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नारी सशक्तीकरण की दिशा में अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत अमेरिका देवी व तिलिया देवी ने चमत्कारिक काम कर विश्व पटल पर सुर्खियां पा ली हैं। इसके लिए दोनों को काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन वे हार नहीं मानी। तभी तो दोनों वर्ष 2004 में नेयॉन फाउंडेशन द्वारा वुमन ऑफ सब्सेंटस अवार्ड से सम्मानित और 2005 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया। इन दिनों वे महादलितों को शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में जागरूक करने में जुटी हैं। झझारपुर अनुमंडल केलखनौर प्रखंड के खैरी गाव की मुसहर जाति की तिलिया देवी व सोहराय गाव की अमेरिका देवी को 07 जुलाई 2005 को नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। तिलिया ने अपने गाव खैरी सहित लखनौर, बलिया, लेलिननगर, कमलदाहा मुसहरी, बेलौचा, निर्मला, उमरी आदि मुसहरी व अमेरिका ने अपने गाव सोहराय सहित मदनपुर खतवेटोल, गोट सोहराय सहित आसपास की मुसहर जातियों के घर-घर जाकर उन्हें जागरूक करना शुरू कर दिया। अमेरिका देवी ने कहा कि 360 परिवार वाले सोहराय गाव में 18 महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाकर करीब 360 महिलाओं को हस्ताक्षर करना सिखाया। अब ये अंगूठा छाप के कलंक से मुक्त हो गयी हैं। इन्हें आर्थिक रूप से बैंकों से जोड़ कर मजबूत भी किया गया है। इसी तरह तिलिया देवी ने भी 48 स्वयं सहायता समूहों का गठन कराकर 700 महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बना दिया है। नारी सशक्तीकरण की दिशा अब नगरों से गांवों की ओर भी चल पड़ी है.
साभार : जागरण आकांक्षा यादव
Wakai nari age badh rahi hai aur isi ke sath samaj bhi age badh raha hai.
ReplyDeletePrasansneey.
ReplyDelete( Treasurer-S. T. )
नारी सशक्तीकरण की दिशा में अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत अमेरिका देवी व तिलिया देवी ने चमत्कारिक काम कर विश्व पटल पर सुर्खियां पा ली हैं....Mubarak ho !!
ReplyDeleteस्त्री हों या पुरुष केवल हस्ताक्षर सिखाया नही जाये क्योकि सिर्फ हस्ताक्षर करना और अंगूठा लगाना एक ही बात है साक्षर होना भी पर्याप्त नही है शिक्षित होना ज़रूरी है ।
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