आज कल विदेश मे बसे लडको से भारत मे बसी लड़कियों का विवाह करने का रुझान बढ़ता ही जा रहा हैं । इन मे से बहुत सी लडकियां काफी पढ़ी लिखी हैं जैसे की डॉ , इंजीनियर , एम टेक या आ ई टी क्षेत्र से जुड़ी लडकियां । इन सब लड़कियों को लगता हैं की विदेश मे बसे लडको से विवाह कर के वो भी विदेश मे नौकरी कर लेगी । लड़कियों के अभिभावक भी इसी प्रकार के विवाह के लिये उत्सुक लगते हैं । यानी विवाह को करियर की एक सीढ़ी बना कर लडकियां आगे जाना चाहती हैं ।
लेकिन बहुत सी लडकियां और उनके अभिभावक उस समय चकित होते हैं जब उनको बताया जाता हैं की लड़की विदेश मे जा कर तुरत नौकरी शायद ना कर पाए । कारण बहुत सीधा हैं , लडके का वीसा किस क्षेणी का हैं उसकी पत्नी को नौकरी मिलेगी या नहीं ये इस पर निर्भर करता हैं । बहुत से नौकरी -वीसा इस प्रकार के होते हैं जिनमे पत्नी नौकरी नहीं कर सकती हैं ये एक प्रकार से तय ही होता हैं ।
ना जाने कितनी पढ़ी लिखी लडकियां जो जीविका अर्जन के लिये सक्षम हैं , जिनको शिक्षित करने के लिये भारतीये सरकार का बहुत पैसा लगता हैं जैसे डॉ , इंजिनियर इत्यादि वो विदेशो मे जा कर अपनी इस शिक्षा का कोई उपयोग नहीं करती हैं । वही अगर अपने देश मे होती तो शायद उनकी तकनिकी शिक्षा इस देश के काम आती ।
कई बार विदेशो मे बसी ऐसी ही महिला नौकरी के विरोध मे बोलती पाई जाती हैं । वो निरंतर ये कहती हैं की नारी का काम घर को संभालना होता हैं । नौकरी करने वाली महिला अपना घर सक्षमता से नहीं संभल पाती इस लिये वो इतना शिक्षित होने पर भी नौकरी नहीं कर रही हैं और फिर भी आराम से रह रही हैं ।
सच्चाई को अपने मुताबिक नया आयाम देकर और लड़कियों को गुमराह करने वाली ऐसी स्त्रियाँ ये नहीं सोचती की वो नारी सशक्ति करण के रास्ते मे एक व्यवधान खडा करती हैं । कहीं ना कहीं ऐसा लगता हैं जैसे क्युकी वो नौकरी नहीं कर पाई इस लिये और भी ना कर सके ।
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
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bahut din baad aap ki post aayee
ReplyDeleteachcha mudda haen
आपका कहना बिल्कुल सही है, वास्तव मैं ऐसा ही है, जिसमें वहाँ पर रह रहे लोगों के लिए और यहाँ से जाने वालों के लिए अलग अलग नियम है. मेरी बेटी भी वहाँ गयी है लेकिन अभी तक अपने घर पर ही है, उसका तो मामला ही अलग है वह यहाँ पर काम कर रही है और यहाँ से छुट्टी लेकर अपने पति के साथ उसके वर्क परमिट पर साथ है. लेकिन वहाँ पर जाकर रह रहे लोगों के लिए भी नौकरी इतनी आसन नहीं होती.
ReplyDeleteबहुत सच बात कही है आपने ..... इसे एक तरह का मायाजाल ही कहा सकते है ! मेरी भी कई सहेलिय है जो विदेश तो आगई है पर कई कर्नोसे जॉब नहीं कर पा रही है ! तो वो भी वही सब कहती है जो आपने लिखा है .....
ReplyDeleteयहाँ लड्कियोको तथा उनके परिवारजनों को सोचना कहिये आपने अपनी लड़की को इतना काबिल बनाया है तो डर किस बात का ? वो अपने देश में रहा कर भी अच्छा भविष्य बना सकती है ...
बहुत सुन्दर लेख बधाई !
मृग मरीचिका
ReplyDeleteशुक्रिया रेखा दी और कोरल मेरी बात को समझने के लिये । नेट पर हिंदी ब्लॉग मे ही ना जाने कितनी जगह इस प्रकार की बातो को पढ़ा हैं । एक विवाह योग्य पुत्री की माँ हूँ सो आज सोचा दिग भ्रमित करने वाली बातो । आलेखों और पोस्टो के प्रति अपना असहमत होना दर्ज कर दू
ReplyDeleteपोस्ट पढने के लिये शुक्रिया महेश सिन्हा जी
ReplyDeleteachhha vishay aur sahi baat......
ReplyDeleteapki post pasand aayee.
कृपया इस बात को अन्यथा न लें पर बहुत दिनों के बाद यहाँ सार्थक पोस्ट दिखी. आभार अच्छी पोस्ट पढवाने का.
ReplyDeleteजानकारी को हम भी प्रसारित कर दें, आपके नाम सहित यदि अनुमति मिले तो. इस तरह की जानकारियाँ समाज में जरूर आनी चाहिए क्योंकि ये दिशा तय करतीं हैं.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
Bitter truth .
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट है।
ReplyDeleteडॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
ReplyDeleteaap kisi bhi post kaa link dae kar post ko aagey badhaa saktey haen
thanks
आप को पोस्ट अच्छी लगी इसके लिये अनूप जी मै आप की आभारी हूँ
ReplyDeleteकडवी सच्ची पोस्ट पर आप का आना मन को भाया हैं दिव्या जी , आभारी हूँ आप के कमेन्ट की
सेगर जी , रचना जी आप को उत्तर दे ही चुकी हैं मै बस यही कहूँगी सार्थकता का पैमाना अभी बना ही नहीं हैं । ये ब्लॉग एक पहल मात्र हैं
मोनिका जी शुक्रिया
ReplyDeleteबढ़िया और सार्थक पोस्ट लगी ।
ReplyDeleteहम जो आसपास देखते है उसे बाँटना बहुत जरुरी है |
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट |