कुछ परिभाषाये जो कल की पोस्ट पर आयी हैं आप भी पढे । कुछ अपने विचार से आप भी बताये ।
5 comments:
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अगर आधुनिक स्त्री-विमर्श के संदर्भ में कहूं तो ऐसी नारियां जो यौन-विमर्श को अधिक तरजीह दें।
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अंशुमाली जी से सहमत, और इसमें जोड़ते हुए कि पब-बार-रेव पार्टी-डिस्कोथेक आदि में जाने वाली, बिन्दी-चूड़ी-मेहंदी को पिछड़ेपन का प्रतीक मानने वाली, बाकियों के खिलाफ़ हिम्मत न होने के कारण "हिन्दू संस्कृति" में ही सारी बुराईयाँ खोजने वाली, महिलाओं की असली समस्याओं को दरकिनार करके किसी अ-मुद्दे पर फ़ाइव स्टार होटलों में "बिस्लरी" पीते हुए बहस करने वाली… प्रगतिशील महिलायें मानी जा सकती हैं… बाकी की अन्य परिभाषायें कुछ और बन्धु देंगे ही…
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प्रगतिशील महिलाये जो चिप्लुनकर और राजेन्द्र यादव जैसो से प्रभावित हुए बिना तय कर सके कि उन्हे क्या करना है।
अपने निर्णय खुद ले सकें, खुदमुख्तार हों , धर्म के प्रतिगामी रूप को समझती हो और अपनी अस्मिता और अधिकारो के लिये लडने का माद्दा रखती हो।
फ़ाईव स्टार और पब से दिक्कत है जिनको वे औरतो को पति के बिस्तर से पति के चिता तक ही सीमित रखना चाहते है। अपनी चोटी कटा के दारू पीने वाले औरतो को चूडी बिन्दी और घूंघट मे बान्धना चाहते है…एसो की ऐसी तैसी करने वाली यानी प्रगतिशील महिला!!!!! -
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पूर्व अच्छा विषय उठाया है। हंस के मार्च अंक में इससे मिलती-जुलती प्रतिक्रिया पढी थी। आपका ब्लाग मुदे की बात करने में हर बार सफल होता है। बधाई।
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आपका लेख एक सच्ची और आधार वाली बात पर रोशनी डालता है जो नारी की सही तस्वीर हमारे सामने रखता है। आप को बधाई देता हूं। बात ये है कि हम महिलाओं के बारे में नाहक ही गलत मनोधारणा रखते हैं। फैशन में रंगी देह और कम कपडे पहने से कोई क्या प्रगतिशील होगा। ये तो केवल धोखा है।
अक्सर प्रगतिशीलों को पत्थर तोड़ती नारियां दिखाई नहीं देतीं।
ReplyDeleteअंशुमाली जी से फ़िर सहमत, लगता है अशोक पाण्डेय जी का ब्लडप्रेशर बढ़ गया है… उनकी टिप्पणी से ही स्पष्ट हो रहा है कि किसी "प्रगतिशील महिला" से वे तगड़ी चोट खा चुके हैं… :) भाई पाण्डे जी मैंने तो "पब कल्चर और प्रगतिशीलता" को एक दूसरे का पर्याय बताया है, आप इतना क्यों गुस्सा हो गये, कि "ऐसी-तैसी" की भाषा पर उतर आये… मेरी परिभाषा को ठीक से समझिये तो सही… और जो अंशुमाली जी ने कहा उस पर भी गौर कीजिये, और मैंने जो "धर्म" का मुद्दा उठाया, उससे भी साफ़ कन्नी काट गये? सिर्फ़ मंगलोर ही नहीं हुआ है… इरफ़ाना, फ़ौजिया, गुड़िया जैसे मामले भी हुए हैं इस देश में…
ReplyDeleteप्रगतिशील महिलाओं को दो रूप में देख सकते हैं ...
ReplyDeleteएक वो जो शिक्षित बन रही हैं , समाज में बराबरी का दर्जा हासिल करने में प्रयत्नशील हैं, न्याय के लिए लड़ रही हैं , जो समझती हैं की आखिरकार सच क्या है, जो माता पिता को लड़के की कमी नहीं होने दे रही ....जिनको देखकर फक्र महसूस होता है ....जिन्होंने लड़कों को जाता दिया है की बस अब और नहीं ......वो किसी से कम नहीं और न्याय की खातिर लड़ती हैं ...
दूसरी वो प्रगतिशील महिलाएं जो अमीर हैं, मोडेलिंग में हैं, जो जम कर लेट नाईट डांस बार में जाती हैं , जिनकी जींस नीचे और पैंटी ऊपर दिखती है , जो आये दिन बॉय फ्रेंड बदलती हैं, जो जब किसी का बलात्कार हो जाये तब विरोध में सामने नहीं आत ...पर ऐसा कुछ हो जाए जिससे उन्हें ख्याति मिले ...तब वो केंडल लेकर इंडिया गेट या किसी और जगह जरूर जाती हैं ...दो बातें बोलती हैं ....और फिर शाम को डांस करती हैं ....किट्टी पार्टी मनाती हैं .....लेट नाईट डांस करती हैं ...... जो विदेश में जाकर खुलके जीने के नाम पर अजीबो गरीब कपडे पहनती हैं ......................
और भी रूप हो सकते हैं