जयपुर मे बम धमाको मे घायल और स्वर्गवासी भारतीयों को " नारी " ब्लॉग के सदस्यों का नमन । ये वक्त हैं हिम्मत ना हारने का , विश्वास ना खोने का । आप सब " भारत " परिवार का हिस्सा हैं और जब परिवार बड़ा होता हैं तो तकलीफ कितनी भी मिले सब मे बंटकर कम हो जाती हैं । देश मे आंतकवादी कुछ भी करले हमे , हमारी एकता को कभी नहीं तोड़ सकते । धीरज रखे और साथ बनाए रखे । अप्रवासी भारतीये आप को किसी को भी कहीं संदेश भेजना हो तो आप जयपुर से बाहर बसे हमलोगों से सम्पर्क कर सकते हैं । हम हर सम्भव कोशिश करेगे कि आप का संदेश आपके परिजन तक पहुँच सके ।
वंदे मातरम , जय हिंद
रचना अच्छा प्रयास।
ReplyDeleteभगवान सभी मृत आत्माओं को शान्ति दे और उनके परिजनों को ये दुःख सहने की हिम्मत दे।
आतंकवाद का मकसद है समाज को बाँट कर अपना मतलब हल करना, समाज की एकजुटता ही इस का जवाब है।
ReplyDeleteईश्वर शान्ति दे सभी मृत आत्माओं को एवं उनके परिवार को दुख को वहन करने की क्षमता.
ReplyDeleteहादसे करने वाले कहाँ यह सोच पाते हैं कि किसका क्या गया .और अपना काम बखूबी कर जाते हैं ..टीवी पर चित्र दहला देने वाले थे ..पता नही या सब करने वाले जब बाद में अपने किए कारनामे को देखते होंगे तो कैसे पत्थर दिल होंगे जो फ़िर अगली बार यह सब कर जाते हैं ..
ReplyDeleteआखिर मेरे शहर के साथ ऐसा क्यों हो रहा है।कुछ आतंकवादी सिर्फ अपनी बात मनवाने के लिए अपनी मौदूदगी दिखाने के लिए ऐसे कैसे किसी की भी जान ले सकते है। 60 लोगों की जिंदगियां क्या उनके लिए कोई मायन नहीं रखती, बहुत से प्र्शन हैं पर जवाब कहीं नहीं।
ReplyDeleteउत्तर:-वास्तव में यह आतंकवाद के भूमंडलीय करण की लपटें हैं.जो तेल के कुओं के इर्दगिर्द से घूमतीं हुई जयपुर तलक आ गई ...! मुम्बई भी इसका शिकार थी, विश्व में कोई भी धर्म आतंक वादी तरीके से स्थायित्व नहीं पा सका इस बात के कई उदाहरण हैं.
मेरे हिसाब से तिजारत और सियासत दौनों ही जिम्मेदार हैं......इसके लिए............!
आतंकवादी इंसान नहीं, मशीनी मानव हैं, चन्द रुपयों के लिये वो किसी भी धर्म की तरफ़ से ऐसा घिनौना खेल सकते हैं.रचना,बहुत अच्छा लगा आपने इस विषय पर लिखा.समूचे जयपुर वासियों के साथ हमदर्दी है मुझे.
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