नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था

हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।

यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का

15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं

15th august 2012

१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं

"नारी" ब्लॉग

"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।

" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "

हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था

November 23, 2010

तिलियार ब्लोग्गर मीट -- किसने कहा मै नहीं थी ???? पढिये क्या क्या हुआ

तिलयार झील पर ब्लोगर मीट मे कितने ब्लॉगर थे और क्या क्या खाया गया ये तो आपसब पढ़ और देख ही चुके हैं । अब देखिये इस पोस्ट मे आये कमेन्ट को जो मानसिक खालीपन और जहालत से लबालब हैं , ये सन्दर्भ जिस मे द्विअर्थी संवाद किसको लेकर किया जा रहा हैं ये साफ़ दिख रहा हैं। बड़े बड़े महान ब्लॉगर वहाँ कमेन्ट मे हजारी बजा रहे हैं ।

मुझ से निरंतर कहा जाता हैं ब्लोगिंग एक परिवार हैं और मैने नारी ब्लॉग बना कर गलती की हैं यहाँ कोई खराब नहीं हैं और मै हमेशा offensive पर रहती हूँ और बहुत कर्कश हूँ । सो इस बार ये पोस्ट देने से पहले सबके आदर्श श्री सतीश सक्सेना जी और श्री समीर लाल जी को मेल दे कर ये सूचित किया कि वो इस लिंक को देखे । मैने उनके उत्तर का इंतज़ार किया और अब इंतज़ार ख़तम हुआ क्युकी उत्तर आगया हैं
सतीश जी का मानना हैं कि उन्होने इस नज़रिये से नहीं सोचा और समीर जी कहते हैं कि सुधारने के लिये एक मौका देना चाहिये

अब छिछोरो को क्या कोई सुधार सका हैं वो किसी भी उम्र पर पहुँच जाये उनके लिये स्त्री केवल और केवल स्त्री ही होती हैं । लेकिन एक बात जरुर हैं जो इन छिछोरो कि संगती में ताली बजाते हैं वो स्पाइन लेस ही होते हैं ।

अब आप सब इस लिंक पर पढे जो हो रहा हैं ।
देखिये ब्लोगिंग क्यूँ कि जाती और उसके क्या क्या फायदे हैं । और ये भी देखिये जो समाज मे आवाज उठाते हैं हम उनके प्रति क्या रविया रखते हैं । इस पोस्ट पर आये कमेंट्स सब कहानी खुद ही कह रहे हैं और इनको आप तक लाना जरुरी हैं । मै ना पोस्ट हटाने कि मांग कर रही हूँ , ना कमेंट्स हटाने कि क्युकी कौन क्या हैं और जहिनियत के अंदर कितनी जहालत हैं ये पोस्ट और ऐसी तमाम पोस्ट और कमेन्ट जहां कोई आपत्ति दर्ज नहीं होती उसका आइना हैं


Comments :

38 टिप्पणियाँ to “भाटिया और अलबेला में युद्ध--ब्लोगर मिलन के बाद------ललित शर्मा”
राज भाटिय़ा ने कहा…
on

nsmssksr yah tippani jsbsrdasti se karvaai gayi hai. baki batein baad mein.
raj bhatia

राज भाटिय़ा ने कहा…
on
यह पोस्टलेखक के द्वारा निकाल दी गई है.
राज भाटिय़ा ने कहा…
on

nsmssksr yah tippani jsbsrdasti se karvaai gayi hai. baki batein baad mein.
raj bhatia

नीरज जाट जी ने कहा…
on

main to abhi sokar he nahin utha hu. ye photo kahan se aa gaya?
waakai sab photoo mast hain.

नीरज जाट जी ने कहा…
on

oho, to chai bhatia ji ne di thi.

सतीश सक्सेना ने कहा…
on

हम तो इसी लिए खिसक लिए थे हालत ठीक नज़र नहीं आ रहे थे ...

एस.एम.मासूम ने कहा…
on
यह पोस्टलेखक के द्वारा निकाल दी गई है.
एस.एम.मासूम ने कहा…
on

नोक झोंक प्यार मुहब्बत की निशानी है

अविनाश वाचस्पति ने कहा…
on

यह बना असली परिवार। बरतन हों और खड़कने की आवाज नहीं आए तो काहे की रसोई और कैसा परिवार। शीत युद्ध है गर्म युद्ध।
बहुत चिंतित है ब्लु लाइन बसे

AlbelaKhatri.com ने कहा
on

kuchh bhi kaho, rohtak aa kar maza aa gaya, bhai raj bhatiya aur lalit sharma ke alava sangita puri,nirmla kapila, dr aruna kapoor,ajay jha samet naye sathiyon me kevalram,niraj jat,hardeep ityadi se mil kar maza aaya.....agar aise prem aur utsah bhare aayojan lagatar hote rahen to bloggers me aur nikatta aayegi bahut bahut aabhr raj ji ka ...........

vaise lalit ji ne maze khoob karaaye - maine to khoob aanand liya raat bhar rachna ka .............ha ha ha ha ha ha

महेन्द्र मिश्र ने कहा…
on

खूब रहा ब्लागर मिलन ... पढ़कर आनंद आ गया पंडित जी ...

राम त्यागी ने कहा…
on

अति सुन्दर :)

शिवम् मिश्रा ने कहा…
on

बहुत बढ़िया रिपोर्टिंग ....... असल रिपोर्टिंग तो यही है ..... काफी सारी अंदर की बातें पता चली !!

दीपक डुडेजा DEEPAK DUDEJA ने कहा…
on

मूंछो की लाज रख ली..... बेधरक हो कर रिपोर्ट कर दी.... बढिया लगा.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…
on

मज़ा आया रिपोर्ट पढ़ कर ...बहुत बढ़िया

Girish Billore 'mukul' ने कहा…
on

chaliye zald lout ke aiye ham log aa rahe hai C.G.
vaheen sunege

अन्तर सोहिल ने कहा…
on

चाय तो मुझे भी पीनी है जी
हिमाचल जाकर ही पीयेंगें, केवलराम जी के हाथों से
फिर बर्तन किस तरीके से मांजे गये देशी या जर्मन
नीरज में दम है सुबह-सुबह रचना को झेला :)
आपकी अजवायन ने कुछ आराम दिया या नहीं
रात को ही वह दवा ले लेते जी, जो अलबेला जी बता रहे थे :)
प्रणाम

अन्तर सोहिल ने कहा…
on

@अलबेला जी

गलत बात है जी खुद तो रातभर रचना का आनन्द लिये और सुबह नीरज को झेलाया।
ललित जी को दवा क्यों नहीं दिलवाई जी आपने

प्रणाम

संजय भास्कर ने कहा…
on

खूब रहा ब्लागर मिलन

जी.के. अवधिया ने कहा…
on

हमें तो हिमाचल की चाय का इन्तजार है।

नरेश सिह राठौड़ ने कहा
on

मूंछ वाले कविराज काहे रचना रचना पुकारते हो असली रचना कही सुन ना ले | और आपकी वो तस्वीर सब भाभीजी को भेजने वाला हूँ जिनमे आप जनानियो के पास बैठ कर बहुत हंस रहे है |तब आपको रचना याद आयेगी |

shikha varshney ने कहा…
on

जानदार शानदार जबर्दस्त्त ..मजा आ गया पढकर ये मिलन .

ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा…
on

जय हो।

---------
ग्राम, पौंड, औंस का झमेला। < विश्‍व की दो तिहाई जनता मांसाहार को अभिशप्‍त है।

Akhtar Khan Akela ने कहा…
on

ab kesi tbiyt he jnaab ki hm to bs aapke khtte mithe anubhvon ke prtikshart hen. akhtar khan akela kota rajsthan

M VERMA ने कहा…
on

आपने तो डरा ही दिया था.

Gagan Sharma, Kuchh Alag sa ने कहा…
on

मैंने पहले ही कहा था पानी के किनारे जरा खाने "पीने में एहतियात बरतना। हो गया ना ऐंड-बैंड़।
पोस्ट ही बता रही है सबके रात का फसाना। :-)
जय हो !!!

ajit gupta ने कहा…
on

नीरज ने इतनी मोटी रजाई ओढी हुई है तो क्‍या इतनी ठण्‍ड थी?

संजीव तिवारी .. Sanjeeva Tiwari ने कहा…
on

जय हो,अब तो कल की चाह का आर्डर बुक कर लेवें.

S.M.HABIB ने कहा…
on

पढ़कर आनंद आ गया भैया.... सेहत का ख्याल रखें... शुभकामनाएं.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा
on

रचना! :)
ठण्ड में कोट पहन कर नहाना उचित रहेगा... मेरी सलाह मान लीजिये.. :)

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…
on

जादू नहीं दिखाया! पूरी पोस्ट ही जादू है!

राजीव तनेजा ने कहा…
on

@अलबेला जी...ये सही नहीं किया आपने...दस मिनट के लिए ही मिले और जयपुर को चल दिए
@ललित जी...आप सही हैं... चुपचाप रेवाड़ी के लिए निकल लिए...:-(

Udan Tashtari ने कहा…
on

जादू दिख गया हमें तो...अभी बचोगे नहीं..सुनाये बिना छोडूंगा नहीं..कभी तो पकड़ आ जाओगे इसी ट्रिप में. :)

मुन्नी बदनाम ने कहा…
on

हाय मूंछवाले डार्लिंग..why did not you call me? मुन्नी नाराज हुई तुमसे डार्लिंग.. you have missed the bus of 'MUNNI BADNAM HUI TERE LIYE' dance.

Dont worry darling..keep in mind for next time...love you darling n best wishes to all the bloggers.

पं.डी.के.शर्मा"वत्स" ने कहा…
on

सोच रहे हैं कि हमें भी पहुँच ही जाना चाहिए था :)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…
on

क्या आपका बहाना बना हम भी न नहाने का प्रयास करें।

एस.एम.मासूम ने कहा…
on

अच्छा लेख़., यदि आप को "अमन के पैग़ाम" से कोई शिकायत हो तो यहाँ अपनी शिकायत दर्ज करवा दें. इस से हमें अपने इस अमन के पैग़ाम को और प्रभावशाली बनाने मैं सहायता मिलेगी,जिसका फाएदा पूरे समाज को होगा. आप सब का सहयोग ही इस समाज मैं अमन , शांति और धार्मिक सौहाद्र काएम कर सकता है. अपने कीमती मशविरे देने के लिए यहाँ जाएं

केवल राम ने कहा…
on

ललित जी
जितनी शानदार पोस्ट है , उतनी ही शानदार प्रतिक्रियाएं भी क्या कहूँ ...आपका अंदाज ही कुछ ऐसा है ...आप सबसे मिलकर हार्दिक प्रसंता हुई ....आगे भी इन्तजार रहेगा मिलन का ..सुंदर पोस्ट
चलते -चलते पर आपका स्वागत है

73 comments:

  1. रचना जी,
    मैं नहीं जानता कि आपकी छवि ब्लॉगजगत में क्यों विघ्नसंतोषी की बना दी गई है...मैं सिर्फ एक दोस्त के नाते आपको सलाह देना चाहता हूं कि गेंद को जितनी ज़ोर से ज़मीन पर मारने की कोशिश की जाती है वो उतना ही सिर पर चढ़ती है...आप जिसे गलत समझती हैं, उसे गलत कहती हैं...ये अच्छी बात है...लेकिन ये भी तो हो सकता है कि आपको उकसावे के लिए कुछ लिखा जाता हो...आप प्रतिक्रिया देती हैं और लिखने वाले का मकसद हल हो जाता है...इसलिए कई बार सब कुछ देखते-बूझते हुए भी ऐसी चीज़ों की अनदेखी करना अच्छा होता है...ये मेरा सिर्फ मेरा मत है, आप अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र है...यहां लिखने वाले या कमेंट करने वालों की ओर से ये भी दलील दी जा सकती है कि रचना के नाम पर सिर्फ आप ही का पेटेंट नहीं है...वैसे क्या गलत है और क्या सही, ये हर ब्लॉगर को पोस्ट लिखते वक्त खुद ही ध्यान रखना चाहिए...ऐसा कुछ नहीं लिखना चाहिए कि जिससे किसी का दिल दुखे...सबको सन्मत्ति दे भगवान...

    जय हिंद...

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  2. शुक्रिया खुशदीप जी आप ने सही कह हैं "रचना" पटेंट नहीं हैं इसीलिये समझना जरुरी हैं मेरे लिये । और जब समझ लिया तभी लिखा । खुद भी समझा और से भी पूछा फिर सोचा लिख दूँ शायद किसी महिला ब्लॉगर का भला हो जाए । रही बात इग्नोर करने कि तो छिछोरो को इग्नोर ही किया जाता हैं कौन परवाह करता हैं पर ब्लॉग पर लिखना जरुरी हैं क्युकी हिंदी ब्लोगिंग के उत्थान के लिये ही तो ये मीट होती हैं

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  3. ह्म्म्म्म,

    हिन्दी का उत्थान और हिन्दी ब्लॉगिंग का स्तर शायद अब "दादा कोंडके" टाइप की टिप्पणियाँ और लेख तय करेंगे…

    अलबेला खत्री ने बहुत पहले, कईयों को यह "नेक" रास्ता दिखाया था, अब खरपतवार तेजी से उगने लगी है…। यह पोस्ट शायद ललित शर्मा जी ने नहीं लिखी है, क्योंकि वे तो सार्थक लिखते हैं, परन्तु मोडरेशन लगा होने के बावजूद "चटखारे" लेती टिप्पणियाँ प्रकाशित होना एक गम्भीर मामला है…
    ==========

    @ रचना जी,
    मैं जानता हूं कि आप "छिछोरों" की परवाह नहीं करतीं, इसलिये अपने तेवर वैसे ही बनाये रखेंगी यह भी विश्वास है, जिस तरह लाखों गालियाँ खाने, खिल्ली उड़वाने, अपमान सहने के बावजूद मैंने "राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व" का रास्ता नहीं छोड़ा, उसी तरह आप भी "नारी" के सम्मान और इससे जुड़े ज्वलन्त मुद्दों पर सतत कलम चलाती रहेंगी यह विश्वास है…

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  4. रचना जी--यह आपके (विशेषत: आपके) नाम के कारण नहीं था.. रचना की जगह कुछ और भी लिखा होता तो शायद इसी तरह का कमेन्ट दिया जाता, कृपया इसे अन्यथा न लें. आपको छिछोरा पन लग रहा है तो इसके लिये क्षमा प्रार्थी हूं.

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  5. इंडियन सिटिज़न जी क्षमा कि कोई आवश्यकता नहीं हैं । ना रचना शब्द पर मेरा अधिकार हैं लेकिन जिस स्तर पर जो कहा गया हैं क्या वो सही हैं ।

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  6. सुरेश जी गाली देने मे और द्विअर्थी संवादों से किसी का अपमान करने मे बहुत अंतर हैं । हिम्मत होती तो आमने सामने कहते

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  7. @ Indian Citizen जी - आप एक गम्भीर टिप्पणीकार हैं…। मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूं कि जो लोग "दादा कोंडके फ़िनोमिना" को जानते हैं, वह उस पोस्ट का मतलब सही तरीके से समझ सकते हैं… और वैसा क्यों लिखा जाता है या क्यों बोला जाता है यह भी सभी जानते हैं… लेकिन उस फ़िनोमिना का विरोध करने से कतराते हैं…

    हिन्दी ब्लॉगिंग का उसूल है कि जो भी व्यक्ति "किसी विषय पर अच्छे से ठाँसकर" लिखेगा, उसे आसानी से स्वीकार नहीं किया जायेगा… उसकी आलोचना की जायेगी… उसके खिलाफ़ नेटवर्किंग की जायेगी… चाहे वह कोई महिला हो या पुरुष… :) :)

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  8. ये नहीं सुधरेगें... हद है..

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  9. मैं इसे सखेद स्वीकार करता हूं और भविष्य में सावधान रहूंगा.. यद्यपि उस पोस्ट पर टिप्पणी देते समय मेरे दिमाग में यह बात आई थी, लेकिन फिर भी कर दी... आगे ध्यान रखूंगा..

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  12. स्त्री-पुरुष समता की बाबत ब्लॉगजगत में निष्ठापूर्वक अपनी बात कहने के लिए रचना जानी जाती हैं । जाहिर है कि कइयों के दम्भ पर इससे चोट लगती होगी । ऐसे तिलमिलाए बुजदिलों की सड़ी-सोच पर थू ।
    @ सुरेश चिपलूणकर , हिन्दू विवाह कानून,देवराला सती-काण्ड के दौरान ’राष्ट्रतोड़क राष्ट्रवादियों’ के स्त्री-विरोधी विचार छुपे नहीं है। यह विचार कल्पना के ’हिन्दू राष्ट्र ’में स्त्री की स्थिति का संकेत भी देते हैं । पता नहीं रचना ने इस पर कभी गौर किया है अथवा नहीं ।
    -

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  13. रचना, यदि स्त्रियों पर ऊल जलूल मजाक व टिप्पणियों पर तुम भी खींसे निपोर हँस देती, उनपर होते अत्याचार, असमानता आदि को असामान्य न मान एक स्वाभाविक तथ्य या प्रक्रिया भर मान लेतीं तो ये सब टिप्पणीकार भी तुम्हारी वाहवाही कर रहे होते व तुम्हारे ब्लौग रुपी दरबार में माथा टेक रहे होते। तुम्हारे स्त्री शोषण विरोध का कुछ मूल्य तो तुम्हें चुकाना ही होगा। किन्तु इस मूल्य को चुकाने से तुम्हारा आदर हमारे मन में बढ ही रहा है।
    घुघूती बासूती

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  14. रचना,

    ऐसे आलेख और कविता पहले भी इस नाम को लेकर ये लिखते रहे हैं और इनको सिर्फ हम लोगों ने ही नहीं बल्कि पुरुष ब्लोगर भाइयों ने भी खूब लताड़ा है. काफी दिन तक वह लताड़ की गर्द इनपर छाई रही और अब लगता है कि ये झाड़ कर फिर से उठ खड़े हुए हैं. ऐसे मानसिक तौर पर बीमार लोगों का कोई इलाज नहीं है. ये मानसिक व्यभिचार के आदी लोग सिर्फ अपनी लेखनी को ही बदनाम नहीं करते हैं बल्कि सस्ती लोकप्रियता को ये अपनी मंजिल समझ बैठते हैं. जो इंसान आपस में एक दूसरे कि इज्जत करना और सम्मान देना नहीं जानता वह खुद कभी सम्मानित होता होगा मुझे शक है. रहा टीवी में आने वाले सस्ते हास्य व्यंग्य की बात तो उनकी आलोचना बराबर होती चली आ रही है और उनको उसी तरह के लोग ही देखा करते हैं. फूहड़ मजाक या द्विअर्थी व्यंग्य भी एक मानसिक व्याधि के परिचायक हैं.

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  15. आदरणीया रचना जी
    आपने हालांकि मेरी टिप्पणियों को हाईलाइट नहीं किया है, फिर भी मैं क्षमाप्रार्थी हूँ, मैं नहीं जानता था कि यह पंक्तियां किसी के लिये दुखदायक हो सकती हैं। आईन्दा कोई टिप्पणी करने से पहले ध्यान रखूंगा। और बताना चाहूंगा कि मैनें टिप्पणी निम्नलिखित संदर्भ में की थी।
    "केवल राम रचना सुनाने के लिए पीछे पड़ गए. कहने लगे मेरी रचना सुनो.... अब सुबह सुबह रचना को झेलना बहुत भारी पड़ जाता है"

    मेरी टिप्पणी पोस्ट की घटनाओं पर अलग अलग लाईनों में है।

    प्रणाम

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  16. फूहड़ मजाक या द्विअर्थी व्यंग्य नहीं करने चाहिए लेकिन मर्दों की भीड़ मैं ऐसा हुआ करता हैं, यही सत्य है. क्या किया जाए.

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  17. गलत बात हर नज़रिये से गलत ही रहेगी और इस बारे मे सभी को सोचना चाहिये और तभी कहना चाहिये वरना इन ब्लोगर मीट का क्या फ़ायदा अगर वहाँ भी यही सब होना है तो अपना घर क्या बुरा है।

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  18. जैसा मैने आपको लिखा था:
    -------------

    मुझे नहीं लगता कि यह पोस्ट किसी दुर्भावना को लेकर लिखी गई है या इसका उद्देश्य द्विअर्थी संवादों के माध्यम से किसी का माखौल उड़ाना रहा होगा.

    मौज मस्ती का विवरण देते और उस पर चर्चा करते निश्चित ही कुछ कमेंटस भ्रामक हो रहे हैं और भटकाव नजर आ रहा है. इस तरह से कमेंटस के माध्यम से दिशा परिवर्तन एवं भ्रामकता अफसोसजनक है. ऐसा नहीं होना चाहिये.

    मजाक की सीमा रेखायें होती हैं, मैं ऐसा मानता हूँ. किसी को व्यक्तिगत रुप से आहत करने का अधिकार किसी को नहीं है.

    बेहतर होगा कि आप अपना मन्तव्य वहाँ कमेंट के माध्यम से जाहिर उन भ्रामक टिप्पणियों को हटाने की मांग करें जो पोस्ट की दिशा बदल रहे हैं. इस पर एक अन्य पोस्ट लिख मामले को बढ़ाने के पूर्व एक मौका सुधार का अवश्य दें.

    बाकी जैसा आप उचित समझें. शुभकामनाएँ.

    समीर लाल

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  19. @ अफ़लातून जी - आपने कहा "हिन्दू विवाह कानून,देवराला सती-काण्ड के दौरान ’राष्ट्रतोड़क राष्ट्रवादियों’ के स्त्री-विरोधी विचार छुपे नहीं है…"

    1) मुझे लगता है कि यह पोस्ट इन बातों पर विचार करने के लिये नहीं लिखी गई है…

    2) आपको जवाब देने की धृष्टता करने का यह उचित मंच भी नहीं है… देना होगा तो अपने ब्लॉग पर दूंगा…

    3) "राष्ट्रतोड़क" कौन है, यह इतिहास में दर्ज है, भविष्य के बारे में न आप जानते हैं न मैं…

    4) उमर में आप मुझसे काफ़ी बड़े हैं "इसलिये" मैं आपकी इज़्ज़त करता हूं…

    - एक राष्ट्रवादी की ओर से सादर नमस्कार

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  20. ब्लोगर मीट का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन तक ही सीमित रहना भर है तो ऐसे मीट कराने से क्या हासिल होने वाला! मौज मस्ती, आपसी विचार विमर्श अपनी जगह ठीक है लेकिन यदि मीट के कुछ सार्थक पहलुओं की चर्चा/निष्कर्ष प्रस्तुत की जाती तो बेहतर होता..... भगवान सबको सुबुद्धि दे यही शुभकामना है

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  21. यदि ये संवाद किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाने के लिए है तो निश्चित ही दुखद,भर्त्सनीय है !

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  22. इग्नोर करना तो बहुत आसन था रचना क्युकी इग्नोर करके तुम अपने खिलाफ हो रही अश्लीलता को ऊपर ना आने देती । निर्भीकता से लिखना आसन नहीं हैं बाकी घुघूती बासूती जी से सहमत हूँ ।

    रही बात मीटिंग की तो जो चाय पानी करने की सामर्थ्य रखता हैं मीटिंग करा लेता हैं । यहाँ तो फ्री का खाना भी था ।

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  23. खुशदीप भाई ने सही कहा ....सबको सन्मत्ति दे भगवान !!

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  24. शुक्रिया समीर आप ने माना तो
    "मौज मस्ती का विवरण देते और उस पर चर्चा करते निश्चित ही कुछ कमेंटस भ्रामक हो रहे हैं और भटकाव नजर आ रहा है। इस तरह से कमेंटस के माध्यम से दिशा परिवर्तन एवं भ्रामकता अफसोसजनक है. ऐसा नहीं होना चाहिये."
    शुक्रिया भारतीय नागरिक - Indian Citizen आप ने माना तो
    "यद्यपि उस पोस्ट पर टिप्पणी देते समय मेरे दिमाग में यह बात आई थी, लेकिन फिर भी कर दी"

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  25. सुमन जिन्दल जी से सहमत हूं…

    उस वीर सपूत के चरण-कमल भी देखना चाहता हूं जो "निस्वार्थ भाव"(?) से ब्लॉगर मीट का खर्च उठाता है, हॉल का किराया, खाना-पीना, फ़ोन इत्यादि के खर्च का अनुमान लगा पाना मेरे जैसे निम्न-मध्यमवर्गीय के लिये बड़ा मुश्किल है भाई…
    =============

    एक बात जो मैं पहले कहना चाहता था लेकिन रह गई थी, कि रचना ने यह सही कहा कि "किसने कहा कि मैं तिलयार ब्लॉगर मीट में नहीं थी…"।
    मैं यहाँ आधिकारिक रुप से घोषणा करना चाहता हूं कि रचना ही हिन्दी ब्लॉग जगत की सबसे लोकप्रिय और सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर हैं… इस बात के समर्थन में मेरा तर्क यह है कि भारत के किसी कोने में ब्लॉगर मीट हो और उसमें रचना का उल्लेख न हो, ऐसा हो नहीं सकता…। बताईये इस पैमाने पर "कोई भी" ब्लॉगर खरा उतरता है?

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  26. Lolzzz !

    I love you Rachna Ma'am.. :)

    mai soch rahi thi logo ko pata bhi nahi chalta na aise majak majak me actually khud ki hi insult kar lete hai aur apni pol khol dete hai... silly ppl.. hai na ?

    anyways... maza aaya.. :p
    aapko ko to waise bhi apke fans (mere jaise)ki wishes ne sorround aur protect kar rakha hai.. tussi parwaah na karo.. just ignore ignore... ;)

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  27. दर-असल रचना शब्द का प्रयोग अक्सर किया जाता है, शास्त्री जी की एक कविता पर मैं रचना शब्द का प्रयोग कर कोई टिप्पणी देना चाहता था, लेकिन उस समय भी आपके नाम से साम्य के कारण वह टिप्पणी नहीं दी..

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  28. Several other people (Suresh, Suman, Ghughuti ji, etc.) have already said what I wanted to say.

    I find it deplorable to stoop low to just have some laughs. It tells something about mindset. No matter how polished we come across on other occasions, such deliberate lapses reveal true identity and mindset.

    Regards,
    Neeraj

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  29. मुझे तो समझने में इतनी देर लगी ...रचना जी आपको बुरा लगा और आपने ये मुद्दा उठाया - यह भी ब्लॉग्गिंग की एक विधा है - बाकी मैंने आपकी पोस्ट पढने के बाद ही रचना के द्विअर्थ के बारे में सोचा ...अगर आपको बुरा लगा तो निश्चय ही हर कोई क्षमाप्रार्थी है - क्यूंकि आप भी परिवार की एक सदस्य हैं - बाकी तो ललित जी और आप बात करें और इस बात से उपजे मनमुटाव को खत्म करें .....

    नारी के और भी सार्थक मुद्दे हैं भारत के गावों में , शहरों में - वहाँ आपकी इस ऊर्जा की जरूरत है !

    ReplyDelete
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    .
    .
    रचना जी,

    सबसे पहले यह कहूँगा कि आपकी आपत्ति बिलकुल जायज है... यहाँ यदि, किन्तु-परन्तु, अगर-मगर जैसी कोई बात नहीं है... बार बार एक ही शब्द का प्रयोग इरादतन है... सुरेश जी सही कह रहे हैं कि "हिन्दी ब्लॉगिंग का स्तर शायद अब "दादा कोंडके" टाइप की टिप्पणियाँ और लेख तय करेंगे…"... हद है एक आदमी बार-बार कभी इनाम का लालच देता है, कभी सम्मान का, कभी नकद+सम्मान का, द्विअर्थी लिखता है... और हमारे 'आदरणीय' ब्लॉगर उसके सामने और उसके ब्लॉग पर एकदम रीढ़रहित हो बिछ से जाते हैं... क्या ब्लॉगिंग में ईनाम, चंद पैसे या तमगे कमाने आये हो, यही उद्देश्य था तो जो काम पहले से कर जीवनयापन कर रहे हो उसी में मन लगाओ भाई, ब्लॉगिंग आपके लिये नहीं... शर्मनाक है यह... और यह जो यहाँ बात को घुमाने और जस्टीफाई करने की कोशिशें हो रही हैं...क्या कहूँ, हास्यास्पद भी हैं, शर्मनाक भी और निंदनीय भी...

    आप इसी तरह आईना दिखाती रहिये... लोगों को अपनी असल सूरतें याद भी तो रहनी चाहिये !


    ...

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  31. मै भी अन्तर सोहिल की तरह यही समझी थी। वैसे खुशदीप जी ने भी सही कहा है। ये सब बातें तो मीटिन्ग के बाद हुयी हैं मीटिन्ग मे ये सब नही हुया है। बाद मे कोई क्या कहता है क्या करता है उसके लिये उस मीट मे हिस्सा लेने वाले सभी दोशी नही हैं। शायद उन लोगों ने भी इसे इतना सीरियसली नही लिया होगा। अपको उस पोस्ट पर अपना कमेन्ट देना चाहिये था बात को इस तरह बढाने से काया फायदा। धन्यवाद।

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  32. दुखद, अशोभनीय और असभ्य है.

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  33. निर्मला कपिला जी आप शायद वहाँ थी
    तो ज़रा इस कमेन्ट पर भी नज़र डाल ही ले
    नरेश सिह राठौड़ ने कहा
    "आपकी वो तस्वीर सब भाभीजी को भेजने वाला हूँ जिनमे आप जनानियो के पास बैठ कर बहुत हंस रहे है |तब आपको रचना याद आयेगी |"
    क्या सब जनानिया जो मीट मे थी उन पर बाद मे क्या कहा जाता हैं वो भी पढ़ ले । माँ कि उम्र हो या बेटी कि हैं तो सब जनानिया ही

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  34. us post par main apna virodh pahle hi darz kar chuki thi...
    abhi aapki post dekh paayi hun...

    ललित जी,
    रिपोर्टिंग को interesting बनाने के लिए एक शब्द 'रचना' का इस्तेमाल बार-बार किया गया है...इसके पीछे कोई मकसद है क्या...?
    अगर नहीं तो हमारे ब्लॉग जगत की एक वरिष्ठ महिला ब्लोग्गर का नाम भी 'रचना 'है ....और आप सभी उनको जानते हैं...एक महिला का नाम अगर जान बूझ कर इस तरह लिया गया है तो मैं इसका विरोध करती हूँ....यह बात ठीक नहीं है...किसी की भी गरिमा का ध्यान हम सबको रखना चाहिए....असहमतियां अपनी जगह होनी चाहिए...और उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा अपनी जगह ...सच कहूँ तो आपकी पोस्ट और टिप्पणियाँ दोनों ही मुझे द्विआर्थी लगी है....आप तो इतने शालीन व्यक्ति हैं, आपसे ये भूल कैसे हो गई..?

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  35. क्या लिखूं ? बहुत देर तक सोचा .. सोचता रहा [लेख पर तो कुछ नहीं कह सकता क्योंकि लेखक महोदय के लेख कभी पढ़े नहीं है] लेकिन फिर भी दुःख तो हुआ | गहरा दुःख |

    दुःख कंडीशन के साथ नहीं होता "अगर ये है" या "अगर वो है" ...... "तो दुःख हुआ" नहीं लिखूंगा

    खैर .. सिर्फ एक बात .....इन घटनाओं से मन में आपके प्रति सम्मान बढ़ता जा रहा है |

    [टिप्पणियों से जुड़े इस तरह के लेख पहले भी आपके ब्लॉग पर पढ़ें हैं पिछला लेख जब पढ़ा था उसी दिन मुझे इस ब्लॉग की सही भूमिका का एहसास हुआ ]

    इस पोस्ट के लिए धन्यवाद

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  36. aapko ko to waise bhi apke fans (mere jaise)ki wishes ne sorround aur protect kar rakha hai.. tussi parwaah na karo

    rashmi swaroop thank you baby you made my day

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  37. चलिये एक बार मान भी लेते है ( मानने वाली बात लगती नहीं है फिर भी ) कि लेखक कि नियत ऐसी नहीं थी या उनका वो मतलब नहीं था | किन्तु बाद में जो टिप्पणीय आई है उसमे तो साफ तौर पर वही बात कही जा रही है, उन टिप्पणीयो को ना तो पोस्ट से हटाया गया ना उस पर ये आपत्ति कि गई कि आप बात को गलत दिशा में ले जा रहे है ना कोई सफाई दी गई सुबह से अभी तक | क्या तब भी कोई लिखने वाला चुप बैठता जब किस अन्य लेख पर टिप्पणियों में उसकी बातो का गलत मतलब निकला जाता तब तो टिप्पणी पोस्ट होते ही टिप्पणीकर्ता को दस बारह बाते सुना दी जाती |

    मुझे भी लगता है कि रचना जी आप को वही पर उस पर आपत्ति दर्ज करना चाहिए था ताकि बाद में दूसरो कि हिम्मत नहीं होती उस पर इस तरह कि टिप्पणिया देने की |

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  38. अभी तक लगता था की ऐसी हरकत कुछ ब्लोगर ही सिर्फ चर्चा में रहने के लिए करते थे पर कुछ और ब्लोगर भी है जो इस तरह की सोच रखते है जानकार बहुत अफसोस हुआ |

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  39. अंशुमाला जी हो सके तो एक बार दोबारा ललित जी की पोस्ट देख लें उनका कमेन्ट वहाँ आ गया है .... मामले को रचना जी और ललित जी ही आपस में बात कर निबटा दें तो क्या ज्यादा उचित नहीं होगा ? आगे आप सब मुझ से ज्यादा ज्ञानी है ....

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  40. घुघूती जी की बात से पूर्णत सहमत |

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  41. शिवम जी

    सुबह लगभग साढ़े दस बजे सुरेश जी ने अपने टिप्पणी के माध्यम से ये बात सामने ला दी थी उस ब्लॉग पर और शाम लगभग ६ बजे अदा जी ने भी आपत्ति दर्ज करा दी थी और ये पोस्ट भी सुबह से ही है और खेद रात आठ के बाद आता है | अभी तक उन टिप्पणियों को भी नही हटाय गया है | ये काम तो उन्हें खुद से ही कर देना चाहिए था जब वो जान गये थे की इससे किसी को ठेस लगी है |

    अभी ज्ञानी नहीं बनी हु अब ये सब पढ़ने के बाद तो लगता है की ब्लॉग जगत में मै अभी काफी बच्ची हु अभी मुझे काफी लोगों को और चीजो को समझना होगा |

    ReplyDelete
  42. लेख पढ़कर तो पहली नजर में यही लगता है की रचना शब्द का जानबूझकर बार बार प्रयोग किया गया है. बेशक पोस्ट के लेखक की ऐसी कोई मंशा ना हो पर फिर भी लेखक को बिना शर्त माफ़ी मांग लेनी चाहिए.

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  43. मुझे तो ऐसा लगता है ऐसी बातों को यदि notice ही ना किया जाए तो बेहतर हुआ करता है. यह मेरा जाती ख्याल अपने तजुर्बे के आधार पे है.

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  44. आदरणीय रचना जी,

    नमस्कार….रोहतक ब्लोगर मीट के बाद पहले ललित जी की पोस्ट पढ़ने को मिली और उसके बाद आपकी इस पोस्ट से भी रूबरू होने का अवसर प्राप्त हुआ
    ललित जी की पोस्ट पर आई कुछ भ्रामक टिप्पणियों की वजह से माहौल के जो कड़वाहट घुली...वो अफसोसजनक है ...
    मुझे आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि ललित जी की ऐसा लिखने में कोई गलत मंशा रही होगी लेकिन टिपण्णी करने वालों के बारे में क्या कहा जा सकता है?…सबकी अपनी-अपनी सोच और अपना-अपना नजरिया है| जो बात आपको गलत लग रही है…हो सकता है कि उसे लिखने वाले ने उसे आपके नज़रिए से सोचा ही ना हो | हाँ!..अगर जानबूझ कर और परिपक्व सोच के साथ ये सब खुराफाती दिमाग से लिखा गया है तो सचमुच ही ये निंदनीय है और इसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए…कम है|

    ReplyDelete
  45. @ सुमन जिंदल जी

    “रही बात मीटिंग की तो जो चाय पानी करने की सामर्थ्य रखता हैं मीटिंग करा लेता हैं । यहाँ तो फ्री का खाना भी था”


    तो इसमें आपको क्या दिक्कत है? अगर आप में सामर्थ्य है तो आप भी बुला कर देख लें…हम आ जाएंगे

    और अगर बस की बात नहीं है तो आप जब कहें…हम आपको बुलाने के लिए तैयार हैं …और हाँ…खाने का मेन्यू भी वही रखा जाएगा…जो आप चाहेंगी… (बस…उसे निर्विवाद एवं अनिवार्य रूप से शाकाहारी होना चाहिए)

    ReplyDelete
  46. @


    Suresh Chiplunkar जी
    “सुमन जिन्दल जी से सहमत हूं…
    उस वीर सपूत के चरण-कमल भी देखना चाहता हूं जो "निस्वार्थ भाव"(?) से ब्लॉगर मीट का खर्च उठाता है, हॉल का किराया, खाना-पीना, फ़ोन इत्यादि के खर्च का अनुमान लगा पाना मेरे जैसे निम्न-मध्यमवर्गीय के लिये बड़ा मुश्किल है भाई”…
    =============

    आदरणीय सुरेश जी…आपके हिसाब से ‘वीर पुरुष' की जो परिभाषा है ..मैं खुद को उस खांचे में पूरी तरह से फिट पाता हूँ याने के सौ प्रतिशत उस श्रेणी के योग्य मैं खुद को मानता हूँ और राजी-खुशी से आपकी इच्छा पूरी करने को तैयार हूँ…(अरे!…वही चरण कमल के दर्शन वाली)…

    कहिये!…कब दर्शन करना चाहेंगे मेरे चरण-कमलों के?…

    अरे!…औपचारिकता भरे निमंत्रण को मारिये गोली…वो तो गैरों के लिए होता है और आप तो हमारे अपने हैं…अपना जब जी चाहे…तब बाअदब …मुलाहिजा हमारे आशियाने पे बिना दस्तक दिए ही दाखिल हो जाएँ …दरअसल!…क्या है कि हमारी कालबैल याने के घंटी पिछले कुछ दिनों से थोड़ा तंग कर रही है…

    और हाँ…जब भी आएं तो लगे हाथ ‘इसमें मेरा क्या स्वार्थ है?’ ये भी बताते जाएँ तो इस मूढ़ एवं परम अज्ञानी पर बड़ी कृपा होगी

    अब रही बात कुल खर्चे और सारे हिसाब-किताब की तो उसके लिए तो आप बिलकुल ही चिंता ना करें जी …एक डायरी सिर्फ इसी खातिर…इसी लिए मेनटेन कर दी जाएगी कि आप जैसे महानुभावों को इस सब में होने वाले खर्चे से भली-भांति अवगत कराया जा सके और इस सब से भी अगर आपकी तसल्ली ना हो तो सोहाद्र्पूर्ण ढंग से आपस में विचार-विमर्श करने के बाद किसी लाला के निर्वासित मुंशी या फिर वेल्ले बैठे किसी चार्टेड एकाउंटैंट का भी बंदोबस्त या जुगाड़ कर हिंदी ब्लोगजगत के इतिहास में कामयाबी के झण्डे को सफलतापूर्वक ढंग से राजी-खुशी गाड़ा जा सकता है

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  47. @ रचना जी
    सुमन जिंदल जी को और Suresh Chiplunkar जी को लेकर आपको मेरी ये टिप्पणी कुछ तल्ख़ लग सकती है लेकिन पहले आप ये देखिये उन्होंने लिखा क्या है…

    ‘सुमन’ जी के हिसाब से वहाँ फ्री का खाना मिल रहा था …इसलिए सब वहाँ पर गए… और ‘सुरेश’ जी तो इनसे भी गए-बीते निकले जो आयोजक की ही मंशा पर ही संदेह जता रहे हैं कि इसमें राज भाटिया जी(आयोजक) का कुछ निजी स्वार्थ था…
    एक बार फिर से निवेदन कि हिन्दी ब्लॉगजगत के इस काले अध्याय को भूल कर हम नई सोच..नई स्फूर्ति के साथ…मिलकर आगे बढ़ें

    विनीत:
    राजीव तनेजा

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  48. मुझे कुछ अधिक समझ में नहीं आया की यह टिप्पणियां जानबूझ कर की गई या शरारतन? वैसे समझने से ज्यादा यह ज़रूरी होना चाहिए कि किसी की भी टिपण्णी से किसी को ठेस ना पहुंचे. इसलिए अहसास होते होते ही ऐसी टिप्पणियां हटा लेनी चाहिए थी.

    जहाँ तक ब्लोगर मीत की बात है, तो वह अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल रही थी, और इसका उद्देश्य राज भाटिया जी ने आपस का मेल-जोल बताया था. वहीँ इस ब्लोगर मीट के द्वारा ही कई ब्लोगर्स को एक-दुसरे की परिशानियों को भी जानने का मौका मिला.. और जिस पोस्ट की बात यहाँ चल रही है, वह मीट समाप्त होने की बाद के माहौल के ऊपर है.... वैसे कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां यहाँ भी हैं...

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  49. वैसे तो किसी महिला के आत्मविश्वास को तोडने उसे अपमानित करने के लिये ऐसी हरकते नई नहीं है परंतु अब दो अंतर आए है एक तो कोई महिला सच्चाई सामने लाने मे सँकोच नही करती दूसरा इन सो कॉल्ड मर्दो मे इतना भी माद्दा नहीं रहा कि सामने आकर तो कुछ कह सके ।जिस तरह की हरकतो पर ये लोग उतर आये है वह एक तरह की नीचता है (रचना जी क्षमा करे परँतु वहाँ जो कुछ हुआ उसे देखते हुए ये ही शब्द मुझे सही लग रहा है) जारी...

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  50. ललित शर्मा ने क्यों लिखा और उनका मतलब क्या था यह वे खुद बतायेंगे। शायद वे रचना शब्द का प्रयोग करते हुये शब्द सौंन्दर्य देख रहे हों लेकिन इस तरह की प्रवृत्तियां घटिया और शर्मनाक हैं जिसमें कुल मिला जुलाकार बात रचना जी के लिये अश्लील बातों तक पहुंचती है।

    मजे की बात है कि भाई लोगों के पास इसके बावजूद इस तरह के तर्क हैं कि असल बात वह नहीं है जो आप समझ रही हैं।

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  51. इन जैसे लोगों मे तो वो ही पुरूषवादी अहम् जहर के रूप मे भरा हुआ है जिसे वो समय समय पर उगलते रहते है और उगलेंगे ही नही उगला तो पता चला अपने ही जहर से खुद ही ...परँतु प्रवीण जी की तरह मुझे भी आश्चर्य उन लोगों पर ज्यादा हो रहा है जो जागकर भी सोने का अभिनय कर रहे है ।कल शाम को पोस्ट देखी मैं जो कहना चाहता था वो सुरेश जी अंशुमाला जी और सबसे बढकर प्रवीण जी ने कह दिया है ।और रचना जी को दिल से सलाम ।

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  52. @राजीव तनेजा जी
    हिंदी ब्लॉग मै २००७ से हूँ और कौन कितने पानी मे हैं आप से बेहतर जानती हूँ । महिला के लिए "मॉस का लाथोडा" तक कहा गया हैं इस हिंदी ब्लोगिंग मे और किसने कहा ये बात दूँ आप को जो खाया हैं ब्लॉग मीट वो भी उलटने का मन करेगा । रही बात पैसा खर्च कर के ब्लोगिंग की मीट करना तो क्या सार्थक निकला इस मीट के बाद वो तो रिपोर्ट से दिख गया । संजू से मिली थी दिल्ली मीट में , जींस और टॉप मे उसको देख कर मन हर्षित था लेकिन उसको कहना चाहती थी राजिव के बिना किसी मीट मे अकेली ये ड्रेस पहन कर मत जाना । मेरा सन्देश उस तक पंहुचा दे । मैने बहुत सुना हैं अपनी वेस्टर्न ड्रेस के बारे मे । संजू को मेरा प्यार दीजियेगा और कहियेगा सब के पास पति नहीं हैं जो रक्षा कवच कि तरह खडा रहे । आप दोनों के ऊपर एक पोस्ट जरुर लिखनी हैं , जब से मिली हूँ तब से मन था । जो अपनी पत्नी को साथ ले कर चलता हैं वो औरो से अलग तो है ही
    हिंदी ब्लोगिंग के उत्थान के लिये इसको भांड और मीरासियों कि महफ़िल बनने से रोके ।

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  53. जहाँ तक ब्लोगर मीत की बात है, तो वह अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल रही थी,@Shah Nawaz said...


    bilkul jee meet isliyae hotee hi haen ki mahila ko bulao aur raat mae un par aur dusri mahila par ashleel baatey karo

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  54. ओह अब तो इस बहस को अंत तक देखने के बाद ही पोस्ट आएगी मेरी , अभी तो सोच ही रहा हूं कि क्या वाकई हिंदी ब्लॉग्गिंग का असली रूप यही है , गैर जरूरी पोस्ट , history repeats itself and cotinues repeatig जैसा कुछ , हर ब्लॉगर बैठक को और खासकर आयोजक को निशाने पर रखना , वो भी उन महारथियों द्वारा जो खुद भी ऐसे और इन जैसे सम्मेलनों में भागीदारी कर चुके हों । यहां सूरतें तो सबकी अपनी हैं , बस आईना ही सब एक दूसरे को दिखा रहे हैं, खुद उस आईने में खुद का चेहरा देखने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहे हैं । खैर बांकी बातें अपनी पोस्ट पर ....शाम तक

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  55. और हां मेरी टिप्पणी का कोई भी मंत्वय निकालने का प्रयास न करें , क्योंकि सिर्फ़ मैं जानता हूं कि मैंने कहां क्या किसके लिए और क्यों लिखा है , और इसे बेहतर मैं अपनी पोस्ट पर ही स्पष्ट करूंगा ।

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  56. मुझे भी लगता है कि रचना जी आप को वही पर उस पर आपत्ति दर्ज करना चाहिए था ताकि बाद में दूसरो कि हिम्मत नहीं होती उस पर इस तरह कि टिप्पणिया देने की |
    anshumala pehlae kartee thee ab nahin kartee kyuki tab kehaa jataa thaa aap kyun kehtee haen tippani hatanae kae liyae

    ReplyDelete
  57. @ajay ji
    mahila to banihii haen manoranjan kae liyae
    histroy bhi yahii kehtii haen

    so no grudges at all

    ReplyDelete
  58. @ ajay गैर जरूरी पोस्ट i fully agree
    night mae kaun kyaa discuss kartaa haen uska personal affair haen jii

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  59. अरे ! ये मामला अभी तक चल ही रहा है. मैं सोच रहा था कि पोस्ट के लेखक ने अपने बड़प्पन का परिचय देते हुए माफ़ी मांग कर मामला सुलटा लिया होगा पर अभी तक तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ बल्कि कुछ वीर सपूत दूसरी ही बातों में मामले को भटका रहे हैं .

    गलतिय सभी से होती है. कभी जानबूझकर और कभी अनजाने में. लेकिन माफ़ी मांगने कि वो व्यक्ति शराफत दिखता है जिस बन्दे कि जन्मकुंडली में उसका बृहस्पति मजबूत होता है. बृहस्पति यानि कि देवताओं के गुरु और ज्ञान के देवता.

    लेखक महोदय जल्दी से माफ़ी मांग कर मामला ख़त्म करें और अपना बृहस्पति मजबूत करें......

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  60. रचना !
    कुछ अधिक ही कड़वा लिखने की आदत है तुम्हे अतः आना पड़ा , कड़वा लिखने में तुम्हारी लेखनी अच्छा बुरा , और मान अपमान का ध्यान नहीं रखती यह निंदनीय है !

    अब मेरी अपने बारे में बात ...
    @ " आप अपने बारे में खुद ही कायर कह चुके हैं "

    मैं जीवन में आज तक किसी से नहीं डरता ! मेरे लिखे हुए लेखों में अथवा टिप्पणियों में अगर व्यंग्य अथवा मजाक में अपना ही उपहास करना तुम्हारी समझ में न आये तो यह तुम्हारी गलती है मेरी नहीं !

    कोशिश करता हूँ कि ब्लाग जगत के घटिया लोगों से दूर रहूँ कहीं गुस्से में मैं कोई ऐसा कार्य न कर दूं कि लोग ब्लागिंग से ही किनारा करने लगें !

    ट्रेड यूनियन मूवमेंट का नेतृत्व सालों किया है अतः घटिया भाषा बोलनी और निपटाना यहाँ के और विद्वानों से अधिक आता है !

    जहाँ तक उस लेख का सवाल है उससे मेरा कोई सम्बन्ध नहीं ! बेहतर है कि वे लोग खुद जवाब दें !

    हाँ ऐसे शब्द अगर किसी भी नारी के लिए प्रयुक्त किये जाएँ तो बेहद निंदनीय है !

    यहाँ पर की गयी कुछ टिप्पणियों में पूरे आयोजन और उसमें शामिल समस्त लोगों का मज़ाक उड़ाया गया है यह भी कम अशोभनीय नहीं है ! जो भी लोग बिना जाने, किसी अन्य के प्रति व्यक्तिगत तौर पर अपमान जनक भाषा का प्रयोग करते हैं वे अपने संस्कार और मानसिकता बता रहे हैं !

    अगर तुम समझ सको तो,
    तुम्हारा भाई
    सतीश सक्सेना !

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  61. @सतीश
    आप कि टिपण्णी हटा भी सकती थी क्युकी आप ने मेरी नहीं छापी !!!

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  62. सतीश जी कहीं पढ़ा था हम अपनी संगती से भी जाने जाते हैं जहां मदिरा पान होगा वहाँ ये सब होगा लोग प्राइवेट पार्टी को ब्लोगिंग कहते हैं । आज neeraj jaat कि पोस्ट पर जो चित्र आये हैं उन मे मदिरा कि बोतल साफ़ दिख रही हैं

    भाग्यशाली हूँ कि आप को गुस्सा दिला सकी और प्रयतन रहेगा हमेशा कि आप लोगो के सोये हुए चिंतन को जगा सकूँ

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  63. रचना जी, यहां पर ललित जी के उस लेख से आपको वही टिप्पणियां देना चाहिये जो आपत्तिजनक थीं, जिनमें एक मेरी भी थी, लेकिन बाकी टिप्पणियों को नहीं देना चाहिये....

    ReplyDelete
  64. "जहाँ मदिरा पान होगा वहां यह सब होगा ही "

    विश्व के मदिरा पीने वालों अच्छे लोगों की लिस्ट दिखाऊँ रचना एक से एक लोग हैं वहां जिन पर हमें गर्व होता है ! तब तो ब्लाग जगत में गिनना शुरू करूँ तो कम ही लोग होंगे रचना जो शराब बिलकुल न छूते होंगे !
    एक तो मैं ही हूँ !

    @ " आप कि टिपण्णी हटा भी सकती थी क्युकी आप ने मेरी नहीं छापी "

    तो छापी क्यों क्योंकि अपने उद्देश्य में सफल रही इसलिए ... :-))

    अंत में ,

    जो आदमी आपके लिए बुरा है ज़रूरी नहीं वह आपके अन्य मित्रों के लिए भी बुरा हो ! अपने अपने झगडे खुद अपने बल पर निपटाने चाहिए ! अगर कोई दोनों पक्षों का आदर करता है तो उसे एक पक्ष में प्यार का वास्ता दिला कर नहीं बुलाना चाहिए ! व्यक्तिगत स्तर पर कोई भी अति बुरी ही मानी जायेगी !

    परस्पर वैमनस्य का कारन सिर्फ पक्ष और प्रतिपक्ष ही जानते हैं की उनकी दुश्मनी के पीछे पुरानी कहानिया क्या हैं अतः मेरे जैसे लोग प्रतिक्रिया से बचते हैं तो वे कायर नहीं हैं रचना !

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  65. @ राजीव तनेजा साहब - बहुत बढिया जवाब दिया आपने, दिल खुश हुआ…। ना जी तल्खी-वल्खी कुछ नहीं, हमें तो आदत है ऐसे जवाब सुनने की…। बात एकदम साफ़ होनी चाहिये भाषा कैसी भी हो… इसलिये आपका जवाब सुनकर खुशी हुई। यह जानकर और भी अच्छा लगा कि भाटिया जी स्पांसर थे, ज़ाहिर है कि उनका कोई स्वार्थ नहीं हो सकता, लेकिन "निस्वार्थ" वाली बात हरेक पर फ़िट भी नहीं बैठ सकती।

    @ सतीश सक्सेना जी - आपकी एक और गुणवत्ता (ट्रेड यूनियन वाली) जानकर बहुत अच्छा लगा, अभी तक तो मैं आपको सिर्फ़ एक विद्वान, कवि और लेखक के रुप में ही जानता था…
    बाय द वे, "कड़वा" नीम भी होता है और करेला भी, और दोनों ही स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम माने गये हैं… :)

    ReplyDelete
  66. satish
    any one can drink after the age of 18 years

    but to say that a private party is hindi bloggers meet and then give trash comments abt woman who participated in the meet { there is one general comment as well }

    i am used to getting trash and flakes and dont bother so i waited ofor 24 hours on that post and then wrote this post

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  67. भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

    रचना जी, यहां पर ललित जी के उस लेख से आपको वही टिप्पणियां देना चाहिये जो आपत्तिजनक थीं, जिनमें एक मेरी भी थी, लेकिन बाकी टिप्पणियों को नहीं देना चाहिये....


    tab mujh par arop hota ki maene sahii tarikae sae samjha nahin baat ko beech mae sae utha kar uska matlab apane hisaab sae diyaa

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  68. ये हम किस दिशा की ओर मुड़ गए हैं। मुझे बहुत दुख हो रहा है। पर सिर्फ दुखी होने से बात नहीं बनती है। सामने वाले के दुख में सुख तलाशने वालों की संख्‍या में कमी तब ही आ सकती है जब उनकी ओर ध्‍यान ही न दिया जाए।
    'ईस्‍ट इज ईस्‍ट' के बाद अब 'वेस्‍ट इज वेस्‍ट' : गोवा से


    ऊंट घोड़े अमेरिका जा रहे हैं हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग सीखने


    ‘ग्रासरूट से ग्‍लैमर’ की यात्रा : ममता बैनर्जी ने किया 41वें भारतीय अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह का शुभारंभ : गोवा से अजित राय

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  69. @ सुरेश भाई,
    करेला और नीम को खुद अधिकार नहीं होता की वे अपने औषधीय गुणों के बारे में सर्टिफिकेट दें ...यह हम लोग हैं जो उपयोग करते हैं उन्हें ही तय करने दीजिये !
    पक्ष विपक्ष जब आमने सामने हों तो उन्हें तय करने का कोई अधिकार नहीं कि ठीक कौन है ! पाठक बहुत गुणी और सक्षम हैं !

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  70. हम जिस परिवेश मे रहते हैं वहाँ अपने "नाम" से जाने जाते हैं । शीला और मुन्नी दो आम नाम हैं लेकिन उनके लिये विशिष्ठ हैं जो इस नाम से जानी जाती हैं । हम सलमान और फराह के ऊपर डंडा लाठी ले कर इसलिये चढ़ सकते हैं क्युकी वो हमारे कोई नहीं हैं लेकिन जब हमारे हमारे अपने या हम खुद यही करते हैं तो उसको गलत नहीं मानते हैं और जिसके प्रति हम ये अश्लीलता / असमानता या जो चाहे नाम दे ले करते हैं उसे ही प्रवचन देते हैं कि वो कुछ गलत समझा । दिनेश जी के जवाब का मै भी इंतज़ार करूगीं ताकि मै भी इस बार कोई ठोस कदम उठा सकूँ ।
    काफी इग्नोर कर लिया हैं जब आप लोग समाज के लिये इतना कदम उठाने का सहास रखते हैं तो मै भी एक पहल कर लम्बी लड़ाई कि तयारी क्यों ना करू

    खुशदीप जी कि पोस्ट पर मेरा कमेन्ट

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  71. इस पोस्ट के बाद कयी ब्लॉग पर मुझ ये समझाया गया कि जनानी शब्द आपत्तिजनक नहीं हैं लेकिन समझाने वाले मेरी पोस्ट को अगर पढते तो समझते कि मैने जनानी शब्द पर आपत्ति की ही नहीं थी मेरी आपत्ति थी कि मीटिंग के बाद ये कहना "आपकी वो तस्वीर सब भाभीजी को भेजने वाला हूँ जिनमे आप जनानियो के पास बैठ कर बहुत हंस रहे है |" क्या जिन महिला ने ये मीटिंग मे शिरकत कि उनके बारे मे ये कहना कि आप उनके बीच हंस रहे थे और आप का चित्र आपकी पत्नी को दिखाऊंगा सम्मानजनक हैं । ऐसा लगता हैं जैसे कोई टीन एजर अपनी गर्ल फ्रिएंड्स का जिक्र कर रहा हैं

    नाम की मेहता का जिक्र हो रहा हैं सो कमेंट्स फिर खोल दिये हैं

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  72. http://mypoeticresponse.blogspot.com/2010/12/blog-post_11.html

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