जब तक लडकियां पढाई करने के बाद आत्मनिर्भर होने के लिये नौकरी नहीं करेगी यानी जब तक वो अपने को आर्थिक रूप से सक्षम नहीं बनाएगी तब तक ये मुग्धा जैसी कहानिया पढने को मिलती रहेगी । शादी को अपनी नियति मानना और वंश को आगे बढने का साधन मात्र ही नारी कि नियति हैं और सुखी रहने का कारण भी अगर ये सच हैं तो उसी मे अपनी ख़ुशी खोजे ।
ये भी देखे आप समाज को क्या दे रहे हैं ।
आप ने समाज को क्या दिया ?? एक घुटन भरी औरत जो केवल रोती हैं और बार बार अहसान दिखती हैं उन पर जिनके लिये कुछ भीकरती हैं । लेकिन जब भी समानता कि बात करो वो कहती हैं नहीं "वो खुश हैं " बलिदान दे कर । अगर ऐसा हैं तो वो रोती क्यूँ हैं परेशान क्यूँहैं ??
कल अंशुमाला की पोस्ट पढ़ी और जील कि दोनों पोस्ट पढी , इस से पहले मार्च २००८ मे भी इसी प्रकार कि पोस्ट आयी थी चोखेर बाली परइनसान बनने से पहले औरत का अफसाना कैसे बन गया !!और उस पर एक कमेन्ट दिया था जिस को आज नारी ब्लॉग पर फिर पेस्ट कर रही हूँ कुछ संशोधन के साथ ।
आप की तीनो पोस्ट पढी और उस घुटन को शब्दों मे कलमबध देखा जिस आपने नित्य प्रतिदिन अपने जीवन मे महसूस किया । आप के लेखन की तारीफ़ मे आये सब कमेंट्स भी पढे जिन से ये पता लगा की आप की घुटन को सब समझ रहे हैं ? आप के अन्तिम पैराग्राफ को पुनेह लिख रहीं हूँ और कुछ जानना भी चाहती हूँ
"मेरे पास जो है वो पूरा नही है इसलिए जो कुछ मैं लिख रही हूँ वह आपको रुक कर टुकड़ों को जोड़ कर पढना पड़ेगा।जब मुझे ही कुछ पूरा नही मिला तो आपको पढने के लिए एक पूरी सुविधाजनक कथा कैसे दे सकती हूँ !"
आप कहती है आप को कुछ पूरा नहीं मिला , मेरा प्रश्न है पूरे की परिभाषा क्या हैं ?
नहीं मिला ? क्या नहीं मिला ? इश्वर ने आप को माता पिता दिये , माता पिता ने आप को सक्षम बनाया , विवाह किया , सामाजिक रूप से आप सुरक्षित हैं और आर्थिक रूप से आप स्वतंत्र भी है । और" मिलने" की परिभाषा मे क्या आता है ?? सब कुछ इतने सुविधा जनक तरीके से मिला हैं आप को फिर भी आप को समाज को एक सुविधा जनक कथा नहीं दे सकी ?? क्यों ??
और " मिलने " मे जो भी आता है उसे आप को "मिलना " क्यों चाहीये ? क्या उसे अर्जित नहीं करना चाहिये था आप को ?
आपके घराने की अन्य सद्स्याओ से भी , और आप से भी मै जानना चाहती हूँ की वो इस घुटन से निकालने के लिये क्या करती है ? क्या लेख लिख लिख कर आप " चेतना " जागृत कर रही हैं ? क्या आप को लगता है ऐसे लेखो को पढ़ कर " औरतो का अफसाना " इंसान की कहानी बन सकेगा ?
औरत इंसान ही हैं बशर्ते की वो ये भूल जाये की वो औरत हैं ?
भूल जाये की धूप मे उसकी चमडी काली हो जायेगी ।
याद रखे कि
पिता केवल उसका जनक हैं उसको दान करने का अधिकारी नहीं ,
पति उसका जीवन साथी हैं संरक्षक नहीं ,
पुत्र उसकी संतान है बुदापे की आस नहीं ।
जब तक आप के घराने की सदस्यों को ये याद रहेगा की वह औरत के आगे कुछ नहीं हैं उनके पास ऐसी एक नहीं लाखो कहानिया होगी जहां उन्हे महसूस होगा की वो बेगार की मजदूर हैं ।
आजाद देश मे अगर आप ख़ुद बंधुआ मजदूर की तरह रहेगे और उम्मीद करेगे की आप अपनी " सुविधा से " "कलम" से "शब्दों " के ताने बाने बुनते रहें और कोई आप को इस "बेगारी " से "स्वतंत्रता " दे जाये तों आप के घराने के सदस्य बहुत ज्यादा की उम्मीद कर रहे हैं ।
"चोखेर बाली/ नारी " वह हैं जो सांचे को तोड़ कर जिन्दगी को जीती हैं । "चोखेर बाली/ नारी " वह कभी नहीं हो सकती जो एक सांचे मे बंधी रह कर घुटती है और अपनी घुटन से समाज के पर्यावरण को दूषित करती है ।
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
copyright
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
Popular Posts
-
आज मैं आप सभी को जिस विषय में बताने जा रही हूँ उस विषय पर बात करना भारतीय परंपरा में कोई उचित नहीं समझता क्योंकि मनु के अनुसार कन्या एक बा...
-
नारी सशक्तिकरण का मतलब नारी को सशक्त करना नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट का मतलब फेमिनिस्म भी नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या ...
-
Women empowerment in India is a challenging task as we need to acknowledge the fact that gender based discrimination is a deep rooted s...
-
लीजिये आप कहेगे ये क्या बात हुई ??? बहू के क़ानूनी अधिकार तो ससुराल मे उसके पति के अधिकार के नीचे आ ही गए , यानी बेटे के क़ानूनी अधिकार हैं...
-
भारतीय समाज की सामाजिक व्यवस्था के अनुसार बेटी विदा होकर पति के घर ही जाती है. उसके माँ बाप उसके लालन प...
-
आईये आप को मिलवाए कुछ अविवाहित महिलाओ से जो तीस के ऊपर हैं { अब सुखी - दुखी , खुश , ना खुश की परिभाषा तो सब के लिये अलग अलग होती हैं } और अप...
-
Field Name Year (Muslim) Ruler of India Razia Sultana (1236-1240) Advocate Cornelia Sorabji (1894) Ambassador Vijayalakshmi Pa...
-
नारी ब्लॉग सक्रियता ५ अप्रैल २००८ - से अब तक पढ़ा गया १०७५६४ फोलोवर ४२५ सदस्य ६० ब्लॉग पढ़ रही थी एक ब्लॉग पर एक पोस्ट देखी ज...
-
वैदिक काल से अब तक नारी की यात्रा .. जब कुछ समय पहले मैंने वेदों को पढ़ना शुरू किया तो ऋग्वेद में यह पढ़ा की वैदिक काल में नारियां बहुत विदु...
-
प्रश्न : -- नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट {woman empowerment } का क्या मतलब हैं ?? "नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट " ...
जहा तक बात मै अपने लेख की करू तो जिन महिलाओं की बात मै कर रही हूँ जो खुद पर ही भरोसा करती है किसी और पर नहीं यही कारण है की वो अपने बच्चे के लिए भी दूसरो पर भरोसा नहीं करती है | उनके लिए बच्चे पैदा करना उनके लिए खुद को संपूर्ण करना नहीं होता बल्कि ये एक बड़ी जिम्मेदारी है जो वो अपने बल बूते पर करती है और निभाती है | ये वो महिलाए नहीं है जो २२ में शादी और २३ में बच्चे कर घर गृहस्थी में जुट गई ये वो महिलाए है जो अपने पैरो पर खड़ा होने के बाद शादी और पति पत्नी के मानसिक शारीरिक और आर्थिक रूप से मजबूत होने के बाद ही बच्चे के बारे में सोचती है चाहे विवाह के कितने भी साल हो जाये वो उससे घबराती नहीं और ना किसी के दबाव में कोई फैसले लेती है | जैसा मैंने कहा की ये घुटती नहीं है क्योकि ये कोई ना कोई उपाय अपनी रचनात्मकता के लिए चुन ही लेती है और अपने दर्द का इलाज खुद करती है | वो ये सब इसलिए करती है क्योकि वो अच्छे से समझती है की वो इन्सान है और सम्मान के साथ जीती है |
ReplyDeleteसुंदर लेख
ReplyDeletesundar post
ReplyDeleteरचना,
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है, अपनी जगह हमें खुद ही बनानी पड़ती है और पड़ रही है. अगर हममें हिम्मत नहीं है तो हम अपने खुद के निर्णय के लिए भी दूसरों का मुँह ताकते हैं. अपनी बेटी को जन्म देकर दूसरों की मर्जी के लिए या अस्पताल में छोड़ आते हैं या कूड़े के ढेर पर मरने के लिए छोड़ देते हैं. अपने निर्णय खुद लीजिये. आप कठपुतली नहीं कि जिसने जैसे नचाया नाच लिए और बैठने का आदेश मिला तो बैठ गए. अपने रास्ते और मंजिलें खोजने का आत्मविश्वास अर्जित कीजिये और पूर्ण मानव बन सृष्टि में अनुदान दीजिये.
aatamnirbharta hi nari sashaktikaran ki chabi hai .bahut sateek baat uthata aalekh .
ReplyDeleteरचना जी
ReplyDeleteनारी ब्लॉग पर एक लाख पाठको की संख्या पार करने की बधाई हो |
जब तक नारी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो जाती तब तक सारी बहस बेमानी है।
ReplyDeleteशादी के बाद कैरीयर को लेकर यदि कोई समस्या हैं तो इसका हल महिला को खुद निकालना होगा खासकर तब जब कोई दूसरा दोषी न हो बल्कि उसका खुद का द्वंद या परीस्थितियों के चलते ऐसा हुआ हो यह उस पर है कि वह कैसे एडजस्ट करें या द्वंद से बाहर आए या अपनी प्रतिभा को कोई रचनात्मक मोड दें.लेकिन जहाँ बात प्रताडना की आती है वहाँ आर पार का ही निर्णय लिया जाना चाहिये.
ReplyDelete