शक्ति की देवी माँ दुर्गा की आराधना का 'नवरात्र' प्रारम्भ हो गया है
२००८ की इसी बेला में "नारी ब्लॉग " को शुरू किया था ।
नारी अबला नहीं हैं हमेशा यही बताने की चेष्टा रही हैं इस ब्लॉग पर । पिछले साल १४ अगस्त तक ये ब्लॉग साँझा ब्लॉग था अब केवल मै ही लिखती हूँ ।
कुल जमा ९६२ पोस्ट लिखी जा चुकी हैं । ४ साल का सफ़र एक दिशा देने में अग्रसर रहा हैं ।
ब्लॉग जगत में असंख्य बार इस ब्लॉग लो लेकर टीका टिपण्णी हुई हैं जो खुद बताता हैं की कहीं ना कहीं इस पर लिखी बाते मानसिक उथल पुथल मचाती ही हैं ।
लिखते रहने का इरादा हैं आगे भी , नारी ब्लॉग से एक सफ़र मेरा भी शुरू हुआ हैं , ये जानने का सफ़र की पढ़े लिखे लोगो की सभा में नारी विषय पर बात करना कितना मुश्किल हैं ।
फिर भी जब ये लिख ही दिया हैं" नारी , जिस ने घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित की " तो फिर सफ़र का हर पढाव अगले सफ़र की शुरुवात हैं ।
आशा हैं पाठक इस ब्लॉग पर अपना नेह बरसाते रहेगे
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Indian Copyright Rules
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
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चार वर्ष पूर्ण होने पर आप को और नारी ब्लाग को बधाई! कामना है कि यह निरन्तर चलता रहे।
ReplyDeleteसामुहिक ब्लाग एक गलतफहमी है। जब एक से अधिक लोग किसी प्रकाशन के काम में लगते हैं तो उन में से एक का संपादक होना आवश्यक है, दूसरे को उस के संपादन को स्वीकार करना होगा। वैसी स्थिति में वह ब्लाग नहीं रह जाएगा। अपितु ब्लाग से अलग एक प्रकाशन हो जाएगा।
आप नारी ब्लाग पर लिखती रहें। आप अपने अलावा अन्य महिलाओँ व लेखकों का लिखा भी इस पर प्रकाशित कर सकती हैं। लेकिन तब वह आप के संपादकत्व में होगा।
नारी ब्लाग के माध्यम से आप ने नारीवर्ग को चेतन करने हेतु बहुत काम किया है। लेकिन जितना काम स्त्री-पुरुष समानता के लिए होना जरूरी है यह उस का करोड़वाँ अंश भी नहीं है।
नारी सबला है लेकिन उसे अपने इस बल का ज्ञान नहीं है। उसे बार बार और जन्म से ही यह समझाया जाता है कि वह अबला है और उस की समझ ऐसी ही बन जाती है। सतीश भाई जैसे कितने परिवार हैं जो अपने बच्चों में समानता के संस्कार देते है? हमें इस तरह के परिवारों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।
एक सशक्त और सार्थक ब्लॉग की सफलता की हार्दीक शुभकामनाऐं, नवरात्री मुबारक।
ReplyDelete@ पढ़े लिखे लोगो की सभा में नारी विषय पर बात करना कितना मुश्किल हैं ।
ReplyDeleteपहले तो ढेरों बधाइयां फिर दो शे’र --बस--!
**
अपने अपने हौसले की बात है
सूर्य से भिड़ते हुए जुगनू मिले।
जिसने दाना डाल कर पकड़ी बटेर
हां, उसी के जेब में चाकू मिले।
****
हो इरादों में हक़ीक़त,
हौसलों में ज़लज़ला।
आसमां झुककर तुम्हारे पांव तक आ जायेगा,
देख लेना क़िनारा, नाव तक आ जायेगा।
समस्त शुभकामनाएं… ऐसे ही आगे बढ़ें और अलख जगाती रहें…
ReplyDeletedheron shubhkamnaayen..
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें इसी प्रकार अपनी पहचान बनाती रहो।
ReplyDeleteआपको और हम सभीको बहुत बहुत बधाई !!
ReplyDeleteCongrats di aasha hai aage bhi yun hi yah badhta rahe aur apne lakshyon ko prapt karta rahe anvarat
ReplyDeleteआपको इस सफलता पर हार्दिक बधाई.आपका प्रयास यूँ ही सफलता के साथ जारी रहें यही कामना हैं.
ReplyDeleteमुझे लगता हैं आपको द्विवेदी जी द्वारा दिये गये सुझाव पर भी ध्यान देना चाहिए.इससे एक तो ब्लॉग पर निरंतरता बनी रहेगी और कुछ और मुद्दों पर भी चर्चा हो सकेगी हालाँकि आप बीच बीच में कुछ अच्छी पोस्टों के लिंक भी अपलब्ध करवाती रहती हैं.
बहुत-बहुत बधाई! द्विवेदी जी के सुझाव हमें भी पसंद आये....
ReplyDeleteबधाई रचना।
ReplyDeleteदिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi की बात (सुझाव?) समझ में नहीं आई।
1- कोई भी ब्लॉग, ब्लॉग रहेगा, चाहे कम्यूनिटी ब्लॉग हो या एकल या किसी के संपादकत्व में।
2. स्त्री-पुरुष समानता के लिए इस ब्लॉग से आप शायद किसी क्रांति की उम्मीद करते हैं, तभी - 'एक करोड़वें' हिस्से को महत्वपूर्ण नहीं मान रहे।
3. ऐसे जागरूक 'परिवारों की संख्या बढ़ाने' के बारे में कोई सुझाव भी हों, तो मैं उत्सुक हूं जानने के लिए
ब्लाग अंतर्जाल पर निजि विचारों की श्रंखला है। एक से अधिक लोग एक ही मंच पर लिखेंगे तो वह निजि नहीं रह जाता। उस में सांझापन आता है। जिस के साथ दायित्व और अधिकार दोनों ही जुड़े होते हैं। साझेदारी का अपना अनुशासन होता है। वहाँ सब कुछ अनुशासन के भीतर रह कर करना होता है जिस से निजत्व समाप्त हो जाता है। इस अनुशासन को बनाए रखने के लिए एक व्यक्ति को अनिवार्य रूप से संपादक बनना ही पड़ेगा वर्ना वह साझेदारी अपने ही अंतर्विरोधों से टूट जाती है। जुड़ने के अहसास में जो खुशी होती है टूटने में उस से अधिक कष्ट और दुख होते हैं।
Deleteमेरा मानना है कि ब्लाग जैसी चीज साँझी नहीं हो सकती। सांझा होते ही वह ब्लाग से इतर चीज हो जाती है।
एक करोडवाँ नहीं एक अरबवाँ हिस्सा भी महत्वपूर्ण है। लेकिन हमें यह हमेशा ही ध्यान रखना चाहिए कि विचार कर्म से न जुड़ें तो उन का कोई अर्थ नहीं है। इस लिए ब्लाग लिखने वालों का ब्लाग से इतर और उससे जुड़ा कर्मक्षेत्र भी अनिवार्य है। यदि हम केवल मंच से भाषण दें या ब्लाग पर अच्छी अच्छी बातें करें और जीवन में उन्हें न अपनाएँ तो उस का कोई अर्थ नहीं। वे समय के साथ महत्व खो देंगी। कर्म से न जुड़ने पर विचार पथविचलन का शिकार भी हो सकते हैं।
परिवारों की संख्या बढ़ाने का एक ही तरीका है कि परिवारों में जनतंत्र लाया जाए। प्रत्येक निर्णय में परिवार के सदस्यो की राय सम्मिलित हो। सब के साथ समान व्यवहार हो। यहाँ तक कि बच्चों को भी एक सीमा तक पारिवारिक निर्णयो में सम्मिलित किया जाए। क्यों बहू और बेटी में फर्क हो? क्यों बेटे और दामाद मे फर्क हो? जिन परिवारों ने इस पद्धति को अपनाया है उन की सफलताओँ की समाज में चर्चा की जाए।
हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें !!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteनारी अबला नहीं हैं हमेशा यही बताने की चेष्टा रही हैं इस ब्लॉग पर ..
ReplyDeleteNaari To Kabhi Abla Rahi Hi nahi hai ....aur agar kabhi naari abla rahi hai to usme kahi na kahi naari ka hi involvement raha hai...
jai baba banaras...
बधाई अवम शुभकामनायें ।
ReplyDeleteनारी पुरुष बहुत से मामलों में अलग नहीं हैं ।
सार्थक लेखन चलता रहे , यही कामना है ।
बधाई रचना !
ReplyDeleteनारी ब्लॉग ने उल्लेखनीय कार्य किया है जब भी हिंदी ब्लॉग जगत का नाम आएगा नारी और रचना एक दूसरे के पर्याय माने जायेंगे !
हार्दिक शुभकामनायें !
यदि इन पोस्टों को पुस्तकाकार दिया जा सके,तो बात ब्लॉगेतर लोगों तक भी पहुंचे। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआप की बात का मैं समर्थन करता हूँ।
Deleteआज कल पुस्तक पैसा देकर छपती हैं जिस में मेरी कोई रूचि ही नहीं हैं
Deleteब्लॉग की पहुच नेट की वजह से बहुत ज्यादा हैं
मैने अपने पास की जानकारी औरो से साझा करने के लिये बनाया हैं ब्लॉग
किसी एक को भी कोई रास्ता मिल जाए तो पोस्ट करने का मंतव्य पूरा हुआ
हमारी मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए...
ReplyDeleteरुक जाना नहीं, तू कहीं हार के...
ReplyDeleteकांटों पे चलने से साये मिलेंगे बहार के...
ओ राही...ओ राही...ओ राही...
जय हिंद...
.
ReplyDelete.
.
चार वर्ष पूरा करने की बधाई...
पर,... स्त्री विमर्श को शक्ति की देवी माँ दुर्गा की आराधना के 'नवरात्र' से खुद को जोड़कर नहीं देखना चाहिये ( कम से कम मेरी तो यही सोच है...:) )... क्योंकि यह लड़ाई तो खुद को देवी की तरह पूजे जाने के बजाय इन्सान की तरह हक पाने की है... आज यह लड़ाई यह बताने की भी नहीं है कि 'नारी अबला नहीं है'... आज यह लड़ाई इस बात को मनवाने की है कि आज की स्त्री बौद्धिक, सामाजिक, मानसिक रूप से पुरूष से कमतर नहीं अपितु उसकी समकक्ष है...
...
प्रवीण
Deleteनवरात्र से नया साल भी शुरू होता
और वक्त पडने पर नारी "काली" का रूप जब लेती हैं ये नवरात्र इस बात का भी प्रतीक हैं
सहनशीलता की पार्टी मूर्ति हैं नारी वही रहे इस से हट कर काली का रूप भी हैं जो एक दर पैदा करता हैं और डर से आदर भी उपजता हैं
शक्ति रूपा देवी के प्रतीक प्रतिमा नहीं प्रतिभा है। जिन शक्तियों के कारण देवी माँ को पूजनीय होने का दर्ज़ा प्राप्त है वे ही शक्तियां नारी में विद्यमान है। देवी की पूजनीयता के समान ही नारी उसी सम्मान की अधिकारी है। वह ममतामयी अन्नपूर्णा तो अन्याय के खिलाफ काली है।
Deleteचार साल का सफर!! साझा ब्लॉग से एकल होना.. लेकिन फिर भी गुरुदेव रविन्द्रनाथ के शब्दों में "एकला चोलो रे" की धुन पर चलता हुआ.. आपका सम्मान करता हूँ, आपकी भावनाओं का आदर करता हूँ और हमेशा चेष्टा करता हूँ कि ऐसा कुछ भी न लिखूं जिससे नारी को इतर या अपमानित होना पड़े!!
ReplyDeleteशुभकामनाएं!!
सलिल
चार साल पूरे करने पर बधाई।
ReplyDeleteदेर से ही सही , शुभकामनायें स्वीकार कीजिये ...
ReplyDeleteबनी रहे हमेशा यही ...
चार साल पूरे होने की बधाई आप को भी और हमें भी, आज हम भले इस ब्लॉग के सदस्य नहीं है पर इससे जुड़ाव कही से भी कम नहीं हुआ है | दिनेश जी की एक बात से सहमत हूं की अब जरुरत इस बात की भी है की नारी को लेकर जो बाते कही जा रही है अब उसे जमीनी रूप से लागु भी किया जाये बात को विचार विमर्श से ऊपर ले जा कर नीजि जीवन में अपनाने की बात भी की जाये स्थिति तो तभी बदलेगी, सिर्फ बातो से कुछ नहीं होने वाला है और सबसे ज्यादा उम्मीद इस बात के लिए उन लोगों से ( स्त्री और पुरुष दोनों ) है जो यहा आ कर और यहाँ उठाये मुद्दों से सहमती जताते है |
ReplyDeleteनारी सशक्तिकरण के प्रभावशाली "नारी" ब्लॉग की उपलब्धियों पर बधाई!! और लक्ष्यपूर्ति के लिए अनेको शुभकामनाए!!
ReplyDeleteदिनेश / अंशुमाला
ReplyDeleteमेरा मानना हैं की अगर हर व्यक्ति अपने जीवन में केवल और केवल सही और सच का ही साथ देना चाहिये . नारी की स्थिति हमारे एक साथ काम करने से नहीं अपने अपने घर में , अपने आस पड़ोस मे और अपने निजी संबंधो में मानसिकता बदलने .
ये लड़ाई हैं मानसिकता बदलने की और जितना हो सके हम अपने आस पास की महिला को जाग्रत करे
बधाई. यह ब्लॉग सालों साल चलता रहें.
ReplyDeleteघुघूतीबासूती