मांगलिक दोष हैं कुंडली मे पर लड़का बहुत अच्छा कमाता खाता हैं । परिवार भी अच्छा हैं । लेकिन मांगलिक दोष के विषय मे लड़की के पिता को नहीं बताया जाता । पिता कुंडली देख कर रिश्ते से इनकार कर देता हैं । लड़के का पिता
आहत हो जाता हैं और कहता हैं ये कोई ऐसा दोष नहीं हैं की उसके इतनी गुं संपन्न लड़के को रिजेक्ट कर दिया जाए ।
लड़के के पिता को लगता हैं ये सब ढकोसला हैं ।
क्या लड़की के पिता को इस रिश्ते को रिजेक्ट करने का अधिकार नहीं हैं ??
मांगलिक दोष को मानना सही हैं या ग़लत प्रश्न ये नहीं हैं , प्रश्न हैं की जब हम सब चीजों मे संस्कारो से जुड़ कर लड़की से आशा रखते हैं की वो बहु बन कर हमारे सब रीति रिवाजो मे ढल जायेगी
और हमारी बेटी बन कर रहेगी { जी हाँ जो लोग बहु को बेटी मानते हैं वो यही चाहते हैं की बहु उनके हिसाब से उनके परिवार मे रच बस जाए }
तो हम मांगलिक दोष के समय इतना फॉरवर्ड कैसे हो जाते हैं । अपने हिसाब से बक्वार्ड फॉरवर्ड मे हम हमेशा अपनी सहूलियत देखते हैं ।
मुझे तो बहुत अच्छा लगा की एक पिता ने अपनी बेटी की जिंदगी को उसकी शादी से ज्यादा महत्व दिया । लड़की की कुशलता से ऊपर अगर संस्कार होते हैं तो लड़के की कुशलता से ऊपर भी संस्कार , विश्वास अंधविश्वास होते हैं ।
पोस्ट आभार
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
June 23, 2009
मांगलिक दोष हैं कुंडली मे पर लड़का बहुत अच्छा कमाता खाता हैं ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
copyright
All post are covered under copy right law . Any one who wants to use the content has to take permission of the author before reproducing the post in full or part in blog medium or print medium .Indian Copyright Rules
Popular Posts
-
आज मैं आप सभी को जिस विषय में बताने जा रही हूँ उस विषय पर बात करना भारतीय परंपरा में कोई उचित नहीं समझता क्योंकि मनु के अनुसार कन्या एक बा...
-
नारी सशक्तिकरण का मतलब नारी को सशक्त करना नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट का मतलब फेमिनिस्म भी नहीं हैं । नारी सशक्तिकरण या ...
-
Women empowerment in India is a challenging task as we need to acknowledge the fact that gender based discrimination is a deep rooted s...
-
लीजिये आप कहेगे ये क्या बात हुई ??? बहू के क़ानूनी अधिकार तो ससुराल मे उसके पति के अधिकार के नीचे आ ही गए , यानी बेटे के क़ानूनी अधिकार हैं...
-
भारतीय समाज की सामाजिक व्यवस्था के अनुसार बेटी विदा होकर पति के घर ही जाती है. उसके माँ बाप उसके लालन प...
-
आईये आप को मिलवाए कुछ अविवाहित महिलाओ से जो तीस के ऊपर हैं { अब सुखी - दुखी , खुश , ना खुश की परिभाषा तो सब के लिये अलग अलग होती हैं } और अप...
-
Field Name Year (Muslim) Ruler of India Razia Sultana (1236-1240) Advocate Cornelia Sorabji (1894) Ambassador Vijayalakshmi Pa...
-
नारी ब्लॉग सक्रियता ५ अप्रैल २००८ - से अब तक पढ़ा गया १०७५६४ फोलोवर ४२५ सदस्य ६० ब्लॉग पढ़ रही थी एक ब्लॉग पर एक पोस्ट देखी ज...
-
वैदिक काल से अब तक नारी की यात्रा .. जब कुछ समय पहले मैंने वेदों को पढ़ना शुरू किया तो ऋग्वेद में यह पढ़ा की वैदिक काल में नारियां बहुत विदु...
-
प्रश्न : -- नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट {woman empowerment } का क्या मतलब हैं ?? "नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट " ...
HINDI FONT COULD NOT BE SEEN.
ReplyDeleteI HAVE LATEST PC
I HAVE INSTALLED REGIONAL LANUAGES
BUT WHAT PROBLEM
YOU SUGGEST ME AS I COULD OT READ YOUR ARTCILE IN YOUR BLOG.
RAMESH SACHDEVA
hpsshergarh@gmail.com
निःसन्देह लड़्की का पिता अपनी धारणाओं के हिसाब से ही लड़की के भविष्य को देखकर अपना निर्णय लेगा किन्तु उसकी धारणाएं अन्धविश्वास हैं, इस विचार को प्रकट करने का दूसरे को भी अधिकार है. मेरी बहिन की शादी की चर्चा है, पिताजी की धारणायें अलग है, जो मेरी दृष्टि में अंधविश्वास हैं किन्तु मैं क्या कर सकता हूं, खासकर जबतक बहिन भी उनसे सहमत है, मैंने अपने आपको अलग कर लिया निर्णय से. किन्तु सबकुछ होते हुए भी अंधविश्वास तो अंधविश्वास ही रहेगा, आप भी तो अंधविश्वास के खिलाफ़ हैं, अन्तर्जातीय शादियों के भी समर्थन में है, फ़िर फ़ारवर्ड होने में आप को तो कोई आपत्ति नहीं होगी.
ReplyDeleteमुझे तो बहुत अच्छा लगा की एक पिता ने अपनी बेटी की जिंदगी को उसकी शादी से ज्यादा महत्व दिया । लड़की की कुशलता से ऊपर अगर संस्कार होते हैं तो लड़के की कुशलता से ऊपर भी संस्कार , विश्वास अंधविश्वास होते हैं ।
ReplyDeleteनिश्चित रूप से शादी से अधिक जीवन कीमती है, किन्तु जीवन को वास्तविक खतरा किससे है? संस्कार और अंधविश्वास क्या हैं? यह बड़ा जटिल पहलू है? इस पर आलेख लिखकर अपने विचार स्पष्ट कर सकती हैं.
मांगलिक दोष को मानना सही हैं या ग़लत प्रश्न ये नहीं हैं , प्रश्न हैं की जब हम सब चीजों मे संस्कारो से जुड़ कर लड़की से आशा रखते हैं की वो बहु बन कर हमारे सब रीति रिवाजो मे ढल जायेगी
ReplyDeleteमांगलिक आदि को भाई मैं तो नहीं मानता, मैंने तो अपने लड़के की जन्म-पत्री भी नहीं बनबाई. हां, इन दोषों को छिपाने के लिये अनेकों लड़्कियों के पिताओं को फ़र्जी जन्म-पत्र बनवाते मैंने देखा है.
और हमारी बेटी बन कर रहेगी { जी हाँ जो लोग बहु को बेटी मानते हैं वो यही चाहते हैं की बहु उनके हिसाब से उनके परिवार मे रच बस जाए }
घर में रच-बस कर रहने में तो कोई बुराई नहीं है, हम सभी यही तो चाहते हैं, लड़्कियों से ही नहीं लड़्कों से भी, रच-बस कर रहकर ही जीवन का आनन्द आता है.
YET AS IT IS
ReplyDeleteरचना,
ReplyDeleteतुम्हारी पोस्ट का सरोकार जेनुअन है कि लडकी का पिता भी किसी भी बात पर रिश्ते को रिजेक्ट कर सकता है। अभी कुछ दिन पहले पता चला कि एक जानपहचान वाले लडके को लडकी ने इसलिये रिजेक्ट कर दिया कि उसके सिर पर बाल कम थे, वो भी हंसा और हम भी हंसे लेकिन इस बात पर सहमत थे कि ये लडकी का Prerogative है।
मैने मूल पोस्ट भी पढी और स्पष्ट नहीं हुआ कि लडके के पिता मंगली/अमंगली में ही विश्वास नहीं रखते हैं या ज्योतिष के बारे में भी उनके वही विचार हैं।
बहुत पहले ब्लाग पर कहीं पढा था कि एक सज्जन आहत थे कि अब लडकों के लिये भी गोरी बनाने वाली क्रीम आ रही है, जिससे कम्पनियाँ बेवकूफ़ बनाकर करोडों कमा रही हैं। एक अन्य सज्जन ने कहा कि जब लडकियाँ बेवकूफ़ बन रही थी तो आपको तकलीफ़ नहीं हुयी? अब क्या कहें? क्या जरूरी है कि लडके भी बीसियों बरस गोरी बनाने वाली क्रीम के चंगुल में फ़ंसने के बाद ही माने कि ये सब फ़ालतू के दावे हैं?
कहीं से भी शुरुआत हो उसका स्वागत होना चाहिये। हो सकता है कि जो आज अपने लडके की शादी में मंगली/अमंगली को न मान रहा हो कल अपनी बेटी की शादी में भी इसको न माने या फ़िर अपने किसी रिश्तेदार की शादी में इसको अडंगा न बनने दे। कम से कम इतना तो ईमानदारी से भरोसा करने का जी चाहता है।
mangali ladkon ki shadi kar kisi ki zindgi barbad nahi ki jana chahiye, mangali chahe ladki ho ya ladka vah ashubh hi hota/hoti hai. achcha hoga ki aise log kuvare hi baithe rahe umr bhar. aapki post se bhi yah vishvas jhalakta hai ki aapki jyotish vigyan me gahri aastha hai. Dhanyavad.
ReplyDeleteNeeraj Rohilla जी की बात एकदम दुरुस्त है कोई भी विचार अलग-अलग व्यवाहार में अलग-अलग नहीं हो सकता. ईमानदारी ही आधारभूत उपकरण है.
ReplyDeleteAstro. Rakesh Singh said केवल उनके विचार है, जो धीरे-धीरे कमजोर हो रहे हैं. वे अपने विचार किसी पर थोप नहीं सकते
ReplyDeleteकुण्डली पर विश्वास परन्तु मंगली/अमंगली होने पर अविश्वास परस्पर विरोधाभासी बातें हैं। परन्तु इस पूरे प्रकरण में एक आशा की किरण यह है कि व्यक्ति ज्योतिष जैसे अन्धविश्वास से मुक्ति के पथ पर एक कदम तो आगे बढ़ा ही चुका है।
ReplyDeleteDr. Amar Jyoti is correct.
ReplyDeleteअच्छी रचना .... खूब लिखा है !!!
ReplyDeleteSir meri girl friend mangli hai or m usse shaadi krna chata hu but kucch samjh nhi aa raha hai ....agr Hum do shaadi krenge to Kya effect hoga relationship m
ReplyDelete