नारी प्रतीक शक्ति का , नारी जननी , नारी माँ , नारी बेटी , नारी पत्नी और फिर भी नारी महसूस करे कि वह बन्धन मे हैं । अजीब paradox हैं । पर भारतीय समाज मे ऐसा ही हैं । हमारी कुछ मान्यताये हैं , कुछ परम्पराएं हैं जो सदियों से हैं इसलिये आज की "सोच" मे रुढ़िवादी होगई हैं । "आज की सोच " जो १९६० मे भी थी जब मैं पैदा हुई और १९९४ मे भी वहीं सोच थी जब मेरी भांजी पैदा हुई । मेरी माँ ने तब सुना था "अरे बेटी हुई , चलो पहली हैं कोई बात नहीं !! " और जब नातिन आयी तो उन्होने सुना " अरे नातिन आयी हैं । नाती हो जाता तो कम से कम कोई दाह संस्कार तो कर देता "!! । " आज की सोच " ३४ साल मे भी नहीं बदली । बेटी यानी एक सेकंड क्लास सिटिज़न . आज मेरी भांजी १४ साल की हैं और इकलौती शहजादी हैं क्योकि उसकी नानी को अपने दाह संस्कार की कोई फिक्र नहीं हैं !! ।
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
नवरात्रि पर इस ब्लॉग को शुरू किया हैं क्योकि याद दिलानी थी नारी को नारी की शक्ति । ब्लॉग मित्रो , नारी और पुरूष दोनों ने काफी शुभकामना संदेश दिये हैं । धन्यवाद ।
सोमवार को जो पोस्ट आयगी उस पोस्ट से इस ब्लॉग पर "संवाद" की शुरुवात होगी । संवाद होगा इसलिये किसी भी प्रश्न का जवाब कोई भी कमेन्ट मे दे सकता हैं । जरुरी नहीं हैं कि जिसने पोस्ट लिखी हो वह ही जवाब देगा । समाज मे सब रहते हैं तो जवाब देही किसी एक ही कि क्यों हो ? पुरूष मित्रो से निवेदन हैं कि इस संवाद मे आप जरुर हिस्सा ले । सोच बांटने का माध्यम बने "नारी" अभी तो सिर्फ़ इस तरफ प्रयास हैं ।
सोमवार की पोस्ट बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योकि वह पोस्ट एक गृहणी , माँ की हैं जिसने अपनी जिन्दगी को रास्ता बना दिया अपनी बेटियों के लिये । उसका प्रश्न था " क्यों वह मिसाल नहीं हैं , क्या उसने कुछ नहीं किया हैं " ? वह अनाम हो कर लिखना चाहती हैं । नारी हैं वो भी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद के लिये ना सही अपनी बेटियों के लिये अर्जित की । जीया हैं उसने भी उन सपनो को जो उसकी आँख मे थे अपनी बेटियों की आँखों मे देखा है उसने सच होते हुए और आज उसकी बेटी की आंखो में सपना है अपनी माँ की किताब आने का ..आगे बढ़ने का ..जो समय बीत गया वह वापस नही आएगा पर जो संस्कार और ज़िंदगी से लड़ने का जज्बा उनकी माँ ने उन्हें दिया है वह अब सिर्फ़ उनकी ज़िंदगी को नई राह नही दिखायेगा बलिक माँ को भी जो ज़िंदगी अभी बाकी है उस में उसके अनुसार जीने का मौका देगा ..यही आशा की चमक माँ - बेटी की आंखो में एक नई रोशनी भर जाती है .
आशा है "नारी " निरंतर शक्ति का संचार करती रहेगी , कभी स्तन से उफनते दूध से तो कभी कलम की निकली स्याही से । कभी दुर्गा बनकर , तो कभी सरस्वती बनकर । कभी अम्बे तो कभी गौरी , कभी लक्ष्मीबाई तो कभी किरण बेदी , कभी मीरा तो कभी तसलीमा , कभी इंदिरा तो कभी बेनजीर । अनेको रूप धरे निरंतर प्रगति के रास्ते पर अग्रसर ।
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
April 12, 2008
यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह ।
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इन्तजार है सोमवारीय पोस्ट का।
ReplyDeleteये विचार तो अच्छा लग रहा है,संवाद का इन्तज़ार रहेगा...
ReplyDeleteप्रगति के द्वार खोलने का उचित मार्ग..............
ReplyDeleteउम्मीद नहीं,विश्वास है,नए कल का!
मैं नारी की इस वेदना को अनुभव कर सकती हूँ। इसमें पूर्ण सच्चाई है । मैंने देखा और अनुभव किया है कि पुरूष अपनी बेटी के लिए सर्व श्रेष्ठ पिता सिद्ध होता है। बेटी को देख उसकी आँखों में जो दूधिया वात्सल्य उमड़ता है वह मुग्ध कर देने वाला है किन्तु पति रूप में अक्सर वह बहुत छिछोरा और सामान्य हो जाता है। मैं चाहती हूँ कि उसके इस रूप की प्रशंसा की जानी चाहिए।
ReplyDeleteस्त्रियों को अपने साथ हुए न्याय-अन्याय की बातों को खुलकर रखना ही चहिए!
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