी समाज में समानता आयेगी और जेंडर बायस से मुक्ति मिलेगी ।
ज्यादा देर करगे तो हो सकता हैं रिवर्स जेंडर बायस से समाज ग्रसित हो जाए ।
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Indian Copyright Rules
good presentation.nari blog ke 4 varsh hone kee bahut bahut shubhkamnayen aapko nav samvat bahut shubh v mangalmay ho .हे!माँ मेरे जिले के नेता को सी .एम् .बना दो. धारा ४९८-क भा. द. विधान 'एक विश्लेषण '
ReplyDeleteहाँ , नारी का सघर्ष बढ़ जाता है इसलिए तलाक लेने में देरी करती है। देखते है कानून की पालना कहा तक होती है।
ReplyDeleteकोई कानून समाज के हित में हैं तो क्यों नही माना जाएगा?इस कानून में ये संशोधन हालाँकि समानता की बात पर तो खरा नहीं उतरता लेकिन फिर भी ये महिलाओं और समाज के हित में हैं और समय की जरुरत भी.
ReplyDeleteकानून में बदलाव की जरूरत किसीने समझी तभी तो बदलाव किया गया.मैं तो कब से यही कह रहा हूँ कि कानून के मामले में हमें यथास्थितिवादी नहीं होना चाहिये.वर्तमान कानूनों में बहुत सी कमियाँ हैं यदि हम उन्हें ज्यों का त्यों मानते चले जाएँगे और उन पर कोई सवाल ही नहीं उठाएँगे तो समाज को उनका कोई फायदा नहीं होगा.
Kripya hame ye samjhane ki koshish karen ki Kin mahilaao ko apne maa-baap ki sampatti me adhikar prapt hua hai ya hoga, Un mahilaao ko jinke koi bhaai nahi hai ya sabhi tarah ki mahilaao ko????????
ReplyDeleteSandeep singh, Allahabad
सब बच्चो का अपने माँ पिता की संपत्ति पर बराबर का अधिकार हैं . कानून की नज़र में बेटा और बेटी को समान अधिकार हैं .
Deleteभाई हो या ना हो महिला के अधिकार में कोई फरक नहीं हैं उसको कानून अपना हिस्सा मिलेगा . संपत्ति का विभाजन बराबर होगा हर बच्चे में . अगर विल हैं तो जिसके नाम विल हैं वो अधिकारी होगा पर विल को चैलेंज भी किया जा सकता हैं . नॉमिनी का कोई मतलब नहीं होता हैं वो केवल कस्टोडियन होता हैं