मिसाल बिक "ऊषा" जिसने एक ऐसे परिवार मे जनम लिया जिसे समाज का एक तबका चमार और दूसरा तबका सफाई कर्मचारी कहता हैं । ७ साल की उमर से घर घर जा कर सिर पर human waste ढोने वाली ये लड़की जुलाई के पहले हफ्ते मे U N जा रही हैं , जहाँ उसकी और उसके जैसी १५० महिलाओ की प्रेरणा भरी जिन्दगी के बारे मे लिखी किताब का विमोचन हैं । ऊषा ने आज से ५ साल पहले अपनी जिन्दगी को बदला और उस संस्था की सदस्य बनी जिसका नाम " नयी दिशा " हैं । उस संस्था ने उनको अचार और नूडल्स बनाने का काम दिया और आज ये products मार्केट मे बिक रहे हैं । ऊषा की स्वतंत्र सोच ने उसके लिये जिन्दगी के नए दरवाजे खोल दिये हैं ।
ज्यादा जानकारी इस लिंक पर उपलब्ध हैं
इसकी को कहते हैं " the indian woman has arrived "
उनको हमारी ओर से भी हौसला अफ़जाई.
ReplyDeletesach mein badhai ki hakdar hai usha,jisne apna aur dusron ka bhi jeevan badala.
ReplyDeleteउषा को बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteउषा को बधाई और ढेर सारी शुभ कामनाये :)
ReplyDelete