नाम सुषमा
उम्र ५० साल
शिक्षा बी कॉम
विवाहित ३ बच्चे १ लड़का उम्र २२ साल , २ लड़का उम्र १८ साल , ३ लड़की उम्र १६ साल पढ़ रहे हैं
पति का अपना व्यवसाय
पति के साथ अब और नहीं रह सकती , पति के साथ बहुत सी समस्या जो शादी के समय से अब तक बढ़ ही रही हैं । मायके मे कोई साथ देने वाला नहीं , पति किसी के साथ भी बात नहीं करते । पत्नी का एक अन्य स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध भी रह चुका हैं । पति रोज सहवास कि कामना रखते हैं । पति चाहते हैं कि सुषमा केवल और केवल वही करे जो पति कहते हैं । सुषमा का कहना हैं को मैने २५ विवाहित जीवन वही किया जो पति ने कहा अब और नहीं सहा जाता , मेरी सेहन शक्ति चुक गयी गयी हैं । मै शारीरिक सम्बन्ध नहीं अब रखना चाहती । मै घर मे रहना चाहती हूँ पर पति से अलग ॥
सुषमा के पास क्या क़ानूनी अधिकार हैं अगर कोई इन पर जानकारी दे सके तो ये जानकारी सुषमा को पंहुचा डी जायेगी । इसके अलावा सुषमा को "करना " क्या चाहिये अगर इस विषय मे भी कोई अपनी राय देना चाहे तो ये ध्यान दे कि १० साल पहले जब सुषमा इसी प्रकार कि स्थिति मे थी तो सब ने ये कहा था कि पति के साथ निभाओ , उसका ज्यादा ध्यान रखो , जब वो रुपया पैसा सब देता हैं तो अब तुमको अपने बच्चो के बारे सोचना चैये अपने बारे मे नहीं और सुषमा ने वही किया लेकिन अब वो इस बात को नहीं सुनना चाहती हैं ।
नाम अनामिका
उम्र 45 साल
शिक्षा बी ऐ
अविवाहित दो पुत्रिया दोनों नौकरी कर रही हैं
पति कोई काम नहीं करते
अनामिका के पति बहुत सालो से कोई काम नहीं करते । वो क्या चाहते हैं अनामिका को समझ ही नहीं आता हैं । इस समय कि परिस्थिति मे घर मे जो भी पैसा था उसको खर्च कर चुके हैं और अब उनकी डिमांड हैं कि जो एफ डी अनामिका कि बेटियों के नाम हैं वो भी तुडवा कर उनको दे दी जाए । सुबह से पति घर से चले जाते हैं , दोपहर को आते हैं जम कर खाना खाते हैं और अगर मन पसंद खाना ना बने तो बाय बवेला मचाते हैं । घर मे ससुर हैं तो तलक शुदा बेटी के साथ रहते हैं पर घर एक होते हुए भी सबकी गृहस्थी अलग हैं ।
इस बार अनामिका के एफ डी ना देने पर उन्होंने आत्म हत्या कि धमकी दी हैं और ये भी कहा हैं कि वो दोनों लड़कियों और अनामिका का नाम सुसाइड नोट मे लिख जायेगे ।
अनामिका और उसकी बेटिया अब अलग रहना चाहती हैं क्या सही हैं उनके लिये , क्या कोई क़ानूनी राय इस ब्लॉग के माध्यम से दे सकता हैं । अनामिका को और भी राय चाहिये कि वो क्या करे क्युकी वो किसी से भी खुल कर इस विषय मे बात नहीं करना चाहती हैं
अपनी राय दे
ये ध्यान रखते हुए कि ये दोनों सत्य घटनाये और जीवित पात्र हैं
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
May 13, 2010
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अच्छी पोस्ट है...
ReplyDeleteइस बारे में विवाहित लोग ही बेहतर राय दे सकते हैं...
इन दोनों ही मामले में समाधान कानूनी से ज्यादा सामाजिक और स्वास्थ्य आधारित करने की आवश्यकता है / सहवास की इक्षा स्त्री हो या पुरुष दोनों में होती है और यह बुडी बात भी नहीं है ,लेकिन रोज सहवास या किसी अन्य स्त्री से सहवास के लिए नाता जोरना निश्चय ही मानसिक विकृति और कमजोरियों को दर्शाती है / इसका समाधान ,स्त्री, पति को बेहद भावनात्मक और शारीरिक समर्पण के जरिये भी कर सकती है और दूसरा समाधान चिकित्सा का है ,किसी अच्छे मनोचिकित्सक से दिखाया जा सकता है / रही पति के काम नहीं करने की बात तो इसके भी शारीरिक,भावनात्मक और सामाजिक कारण हो सकते हैं / इन दोनों मामलों में अगर इमानदार मध्यस्थ हो तो समाधान आसानी से निकाला जा सकता है ,लेकिन अगर इन मामलों पे किसी कुटिल या दुष्ट मध्यस्थ का नजर पर जाय तो ये समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है /
ReplyDeleteदोनो की समस्याएं हल होने योग्य हैं , साहस दिखाना पड़ेगा ।
ReplyDeleteअकर्मण्य पति की हरकतोँ का बयान पत्नी व बेटियाँ कोर्ट मे दर्ज करा देँ । PO भी ऐसे मामले निपटाता है । जो स्त्री
दूसरे पुरुष से सम्बन्ध रख सकती है वह अपने पति से तलाक ले या परपुरुष त्यागे या जेल जाए ।
सुषमा और अनामिका दोनों की समस्याएं गंभीर हैं ! इन दोनों महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों के लिए तो कोई वकील ही समुचित राय दे सकता है लेकिन एक सामाजिक व्यक्ति और महिला होने के नाते मैं उनसे इतना अनुरोध तो कर ही सकती हूँ कि अपने आत्म सम्मान को बरकरार रखते हुए एक साधिकार व्यवस्थित जीवन जीने का उन्हें पूरा हक है जिसे कोई नहीं छीन सकता ! सुषमा को अपने बेटों को अपने विश्वास में लेना होगा ! बड़े दोनों बेटे इस योग्य तो हैं ही कि अपनी पढाई पूरी होने तक ट्यूशंस या अन्य कोई काम करके अपनी माँ की ज़रूरतों व छोटे भाई की पढाई का खर्च जुटा सकें ! पति कितना भी चरित्रहीन या निरंकुश हो अपने दायित्वों से मुंह मोड़ने की इजाजत उसे क़ानून नहीं देता अत: पत्नी और बच्चों के भरण पोषण की जिम्मेदारी तो उसे उठानी ही होगी ! अगर सीधी तरह से बात ना बने तो फैमिली कोर्ट में जाकर मामले का समाधान ढूँढा जा सकता है ! लेकिन इस तरह बातें उजागर होने पर परिवार की प्रतिष्ठा पर आँच आ सकती है !
ReplyDeleteअनामिका अभी जिस अवस्था में हैं उन्हें अपनी जीविका के लिए किसी भी प्राइवेट संस्थान में नौकरी मिल सकती है ! उनकी दोनों पुत्रियां विवाहित हैं अत: उन पर पति के अत्याचार सहने के लिए विवश होने का कोई कारण नहीं है ! पति की धमकियों से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है ! जो गरजते हैं वो बरसते नहीं ! स्थितियां यदि अनुकूल ना बनें तो वे भी फैमिली कोर्ट का सहारा ले सकती हैं अथवा कानूनी पचडों में ना पड़ना चाहें तो वर्किंग वीमेंस हॉस्टल में रह सकती हैं ! पुत्रियां अवश्य उनका समर्थन करेंगी !
सुषमा और अनामिका दोनों की समस्याएं गंभीर हैं ! इन दोनों महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों के लिए तो कोई वकील ही समुचित राय दे सकता है
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