मुझे बड़ा ही आश्चर्य लगा कि अब तक मचे हाहाकार में कठिनतम दण्ड की बात तो सबने की, जो निसंदेह आवश्यक भी है, पर संबंधों के जिन सशक्त तन्तुओं से एक सार्वजनिक चेतना का विकास संभव था, उस पर सब मौन रहे। अधिकारों की लड़ाई खिंचती है, तनाव लाती है। संबंधों की उपासना जोड़ती है, आनन्द लाती है। हमारे सामूहिक कलंक के मुक्ति का मार्ग संभवतः यही है कि हम सब अपने इन चार संबंधों को प्रगाढ़ करें, और संवेदनशील करें।
in this world there are instances where a father a brother rapes the daughter / sister . i know of a family where the son tried to rape his mother
i know a family where a sister and brother have a sexual relationship and enjoy it too
its not about relationships its about criminality against woman
most people never harm a woman they are related to because she happens to be mother or sister or daughter or wife to them but the moment she is not related to them she becomes a WOMAN
such articles only try to focus on issues that have been talked often but they dont talk about issues where relationships dont come into picture
criminality against woman is just to show that "man still has a upper hand "
think about it praveen
in this world there are instances where a father a brother rapes the daughter / sister . i know of a family where the son tried to rape his mother
i know a family where a sister and brother have a sexual relationship and enjoy it too
its not about relationships its about criminality against woman
most people never harm a woman they are related to because she happens to be mother or sister or daughter or wife to them but the moment she is not related to them she becomes a WOMAN
such articles only try to focus on issues that have been talked often but they dont talk about issues where relationships dont come into picture
criminality against woman is just to show that "man still has a upper hand "
think about it praveen
प्रवीण जी क्या कह रहे हैं ये तो समझ नहीं आया लेकिन आपकी बात से सहमत हूँ ये पुरुष भीतर से बहुत कमजोर होते हैं जो छेड़छाड़ बलात्कार या महिलाओं के प्रति हिंसा कर ये दिखाना चाहते हैं कि हम बहुत ताकतवर हैं और तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकते हैं।सेक्स आदि का इसमें इतना रोल नहीं हैं।विदेशों में ऐसे स्टोर्स हैं जिनमें सेक्स टॉयज बिकते हैं।पुरुष और महिलाएँ वहाँ एक साथ खरीददारी करते हैं लेकिन वहाँ ऐसे खुले माहौल में भी हालात हमारे जितने बुरे तो कतई नहीं हैं।
ReplyDeleteइसके बाद लोग जस्टिस के बयान पर हो हल्ला मचाते हैं, मतलब यह कि हम लोगों ने आजादी को समझा ही नहीं.
ReplyDeleteलड़कियां कपड़ें पहनती है छोटे-छोटें
ReplyDeleteपुरुष अपने अहम् को संतुष्ट करतें यह कह के|
बच्चियों का क्या कसूर क्या उनके तन भी कपड़े नहीं होतें
ऐसे दरिंदो तो शिशु को भी कही का नहीं छोड़तें|
भेड़ीयें की उपाधि तो फालतू का ही दिए जा रहे
भेड़ीयें भी शर्मशार हो आजकल नजर नहीं आ रहे|
जानवर भी डरे सहमे है इन बहशी दरिंदो से
किसी के छज्जें पर नहीं बैठने वाले पूछों उन उड़ते परिंदों से|
बिना आराम किये वह आसमान की बुलंदिया छूता है
क्योकि आदमी नामक बला से वह भी बहुत डरता है|
उड़ जा री ओ गौरिया अब नहीं है तेरा ठौर
तेरी माँ हो गयी है बहुत ही कमजोर|
नहीं चाहती तेरा हस्र भी कुछ ऐसा हो
नजर ना पड़े तुझ पर जो बहशी दरिंदा हो|
तुझे ताकत हिम्मत दे रहे है जानती है किस लिए
विपरीत परिस्थितियों में तू लड़ सकें हिम्मत से इस लिए|
गिद्ध सी जो तुझ पर कभी कही नजर गड़ाये
तू चंडी है यह कह अपनी आत्मशक्ति को जगाये|
देखना तेरी आत्मशक्ति जब जाग जाएगी
मन में बसी कमजोरी कही दूर भाग जाएगी|
नन्ही गौरया तू थोड़ा जब हिम्मत जुटाएगी
तो देखना गिद्ध जैसे को भी परास्त कर जाएगी...सविता मिश्रा