*गंभीर विचार*
पिछले कुछ दिनों से एक बिना मतलब की छीटाकशी या निरर्थक बातों-लेखन से कुछ लोग न केवल अपना समय व्यर्थ कर रहे हैं बल्कि अपनी ओर दूसरों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ये अनुचित कार्यों की *अति* कर रहे हैं ,जो उचित नहीं है. यदि हमारी शक्ति अच्छे कार्यों-विचारों की तरफ जाये तो सही होगा.
सार्थक सोच या निरर्थक विचार
ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोये ,अपना तन शीतल करे, औरों को सुख होए.
अक्सर हर बात या वस्तु के दो पहलू होते हैं. अच्छा-बुरा, गलत-सही ,आनंद-विषाद, सत्य-असत्य, समझदार-नासमझदार, हार-जीत, होशियार- बेवकूफ, जानबूझकर-अनजाने में, इसी तरह और भी बहुत हैं. बुद्धिजीवी होकर भी कभी गलती हो जाती है और कभी अनजाने में अनचाही भूल कर बैठते हैं .पर जब जान-बूझकर कोई ऐसा काम लगातार किया जाये जो दूसरों के लिए अहितकर हो ,वेदना देनेवाला हो, नीचा दिखाने या चिढाने के लिए हो या घरेलू हिंसात्मक(बोली) प्रवृति लिए हो. तो ये सर्वथा वर्जित है. वास्तव में अक्षम्य हैं.
"सर्वप्रथम ऐसे कुछ गिने-चुने लोगों से सावधान रहें व अपना विवेक न खोएं क्योंकि उनका तो लेखन में या कार्यों में ऐसे कृतित्व से कोई वजन (वेट) ही नहीं है. वे अपने इन कुत्सित व गलत विचारों द्वारा दूसरों को केवल व्यग्र या क्रोधित करने की चेष्टा करते रहते हैं. ताकि उनपर दूसरे मनीषियों-माननीयों का ध्यान जाये. समझ लें ऐसे लोगों के पास वैचारिक शक्ति ही नहीं है कुछ अच्छा बोलने या सोचने की ,ध्यान न ही दें न कोई प्रतिक्रिया कभी भी जाहिर करें. संभवतः उनको स्वान्तः सुखाय का आनंद मिलता हो ,आप त्याग कर दीजिये उनके निरर्थक शब्दों को.
कथन कटु हो सकता है पर सत्य है. थोडा सा ज्ञान हासिल करके आजकल बहुतायत लोग बुद्धिमानों की श्रेणी में शामिल होने की चाहत रखते हैं पर जानकारी के अभाव में निरर्थक बातों या कामों से जानबूझकर अपने को बड़ा(ज्यादा महत्वपूर्ण) दिखाने के लिए बिना कुछ सोचे ऐसा करने की कोशिश करते हैं ,वे नहीं जानते कि ये उन्ही के लिए सही नहीं है।
क्या वे अपने से ही नजर मिला सकते हैं ? यदि अचानक सामने मिल जाएँ तो ?
महत्वपूर्ण - उनके पास सार्थक सोच ही नहीं होती वे ऐसा न मानें .हाँ निरर्थक विचार जो उनके मन में भरे पड़े हैं उसका उपयोग न करें .अपना मन-विचार श्रेष्ट कर्मों में लगायें ,तो न केवल उनका लेखन+ब्लॉग बल्कि जीवन भी सार्थक होगा. सभी उनको पढ़ना भी चाहेंगे।
स्वयं अपने व अपनों की नज़रों में बहुत ऊँचा उठ पाएंगे. अपनी योग्यता-बौद्धिक क्षमता को सही दिशा में लगाकर निश्चय ही उत्क्रष्ट्ता की ओर बढ़ेंगे व अपनी बुद्धिमत्ता सही स्वरूप में साबित कर सकेंगे.
हमारे भारत की परंपरा-संस्कार ये नहीं सिखाते कि अनर्गल प्रलाप ,गलत-अविवेकपूर्ण *शब्दों- द्रश्यों* का प्रयोग हम किसी के लिए भी न करें या गलत सोचें. किसी भी बात को सही तरह से कहा जा सकता है व उसका असर ज्यादा रहकर महत्वपूर्ण बनता है.
अपनी भाषा व कार्यों में शाब्दिक गरिमा-गौरव बनाये रखकर ही हमें आपस में एक-दूसरे का सम्मान करना सीखना ही होगा.
ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोये , अपना तन शीतल करे ओरों को सुख होए .
आपसी प्रतिद्वंदिता, *एक दूसरे का भेद-भाव* या नीचा दिखाने की कोशिश किये बिना क्यों न हम अपना ज्ञान, जानकारी, श्रेष्टता ,अनुभव सहयोग करें+बाटें. ज्ञातव्य है हमारे अधिकतर भाई-बहनें कर भी रहे हैं. परोक्ष-अपरोक्ष रूप में तो हम सब एक दूसरे से वैचारिक-मानसिक रूप में जुड़े हैं. विज्ञान के वरदान से इन्टरनेट बहुत अच्छा माध्यम बन चूका है. कुछ पहले समय तक तो हमें इतना बढ़िया मौका ही नहीं मिलता रहा है कि हम सब अपने विचार -मंतव्य आसानी से बाँट सकें.
संसार के अथाह ज्ञान सागर व मन की गहराई में तो जाने कितना विशाल भंडार -खजाना पड़ा है कि हम उसको सामूहिक समेटने व सामने लाने का प्रयास करें तो भी कम पड़ेगा पर हम सब कितने ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं सोच नहींसकते.
कोई भी किसी से कम ज्यादा नहीं है ,आपस में ही होड़ लेने की आवश्यकता नहीं होती ,सभी अपने-अपने क्षेत्र-कार्य में सर्वश्रेष्ट हैं. हाँ एक-दूसरे की कमियों-बुराइयों-पिछड़ी-पिछली बातों पर ध्यान न देकर कुछ प्रशंसनीय प्रयास किया जाना चाहिए जो हमारी ही योग्यता को प्रदर्शित न करे बल्कि दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा बने व हमें उन पर गर्व हो वे इसी के लिए प्रतिबद्ध रहें.
कबीर मन निर्मल भये जैसे गंगा नीर ,पाछे-पाछे हर फिरे कहत कबीर कबीर.
तात्पर्य हम अपना मन-दिमाग निर्मल-सही दिशा में रखें तो लोग स्वयं आपको पढना चाहेंगे. हम सभी लेखकों-लेखिकाओं समूह के लिए हम सभी की ओर से,
अलका मधुसूदन पटेल , *लेखिका -साहित्यकार*
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
copyright
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
Popular Posts
-
आज मैं आप सभी को जिस विषय में बताने जा रही हूँ उस विषय पर बात करना भारतीय परंपरा में कोई उचित नहीं समझता क्योंकि मनु के अनुसार कन्या एक बा...
-
नारी सशक्तिकरण का मतलब नारी को सशक्त करना नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट का मतलब फेमिनिस्म भी नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या ...
-
Women empowerment in India is a challenging task as we need to acknowledge the fact that gender based discrimination is a deep rooted s...
-
लीजिये आप कहेगे ये क्या बात हुई ??? बहू के क़ानूनी अधिकार तो ससुराल मे उसके पति के अधिकार के नीचे आ ही गए , यानी बेटे के क़ानूनी अधिकार हैं...
-
भारतीय समाज की सामाजिक व्यवस्था के अनुसार बेटी विदा होकर पति के घर ही जाती है. उसके माँ बाप उसके लालन प...
-
आईये आप को मिलवाए कुछ अविवाहित महिलाओ से जो तीस के ऊपर हैं { अब सुखी - दुखी , खुश , ना खुश की परिभाषा तो सब के लिये अलग अलग होती हैं } और अप...
-
Field Name Year (Muslim) Ruler of India Razia Sultana (1236-1240) Advocate Cornelia Sorabji (1894) Ambassador Vijayalakshmi Pa...
-
नारी ब्लॉग सक्रियता ५ अप्रैल २००८ - से अब तक पढ़ा गया १०७५६४ फोलोवर ४२५ सदस्य ६० ब्लॉग पढ़ रही थी एक ब्लॉग पर एक पोस्ट देखी ज...
-
वैदिक काल से अब तक नारी की यात्रा .. जब कुछ समय पहले मैंने वेदों को पढ़ना शुरू किया तो ऋग्वेद में यह पढ़ा की वैदिक काल में नारियां बहुत विदु...
-
प्रश्न : -- नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट {woman empowerment } का क्या मतलब हैं ?? "नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट " ...
नारी को एक साल पूरा करने की बधाई।
ReplyDeleteशानदार पोस्ट
ReplyDeleteवाकई गंभीर विचार।
ReplyDeleteशुक्रिया।
सटीक विचार लिए रचना |
ReplyDeleteआशा
Sahmat.
ReplyDeletesehmat
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट |
ReplyDelete