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इससे पहले आपका अनुभव कितना और कहाँ का रहा ?
इतने अनुभवी और सीनियर सदस्यों को आप कैसे बाईपास सकती हैं ?
रचना जी क्यों हट गईं ?
क्या आप छ्द्म नाम से रचना जी ही हैं ?
आदि सवालों का जवाब दिया जाय,
लेखक लिखता हैं हम पढ़ते हैं पर इस प्रकार के कमेन्ट देना किस परम्परा का द्योतक हैं ? क्या इस ब्लॉग जगत मे कोई सेटिंग हैं जिसके तहत हम सब की जवाब देही विवेक जी को हैं ।
नारी ब्लॉग से विवेक जी का कोई लेना देना नहीं लगा था जब मैने २००८ में इसकी सदस्यता ली थी । फिर मेरी पोस्ट पर विवेक जी क्या ये दर्शाना चाहते हैं की वो पुरूष हैं और इस लिये जिसको चाहे प्रश्नं के घेरे मे ले सकते हैं ?
एक साल मे हिन्दी ब्लॉग बहुत पढे हैं पर किसी भी पोस्ट पर इस प्रकार का बेहूदा पन नहीं दिखा कमेंट मे । बात शब्दों की नहीं हैं बात हैं किस अधिकार के तहत ये प्रश्न मेरी पोस्ट पर किया गया जिसको सामयिक भी कहा गया हैं बाद मे आने वाले कमेन्ट मे ।
जानती हूँ की नयी हूँ पर ब्लॉग लेखन क्या हैं और कैसे करना हैं इस विषय मे जवाब देही देने से तो अच्छा हैं की ब्लॉग ही बंद कर दिया जाए
मेरी पोस्ट जहाँ ये प्रश्न हैं उसका लिंक हैं
विवेक जी की तो इस तरह की भाषा इस्तेमाल करने की आदत हो गई है। अन्यथा न लें। वे बस आप का पूरा परिचय और रचना के पलायन का कारण जानना चाहते हैं। और पाठक हैं जी कुछ भी कह सकते हैं। अच्छा न लगे तो मॉडरेशन है ही काहे के लिए।
ReplyDeleteविवेक सिंग एक स्वयंभू मठाधीश ब्लागर की शह पर अपने पंख पसारे अपने आपको ब्लागजगत का मसिहा माने बैठे हैं और उनके गुरु उन्हें अपना संरक्षण देकर खुश रहते हैं.
ReplyDeleteतय करना हो तो आज की चिट्ठा चर्चा का मंच और टिप्पनी देख लिजिये.
आपने अच्छा किया कि इनका प्रश्न इस लहजे में लौटाया.
आप इत्मिनान से लिखिये, इन दो सज्जनों से ब्लागजगत नहीं चल रहा है, यह बात इनको पता होना चाहिये.
आप बे सिर पैर की बातों पर इतने गंभीर और सजग मंच को बंद करने की बात न करें- यह मेरा निवेदन है. आपका स्वागत है नये सूत्रधार के रुप में.
ReplyDeleteसमीर जी सही कह रहे है "आप बे सिर पैर की बातों पर इतने गंभीर और सजग मंच को बंद करने की बात न करें-"
ReplyDeleteउनके आका आ रहे होंगे विवेक सिंह की तरफदारी करने के लिये। स्वागत की तेयारी कर लिजीये।
ReplyDeleteचलिए, इसी बहाने एक और ब्लोगर की टी आर पी ऊपर चली गई ! बधाई !!
ReplyDeleteकिसी बात का बुरा न माने .. मैं तो शुरूआत में बुरा मान जाती थी .. पर अब असर ही नहीं होता .. अपनी सफाई देकर निकल जाती हूं .. आप तो इतने दिनों से ब्लागिंग में हैं .. जहां चार बर्तन होंगे .. खडकेंगे ही !!
ReplyDeleteसंगीता जी ने सही कहा है हम लोग छोटी -2 बातों मे अपनी ऊर्जा ना जाया करें आप लिखती रहें बस शुभकामनायें
ReplyDeleteअब मै क्या बोलू सब हमारे गुरुदेव लोग बोल गए नई तो कुछ बोलने से डरता हूँ क्युकी मुझे पता है गरीब की लुगाई गाव भर की भौजाई , कही कुछ बोल दिया दिया तो मेरे से ही कल कोई जवाब सवाल कर सकता है :)
ReplyDeleteपहले विवेक सिंह से पूछा जाये कि उनका अनुभव कितना है?
ReplyDeleteफिर भी आपने काफी संयम बरता है जो विवेक जी लिखा है .:) धन्यवाद
ReplyDeleteविवेक सिंग हनुमान भक्त हैं, मंगलवार को चिठ्ठाचर्चा भी बांचते हैं। इन्हें इस तरह की उछलकूद करने का पूरा अधिकार हैं। इनकी तो इसी तरह की भाषा इस्तेमाल करने की आदत हो गई है। इन्हें अन्यथा न लें। कोई भी इन्हें अन्यथा नहीं लेता।
ReplyDeleteस्वयंभू मठाधीश ब्लागर चैंगड़ा मूडते इसीलिये हैं कि समय पर काम आ जावे।
आपका स्वागत है नये सूत्रधार के रूप में।
विवेक जी या किसी अन्य 'जी' को कोई अधिकार नहीं है किसी भी तरह का सवाल पूछने का.. लेकिन आजकल टीआरपी बढ़ाने के लिए मौज लेना एक परंपरा सी हो गई है हिन्दी ब्लॉगिंग में.. आप भी नाहक ही तथाकथिक 'जी' हुज़ूरों की टीआरपी बढ़वा रही हैं.... इस सशक्त मंच को मजबूत कीजिए, अपनी रचना धर्मिता के सहारे.. 'जी' हुज़ूरों का विवेक खुद ब खुद जागेगा।
ReplyDeleteऔर बिना फ़ीस के एक सलाह मुफ़्त मे दे रहा हूं। मानना ना मानना आपकी मर्जी पर है।
आप कृपया ऐसे लोगों को भाव ना दे..इस तरह उन पर पोस्ट लिखकर आप उनका प्रचार ही कर रही हैं और वो समझने लगे हैं कि वो कोई बहुत बडे रचना धर्मी या ब्लागर हैं. जबकि असली औकात वो भी जानते हैं कि वो क्या हैं?
अभी वो इतने बडे नही बने कि आपकी मौज ले सकें...उनका अभी शैशव काल ही है जिसमे वो दो बार टंकी पर उपर नीचे हो चुके हैं. उनको प्रचार पाने के दो ही साधन मिले हैं..टंकी पर चढो... उतरो....और किसी नाम चीन ब्लागर पर लांच्छन लगावो या उसको बेइज्जत करो...
ये ऐसे लोग हैं जो चाहते ही नही है कि कोई हिंदी ब्लाग जगत मे आकर हिंदी की सेवा करे। ये किसी को पैर जमाने ही नही देते..बल्कि जमे जमायों को उखाड फ़ेंकना ही इनका काम है। और शह भी है। हिंदी ब्लागिंग मे ये फ़ूट डालकर ग्रुप बनवा रहे हैं और कुछ नही है।
ऐसे लोगों का बहिष्कार ही एकमात्र उपाय है।
कोई भी मंच हो, तब तक ही चलता है जब तक एक पीढ़ी अपनी अगली पीढ़ी तैयार करती रहती है. तो रचनाजी ने भी आगे का काम किसी को जिम्मे डाल दिया है, कोई गलत नहीं किया. अब आपकी जिम्मेदारी इसे ज्यादा मजबुत करने की है. हमारी शुभकामनाएं.
ReplyDeleteआप एक टिप्पणी पर ब्लॉग बन्द करने की सोच रही है, ऐसे में प्रश्न उठता है रचनाजी ने सही व्यक्ति का चुनाव किया है? थोड़ा साहसी बनिये.
आप बे सिर पैर की बातों पर इतने गंभीर और सजग मंच को बंद करने की बात न करें- यह मेरा निवेदन है. आपका स्वागत है नये सूत्रधार के रुप में.
ReplyDeleteise hi meri bhi tippni samjhi jay.
हो सकता है कि आपको विवेक जी का प्रश्न आपत्तिजनक लगा हो.. मगर इस तरह तुनक कर तुरत पोस्ट ठेलना मुझे आपकी विवेकशीलता का प्रदर्शन तो नहीं लग रहा है..
ReplyDelete"बेहूदा पन" शब्द का जिस तरह प्रयोग आपने किया वह भी मर्यादा के तहत स्वीकार्य नहीं है..
विवेक जी का पहला सवाल मुझे जायज नहीं लगा..
दुसरे सवाल की बात करें तो अगर किसी का कोई निजी ब्लौग है तो वह सवाल जायज नहीं है.. क्योंकि निजी ब्लौग कोई किसी को भी सौंप दे वह उसकी मर्जी.. मगर एक कम्यूनिटी चिट्ठे कि बात करें तो सर्वसम्मती से ही किसी को किसी ब्लौग का मुखिया बनाया जाना चाहिये.. सो दुसरा सवाल मुझे गलत नहीं लगा..
तीसरा सवाल किसी भी जिज्ञासु पाठक के मन में आ सकता है..
अंतिम सवाल कुछ विवादास्पद है, सो मैं उसके बारे में बात नहीं करूंगा..
आपने कहा "फिर मेरी पोस्ट पर विवेक जी क्या ये दर्शाना चाहते हैं की वो पुरूष हैं और इस लिये जिसको चाहे प्रश्नं के घेरे मे ले सकते हैं ?" मुझे समझ में नहीं आया कि यहां स्त्री-पुरूष का राग अलापने कि जरूरत क्यों आन पड़ी? यह सारे प्रश्न अगर कोई स्त्री आपसे पूछती या फिर कोई स्त्री किसी पुरूष से उसके ब्लौग पर पूछती तो भी क्या आपकी यही प्रतिक्रिया रहती?
विवेक जी,
ReplyDeleteआप को ब्लागर जगत का ठेका कब से मिला है, या आप खुद ही ठेकेदार बन बैठे हैं, कि किस ब्लॉग के लिए सूत्रधार की क्या योग्यता होनी चाहिये ? कौन सी डिग्री चाहिए? कितना अनुभव होना चाहिए.
( ये ठेकेदारी बात कुछ दिन पहले मेरी नजर में आई थी, शायद आप में से ही कोई था लिखने वाला. उसी समय सोचा कुछ लिखूं लेकिन कोई फायदा नहीं. वैसे अच्छे कामों का ठेका दिया नहीं जाता है. गांधीजी ने जब स्वतंत्रता के लिए जंग शुरू कि तो उन्हें किसी ने ठेका नहीं दिया था. सुभाष चन्द्र बोस को भी किसी ने सेहरा बांध कर आजाद हिंद फौज के सेनापति नहीं बनाया था. )
इसके अलावा भी कई ब्लॉग है उनमें में झांक आइये और उनकी तहकीकात कीजिये.
रचना के कुछ व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं, इससे अलग होने के , अपने बिजनेस से सम्बंधित काम हो सकते हैं. कमान कोई भी सभांल ले , लेखन होना चाहिये और वह भी विचारात्मक. ये समाज जिसमें हम रहते हैं, हमारी ही धरोहर है और उसको सहेज कर रखना भी हमारा काम है, इसके हित में हम सब प्रयासरत हैं, व्यंग और मजाक भी इसके ही हिस्से हैं, सबका स्वागत है. बस व्यक्तिगत आक्षेप से सारा लेखन दूर रहे तो इससे अच्छी कोई विधा नहीं है. जब जी चाहा कुछ भी लिखा और डाल दिया. ये लेखन अगर सार्थक विषय पर हो तो उससे अच्छा और कुछ हो ही नहीं सकता है.
पिछले पूरे एक साल के ब्लॉग देख ले और फिर बताये क्या किसी भी ब्लॉग लेखिका
ReplyDeleteने किसी भी ब्लॉग पर इस प्रकार की टिपण्णी डाली हैं ??? बहुत जरुरी हैं ये बताना
क्युकी इस से ही पुरुष और स्त्री ब्लॉग लेखक का फरक पता चलता हैं . इस के अलावा ये नारी
ब्लॉग हैं और हम यहाँ बार बार उसी बात को रखेगे जहां हमे अपने ऊपर दबाव महसूस होगा
और पी दी आप ये भी बताये की इस प्रकार के सवालों का क्या औचित्य हैं नारी ब्लॉग पर
मै किसी पूर्वाग्रह के साथ नहीं आयी हूँ लेकिन नारी ब्लॉग की पहली से आखरी पोस्ट पढ़ कर आयी हूँ . हर टिपण्णी पढ़ी हैं और उस पर दिया हर लिंक भी देखा हैं . बाकी रेखा जी की बात पर जरुर ध्यान दे
और संजय जी मै रचना की उतराधिकारी नहीं हूँ सो उनमे जो हैं मुझमे न होगा कुछ समय के
लिये मै केवल नारी ब्लॉग की सूत्रधार हूँ आप की बातजरुर याद रखूँगी पर इतना साहस क्यूँ चाहिये
ब्लॉग चलाने के लिये ????
सुमनजी सफ़ाई न दें बस लेखन और संचालन करें और न ही ऐसी बातों को तूल दें।
ReplyDeleteशुभेच्छु
प्रेमलता पांडे
suman...kisi ko safai dene ki zaroorat nahi hai. aap kam karti rahein. jinhe sehyog karna hoga vo hamesha sath hain..baki sab chata rehta hai..zayda sochne ki zaroorat nahi hai.
ReplyDeleteसुमन,
ReplyDeleteसभी लोगों के सुझाव सही हैं, अपने काम को सुचारू पूर्वक करते रहिये. ये तो लोग हैं और कुछ न कुछ तो कहेंगे ही, जितना इनको उत्तर देंगे न , उतने ही फिर सवाल इसलिए अपना उत्तर तो अपना काम ही होगा.