जानी-मानी फोटोजर्नलिस्ट सर्वेश ने अपने एक टीवी इंटरव्यू में जोरदार टिप्पणी की।
टीवी ऐंकर का आम-सा सवाल था कि एक महिला होने के नाते इस प्रोफेशन में कोई अड़चन नहीं आती जब उन्हें रात-बिरात अनजानी-अजीब सी जगहों पर भी कवरेज के लिए जाना पड़ता है?
इस पर सर्वेश ने कहा कि रात में भी अकेले काम पर निकलना पड़े तो डर उन्हें बिल्कुल नहीं लगता। सर्वेश के आगे के तर्क लाजवाब कर देने वाले थे- "यह डर वास्तव में समाज-परिवार जबर्दस्ती स्त्री के मन में भरता है। किसी भी वक्त घर जाना या घर से निकलना, कहीं भी जाना हर व्यक्ति का मानवाधिकार है। विना तकनीकी वजह के किसी के लिए ये पाबंदियां मजबूरी में या जबर्दस्ती सोची या लागू की जाती हैं तो यह उसके मानवाधिकार पर चोट है।"
“बलात्कारी के डर से घर से मत निकलो, ऐसा कहने की बजाए बलात्कारी को क्यों नहीं रोका जाता कि तुम बलात्कार न करो?!”
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
copyright
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
Popular Posts
-
आज मैं आप सभी को जिस विषय में बताने जा रही हूँ उस विषय पर बात करना भारतीय परंपरा में कोई उचित नहीं समझता क्योंकि मनु के अनुसार कन्या एक बा...
-
नारी सशक्तिकरण का मतलब नारी को सशक्त करना नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट का मतलब फेमिनिस्म भी नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या ...
-
Women empowerment in India is a challenging task as we need to acknowledge the fact that gender based discrimination is a deep rooted s...
-
लीजिये आप कहेगे ये क्या बात हुई ??? बहू के क़ानूनी अधिकार तो ससुराल मे उसके पति के अधिकार के नीचे आ ही गए , यानी बेटे के क़ानूनी अधिकार हैं...
-
भारतीय समाज की सामाजिक व्यवस्था के अनुसार बेटी विदा होकर पति के घर ही जाती है. उसके माँ बाप उसके लालन प...
-
आईये आप को मिलवाए कुछ अविवाहित महिलाओ से जो तीस के ऊपर हैं { अब सुखी - दुखी , खुश , ना खुश की परिभाषा तो सब के लिये अलग अलग होती हैं } और अप...
-
Field Name Year (Muslim) Ruler of India Razia Sultana (1236-1240) Advocate Cornelia Sorabji (1894) Ambassador Vijayalakshmi Pa...
-
नारी ब्लॉग सक्रियता ५ अप्रैल २००८ - से अब तक पढ़ा गया १०७५६४ फोलोवर ४२५ सदस्य ६० ब्लॉग पढ़ रही थी एक ब्लॉग पर एक पोस्ट देखी ज...
-
वैदिक काल से अब तक नारी की यात्रा .. जब कुछ समय पहले मैंने वेदों को पढ़ना शुरू किया तो ऋग्वेद में यह पढ़ा की वैदिक काल में नारियां बहुत विदु...
-
प्रश्न : -- नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट {woman empowerment } का क्या मतलब हैं ?? "नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट " ...
सही है, इसी तरह बु्र्का भी महिलाओं पर लादा जाता है फिर उसे उन की स्वेच्छा बताया जाता है।
ReplyDeleteआप ने सही कहा कि बलात्कारी को क्यों नहीं रोका जाता????
ReplyDeleteयह समाज ही ऐसा है....कानून बनाने वाले भी पुरुष ....तोड़ने वाले भी वहीं ....
नारी फिजीकली कमजोर होती है लेकिन मानसिक तौर पे वो पुरुषों से बलवान है....
एक विधवा नारी अकेली अपना जीवन बिता लेगी पर पु्रुष झट से दूसरी शादी कर लेतें है....बहाना...रोटी पकती हो गई...
हाँ तो बात हो रही थी ....नारी के घर से अकेले निकलने की....
अगर बलात्कारी को सजा़ का डर हो...
woman have equal rights given by law and constitution but the society still believes in its own laws and woman are made to realize time and again that they are "second grade citizens "
ReplyDeleteांअपसे शत प्रतिशत सहम्त हूँ। बहुत अच्छा प्रश्न उठाया है। धन्यवाद।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा है आपने... ऐसे ही हमलोगों का हॉस्टल गेट शाम को ही बंद हो जाता था...कारण लड़कों का डर ...लड़कों की बदतमीजियों पर रोक लगाने के बजाय लड़कियों को शाम से ही हॉस्टल में बंद कर दिया जाता था...वो कोचिंग भी नहीं जा सकती थी ...विरोध करने पर कहा जाता था कि लड़कियाँ आवारा हो गयीं हैं.
ReplyDeleteआपने सही कहा कि बलात्कारी को क्यों नहीं रोका जाता है पर परेशानी ये है कि यह बात किसी के सर पर नहीं लिखी है कि वह बलात्कारी है तो अपराध होने से पहले पकड़ा किसे जाये और हर गली नुक्कड़ पर पुलिस मौजूद हो ये भी जरुरी नहीं है जो आप कि सुरक्षा करे इसलिए यदि रात में बाहर निकलना है तो अपनी सुरक्षा के लिए जो उपाय किये जा सकते है वो खुद ही करके निकले तो ही ठीक है | क्योकि कई बार होता ये है कि कुछ लोग अँधेरी रात, सुनसान रास्ते और किसी लड़की के अकेले होने पर छेड़ छाड़ और बलात्कार करने कि हिम्मत कर जाते है जबकि वो दिन में या भीड़ भाड़ में ऐसा करने कि सोच भी नहीं सकते तो ऐसे लोगों को कैसे पकड़ा जाये | और एक बात और कि लड़किया तो ऐसी घटनाओ से घर के अन्दर भी सुरक्षित नहीं है जो उनके अपनों द्वारा किया जाता है तो क्या उनका घर में भी रहना बंद कर दिया जाये निश्चित रूप से ये सम्भव नहीं है इसलिए अच्छा होगा कि उन्हें हर जगह अपनी सुरक्षा करना सिखाया जाये|
ReplyDelete“बलात्कारी के डर से घर से मत निकलो, ऐसा कहने की बजाए बलात्कारी को क्यों नहीं रोका जाता कि तुम बलात्कार न करो?!”
ReplyDeleteमैं इस कथन से सहमत नहीं हूँ. हम लोग अपने घर दरवाजों पर मोटे मोटे ताले लगते हैं चोरों के डर से. कोई चोरों से क्यों नहीं कहता कि तुम चोरी ना करो.
जैसे हम चोर को सिर्फ कहकर नहीं रोक सकते वैसे ही एक बलात्कारी को रोका नहीं जा सकता. रक्षा के उपाय तो करने ही होंगे. हो सकता हैं कि हम कड़े कानून बनाये पर क्या फिर भी बलात्कार शुन्य हो पाएंगे. तो क्या करना होगा? हमें अपना बचाव तो खुद ही करना पड़ेगा ना.
Kanoon se jyada ummeed nahi ki ja sakti.samaaj ko hi apni maansikta badalni hogi. lekin usse pahle kya hona chahiye isi par vichar hona chahiye.
ReplyDelete