अलबेला खत्री आप हिन्दी ब्लॉग जगत की लेखिकाओ के प्रति जो शब्द इस्तमाल कर रहे हैं मुझे आपति है और ये एक
प्रकार का सेक्सुअल हरासमेंट हैं । हिन्दी ब्लॉग जगत मे पहले भी लेखिकाओ के प्रति इस प्रकार की भाषा का प्रयोग हुआ हैं और तब भी आपति हुई हैं ।
जेंडर बायस ना फैलाये हिन्दी ब्लॉग जगत मे अलबेला खत्री जी क्युकी हमने इसको दूर करने के लिये बहुत परिश्रम किया हैं
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
July 29, 2009
जेंडर बायस ना फैलाये हिन्दी ब्लॉग जगत मे अलबेला खत्री जी क्युकी हमने इसको दूर करने के लिये बहुत परिश्रम किया हैं
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कैसे अश्लील शब्दों को सामाजिक (यहाँ ) मान्यता मिल जाती है सभ्य लोगों के बीच ..उन्हें असहमति दर्ज करवानी थी तब भी श्लील शब्दों का प्रयोग कर सकते थे.मेरी भी आपति दर्ज की जाये.
ReplyDeleteसाथ ही चेतावनी भी देदी जाती तो अच्छा था, 'नारी का सम्मान करें, अन्यथा नारी शक्ति' से आपका परिचय कराया जायेगा, अधिक फिर कभी कहूँगा फिलहाल तो आपने भी कम शब्दों में ही बहुत कुछ कहा है,
ReplyDeleteमेरी भी आपति दर्ज की जाये,
सबसे पहले इन महाशय के अपशब्दों के खिलाफ मेरी भी सख्त आपत्ति और विरोध दर्ज किया जाए। इसके बाद मुझे कहना है कि ऐसी मानसिकता से लड़ने के लिए ही हम महिला ब्लॉगर मैदान में डटी हुई हैं। और इन चंद हल्के, ओछे, अभद्र शब्दों से डर कर चुप रहने वाले हम नहीं। अपने विचारों को तर्कों और व्यवहार से सही साबित करने का अभियान जारी रहे।
ReplyDeleteऐसी बातों से भला किसको आपत्ति न होगी .. अपने अपने विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबों को है .. चाहे वे पुरूष हो या नारी .. पर अश्लील शब्दों का प्रयोग अनुचित है .. ये सभ्य लोगों का मंच है ।
ReplyDeleteहम तो इस ओछी हरकत की निन्दा ही करेंगे,
ReplyDeleteऐसे शब्दों का इस्तेमाल किसी तरह भी सही नहीं कहा जा सकता !
ऐसे बढ़िया हाय कवि/कलाकार से ये उम्मीद ना थी, पिछली एक दो पोस्ट में उन्होने जो कुछ लिखा देखकर घिन तो आई ही आपके प्रति जो सम्मान था वह भी कम ही हुआ।
ReplyDeleteआप जैसे वरिष्ठ कवि- ब्लॉगर को बी आर पी बढ़ाने के ये नुस्खे शोभा नहीं देते।
लिखने की यहाँ सबको स्वंत्रता है .पर शब्द वह हो जो किसी को आहत न करें ...आप जो भी लिखते हैं वह आपके व्यक्तित्व का आईना होते हैं ..आपकी सोच और उसकी सीमा को दर्शाते हैं ....इस तरह के शब्दों के प्रति मेरी भी असहमति दर्ज की जाए ..
ReplyDeleteकाश कि हिन्दी ब्लॉग जगत का लेखन लिंग, जाति, मजहब, पेशे की संकीर्णताओं से ऊपर उठे और इस तरह के लेखन से बचते हुए कुछ सार्थक किया जाए... आमीन।
ReplyDeleteसागर भाई से सहमत,अलबेला खत्री जैसे हास्य कवि को अपने ब्लॉग की TRP बढ़ाने के लिये INDIA TV जैसे तरीके अपनाने की जरूरत नहीं है, पहले भी वे ब्लॉगरों के नाम लेकर चुटकुले बनाकर हास्य पैदा करने की कोशिश कर रहे थे… उन्हें सिर्फ़ अपनी हास्य व्यंग्य रचनायें ही देना चाहिये, इस प्रकार की घटिया भाषा या हेडिंग देने का कोई औचित्य ही नहीं है…
ReplyDeleteगलत, अश्लील बातों और असमाजिक बातों से किसे आपत्ति नहीं होगी ...ये अनुचित है
ReplyDeleteऐसे संबोधनों से नारी का सम्मान कैसे कायम रहेगा -- ये बताएं -
ReplyDeleteनारी ही नारीयों का बुरा करतीं हैं
ये भी सच है
परंतु,
२१ वीं सदी के पुरुषों से ये अपेक्षा रखनी भी जायज है कि, नारी दमन या नारी के अपमान सूचक शब्दों और व्यवहार को
अपने मन से निकाल कर,
सदा के लिए ,
तिलांजलि दे देवें --
नारी समाज से भी यही आशा करें -
नारी का सम्मान कीजिये -
पुरुषों और नारियों के बीच चला आ रहा ये विवाद , अब ख़त्म करें --
- लावण्या
बिलकुल सही कहना है आपका, ब्लकी मै तो यहा तक कहना चाहुंगा कि इस प्रकार के ब्लागर के खिलाफ सख्त कार्यवाइ की जानी चाहिये ताकी एसा कोई और ना कर पाये।
ReplyDeleteआपत्ति भी विरोध भी है !
ReplyDeleteइस तरह की मानसिकता और शब्दों के उपयोग के विरुद्द मेरी भी आपत्ति है
ReplyDeleteदुखद है .....
ReplyDeleteअश्लील शब्दों का प्रयोग अनुचित है, such people should not be forgiven!
ReplyDeleteकाश कि हिन्दी ब्लॉग जगत का लेखन लिंग, जाति, मजहब, पेशे की संकीर्णताओं से ऊपर उठे . aasheeshji ki baat se sahmat..
ReplyDeleteमैंने यहां पर http://albelakhari.blogspot.com/2009/07/sunaya-tha.html आपत्ती दर्ज की थी । तो मुझे ये http://albelakhari.blogspot.com/2009/07/blog-post_4635.html जवाब मिला था । आज आपके पोस्ट से मुझे मजबूती मिली है ।
ReplyDeleteउनकी दोनों पोस्ट सरसरी निगाह से देखी थी और नजर में खटकी भी थीं।
ReplyDeleteअलबेला खत्री जी के अन्य लेखन को देखते हुये उम्मीद है कि वो सम्भवत: अनजाने में हुयी इस (गलती तो नहीं, अलबत्ता Letting his guard down) को अवश्य विचारेंगे।
अलबेला जी को नियमित पढ़ता हूँ और कमेंट भी करता हूँ... पर ये पोस्ट देख मुझे हैरानी हुई.. मैने दो तीन बार समझने की कोशिस की... मुझे लगा शायद मैं कोई बात पकड़ नहीं पा रहा.. पर आपकी पोस्ट से मुझे लगा की मैं गलत नहीं समझ रहा...
ReplyDeleteमुझे भी ये उम्मीद नहीं थी..
मेरी भी आपति दर्ज की जाये..
कौन यहाँ नर?
ReplyDeleteनारी कौन?...
शब्द ब्रम्ह के सभी उपासक,
सत-शिव-सुन्दर के आराधक.
मन न दुखाएँ कभी किसी का
बेहतर है रह जाएँ मौन.
कौन यहाँ नर?
नारी कौन?.....
खुसरो मीरां में क्या अंतर?
दोनों पढें प्रेम का मंतर.
सिर्फ एक नर- परम-आत्मा
जाने आत्मा नारी जौन.
कौन यहाँ नर?
नारी कौन?.....
कलम का कमाल यही की जो कहना चाहे इस तरह कहे कि कलाम से किसी को मलाल न हो.
शक्ति-सम्मान का सिपाही मैं भी
अलबेला से ये उम्मीद तो कतई नहीं थी. पोस्ट तो वाहियात है ही ... लेकिन पता नहीं आप में से कितने लोगों का ध्यान उनकी इस पोस्ट के लेबल्स की और गया . .... घोर आपत्तिजनक शब्द उन्होंने इस पोस्ट के लेबल में लिखे हैं.
ReplyDeleteहवा मगरूर दरख्तों को पटक जाएगी .
ReplyDeleteबचेगी शाख वही जो कि लचक जाएगी.
शब्दों के बरतने में संयम जरूरी है!
is naari ka apman karne wale ka hamen apni saamarthay anusar bahishkar karna chahiye
ReplyDeleteनिश्चित ही आपत्ति योग्य बात है. नर हो या नारी, सम्मान आवश्यक है. शब्दों के चयन हमेशा ही ऐसा हों, कि कोई भी अपमानित न हो.
ReplyDeleteमैं आपसे सहमत हूँ, एवं अपनी आपत्ति दर्ज करता हूँ.
मैंने भी अपनी आपत्ति वहां दर्ज करा दी है -यह अशोभनीय है !
ReplyDeleteसख्त आपत्ति और विरोध दर्ज
ReplyDeleteआपत्ति दर्ज की जाये ...!!
ReplyDeleteअलबेला खत्रीजी ने लोगों के ध्यानाकर्षण के लिये बहुत सस्ती भाषा का प्रयोग किया था। इस ब्लाग पर टोंके जाने पर उन्होंने अपनी वो पोस्ट हटा ली। सजग टोंकाई के लिये रचनाजी और अन्य साथियों को बधाई!
ReplyDeleteमैंने अलबेला जी की वह पोस्ट नहीं पढ़ी थी जिसका जिक्र हो रहा है - और पढ़ भी नहीं पाउँगा क्योंकि वह हटा ली गयी है । नारी ब्लॉग का आभार । इतनी सजगता से क्या कुछ भी अवांछित हो सकेगा? शायद नहीं, यदि इसी तरह एक स्वर से समर्थित होता रहे सब कुछ ।
ReplyDeleteअफ़सोस है। अनूप जी से सहमत हूं।
ReplyDeleteमैं तो अभी तक यही समझती थी कि हर वह बुद्धिजीवी जो लिखता है और संवेदनशील ह्रदय रखता है, कभी किसी पर आक्षेप नहीं लगा सकता है, उसका अपमान नहीं कर सकता है. ये तो सिर्फ लोगों के व्यवहार से ही नहीं बल्कि ऐसी कृतियों से तो हम सभी इस के शिकार हो गए. लिखिए लिखना आपका हक है लेकिन मर्यादित लेखन ही रचना धर्म है. सच सब लिखते हैं लेकिन इस कलम की एक मर्यादा होती है. जाति या वर्ग पर कीचड़ उछालने से लिखने वाले का ही मुंह काला हुआ.
ReplyDeleteनारी किसी से कम नहीं है, इसके लिए इतिहास साक्षी है. अपने सम्मान और सुरक्षा वह बखूबी कर सकती है. भविष्य में ये पुनरावृत्ति न हो किसी के द्वारा इसके लिए इतना विरोध काफी है. स्तरहीन लेखन से सस्ती लोकप्रियता ही हासिल की जा सकती है. सम्मान नहीं.
lekhan se lekhak ki soch ujagar haoti hai.....waise bhi us lekhan ka kya fayda jaha mryaada ka bhi ulangan ho....
ReplyDeleterachana ji....apne sabhi ka dhyaan akrshit karaya hai...aap ko sadhuwad
jo bhi likha gaya hai....bahut hi sharmnaak hai....
dair se apni aapti jatane ke liye maafi chahungi
वाकई दुखद ओर गलत बात है...
ReplyDeleteअलबेला खत्री ने सुनियोजित ढंग से एक दुस्साहसिक कृत्य किया था। विरोध भरी तमाम टिप्पणियां पाकर उनकी यह मंशा पूरी हुई। इसे इग्नोर किया जाना ही उचित था।
ReplyDeletemai bhi aapati darj karata hu .......shabda aise hone chahiye ki kisi ko aghata na pahuche ....
ReplyDeleteकोई बात नहीं....महानुभाव ने अपने संस्कार और चरित्र का ही सार्वजानिक प्रदर्शन किया है......यह अच्छा ही है...कम से कम इसी बहाने इनकी सोच को जानने समझने का अवसर तो हमें मिला......
ReplyDeleteइनके कार्यकलाप/रचनाशीलता का यही स्तर यदि इन्होने रखा तो भविष इन्हें दिखायेगा की ये कहाँ खड़े हैं.....
बाकी जिनकी ऐसी सोच है वे तो पवित्र सोचने से रहे, भले इन्हें लाख चेताया जाय....
रचना जी, आपका बहुत बहुत आभार इस मुद्दे को इतनी शिष्टता से उठाने के लिए...
कार्यवश भारत से बाहर हूँ पर उस पोस्ट
ReplyDeleteको पढ़ कर अपने को रोक ना सकी और नारी ब्लॉग पर पोस्ट लिखी . लेकिन यहाँ ये बताना जरुर्री हैं की पहले मेने और एक और महिला ने उनके ब्लोग्पर कमेन्ट करके अपनी आपत्ति दर्ज करा दी थी जो की मोदेराते होगया . इस लिये
सार्वजनिक रूप से आपति दर्ज करना पडी
ब्लॉग जगत का आभार की उन्होने भी एक सुर से आपति दर्ज की
धन्यवाद दे कर पराया कर दूंगी तो वक्त बेवक्त किस को कहुगी की आप की जरुरत हैं साथ दे
also i am greatful to blogvani who immediately acted on my mail and put albelas blog in RRATED .
timely action did help and lovely and anuradha , sagar nahar and ashsish your moral supprt even when i was miles away was too good to be true
मैं असमंजस में हूँ क्योंकि मुझे पता ही नहीं है क्या हुआ, दुर्भाग्यवश मैं वो पोस्ट नहीं पढ़ पायी. लेकिन आप सबकी टिपण्णी से इतनी बात ज़रूर समझ में आई की अलबेला जी ने बहुत ही आपत्तिजनक बात कही है. ख़ुशी की बात यह है कि उनका और उनके लेख का बहिष्कार किया गया....
ReplyDeleteयह एक अच्छा सबक है उनके लिए जो बिना सोचे समझे कुछ भी कह जाते हैं....
और उससे भी बड़ी बात यह है कि एकता नज़र आई है...जिसने हमें और संबल दिया है..
रचना जी बहुत बहुत धन्यवाद ...
देर से आया लेकिन गलत तो गलत है और मैं पुरजोर अलबेला खत्री जी की हरकत का विरोध करता हूँ. मेरी आपत्ति इस तरह के हर लेखन के लिए, जिससे किसी का अपमान होता हो, दर्ज मानी जाये.
ReplyDeleteहिंदी हास्य कवि अलबेला खत्रीजी
ReplyDeleteआपके ब्लॉग के लेख पर पाठिकाओं-पाठकों को गंभीर आपत्ति. आपकी स्पष्ट स्वीकारोक्ति. ब्लॉगपोस्ट का हटाना.
तत्पश्चात अनुचित वक्तव्य पर बिना किसी खेद के महिमामंडन. क्या हो गया है हमारी सभ्यता को ?
जानते हुए भी कि लेखन तो व्यक्तित्व का आइना होता है जो उसके अंतस को प्रगट करता है.
सदैव समाज व देश को हास्य कविताओं द्वारा हंसाने वाले सज्जन ने अचानक जख्म देना क्यों शुरू कर दिया ?
जिसके मन आंगन में सुंदर-सुरभित फूल खिलते रहे वो इतनी सारी चुभन दे दे.
सहज विश्वास नहीं होता.
आपकी प्रोफाइल से परिचित हुई. समाज व देश के प्रसिद्ध(सेलेब्रेटी) व्यक्ति अपनी शालीनता को सहेजकर रखेगे तो ज्यादा हितकर होगा ,बिना किसी से तुलना किये कि कौन क्या कह या कर रहा है. दुनिया में क्या हो रहा है उसका विरोध जताने के लिए अच्छी भाषा या सुसंस्कृत शब्दों की हमारे हिंदी शब्दकोश में कोई कमी नहीं फिर किन्ही भी परिस्थितियों में हम अपना धीरज न खोएं. क्या कारण रहे जो आप यूँ अशोभनीय-अपठनीय-अभद्र भाषित शब्दों के लिए बाध्य हुए.
हमें नहीं जानना है .
स्वयं आप ही चिंतन मनन करें.
विचारणीय है सुसंस्कृत सुसभ्य समाज में एक साथ रहते हुए भी कभी-कभी हम इतने अजनबी क्यों बन जाते हैं कि एक-दूसरे का मान अपमान ,
व्यथा,पीडा ,वेदना नहीं समझ पाते व दूसरों को मानसिक आत्मिक चुभन ,दर्द ,अपमानित करके व तनाव देकर दर्प से भर उठतें हैं.
क्या इतने असुरक्षित समझने लगते हैं कि परिणाम की चिंता किये बगैर गलत कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं.
तिनके- तिनके जोडकर बहुत मुश्किल से बनता है आन्शिया पर एक झटके में बिखर जाता है, उसको सहेजकर रखना ही होता है.
आपने खुद कहा है की आपकी ३५३ रचनाओं में अधिकांश में आपने महिला-शक्ति को बहुत ज्यादा सम्मानित स्थान दिया है फिर एक ही पोस्ट से ये कैसे विचार प्रर्दशित हो गए.
जिससे इतने लोग आपके विचारों के विरोधी हो गए.
*आप समझदार हैं कृपया ध्यान रखें.
अपनी गरिमा व सम्मान स्वनिर्मित ही होता है. अपनी भाषा न बिगाडें*.
रात्रि के सघन अन्धकार में प्रखर दिवस सा उजाला मन में भर जाता है जब ये ख्याल आता है कि हमने आज किसी को ख़ुशी प्रदान की पर किसी को क्षणिक भी दुखी किया हो तो मन आत्मिक ग्लानि से भर उठता है.
क्योंकि स्वचिन्तन मन का आध्यात्मिक पक्ष है न.
संकल्प ही सुनहरे नए कल का रूप है.
सत्कर्म ही सृजन नए मंगल का रूप है.
सदलेखन चारों ओर खुशियाँ है बिखेरता,
वही व्यक्तित्व का सौजन्य स्वरुप है.
श्रीमती अलका मधुसूदन पटेल ,
लेखिका + साहित्यकार
मै वो पोस्ट नहीं पढ़ पायी लेकिन आप सबकी टिप्पणियो से इससे अवगत हुई समझ में नही आता इतने अच्छे हास्य कलाकार की लेखनी इतनी अशोभनीय और संकीर्ण क्यो हो गई? अभिव्यक्ती सुंदर सहज और मन को अभिभूत करे तभी उसका महत्व है।वरना अपने अंह को प्रकट करने के तुच्छ विचार है बस ऐसे में मेरी भी आपत्ति है हां ये अच्छा हुआ उन्होने अपनी वो पोस्ट हटा ली।
ReplyDeletebahut acha blog banaya hai aapne iske liye aapko badut dhnyabad deta hu.
ReplyDeletemera blog bhi dekhiye. http://devdlove.blogspot.com
http://saptkund.blogspot.com
Dhnyabad.