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अपनी माँ से महादेवी जी के बारे मे बहुत सुना हैं । आज मेरी माँ डॉ मंजुलता सिंह की हस्तलिपि मे ये पोस्ट डाली है { आप उनकी हस्त लिपि पर क्लिक करे और इस लेख को जरुर पढे }। केवल लिखना या कहना ही सब कुछ नहीं बदल सकता , जरुरी हैं हम अपने जीवन मे उसको माने ।
इस तरह की जानकारिया लोगो का उत्साह बढाती है, प्रेरित करती है कुछ करने के लिये
ReplyDeleteaisi swakartutvavan nari ko hamari salami jinhone sau saal pehle yeh niv dali thi nari shoshan ke khilaf.
ReplyDeleteकाश मै भी join कर सकता..
ReplyDeleteअच्छा लगा इसको पढ़ के ...यह सच है की वह उस वक्त में यह सब कर पायी जो शायद आज की नारी भी करने से पहले कई बार सोचेगी ..फ़िर भी जागरूकता आ रही है कम से कम अपने अधिकारों के प्रति तो आज कल की पढी लिखी नारी जागरूक हो रही है ..!!
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएँ । प्रेरणास्पद चिट्ठा है ।
ReplyDeletesahi bat...
ReplyDeleteअच्छा लगा.यदि फ़ुरसत लगे तो देख लें महादेवी के बारे कुछ यहां भी है
ReplyDeletehttp://karmnasha.blogspot.com/2008/04/blog-post.html
केवल लिखना या कहना ही सब कुछ नहीं बदल सकता , जरुरी हैं हम अपने जीवन मे उसको माने. --- शतप्रतिशत सत्य वचन
ReplyDeleteमंजुला जी ने बिल्कुल सही कहा है कि महादेवी जी ने वास्तव में पश्चिम जगत से पहले ही नारी की स्वतन्त्रता की बात आरम्भ की थी। साहित्य कुंज पर महादेवी संकलन में डॉ. कविता वाचक्नवी के आलेख का लिंक दे रहा हूँ।
ReplyDeletehttp://www.sahityakunj.net/LEKHAK/K/KavitaVachkneev/Mahadevi_Chintan_kee_kadiyan.htm
अगर संभव हो तो डॉ. राजेन्द्र गौतम का भी आलेख पढ़ें।
आप बहुत ही बढ़िया काम कर रहीं हैं। करते रहिए।
सुमन कुमार घई
बहुत अच्छा है ! वैसे भी एक ही तरीका नही है किसी चीज़ को हासिल करने का ... अपना विरोध या समर्थन दिखाने के और भी रास्ते है ... शायद कुछ लोगे इस से सबक ले तो आपकी मेहनत भी सफल हो ... शुभकामनाये
ReplyDeleteइसे एक सार्थक प्रयास कहा जायेगा.बहुत उम्दा.
ReplyDeleteवाकई उनके जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आभार!
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