आज कल टी वी पर जितने भी सीरियल या प्रोग्राम आ रहे हैं उन सब में एक थीम बड़ा कॉमन दिख रहा हैं
अच्छी शिक्षित और नौकरी करती महिला / लड़की /नारी को कहीं ना कहीं अपने से कम शिक्षित , कम उम्र और कम कमाने वाले लड़को से विवाह करने को प्रेरित किया जा रहा हैं।
कितनी चालकी से नारी की उलटी कंडीशनिंग शुरू हो गयी हैं। समाज फिर नारी को कंडीशन करने में लग गया हैं।
जिस हिसाब से लडकियां पढ़ लिख कर ऊँची नौकरी कर रही हैं समाज को दिख रहा हैं की पुरुष के बराबर नहीं नारी उससे कहीं बहुत आगे जा रही हैं। सो उसका दिमाग कंडीशन करना जरुरी हैं।
उस पर भी तारीफ़ पुरुष की हो रही हैं जो घर संभालता हैं आज भी वो नारी पर अहसान करता हैं अगर नौकरी ना करके घर सभाले तो।
कल k b c में एक डिप्टी कलेक्टर महिला हॉट सीट पर थी और उनके पति भी आये थे। जब शादी हुई थी तो महिला स्कूल टीचर थी और पति १२ वी पास , महिला के पैर पोलियो ग्रस्त थे।
अमिताभ जी ने भी कसीदे पढ़ दिये इन सज्जन की तारीफ़ में।
एक स्कूल टीचर का विवाह एक १२ वी पास से हो गया और तारीफ़ सब पुरुष की हो रही हैं की उसने एक पोलियो ग्रस्त से विवाह किया और उसको आगे भी बढ़ने दिया।
कंडीशनिंग करने में हमारा समाज कोई कसर नहीं छोड़ता हैं। लोगो को नहीं दिखता हैं।
अच्छी शिक्षित और नौकरी करती महिला / लड़की /नारी को कहीं ना कहीं अपने से कम शिक्षित , कम उम्र और कम कमाने वाले लड़को से विवाह करने को प्रेरित किया जा रहा हैं।
कितनी चालकी से नारी की उलटी कंडीशनिंग शुरू हो गयी हैं। समाज फिर नारी को कंडीशन करने में लग गया हैं।
जिस हिसाब से लडकियां पढ़ लिख कर ऊँची नौकरी कर रही हैं समाज को दिख रहा हैं की पुरुष के बराबर नहीं नारी उससे कहीं बहुत आगे जा रही हैं। सो उसका दिमाग कंडीशन करना जरुरी हैं।
उस पर भी तारीफ़ पुरुष की हो रही हैं जो घर संभालता हैं आज भी वो नारी पर अहसान करता हैं अगर नौकरी ना करके घर सभाले तो।
कल k b c में एक डिप्टी कलेक्टर महिला हॉट सीट पर थी और उनके पति भी आये थे। जब शादी हुई थी तो महिला स्कूल टीचर थी और पति १२ वी पास , महिला के पैर पोलियो ग्रस्त थे।
अमिताभ जी ने भी कसीदे पढ़ दिये इन सज्जन की तारीफ़ में।
एक स्कूल टीचर का विवाह एक १२ वी पास से हो गया और तारीफ़ सब पुरुष की हो रही हैं की उसने एक पोलियो ग्रस्त से विवाह किया और उसको आगे भी बढ़ने दिया।
कंडीशनिंग करने में हमारा समाज कोई कसर नहीं छोड़ता हैं। लोगो को नहीं दिखता हैं।
मैंने केबीसी तो नहीं देखा मै एक सामान्य सी बात कहूँगी | विवाह लिए जिन योग्यताओ की जरुरत है उनमे शैक्षिक योग्यता बहुत बार उतना महत्व नहीं रखता जीतना आप सोच रही है | डिग्रियां कभी भी व्यक्ति की योग्यता को नहीं प्रदर्शित करती | पढ़े लिखे बेरोजगार नालायक बजाये कम पढ़ा लिखा किन्तु जिम्मेदार व्यक्ति विवाह के ज्यादा योग्य होता है | इस हिसाब से तो बहुत सारे पुराने विवाह है जिसमे पत्नी न के बराबर पढ़ी लिखी थी और पति काफी ज्यादा पढ़ा लिखा तो वो विवाह सही नहीं थे | इस हिसाब से तो विवाह के समय पुरुष भी इस बात पर जोर दे की पत्नी का वेतन उसके बराबर का हो तभी विवाह करेगा या कल को विवाह के बाद कोई अपने क्षेत्र में आगे बढ़ गया तो वो दूसरे को छोड़ दे | समाज महिलाओ की कंडीशनिंग बना तो रहा है कई मामलों में लेकिन जो उदहारण आप दे रही है वो उतना सही नहीं लग रहा है | रही बात तारीफ की तो जो आज समाज के हालत है उसमे तारीफ तो बनती है |
ReplyDeleteएक काम पढ़ी लिखी लड़की हो या किसी रोग से ग्रसित हो उसका विवाह केवल और केवल दहेज़ के कारण ही होता था।
ReplyDeleteक्या एक काम पढ़ा लिखा लड़का अपने से ज्यादा योग्य लड़की से विवाह करेगा तो दहेज़ लाएगा नहीं बल्कि तब भी वो लड़की पर एहसान करेगा।
आप के लिये डिग्री का महत्व नहीं हो सकता हैं पर मेरे लिये हैं और सदा रहेगा क्युकी आप जिन डिग्री की बात कर रही हैं में उनसे इतर उन डिग्रियों की बात कर रही हूँ जिनको पाने के लिये किसी को भी सालो पढ़ना पड़ता हैं।
और अपने से कम पढ़ी लिखी लड़की से शादी करके भी एहसान और अपने ज्यादा पढ़ी लिखी से शादी करके भी एहसान।
वंश तो हर विवाहिता अपने पति का ही चलाती हैं
अब रिवर्स कंडीशनिंग की जा रही हैं ताकि ज्यादा पढ़ी लिखी विवाह से इतर ना सोचना शुरू करदे और बिचारे लड़के दहेज़ से भी जाए , विवाह से भी