हम सब का प्रयास यही होगा कि आगे आने वाली पीढी स्त्री और पुरूष बाद मे हो मनुष्य पहले । प्रतिस्पर्धा ना रहे दोनों मे । अगर भारतीय समाज को "परिवार " को बचाना हैं तो उसे ये मानना होगा कि नारी पुरूष बराबर हैं नहीं तो अब परिवार और जल्दी टूटेगे क्योकि आज कि पीढी कि स्त्री आर्थिक रूप से सक्षम हैं और उसे अकेले रहने और अकेले तरक्की करने से परहेज नहीं हैं ।
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
November 12, 2010
अगर भारतीय समाज को "परिवार " को बचाना हैं तो उसे ये मानना होगा कि नारी पुरूष बराबर हैं नहीं तो-----
साहित्य मे बार बार जो नारी को अबला कह जाता हैं क्या सही हैं ?? क्या नारी जो ख़ुद भी आज भी यही लिखती हैं कि वोह अबला हैं , ये पुरूष प्रधान समाज हैं सही कर रही हैं ? क्या इस प्रकार का साहित्य आज के समय मे भी सही हैं जहाँ बार बार ये लिखा जाता हैं कि समाज मे नारी को केवल घुटन मिलती हैं ?? आज से ६० साल पहले जब देश आजाद हुआ तब स्थिती और थी , औरत के लिये समाज मे जो स्थान था उस समय उसके अनुकूल जो नारियाँ लेखिका बनी उनका रचना साहित्य उस समय के लिये था { नहीं मे ये नहीं कह रही साहित्य obselete हो जाता हैं } क्योकि उनके पास आगे बढने के लिये , घुटन से निकालने के लिये कोई और रास्ता नहीं था । किताबे पढ़ना और किताबे लिखना और इतना बढिया लिखना की कोई भी नारी पढे तो रिवोल्ट करने के तैयार हो जाए यही मकसद था उनके लेखन का पर आज के समय मे नारी के पास घुटन से आज़ादी अर्जित करने के बहुत साधन हैं । आज कि नारी का विद्रोह पुरूष से नहीं , समाज कि कुरीतियों से हैं जो नारी - पुरूष को एक अलग लाइन मे खडा करती हैं । ६० साल पहले कि नारी विद्रोह कर रही थी शायद पुरूष से और इसीलिये वह बार बार कहती थी " हमें आजादी दो " लेकिन आज कि नारी अपने को आजाद मानती हैं और उसका विरोध हैं उस नीति से जो उसे पुरूष के बराबर नहीं समझती ।
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यकीनन बराबरी जरूरी है
ReplyDeleteजरूरी है और है भी...
ReplyDeleteअबला कह कर उसे कमजोर बनने की कोशिश की जाती है | रही बात बराबरी की तो जब हम मानते है की हम उनके बराबर है तो फिर किसी और चीज की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है आज नहीं मना रहे है एक समय आयेगा जब वो भी मानने लग जायेंगे |
ReplyDeleteआपने बहुत सही लिखा है. पर समस्या तो यह है की पुरुष ही नही नारी खुद भी स्वयं को कमजोर मानती है. समानता और सम्मान पाने के लिए पहले उसे भी अपने रूढ़िवादी संस्कारों से मुक्त होना होगा
ReplyDeleteनारी की महिमा का वास्तविक व्याख्यान तो दुर्गासप्तसती में मिलता है , नारी किसी भी युग में कमजोर नही थी । ये अलग बात है कि अक्सर हम अपनी ताकत भूल जाते है ।
ReplyDeleteहम तो इस धरती पर जीवन का आधार है , फिर हम कमजोर कैसे है??
इस ब्लॉग पर पढी हुई अब तक की सबसे बेहतरीन पोस्ट्स में से एक मानना चाहूँगा इसे ।खरी खरी और बहुत सटीक ।ऐसे समय में जबकि परिवारों के टूटने के लिए सिर्फ नारी को दोषी माना जा रहा है, इसकी जरूरत भी थी । अंशुमाला जी और पूनम जी से भी सहमत ।
ReplyDeletebahut sateek likha hai....
ReplyDeletenari ko abla manne walon ki aankhen kholna Zaroori hai
sirf komalta pradarshan se nahi apne bal ke pradarshan se baat banegi....
mahan nari "sabla" wo hai jo apni kshamta ko siddha kar ke bhi prem,daya,mamta, kshama, tyag adi komal gunon ko dharan kare, na ki vo jo "abala" hone ke karan in gunon ko dharan kare
nareetva ko punah paribhashit karne ki zaroorat hai.....