विवाह नारी को सुरक्षा प्रदान करता हैं इस लिये नारी को विवाह की आवश्यकता हैं .
सुरक्षा ??? किस चीज़ की सुरक्षा ? कौन सी सुरक्षा ?? किस से सुरक्षा ??
आर्थिक सुरक्षा
आज भी लड़की के माता पिता अपनी बेटी को शादी में हर वो सामान देते हैं जो एक नयी गृहस्थी के लिये जरुरी होता हैं . यानी दहेज़ , स्त्रीधन या आप जो भी नाम देना चाहे . ये चल रहा हैं सदियों से .
अगर जितना सामान इस तरह शादी पर खर्च होता हैं उतना ही किसी भी लड़की को बिना शादी के दे दिया जाए तो भी वो अपनी जिंदगी में आर्थिक रूप से सुरक्षित हो ही जायेगी . जब दिया माँ पिता ने तो ये क्यूँ कहना की लड़की को आर्थिक सुरक्षा , शादी या पति देता हैं ??
सामाजिक सुरक्षा
पति , क्या सामाजिक सुरक्षा कवच हैं की एक लड़की को अगर समाज में सुरक्षित रहना हैं तो उसको शादी करनी ही होगी . अगर ऐसा होता तो किसी भी विवाहित स्त्री के साथ ना तो घरेलू हिंसा होती , ना वो जलाई जाती .
और उन पत्नियों का क्या जिनके पति खुले आम या छुप कर विवाह से इतर सम्बन्ध बनाते हैं और फिर घर आकर पत्नी से भी दैहिक सम्बन्ध बनाते हैं और पत्नी को सामाजिक सुरक्षा / आर्थिक सुरक्षा का डर दिखा कर चुप रहने को मजबूर करते हैं .
आज जिन पोस्ट से इस बात को दुबारा उठाने का मन किया
उनके लिंक हैं
लिंक 1
लिंक 2
सुरक्षा ??? किस चीज़ की सुरक्षा ? कौन सी सुरक्षा ?? किस से सुरक्षा ??
आर्थिक सुरक्षा
आज भी लड़की के माता पिता अपनी बेटी को शादी में हर वो सामान देते हैं जो एक नयी गृहस्थी के लिये जरुरी होता हैं . यानी दहेज़ , स्त्रीधन या आप जो भी नाम देना चाहे . ये चल रहा हैं सदियों से .
अगर जितना सामान इस तरह शादी पर खर्च होता हैं उतना ही किसी भी लड़की को बिना शादी के दे दिया जाए तो भी वो अपनी जिंदगी में आर्थिक रूप से सुरक्षित हो ही जायेगी . जब दिया माँ पिता ने तो ये क्यूँ कहना की लड़की को आर्थिक सुरक्षा , शादी या पति देता हैं ??
सामाजिक सुरक्षा
पति , क्या सामाजिक सुरक्षा कवच हैं की एक लड़की को अगर समाज में सुरक्षित रहना हैं तो उसको शादी करनी ही होगी . अगर ऐसा होता तो किसी भी विवाहित स्त्री के साथ ना तो घरेलू हिंसा होती , ना वो जलाई जाती .
और उन पत्नियों का क्या जिनके पति खुले आम या छुप कर विवाह से इतर सम्बन्ध बनाते हैं और फिर घर आकर पत्नी से भी दैहिक सम्बन्ध बनाते हैं और पत्नी को सामाजिक सुरक्षा / आर्थिक सुरक्षा का डर दिखा कर चुप रहने को मजबूर करते हैं .
विवाह होने के बाद कितना असुरक्षित महसूस करती होंगी ऐसी पत्निया ?? फिर शादी से सुरक्षा मिलती हैं ये कहना क्या कोई मतलब रखता हैं ??
शादी करना या ना करना व्यक्तिगत निर्णय होता हैं
शादी से सामाजिक या आर्थिक सुरक्षा का कोई लेना देना नहीं हैं
शादी लड़कियों के लिये जितनी जरुरी हैं लडको के लिये भी उतनी ही जरुरी हैं या जितनी गैर जरुरी लडको के लिये हैं उतनी ही लड़कियों के लिये भी है
शादी , लड़कियों के लिये जरुरी हैं क्युकी वो लड़की हैं अपने आप में एक गलत सोच हैं
कम नुक्सान वाले नहीं ज्यादा फायदे वाले विकल्प चुन रही हैं आज की पढ़ी लिखी लडकिया .
शादी गैर जरुरी हैं या शादी ना करे , या लड़कियों को शादी नहीं करनी चाहिये इत्यादि पर ये बहस नहीं हैं ,
नारी ब्लॉग पर ये पोस्ट 2010 में आई थी
आज जिन पोस्ट से इस बात को दुबारा उठाने का मन किया
उनके लिंक हैं
लिंक 1
लिंक 2
thanks for sharing..
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