प्रसिद्ध वैज्ञानिक श्री जगदीश चन्द्र बसु की ख्याति और सफलता के पीछे उनकी पत्नी श्रीमती अबला बसु का त्याग , धैर्य , सहनशक्ति और कष्ट उठाने की क्षमता से कितने लोग परिचित हैं ? उनका नाम अबला था पर उनका व्यक्तित्व सबल था । कलकत्ता के एक महाविद्यालय मे श्री जगदीश चन्द्र बसु अध्यापन के साथ शोध कार्य भी कर रहे थे । उनके साथ कुछ अग्रेज अध्यापक भी थे जिन्हे अधिक वेतन मिल रहा था । इस अन्याय के विरोध मे श्री बसु अपना धनादेश { चेक } यह कह कर लौटाते रहे कि जब तक उन्हे अग्रेज अध्यापको के समान वेतन नहीं मिलेगा वे अपना कम वेतन स्वीकार नहीं करेगे ।
आर्थिक कठिनाई की इस घड़ी मे उनकी पत्नी ने उन्हें अपने सारे आभूषण दे दिये और कहा - " इन से कुछ समय तक काम चल जायेगा । इसके अलावा अगर हम लोग कलकत्ता के महंगे मकान को छोड़ कर हुगली नदी के पार चंदन नगर मे सस्ते मकान मे रहें तो खर्चे मे कमीं आजायेगी ।"
पत्नी का सुझाव तो जगदीश बसु को ठीक लगा परन्तु हर दिन हुगली नदी पार कर के जाना - आना सम्भव नहीं लगा क्युकी इतना थकने के बाद पढ़ना और शोध कार्य करना कठिन होगा ।
इतनी बड़ी समस्या को श्रीमती बसु नए तत्काल सुलझा दिया - " आप नाव मत खेना । मै प्रतिदिन नाव लेकर आपको लाया और ले जाया करुगी । "
अदम्य साहसी , दृढ निश्चयी महिला ने अपने पति के लिये प्रतिदिन लाने - ले जाने का कार्य किया ।
श्रीमती अबला बसु के सहयोग से श्री जगदीश चन्द्र बसु अपना अध्यन और शोधकार्य पूरा कर सके और एक विश्व विख्यात वैज्ञानिक बन गए ।
पति - पत्नी मे आपस मे कितना सामंजस्य एक - दूसरे के लिये कितना त्याग , सहयोग , तथा हर समस्या से जूझने और सुलझाने की क्षमता , पारिवारिक चुनौतियों के लिये समय निकालने की योग्यता कितने लोगो मे हैं ?
आज कितने पति - पत्नी एक दूसरे के लिये कुछ करना चाहते हैं ? एक दूसरे को आगे बढ़ते देख कर कितना प्रसन्न होते हैं ??
श्रीमती अबला बसु जैसे व्यक्तित्व आज उदाहरण बन सकते हैं
बहुत बढ़िया रोचक प्रसंग है .दोनों एक दूजे के साथ हैं समझते हैं तो कोई काम मुश्किल नहीं है
ReplyDeleteसहयोग और पारस्परिकता का कोई जोड़ नहीं।
ReplyDeleteआपसी सहयोग और एक दूसरे कि प्रति समर्पण का भाव किसी भी रिश्ते कि मजबूत बुनियाद होता है फिर ऐसे में यदि वो जीवन साथी हो तो जीवन सुखमय हो जाता है.. आपका सवाल वाजिब है आजकल ऐसा कितने लोग करते है?
ReplyDeleteआपका सवाल वाजिब है आजकल ऐसा कितने लोग करते है?
ReplyDeleteसौभाग्यवश मैं ऐसे कई दम्पतियों को जानती हूँ जो इसी तरह एक दूसरे की तरक्की के लिए सहयोगी और समर्पित है। खुशी की बात ये है कि पति भी ऐसा सहयोग और समपर्ण करते हैं एक दो बार नहीं पूरी जिन्दगी।
ReplyDeleteबहुत प्यारा संजोग है ......दोनों एक दूजे के साथ हैं समझते हैं तो कोई काम मुश्किल नहीं है
ReplyDeleteबहुत अच्छा प्रसंग है यह ... आज आपसी सहयोग की भावना समाप्त होने से ... और अपनी अपनी महत्वाकांक्षा को अधिक महत्वपूर्ण समझने से पारिवारिक विघटन की घटनाएं काफी बढ रही हैं ... समाज के लिए बहुत दुखद है यह स्थिति।
ReplyDeleteक़ितना सुँदर सच आपने लिखा है कई दम्पति की सुखी दृहस्थी की बुनियाद इसी कारण
ReplyDeleteदुनिया के सामने द्रढता से खडी होती है - श्रीमती अबला बसु ने ना सिर्फ अपने पति का सहकार दिया बल्के समानता की लडाई भी अपने त्याग से पूरी कर दीखलाई -
वाह ! बहुत सुँदर मिसाल है ये -
- लावण्या
बहुत रोचक व प्रेरणादायक प्रसंग है यह। धन्यवाद।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
प्यार का कच्चा धागा बहुत मजबूत होता है ।
ReplyDeleteयही भावना है जो परिवार संस्था कि नींव को आजतक बनाये रखे है. सप्तपदी के सात वचन ही देते हैं यह भावना. बस उसको समझने और धारण करने कि जरूरत है. वे सभी दंपत्ति प्रशंसा के योग्य है , जो जीवन के संघर्ष में भी एक दूसरे का दामन मजबूती से पकड़ कर साथ निभा रहे हैं.
ReplyDeleteप्रेरणादायक प्रसंग ।
ReplyDelete