मुंबई ब्लॉगर मीट कि रिपोर्ट कई ब्लॉग पर पढ़ी ।विषय था " मेरी रचना, मेरी कलम और ब्लोगकी दुनिया " अनीता कि पोस्ट पर पढ़ा । साथ साथ ये भी पढ़ा "घुघुती जी का कहना था कि ब्लोगिंग से पहले उनकी अपनी कोई पहचान नहीं थी, उनकी पहचान उनके पति से थी, उनका सामाजिक दायरा पति के सहकर्मियों से जुड़ा था और वो खुश हैं कि ब्लोगिंग ने उन्हें अपनी एक पहचान दी है और अपने मित्र दिये हैं। "
ब्लॉग लिखने मे अपने अस्तित्व की तलाश करती नारियों को एक नया माध्यम मिला हैं अभिव्यक्ति का और अपने सरोकार बढाने का ।
वो लोग जो महिला के ब्लॉग पर विद्रूप , विषय से हट कर हास्य पूर्ण , और अश्लील कमेन्ट देते हैं या व्यक्तिगत कमेन्ट मे लेखक के परिवार , उसके रहन सहन पर आक्षेप करते हैं वो एक बार जरुर सोचे।
बहुत सी गृहणियां जिनके पास अब समय हैं अपने को अभिव्यक्त करने का और जिनके पास अब एक ऐसा माध्यम हैं जो उनके विचारों को देश विदेश तक ले जाता हैं उन सब को लिखने दे । बढ़ावा नहीं दे सकते तो कम से कम गलत कमेन्ट दे कर उनका उत्साह तो ना ख़तम करे ।
आज के लिये बस इतना ही ।
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
April 29, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
copyright
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
Popular Posts
-
आज मैं आप सभी को जिस विषय में बताने जा रही हूँ उस विषय पर बात करना भारतीय परंपरा में कोई उचित नहीं समझता क्योंकि मनु के अनुसार कन्या एक बा...
-
नारी सशक्तिकरण का मतलब नारी को सशक्त करना नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट का मतलब फेमिनिस्म भी नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या ...
-
Women empowerment in India is a challenging task as we need to acknowledge the fact that gender based discrimination is a deep rooted s...
-
लीजिये आप कहेगे ये क्या बात हुई ??? बहू के क़ानूनी अधिकार तो ससुराल मे उसके पति के अधिकार के नीचे आ ही गए , यानी बेटे के क़ानूनी अधिकार हैं...
-
भारतीय समाज की सामाजिक व्यवस्था के अनुसार बेटी विदा होकर पति के घर ही जाती है. उसके माँ बाप उसके लालन प...
-
आईये आप को मिलवाए कुछ अविवाहित महिलाओ से जो तीस के ऊपर हैं { अब सुखी - दुखी , खुश , ना खुश की परिभाषा तो सब के लिये अलग अलग होती हैं } और अप...
-
Field Name Year (Muslim) Ruler of India Razia Sultana (1236-1240) Advocate Cornelia Sorabji (1894) Ambassador Vijayalakshmi Pa...
-
नारी ब्लॉग सक्रियता ५ अप्रैल २००८ - से अब तक पढ़ा गया १०७५६४ फोलोवर ४२५ सदस्य ६० ब्लॉग पढ़ रही थी एक ब्लॉग पर एक पोस्ट देखी ज...
-
वैदिक काल से अब तक नारी की यात्रा .. जब कुछ समय पहले मैंने वेदों को पढ़ना शुरू किया तो ऋग्वेद में यह पढ़ा की वैदिक काल में नारियां बहुत विदु...
-
प्रश्न : -- नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट {woman empowerment } का क्या मतलब हैं ?? "नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट " ...
ब्लॉग्गिंग से जुड़ने का मेरा अनुभव ,स्वयं को दोबारा खोजने जैसा रहा, विद्यार्थी जीवन में कलम चलाई ,विवाह के बाद कलछी/की-बोर्ड में इतनी व्यस्त हुई की लगा अब कभी नहीं लिख पाऊँगी.. जी तो रही थी पर जिंदा होने का एहसास अब हुआ है
ReplyDeleteसही है !!
ReplyDeleteआपने सही कहा है...
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा है। पूरी तरह सहमत है।
ReplyDeleteसही है !आपसे सहमत।
ReplyDeleteblog to bas ek medium hai na jane aaj kitne star par mahilayen personal ko political bana rahi hai unki aawaj ko aaj koi bhi ansuna nahi kar sakta
ReplyDeleterachna ji 'kanpur ki vyatha katha' wala link to khul hi nahi paya
ReplyDeletekanpur ki vyatha katha post woman related nahin thee hataa di kshma chahtee hun aap ko pareshani hui
ReplyDeleteब्लॉग लिखने मे अपने अस्तित्व की तलाश करती नारियों को एक नया माध्यम मिला हैं अभिव्यक्ति का और अपने सरोकार बढाने का ।
ReplyDeleteआपसे पूर्णतय सहमत।
बिलकुल सही कहा है। आपसे पूर्णतय सहमत।
ReplyDeleteमेरा ख्याल है कि अभिव्यक्ति के लिए असीम आकाश से हो गए हैं ब्लॉग ...यूं तो आकाश में कोई विभाजन रेखायें नहीं पर सबके सम्मानजनक सहअस्तित्व की गुंजायश जरुर है ! दुःख केवल एक है कि यहां उन्मुक्त उड़ान भरते मासूम परिंदों के साथ कुछ गिद्ध भी मंडरा रहे हैं जिन्हें इस बात का शऊर नहीं कि जीवितों की गरिमा और सम्मान किसे कहते हैं !
ReplyDeleteअभिव्यक्ति ka esse achha madhayam aur kahan....
ReplyDeleteAapki baat se purn sahmat
रचना जी, बहुत अच्छा टॉपिक लिया है आपने. मैं भी जब रश्मि जी के ब्लॉग पर इस मीट की रिपोर्टिंग पढ़ रही थी, तो यही बात दिमाग में आयी थी. ब्लॉगिंग ने उन औरतों की भावनाओं को अभिव्यक्ति दी है, जो घर से बाहर नहीं निकलती हैं. अब घर में बैठे-बैठे ही वे अपने अनुभव, दुःख-सुख, भावनाएँ सभी कुछ श्र्यर कर सकती हैं.
ReplyDeleteA nice effort .Congratulations
ReplyDeleteAsha
beshak bahot khoob alfaaz rakam kiye hai
ReplyDeleteSochna to jaroor chahiye par dusaron ke bare mein achchha kaun soche, jab apni vidroopata se furast mile tab to!
ReplyDeleteएक वर्ष की पूर्णता पर बधाई ।
ReplyDeleteस्तुत्य विचार ।
एक सराहनीय मंच नारी को मिला है ब्लॉग के माध्यम से .... अब कोई मंथन न हो , अब कोई बंधन न हो ...
ReplyDeleteजब भी कोई अच्छा काम या सोच सामने आती है तो कुछ लोग उसका विरोध करने व कहने में अपने को महत्व देने की कोशिश में सामने आते हैं.
ReplyDelete*जबकि वे नहीं जानते कि ये कार्य उनको स्वयं खुद की ही नहीं दूसरों कि नजर में भी नीचा दिखाता है. तो ऐसे कम बुद्धि लोगों पर ध्यान देने कि जरुरत नहीं.*
हमारी महिला शक्ति अपने नव-निर्माण में संपूर्ण स्फूर्ति+शक्ति से सहभागिता में लगी रहें .व्यक्तिगत रूप से एक-दूसरे को नहीं जानते हुए भी ब्लॉगिंग के माध्यम से हमारे विचार कितने एकमत हैं ,
यही है इसकी महत्ता एवं उपयोगिता.
स्वागत है सभी का ,मन के विचारों का.
बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ .
अलका मधुसूदन पटेल ,लेखिका-साहित्यकार
सही है !आपसे सहमत।
ReplyDeleteएक वर्ष की पूर्णता पर बधाई ।
ReplyDelete