मिसाल हैं " रुपन देओल बजाज " जिसने १७ साल मुकदमा लड़ा "के पी एस गिल" के खिलाफ , यौन शोषण का । जिस समय ये घटना हुई थी रुपन देओल बजाज IAS ओफ्फिसर और वह भी सीनियर लेवल पर और के पी एस गिल पंजाब पुलिस के सब से ऊँचे ओहदे पर थे । एक पार्टी मे उन्होने शराब के नशे मे रुपन देओल बजाज के नितंब पर थप्पड लगाया था । उस पार्टी मे सभी आला अफसर थे पर किसी ने भी गवाही नहीं दी थी । कोर्ट ने रुपन देओल बजाज की ख़ुद की गवाही को ही माना था । पर मुकदमे का फ़ैसला आते आते पूरे १७ साल लगे और इन १७ सालो मे रुपन देओल बजाज निरंतर इस बात पर अड़ी रही कि नारी के शील का शोषण करने का अधिकार किसी भी पुरूष नहीं हैं । और ऊँचे ओहदे पर जो पुरूष हैं उनको अपनी मर्यादा मे रहना होगा ।
इस चरित्र कोई यहाँ रखने का मकसद हैं की नारी को यौन शोषण के ख़िलाफ़ हमेशा सजग रहना होगा और समय रहते ही इसके ख़िलाफ़ लड़ना भी होगा । ज्यादा जानकारी इस लिंक पर हैं ।
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
April 11, 2008
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एक संघर्षशील महिला को याद करने के लिए आभार।
ReplyDeleteआपने बहुत बढ़िया जानकारी दी है धन्यवाद
ReplyDeleteआपने बहुत बढ़िया जानकारी दी है धन्यवाद
ReplyDeleteअभी जागरूकता की जरुरत है। क्यूंकि आज भी नारी इस तरह के शोषण का शिकार होती है और चुप रह जाती है।
ReplyDeletegood information & article
ReplyDeleteजब तक हर नारी चुपचाप इस को सहन करती रहेगी यही सब होता रहेगा ..अभी जागरूक होने के साथ साथ हिम्मत और आने वाली बेटियों को यह समझाने की जरुरत है कि यह सब नही सहना है .अभी कल ही एक खबर देखी टीवी पर दिल्ली में मकान मालिक ने उसके घर किराए पर रहने वाली लड़की का रेप किया और उसकी बीबी ने पति को दोष देने कि बजाय मोहल्ले वालो के साथ मिल कर उस लड़की को बुरी तरह से पीटा ..पुलिस मूक दर्शक बन के सब देखती रही और वह लड़की सब से पीट के लहुलुहान होती रही .आखिर इसका अंत क्या है .कसूर किसका है ? बहुत से सवाल अभी भी अपना जवाब माँगते हैं
ReplyDeleteबिल्कुल मिसाल है ,क्यूंकि उस वक़्त गिल साहेब बहुत बड़े आदमी थे ,अन्तक-वादियों से पंजाब को मुक्त कराने का सेहरा उनके सर पे था ....ऐसे आदमी के खिलाफ लड़ना अपने आप मे बड़ी बात है.....
ReplyDeleteI appreciate your blog...which is about 'WE'..NAARI.keep going on.
ReplyDeleteअच्छा ब्लॉग है
ReplyDeleteजनवरी 1991 में 'समकालीन जनमत' के लिए पंजाब पर रिपोर्टिंग करते वक्त मैंने भटिंडा जिले में एक धकियल एसएसपी से बात की थी। बातचीत अनौपचारिक हुई तो मैंने उनसे रूपन देओल बजाज प्रकरण पर भी एक-दो सवाल पूछ लिए। उन्होंने पहले तो गिल साहब की लंबी विरुदावली गाई,फिर ऑफ द रिकॉर्ड जाते हुए कहा कि सेनापतियों और राजाओं से शुचिता की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। 1998 में गिल के खिलाफ फैसला आ जाने के बाद मुझे लगा कि ऐसे 'वीरों' का असली पराक्रम इनकी बंदूकबाजी में नहीं बल्कि सरे बाजार सौ-सौ जूते खाकर भी मूंछे फड़काते रहने वाले लतखोरपन में देखा जाना चाहिए। बाई द वे, ये एसएसपी साहब खुद भी फर्जी मुठभेड़ के एक मामले में 1996के आसपास जेल गए, जहां इनके हाथों सताए गए कैदियों ने इन्हें इतना मारा कि मरते-मरते बचे।
ReplyDeletekabile tariff hai rupan ka hausla aur jeet bhi,desh ki raksha karnewala hi agar aisi harkate karein to aam janata to umeed se gayi.
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