तीन सामूहिक बलाग्स में एक के बाद एक तीन महिलाओं को
रेखा श्रीवास्तव जी को LBA का,
रश्मि प्रभा जी को HBFI का और
वंदना गुप्ता जी को AIBA का अध्यक्ष बनाया गया हैं
इन तीन नारियों से आग्रह हैं कि वो इस बात का अवश्य ध्यान रखे कि वो जिस संस्थान मे अध्यक्ष हैं उस संस्थान के बाकी सदस्य कहीं भी किसी भी पोस्ट अथवा कमेन्ट मे किसी भी महिला ब्लोगर का अपमान ना करे ।
वाद विवाद और संवाद मे अगर कहीं भी जेंडर बायस आता हैं यानी किसी भी ब्लोगर को उसके महिला होने पर टंच कसा जाता हैं और बहस पोस्ट पर ना होकर व्यक्तिगत होती हैं तो वो स्वीकार्य नहीं होना चाहिये ।
रेखा , रश्मि प्रभा और वंदना कि ये नैतिक ज़िम्मेदारी हैं कि वो ब्लॉग जगत मे कमेन्ट या पोस्ट मे हो रही ऐसी किसी भी बात पर विरोध प्रकट करे जहां महिला का मजाक बनाया जाता हैं ।
बहुत बार ऐसा देखा गया हैं कि सर्वोच्च पद पर नारी के होने से उस संस्था मे नारी का अपमान ज्यादा होता हैं क्युकी उस संस्था के लोग जानते हैं कि उनकी अध्यक्ष उनके प्रति निर्मम नहीं होगी ।
आप तीनो से विनम्र आग्रह और निवेदन हैं कि इस बात को अवश्य ध्यान दे कि क्या आप को मात्र इस लिये अध्यक्ष बनाया गया हैं कि आप महिला हैं या आप को अध्यक्ष इस लिये बनाया गया हैं कि आप सब से काबिल हैं । मेरी नज़र मे आप काबिल हैं और आप बदलाव ला सकती हैं इस लिये बदलाव का पहला कदम नारी पुरुष समानता से शुरू होता हैं । उस पर ध्यान दे । उन पोस्ट और कमेंट्स को हटवाये जहां नारी के चित्रों का प्रयोग हैं । उन पोस्ट्स और कमेंट्स पर निरंतर आपत्ति दर्ज करवाए जहां नारी को पुरुष से कमतर आंका जाता हैं । आप कि आपत्ति जेंडर बायस को ख़तम करने मे सहायक होगी ब्लॉग पर ।
आशा ही नहीं विश्वास भी हैं कि
वंदना से अगर ना होगा ,
रश्मि मे दिखेगा
और
रेखा खीच कर उसको सही किया जायेगा
रेखा श्रीवास्तव जी को LBA का,
रश्मि प्रभा जी को HBFI का और
वंदना गुप्ता जी को AIBA का अध्यक्ष बनाया गया हैं
इन तीन नारियों से आग्रह हैं कि वो इस बात का अवश्य ध्यान रखे कि वो जिस संस्थान मे अध्यक्ष हैं उस संस्थान के बाकी सदस्य कहीं भी किसी भी पोस्ट अथवा कमेन्ट मे किसी भी महिला ब्लोगर का अपमान ना करे ।
वाद विवाद और संवाद मे अगर कहीं भी जेंडर बायस आता हैं यानी किसी भी ब्लोगर को उसके महिला होने पर टंच कसा जाता हैं और बहस पोस्ट पर ना होकर व्यक्तिगत होती हैं तो वो स्वीकार्य नहीं होना चाहिये ।
रेखा , रश्मि प्रभा और वंदना कि ये नैतिक ज़िम्मेदारी हैं कि वो ब्लॉग जगत मे कमेन्ट या पोस्ट मे हो रही ऐसी किसी भी बात पर विरोध प्रकट करे जहां महिला का मजाक बनाया जाता हैं ।
बहुत बार ऐसा देखा गया हैं कि सर्वोच्च पद पर नारी के होने से उस संस्था मे नारी का अपमान ज्यादा होता हैं क्युकी उस संस्था के लोग जानते हैं कि उनकी अध्यक्ष उनके प्रति निर्मम नहीं होगी ।
आप तीनो से विनम्र आग्रह और निवेदन हैं कि इस बात को अवश्य ध्यान दे कि क्या आप को मात्र इस लिये अध्यक्ष बनाया गया हैं कि आप महिला हैं या आप को अध्यक्ष इस लिये बनाया गया हैं कि आप सब से काबिल हैं । मेरी नज़र मे आप काबिल हैं और आप बदलाव ला सकती हैं इस लिये बदलाव का पहला कदम नारी पुरुष समानता से शुरू होता हैं । उस पर ध्यान दे । उन पोस्ट और कमेंट्स को हटवाये जहां नारी के चित्रों का प्रयोग हैं । उन पोस्ट्स और कमेंट्स पर निरंतर आपत्ति दर्ज करवाए जहां नारी को पुरुष से कमतर आंका जाता हैं । आप कि आपत्ति जेंडर बायस को ख़तम करने मे सहायक होगी ब्लॉग पर ।
आशा ही नहीं विश्वास भी हैं कि
वंदना से अगर ना होगा ,
रश्मि मे दिखेगा
और
रेखा खीच कर उसको सही किया जायेगा
इन तीनों को शुभकामनाएँ.आपने बिल्कुल सही कहा कि इन बातों का विरोध होना चाहिये.शुरू शुरू में हो सकता है विरोध पर सामने वाले की प्रतिक्रीया सही न हो लेकिन अगली बार ऐसा करने से पहले वे सोचेंगे जरूर.ये प्रयास बेकार नहीं जाते.
ReplyDeleteवैसे ये HBFI का फुल फॉर्म मुझे पता नहीं.
हो सकता है मना करने से कुछ लोग मान जाये और ऐसी टिप्पणिया न करे किन्तु क्या इससे उनकी सोच बदलेगी ,सोच तो वही रहेगी |
ReplyDeleteye lba hai kya...jara iske baare me bhi to batayein..
ReplyDeleteरचना जी,
ReplyDeleteमै ना तो सिर्फ़ नारी की पक्षधर हूँ और ना ही सिर्फ़ पुरुष की विरोधी…………मेरी दृष्टि मे जो भी बात गलत है तो उसका विरोध जरूर होगा लेकिन सिर्फ़ बेवजह एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाना मै सही नही समझती…………हाँ आपकी बात सही है कि ये हमारी भी जिम्मेदारी है और हमारी कोशिश भी होगी मगर हम सभी सिर्फ़ उनके लिखे को रोक सकती हैं और वो भी एक हद तक मगर सबकी सोच मे फ़र्क आने मे वक्त लगेगा दूसरी बात आज सिर्फ़ पुरुष ही नही काफ़ी नारियाँ भी ऐसी बातो मे साथ देने लगती है जो अनुचित है तो ये कार्य और दुष्कर हो जाता है फिर भी हम सबकी कोशिश होगी जितना भी माहौल को अच्छा रखा जा सके रखेंगे……………आभार्।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ReplyDeleteतीनो बहनों को बधाई......
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हाँ ..... बात तो सही है गैर जरूरी कमेन्ट हटा दिए जाने चाहिए या विरोध तो किया ही जाना चाहिए , हम आपके साथ है
और एक बात ...... इस मामले में नारी ब्लॉग मुझे बेहद नपे तुले निर्णय लेने वाला लगता है ......इस मामले में इस ब्लॉग से सीख ली जानी चाहिए
मेरा मतलब "गैर जरूरी कमेन्ट" हटाने से है "कमेन्ट" हटाने से नहीं (दरअसल लोग सही बात से भी गलत सीख लेते हैं इसलिए स्पष्ट करना पड़ता है :)
@रचना दीदी
ReplyDeleteइस लेख के लिए आभार
बस ये जिज्ञासा है की ये HBFI , AIBA क्या हैं ???? :)
रचना,
ReplyDeleteतुमने सही कहा है, ब्लॉग के नियमों का पालन हमारा धर्म होता है और उसकी बेहतरी हमारा कर्त्तव्य लेकिन रचनाधर्मिता का पालन हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है. मैंने एक आचार संहिता बनने की दिशा में प्रयास किया है और उससे मुझे अच्छे परिणाम भी मिल रहे हैं. मुझे सभी सदस्यों का पूरा पूरा सहयोग मिला है. नारी या पुरुर्ष दोनों ही सम्मान के हक़दार है और दोनों की भावनाओं का सम्मान हमारा धर्म है. कोई भी किसी को भी अपशब्द नहीं लिखेगा ये तो किया जा सकता है लेकिन उनकी सोच को नहीं बदल जा सकता है.
नारी या व्यक्ति विशेष के बारे में गलत भाषा प्रयोग करने का मैं जब से इस ब्लॉग जगत की सदस्य बनी हूँ तभी पक्षधर हूँ और रहूंगी. हम अगर दूसरे को सम्मान देंगे और दूसरा हमारा अपमान करेगा तो उसको रोकने वाले बहुत खड़े हो जायेंगे.
ये AIBA शायद ऑल इंडिया ब्लॉगर्स एशोसिएसन है.वंदना जी के जवाब ने दिल खुश कर दिया.अंशुमाला जी का प्रश्न बिल्कुल सही है परंतु मुझे लगता है इससे ये संदेश तो जाएगा ही कि खुद महिलाऐं अब जागरुक हो रही है इस तरह की चीजों को वे आसानी से नहीं सहेंगी.सोच बदलने की तो गारंटी नही है सहमत हूँ आपसे.
ReplyDeleteबहुत ही सही बात कही है आपने.ऐसा तो होना ही चाहिए.
ReplyDeleteआपने बहुत सत्य लिखा है |यदि कोई महत्वपूर्ण पद पर आसीन होता है तब उसे व्यक्तिगत grudges से परहेज करना आवश्यक है |
ReplyDeleteतीनों बहिनों को बहुत बहुत बधाई |
आशा
Rekha and Vandana thank you for taking my post in right perspective it would be good if you can explain the working of your associations to readers
ReplyDeleteहमारी कोशिश होनी चाहिये कि बात नारी पुरुष समानता कि हो हमेशा वो समानता जो संविधान मे दी गयी हैं . वो लोग जो निरंतर पोस्ट पर पोस्ट दे कर नारी को क्या करना चाहिये , क्या पहनना चाहिये , कैसे रहना चाहिये इन तीन संस्थाओं के ही सदस्य हैं . बात केवल अपशब्द तक नहीं सिमित हैं बात हैं कि अगर अप शब्द नारी के लिये वर्जित हैं तो पुरुष के लिये भी उनको वर्जित करे .
हमारी एक एक आपत्ति एक सन्देश भेजती हैं कि अब ये सब हमे स्वीकार्य नहीं हैं . आपत्ति दर्ज नहीं होगी तो माना जाता रहेगा कि नारी को सब स्वीकार्य हैं . आगे आने वाली पीढ़ी कि लडकियां ज्यादा जागरूक होगी और फिर व्यवस्था समाज कि और बिगड़ेगी क्युकी उनकी जागरूकता समाज को नहीं पचेगी इस लिये आगे आने वाली पीढ़ी के लडको को भी अपनी जागरूकता बढानी पड़ेगी ताकि समाज कि व्यवस्था ना बिगड़े .
ब्लॉग पर देखने मे आया हैं कि सबसे ज्यादा रुढ़िवादी पोस्ट नारी के विषय मे उन ब्लोग्गर कि हैं जो २५ -३० वर्ष कि आयु वर्ग के हैं और इनको पेम्पर करते हैं वो ब्लॉगर जो ५० वर्ष से ऊपर हैं लेकिन खुद रुढ़िवादी नहीं दिखना चाहते हैं . उसके अलावा बहुत से महिला भी ब्लॉग पर इनको पेम्पर करती हैं और उनकी वजह से भी परेशानी उठती हैं .
badhaai
ReplyDeleteबहुत सही आह्वान किया है आपने ये तो आज के समय की मांग है..
ReplyDeleteरेखाजी , वंदना जी और रश्मि जी को बहुत शुभकामनायें ...
ReplyDeleteवंदना जी का कहना सही है की बात सोच बदलने से होगी और यदि कमेन्ट करने से नहीं रोक सकते हैं तो कम से कम उसे डिलीट तो कर ही देना चाहिए ...अपमान चाहे स्त्री , पुरुष या धर्म का हो !
@रचना दीदी
ReplyDeleteएक बात पर और विचार किया जाना चाहिए आपत्ति (उचित वाली ), जागरूक, समाज की पाचन शक्ति और रूढीवादी की क्या डेफिनेशन होनी चाहिए
दरअसल ब्लॉग जगत में हर विषय पर स्तरीय लेखन का अभाव है ये भी गैर जरूरी विरोध पैदा करता है, जैसे मेरे ब्लॉग का नाम my2010ideas है तो जरूरी नहीं मेरी सोच आधुनिक हो इसी तरह ये भी जरूरी नहीं की नारी ब्लॉग पर लिखा हर लेख नारी विकास की दिशा में ही हो
मतलब लेख कितना सोच के बनाया है पढ़ते ही पता चल जाता है
एक उदाहरण (उच्च स्तरीय लेखन का ...... आप ही के ब्लॉग से )
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2010/10/blog-post_12.html
हास्यापद लेख का उदाहरण नहीं दे रहा हूँ ( काफी सारे हैं )
गौरव मै आधुनिक और रुढ़िवादी सोच केवल और केवल स्त्री पुरुष समानता मे विषय मे कहती हूँ . वो कोई भी सोच , आलेख या पोस्ट अगर स्त्री को संविधान मे दिये हुए समान अधिकार से वंचित कर के उसको दोयम का दर्जा देती हैं तो रुढ़िवादी हैं . व्यक्तिगत पसंद ना पसंद को हम समाज पर नहीं थोप सकते हैं . कानून और संविधान बन चुके हैं इन मै समय के साथ बदलाव भी आते हैं और बदलाव समाज कि जरुरत को ध्यान मै रख कर ही बनते हैं . सब को लिखने कि आज़ादी हैं लेकिन किसी को भी नारी को दोयम कहने कि आज़ादी नहीं हैं . हां इस विषय पर आपके लिये ये मेरा आखरी कमेन्ट हैं .
ReplyDeleteहां ये कहना "दरअसल ब्लॉग जगत में हर विषय पर स्तरीय लेखन का अभाव है" नितांत गलत हैं क्युकी आप या हम कौन हैं किसी का स्तर बताने वाले , हम क्या हर विषय मै इतने दक्ष हैं या क्या हमारी शैक्षिक योग्यता हैं हर विषय मे कि हम दूसरो के लिखे को स्तरहीन कहे . रुदिवादी और स्तरहीन मे अंतर हैं . रुढ़िवादी सोच का नतीजा होती हैं और स्तरहीन कहने के लिये हमे उस विषय मे दक्षता और शैक्षिक योग्यता रखनी होगी .
@हम क्या हर विषय मै इतने दक्ष हैं या क्या हमारी शैक्षिक योग्यता हैं हर विषय मे कि हम दूसरो के लिखे को स्तरहीन कहे
ReplyDeleteमेरे ख़याल से आपको मेरी मानसिकता पर ध्यान देना चाहिए शब्दों पर नहीं ..... सभी जानते हैं कोई भी इंसान हर विषय का जानकार तो नहीं हो सकता और अगर किसी ने कहा है तो उन्ही विषयों के बारे में कहा होगा जिनकी वो जानकारी रखता/ ती है
या
उसने लेखों में उन तथ्यों का अभाव पाया है जिनकी वो जानकारी (सही सन्दर्भ के साथ) रखता है + जो लेख में भी बेहद.... बेहद..... बेहद जरूरी थे......और लेखक/लेखिका सिर्फ उसे अपनी हाइक्लास[?] मानसिकता का जामा पहनाने में व्यस्त हो ,
वैसे ऐसे संवेदनशील मुद्दों (नारी रिलेटेड) पर सामूहिक ब्लॉग पर लिखने की लिए लेखक/लेखिका की योग्यता का खुलासा तो होना ही चहिये
@ व्यक्तिगत पसंद ना पसंद को हम समाज पर नहीं थोप सकते हैं . कानून और संविधान बन चुके हैं इन मै समय के साथ बदलाव भी आते हैं और बदलाव समाज कि जरुरत को ध्यान मै रख कर ही बनते हैं . सब को लिखने कि आज़ादी हैं
ठीक कहा आपने यही मैं भी यही कह रहा हूँ और इसीलिए सामूहिक ब्लॉग पर ये बात कह रहा हूँ .(ऐसे बुद्धिजीवियों के इंडिविजुअल ब्लॉग पर झांकता तक नहीं ). जब लेखक /लेखिका को जानकारी मिल जाये तो क्षमा (कम्पलसरी नहीं ) मांगते हुए लेख में अपडेट कर देना चाहिए क्योंकि मैं भी समाज में शामिल हूँ और मेरी भी मांग है .तो बदलाव किया जाना चाहिए . किसी को लिखने की आजादी है तो मुझे कहने की ... मैंने कभी किसी को दोयम नहीं कहा .. यदि कहा हो तो मैं स्पष्टीकरण अवश्य दूंगा .. मैंने आपसे ब्लॉग एडमिनिस्ट्रेटर होने के नाते एक अनुरोध ही किया है किसी भी मेंबर विशेष का नाम लिए बिना.... इसे अपनापन कहा जा सकता है
खैर छोडिये.......वो जीते मैं हारा (और क्या कहूँ )
ReplyDelete@आधुनिक और रुढ़िवादी सोच केवल और केवल स्त्री पुरुष समानता मे विषय मे
यही बातें पढ़ कर आपके प्रति मन में सम्मान बढ़ता रहता है (हमेशा की तरह )
@ हां इस विषय पर आपके लिये ये मेरा आखरी कमेन्ट हैं
आप से थोडा बहुत ज्ञान मिलता है (कम से कम मुझे तो ) आप ऐसी बातें ना किया करें .... चाहे तो मेरे सारे के सारे कमेन्ट हटा दें .. कोई चिंता नहीं ..आप तक बात पहुंचानी थी बस ....लेकिन प्लीज आप नाराज मत होइए .. निवेदन कर रहा हूँ
बहुत सही पोस्ट। हम सहमत हैं।
ReplyDeleteसही बात है ऐसा होना ही चाहिये। धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत सही पोस्ट..
ReplyDeleteरेखाजी , वंदना जी और रश्मि जी को बहुत शुभकामनायें
ReplyDeleteउनसे जो आशाएं हैं ज़रूर पूरी होंगीं
.
ReplyDelete.
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रचना जी,
सहमत हूँ आपसे... यद्मपि ब्लॉगिंग जैसे माध्यम में ऐसोसियेशन बनने बनाने का औचित्य मेरी समझ से बाहर है।
...
एक बेहतरीन पोस्ट के लिए शुभकामनायें !
ReplyDeletea very very congratulation to all of you .
ReplyDeleteone thing i want to say that we always try to justification with all , not only with women or men .
yes agreed with this that special attention for women is required in our society but there are many other issues also . in the world of bloging , our first goal should be o give valuable blogs , and also the appropriation o those bloggers ..
रेखाजी , वंदना जी और रश्मि जी को बहुत - बहुत बधाई |
ReplyDeleteरोचक !
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