- परिवार का मुखिया या हेड ऑफ़ दी फॅमिली का क्या मतलब समझना चाहिये और
- क्या "हेड ऑफ़ द फॅमिली" की जरुरत हैं हर परिवार को आज भी ?
- किसी व्यक्ति में क्या क्या होना चाहिये हेड ऑफ़ द फॅमिली बनने के लिये या ये क़ोई अपने आप ही बन जाता हैं ??
- हेड ऑफ़ द फॅमिली के नियम कानून किस किस पर लागू होते हैं परिवार में ।
एक बार क्या परिवार को भी "परिभाषित " किया जा सकता हैं
All post are covered under copy right law । Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium ।
Indian Copyright Rules
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सोचा,लेकिन कुछ कह नहीं सकते.आजकल तो हर घर की अलग कहानी है.
ReplyDelete"परिवार के मुखिया "की संकल्पना शायद संयुक्त परिवार के समय की है । आज महानगरों के छोटे परिवारों में कहीं देखने को नहीं मिल रही है । पहले परिवार के मुखिया का न सिर्फ़ परिवार के सभी निर्णयों पर प्रभाव होता था बल्कि सभी दायित्वों , मान , अपमान , के लिए भी उत्तरदायी होता था । परिवार की परिभाषा बहुत ही वृहद हो सकती है और लघु भी ।
ReplyDeleteहां। (सभी प्रश्नों के उत्तर।)
ReplyDeleteइसके लिए कोई नियम नहीं है जिस घर में जिसकी चलती है वो घर का मुखिया बन जाता है कही पति तो कही पत्नी और बहुत से घर ऐसे भी है जहा पति पत्नी दोनों मिल कर फैसले लेते है वह कोई एक मुखिया नहीं होता है और कही कही समय गुजरने के साथ ही मुखिया भी बदल जाता है |
ReplyDelete1. परिवार का मुखिया या हेड ऑफ़ दी फॅमिली का क्या मतलब समझना चाहिये और
ReplyDelete@ जो व्यक्ति अपने से कमतर आयु के, कमतर आर्थिक क्षमता के, कमतर अनुभव के, कभी-कभी कमतर शारीरिक ताकत के सदस्यों को वात्सल्यवश और प्रेमवश सुरक्षा की गारंटी देता है या अनुभव करता है ... वही तो है मुखिया ....
मेरे परिवार में मेरे पिता हैं मुखिया, उनकी पहचान का लाभ लेता हूँ. उनके जीवन अनुभवों का लाभ लेता हूँ. सामाजिक और धार्मिक रीति-रिवाज के मसले में माताजी के अनुभवों का लाभ मिलता रहता है... हाँ, आस्था के नाम पर प्रपंच और आडम्बर पर छींटाकशी बेशक करता हूँ लेकिन फिर भी अपने सभी बड़े फैसलों को उनके सुझावों से प्रभावित होने देता हूँ... कभी-कभी अनुचित अवश्य लगता है फिर भी महत्व उनको दिये जाने से पारीवारिक सौहार्द बना रहता है.
२. क्या "हेड ऑफ़ द फॅमिली" की जरुरत हैं हर परिवार को आज भी ?
ReplyDelete@ जरूरत महसूस करो ... तो मुखिया की जरूरत है आज़ भी. लेकिन मुखिया स्वयं निर्णय लेने में दक्ष हो.. न कि उसके पीछे कोई और ही उसे नचाये हो... मनमोहन को जैसे सोनिया नचाये रहती है. डबल सर वाला है फिर भी बे-असरदार है.
३. किसी व्यक्ति में क्या-क्या होना चाहिये हेड ऑफ़ द फॅमिली बनने के लिये या ये क़ोई अपने आप ही बनजाता हैं ??
ReplyDelete@ मुखिया ... अपने दायित्वों का सही-सही निर्वाह करने से बना जाता है... अपने आप आयु आधार लेकर बने मुखिया या धन आधिक्य के कारण बने मुखिया शेष सदस्यों के बीच सम्मान नहीं पाते...
४. हेड ऑफ़ द फॅमिली के नियम कानून किस किस पर लागू होते हैं परिवार में ।
ReplyDelete@ परिवार में मुखिया का सम्मान एक को ही दिया जाना चाहिए.. लेकिन क्षेत्र विशेष के एक्सपर्ट को महत्व भी देना चाहिए... अपनी गृहस्थी को बाहरी अराजक तत्वों से बचाना मेरा सहजात गुण है.. घर को ऐश्वर्य से पूरित करना और सम्बन्धियों की समुचित आवभगत करना पत्नी का सहजात गुण है... मेरा उसमें सहयोग ही रहता है.. जो व्यक्ति जितने अधिक कार्यक्षेत्रों में अपनी दक्षता दिखाता है वह अपना महत्व उतना ही अधिक कायम करता है... कई गृहस्थियों में पति 'लोलो प्रसाद' होते हैं..तो ऐसे में पत्नी ही इस दायित्व को बाखूबी निभाती है.. यह अच्छा भी है.. जिस में सामर्थ्य अधिक हो वह स्वतः ही आगे हो जाता है..यदि दोनों ही पीछे रह जाते हैं तब कोई तीसरा ही उनकी गृहस्थी में नाहक दखल देने लगता है... इसलिये पति-पत्नी को समझदारी से एक-दूसरे की काबलियत को निःसंकोच स्वीकारना आना चाहिए.. सुखद गृहस्थी के लिये यह जरूरी है.
Q. एक बार क्या परिवार को भी "परिभाषित " किया जा सकता हैं?
ReplyDelete@ 'परिवार' को सोर्यमंडल से अच्छी तरह परिभाषित किया जा सकता है...
सूर्य के आकर्षण से बंधे सभी ग्रह-उपग्रह उससे न केवल लाभान्वित होते हैं अपितु अनुशासन भी नहीं बिगाड़ते...
कुछ परिवारों के मुखिया हेडलेस चिकन भी होते हैं...
ReplyDeleteजय हिंद...