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शनिवार २८ मार्च २००९
समय शाम के ८.३० बजे से रात के ९.३० बजे
घर मे चलने वाली हर वो चीज़ जो इलेक्ट्रिसिटी से चलती हैं उसको बंद कर दे
अपना वोट दे धरती को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिये
पूरी दुनिया मे शनिवार २८ मार्च २००९ समय शाम के ८.३० बजे से रात के ९.३० बजे
ग्लोबल अर्थ आर { GLOBAL EARTH HOUR } मनाये गी और वोट देगी अपनी धरती को ।
इस विषय मे ज्यादा जानकारी यहाँ उपलब्ध हैं ।
पहले तो एक वर्ष होने की बधाई फिर एक सवाल कि आपने अपने ब्लाग का लुक क्यों बदल दिया? पहले वाला ही अच्छा लग रहा था। हालांकि विचार अब भी वही हैं प्रखर और ओजस्वी। इधर कुछ ऐसा रहा कि इस ओर आना नहीं हो सका क्षमा करिएगा।
ReplyDeleteआप का कल ब्लोग्पर न आना बहुत अखरा . आप की दी हुई टिप्पणियां जैसे की ये वाली , एहसास दिलाती हैं अपने पन का . ब्लोग्कैलोक से बोरे हो गयी थी डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर जी इसलिये बदला . आशा हैं अब आप आते रहेगे . टेम्पलेट जल्दी बद्लुगी
ReplyDeleteरचना जी , ग्लोबल वार्मिंग का ताजा असर बेमौसम बारिश और भी कई जगह हम देख सकते हैं । आपका अहवान प्रशंसनीय है ।
ReplyDeleteनीशू जी इसका प्रचार करे
ReplyDeleteरचना जी , बिल्कुल मैं इस बात को आगे तक ले जाने की कोशिश करूंगा । सोये हुए को जगाने के लिए शब्दरूपी पानी बरसायेंगें देखना है कान में जूँ रेंगती है या नहीं ।
ReplyDeleteहम भी आप के साथ हैं।
ReplyDeleteमैं भी धरती को ही वोट दूंगी ... साढे 8 से साढे 9 तक बिजली की मेन स्विच आफ।
ReplyDeleteहम भी अपनी घरती के साथ हैं ।
ReplyDeleteएफएम में सुनकर ऐसा करने का मन पहले से ही बना लिया था, आपकी पोस्ट पढ़कर और पक्का हो गया।
ReplyDeleteरचना, एक बार आप मेरे ब्लॉग पर जाकर देखें, मैंने आपकी पोस्ट को एचटीएमएल के तौर पर प्रयोग में लाया है।
ReplyDeleteज़रूर ... हम साथ साथ हैं.
ReplyDeleteलाईट का क्या? आधी से ज्यादा इंडिया में तो ये बिजली वालों की मेहरबानी से पहले से होता आ रहा है आगे भी होता आयेगा।
ReplyDeleteवैसे इसकी महत्ता ज्यादातर उन देशों के लिये है जहाँ बिजली की खपत ज्यादा है और कभी बिजली बंद नही होती। लेकिन ये सिंबोलिक जरूर है, बजाय एक दिन के लिये बिजली बंद करने के रोजाना सिर्फ उतनी ही उपयोग में लायी जाय जितनी जरूरी है तो इस दिन को दोहराने की शायद जरूरत ना पड़े।