हर महिला को ये समझना चाहिये की वो दुनिया में "आज़ाद " ही पैदा हुई .
उसको किसी से भी आज़ादी नहीं चाहिये . जिस दिन ऐसे आलेख जहां ये लिखा होता
हैं " महिला को आज़ादी मिली हैं , दी गयी हैं , किस से चाहती हैं " इत्यादि
ख़तम होंगे उसदिन शोषण खुद बा खुद ख़तम होगा .
नारी और पुरुष एक दूसरे के पूरक नहीं हैं , केवल वो नारी पुरुष जो शादी के बाद पति पत्नी बनते हैं एक दूसरे के पूरक बनते हैं .
नारी और पुरुष दो इकाई हैं जो अपने अपने आप एक दम स्वतंत्र हैं
किसी को भी नारी को परतंत्र कहने का अधिकार नहीं हैं
लिंक 1
लिंक 2
नारी और पुरुष एक दूसरे के पूरक नहीं हैं , केवल वो नारी पुरुष जो शादी के बाद पति पत्नी बनते हैं एक दूसरे के पूरक बनते हैं .
नारी और पुरुष दो इकाई हैं जो अपने अपने आप एक दम स्वतंत्र हैं
किसी को भी नारी को परतंत्र कहने का अधिकार नहीं हैं
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ReplyDeleteसभी इंसान स्वतंत्र ही है।और उन्हें अपने बारे में स्वतंत्रतापूर्वक निर्णय लेने का अधिकार है।लेकिन ये भी सच है कि किसीके कहने से कुछ नहीं होता बल्कि ये देखना चाहिए कि वास्तविक स्थिति क्या है आपने कहा स्त्री गुलाम नहीं हम मानते हैं लेकिन आम स्त्री खुद क्या सोचती है ये ज्यादा मायने रखता है।क्या उसे लगता है कि उस पर अनावश्यक प्रतिबंध लगाए गए और केवल इसलिए लगाए गए कि वह एक स्त्री है ? यदि नहीं... तो ठीक है।और आपने ब्लॉग में ऊपर लिखा कि नारी ने घुटन से आजादी खुद अर्जित की।ये घुटन किस वजह से थी /है।
ReplyDeleteसही कहा यही सोच तो बदलनी हैं अपनी भी और अपनों की भी
Deleteयह घुटन पित्रवंशी समाज की देन है, और इसका अंत एक स्वस्थ, सजग, सच्चाई को स्वीकार करने वाले समाज के जन्म के साथ धीरे धीरे हो रहा है. अभी कुछ दशक पूर्व तक तो कोई सवाल ही नहीं उठाता था, आज के युवा ने जवाब देना और लेना भी शुरू कर दिया है.
Deletebilkul sach kaha hai...
ReplyDeleteयह घुटन पित्रवंशी समाज की देन है, और इसका अंत एक स्वस्थ, सजग, सच्चाई को स्वीकार करने वाले समाज के जन्म के साथ धीरे धीरे हो रहा है. अभी कुछ दशक पूर्व तक तो कोई सवाल ही नहीं उठाता था, आज के युवा ने जवाब देना और लेना भी शुरू कर दिया है.
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