ये पोस्ट दिनेश जी के ब्लॉग तीसरा खम्बा से साभार कॉपी पेस्ट की गयी हैं . पोस्ट का उतना ही हिस्सा यहाँ दिया हैं जो जानकारी मात्र हैं . पूरी पोस्ट यहाँ पढी जासकती हैं पोस्ट का लिंक
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किसी
भी हिन्दू स्त्री की संपत्ति उस की अबाधित संपत्ति होती है। अपने जीवन काल
में वह इस संपत्ति को किसी को भी दे सकती है, विक्रय कर सकती है या
हस्तान्तरित कर सकती है। यदि वह स्त्री जीवित है तो वह अपनी संपत्ति को
किसी भी व्यक्ति को वसीयत कर सकती है। जिस व्यक्ति को वह अपनी संपत्ति
वसीयत कर देगी उसी को वह संपत्ति प्राप्त हो जाएगी। चाहे वह संबंधी हो या
परिचित हो या और कोई अजनबी।
यदि
उस विधवा स्त्री का देहान्त हो चुका है तो हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की
धारा-15 के अनुसार उस की संपत्ति उस के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी।
1. किसी भी
स्त्री की संपत्ति सब से पहले उस के पुत्रों, पुत्रियों (पूर्व मृत
पुत्र-पुत्री के पुत्र, पुत्री) तथा पति को समान भाग में प्राप्त होगी। इस
श्रेणी में किसी के भी जीवित न होने पर …
2. उस के उपरान्त स्त्री के पति के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी। पति का कोई भी उत्तराधिकारी जीवित न होने पर …
3. स्त्री के माता-पिता को प्राप्त होगी। उन में से भी किसी के जीवित न होने पर …
4. स्त्री के पिता के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी। उन में से भी किसी के जीवित न होने पर …
5. माता के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी।
क.
किन्तु यदि कोई संपत्ति स्त्री को अपने माता-पिता से उत्तराधिकार में
प्राप्त हुई है तो स्त्री के पुत्र-पुत्री (पूर्व मृत पुत्र-पुत्री के
पुत्र, पुत्री) न होने पर स्त्री के पिता के उत्तराधिकारियों को प्राप्त
होगी।
ख.
यदि कोई संपत्ति स्त्री को पति से या ससुर से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई
है तो स्त्री के पुत्र-पुत्री (पूर्व मृत पुत्र-पुत्री के पुत्र, पुत्री) न
होने पर उस के पति के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी।
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ये
पोस्ट दिनेश जी के ब्लॉग तीसरा खम्बा से साभार कॉपी पेस्ट की गयी हैं .
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बढ़िया.
ReplyDeletedinesh jee ke dvara dee gayi kanooni janakari bahut upayogi hoti hai kyonki har insaan ko isa bare men purn janakari to kya aanshik bhi nahin hoti hai. isako nari blog ke dvara prastut karne ke lie badhai.
ReplyDeleteस्त्री की सारी संपत्ति अबाधित होती है, का अर्थ ही यही है कि उस की स्वअर्जित संपत्ति जैसी होती है। अर्थात वह उसे वसीयत कर सकती है, हस्तांतरित कर सकती है और निर्वसीयती रह जाती है तो उक्त नियम के अनुसार उस का उत्तराधिकार होता है।
ReplyDeletebadhiya jaankaree, dhanyavaad .
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