आज ललित की पोस्ट {लिंक} पढ़ी . ललित ने एक बहुत ही वाजिब प्रश्न किया हैं की "हैरत तब और भी बढ़ जाती है जब इन गीतों को पसंद करने वालों में लड़कियाँ भी शामिल पाई जाती हैं।"
ऐसे ही बहुत बार मेरे मन भी प्रश्न उठते रहे हैं और आज भी उठ रहे हैं की कैसे हिंदी ब्लॉग जगत की बहुत सी महिला हमेशा उन आलेखों की तारीफ़ करती पायी जाती हैं जहां लिंग विभेद अपनी चरम सीमा पर दिखता हैं .
क्या वो इन आलेखों को पढ़ती हैं या महज ईमेल में लिंक मिल जाने के कारण उस जगह जा कर कमेन्ट में " आप ने एक दम सही लिखा " कहना जरुरी समझती हैं .
इस बार जो घटित हुआ यानी जिस प्रकार से बलात्कार हुआ और जिस प्रकार से एक बहादुर लड़की की मृत्यु हुई उसको "एक अपवाद " कह दिया जा रहा हैं इसी ब्लॉग जगत में और तसल्ली दी जा रही हैं दुनिया इतनी भी बुरी नहीं हैं . क्या रेप और बलात्कार अपवाद हैं अगर एक भी होता हैं तो भी क्या हम उसको अपवाद कह सकते हैं . इस बार तो "अति" हुई हैं "अपवाद" नहीं .
एक और पोस्ट पर कहा जा रहा हैं इसको नारी पुरुष के नज़रिये से मत देखिये , ये तो मानवता की बात हैं . एक लड़की का बलात्कार हुआ हैं , वो 23 साल की उम्र में इतनी दर्दनाक मौत का शिकार हुई हैं , और हमारे ब्लॉग जगत के ज्ञानी और विदुषी इसको लिंग आधारित दोष मान ही नहीं रहे हैं . वो लेख पर लिख रहे रहे की हम सब को "अभी सोचना " चाहिये "मानवता " के बारे में .
कभी कभी लगता हैं " ह्यूमन राइट्स के पुरोधा " सब से ज्यादा हिंदी ब्लॉग जगत में ही हैं और उनके साथ यही की कुछ महिला हाँ मे हाँ मिला कर केवल और केवल "ह्यूमन राइट्स " की बात करना चाहती हैं बलात्कार और उसके कारण की नहीं . वो बलात्कार को कंडम तो करते हैं पर मानते हैं ये सब "अपवाद हैं " जबकि अब यू ऍन तक मान चुका हैं की बलात्कार हमारे देश की सबसे बड़ी नेशनल समस्या हैं .
ये वो वक्त हैं जब हम सब को एक साथ खड़े हो कर बहिष्कार करना चाहिये अपने बीच से उन सब का जो "एक शब्द " भी किसी महिला विरुद्ध कहते हैं जो उस महिला को केवल इस लिये कहा जा रहा हैं क्युकी वो महिला हैं . जी हाँ "एक शब्द " भी क्युकी यही से शुरुवात होती हैं विबेध की और उस विबेध को बढ़ावा कोई ना कोई महिला ही देती हैं उस समय उनके साथ खड़े होकर दुसरो को ये समझा कर की "उनका मतलब " वो नहीं था जो समझा गया .
ऐसे ही बहुत बार मेरे मन भी प्रश्न उठते रहे हैं और आज भी उठ रहे हैं की कैसे हिंदी ब्लॉग जगत की बहुत सी महिला हमेशा उन आलेखों की तारीफ़ करती पायी जाती हैं जहां लिंग विभेद अपनी चरम सीमा पर दिखता हैं .
क्या वो इन आलेखों को पढ़ती हैं या महज ईमेल में लिंक मिल जाने के कारण उस जगह जा कर कमेन्ट में " आप ने एक दम सही लिखा " कहना जरुरी समझती हैं .
इस बार जो घटित हुआ यानी जिस प्रकार से बलात्कार हुआ और जिस प्रकार से एक बहादुर लड़की की मृत्यु हुई उसको "एक अपवाद " कह दिया जा रहा हैं इसी ब्लॉग जगत में और तसल्ली दी जा रही हैं दुनिया इतनी भी बुरी नहीं हैं . क्या रेप और बलात्कार अपवाद हैं अगर एक भी होता हैं तो भी क्या हम उसको अपवाद कह सकते हैं . इस बार तो "अति" हुई हैं "अपवाद" नहीं .
एक और पोस्ट पर कहा जा रहा हैं इसको नारी पुरुष के नज़रिये से मत देखिये , ये तो मानवता की बात हैं . एक लड़की का बलात्कार हुआ हैं , वो 23 साल की उम्र में इतनी दर्दनाक मौत का शिकार हुई हैं , और हमारे ब्लॉग जगत के ज्ञानी और विदुषी इसको लिंग आधारित दोष मान ही नहीं रहे हैं . वो लेख पर लिख रहे रहे की हम सब को "अभी सोचना " चाहिये "मानवता " के बारे में .
कभी कभी लगता हैं " ह्यूमन राइट्स के पुरोधा " सब से ज्यादा हिंदी ब्लॉग जगत में ही हैं और उनके साथ यही की कुछ महिला हाँ मे हाँ मिला कर केवल और केवल "ह्यूमन राइट्स " की बात करना चाहती हैं बलात्कार और उसके कारण की नहीं . वो बलात्कार को कंडम तो करते हैं पर मानते हैं ये सब "अपवाद हैं " जबकि अब यू ऍन तक मान चुका हैं की बलात्कार हमारे देश की सबसे बड़ी नेशनल समस्या हैं .
ये वो वक्त हैं जब हम सब को एक साथ खड़े हो कर बहिष्कार करना चाहिये अपने बीच से उन सब का जो "एक शब्द " भी किसी महिला विरुद्ध कहते हैं जो उस महिला को केवल इस लिये कहा जा रहा हैं क्युकी वो महिला हैं . जी हाँ "एक शब्द " भी क्युकी यही से शुरुवात होती हैं विबेध की और उस विबेध को बढ़ावा कोई ना कोई महिला ही देती हैं उस समय उनके साथ खड़े होकर दुसरो को ये समझा कर की "उनका मतलब " वो नहीं था जो समझा गया .
padh liya
ReplyDeletevah draupadi jo abhimanyu ban gayi ...http://www.deshnama.com/2013/01/blog-post.html?showComment=1357183588642#c7368324288145379384
Deleteकिस अधिकार से आप "दिल्ली ब्रेवहार्ट " को द्रौपदी कह रही हैं . क्या इस लिये क्युकी उसका बलात्कार हुआ था ?? द्रौपदी का चीर हरण हुआ था भरी सभा मे पर , द्रौपदी ५ पतियों की पत्नी थी लेकिन ये लड़की अविवाहित थी फिर किस अधिकार से उसको आप ने द्रौपदी कहा ???? शिल्पा जी समय हैं की हम शब्दों के चयन पर ध्यान दे हमारे शब्द वो भी सार्वजनिक मंच पर , कुछ का कुछ हमे सिद्ध कर सकते हैं . आप कह सकती हैं आप को पता हैं आप क्या हैं कोई कुछ भी समझे . ये आप का अधिकार हैं पर उस लड़की के प्रति जिसको आप नमन कर रही हैं द्रौपदी जैसे शब्द का उपयोग निंदनीय हैं
रचना जी - मैं बात को बढ़ाना नहीं चाहती इसलिए यहाँ उत्तर नहीं दूँगी । उत्तर है मेरे पास, टाइप भी किया है, किन्तु बातों को खींचना और बढ़ाना मुझे पसंद नहीं, so i am not pasting it here.
Deleteन मैं किसी पर कभी निजी हमले करती हूँ, न पसंद करती हूँ कि कोई मुझ पर करे । बेहतर होगा की आप मेरा नाम लेकर बातें न लिखें ।
निजी हमले को की क्या परिभाषा होती हैं , मैने कब और कहां आप की निजता पर हमला किया हैं केवल और केवल एक लड़की को द्रौपदी कहे जाने पर आपत्ति दर्ज की हैं एंड आई ऑब्जेक्ट कहने का अधिकार मुझे हैं आप का जवाब देना या ना देना आप की अपनी बात हैं आप का नाम लेकर नहीं आप के कमेन्ट को देख कर यहाँ तब कहा जब आप ने "पढ़ लिया "कहा .
Deleteवाज़िब प्रश्न उठाया है आपने
ReplyDeleteमहिलाओं को तो अपने सम्मान के लिए सबसे पहले उठना ही होगा ... संघठित होना जरूरी है ...
ReplyDeleteजो भी लिखा है बिलकुल सही लिखा है, अपवाद तो अगर हम पिछले कई सालों की पुलिस रिपोर्ट उठा कर देखें तो समझ आ ही जाएगा . ये काण्ड आमानुशिकता की श्रेणी में आ गया यहाँ तक कि इसके लिए आवाजें देश से बाहर निकल कर विदेश में बसे भारतियों के गले से निकलने लगी हैं। सबको इस पर अंकुश चाहिए और सिर्फ इन 6 अपराधियों के लिए नहीं बल्कि उन सब मामलों में दोषी लोगों केलिए भी कठोर दंड के प्रावधान की अनुशंसा करते हैं।
ReplyDelete@ये वो वक्त हैं जब हम सब को एक साथ खड़े हो कर बहिष्कार करना चाहिये अपने बीच से उन सब का जो"एक शब्द " भी किसी महिला विरुद्ध कहते हैं जो उस महिला को केवल इस लिये कहा जा रहा हैं क्युकी वो महिला है
ReplyDeleteबिल्कुल सहमत ।
महिलाओं के लिए माहौल बहुत असुरक्षित हो गया है।इस मुद्दे की गंभीरता समझने के बजाय इसे हल्का बनाने की कोशिश न सिर्फ गलत है बल्कि खतरनाक भी है।लेकिन इतना जरूर कहूँगाकि कई बार एक ही चीज को देखने का दो लोगों का नजरिया अलग अलग होता है ।जरूरी नहीं जो आपको गलत लगा वो बाकि महिलाओं को भी गलत ही लगे।इसलिए हमें आपत्ति दर्ज करानी चाहिए(यदि कोई बात गलत लगे तो) लेकिन दूसरे क्या सोचते हैं ये उन पर छोडें।अभी कल परसों आपने इसी ब्लॉग पर एक पोस्ट में लिंक दिया।वहाँ मुझे लगा लेखिका पुरुषों खासकर लडकों का मजाक सा बना रही हैं इसलिए मैंने विरोध किया लेकिन ज्यादातर बाकी लोगों को यहाँ तक कि पुरुषों को भी इसमें कुछ गलत नहीं लगा।अब नहीं लगा तो नहीं लगा इसमें मैं क्या कर सकता हूँ।ये तो अपने अपने नजरिये की बात है।
।जरूरी नहीं जो आपको गलत लगा वो बाकि महिलाओं को भी गलत ही लगे।
Deleteएक दम सही कहा हैं आप ने राजन , लेकिन मेने इस पोस्ट में कहा हैं कैसे हिंदी ब्लॉग जगत की बहुत सी महिला हमेशा उन आलेखों की तारीफ़ करती पायी जाती हैं जहां लिंग विभेद अपनी चरम सीमा पर दिखता हैं