६० साल से भारत गणतंत्र दिवस माना रहा हैं । इस बार महिला राष्ट्रपति "प्रतिभा पाटिल " जी ने सलामी ली । जो खुशी हमे मिलने चाहिये थी नहीं मिली क्युकी गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलोर के एक पब मे महिलाओं पर हिंदू समाज के रक्षको ने हमला किया और उनको मार पीट कर के पब से निकाल दिया । कारण हिंदू धर्म का पालन नहीं कर रही थी वो लडकियां / महिलाए ।
aurto kae पब मे आने से और अपने परिवार और दोस्तों के साथ बैठ कर शराब पीने { क्या पब मे सिर्फ़ शराब ही मिलती हैं ड्रिंक्स मे ??? } की वजह से हिंदू धर्म धरातल मे चला जा रहा हैं सो मारना जरुरी था । कैसे मारा यहाँ देखे ।
अब प्रतिभा पाटिल सलामी ले तो भी क्या फरक हैं हमारी मानसिकता आज भी वही हैं . महिला के लिये सही और ग़लत का फैसला कब महिला को ख़ुद लेने दिया जाएगा ?? हम प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति बना कर क्या केवल इस लिये खुश हैं क्युकी वो सर ढक कर साड़ी पहनती हैं ??
हिंदू धर्म की रूल्स एंड रेगुलेशंस की किताबो मे शायद पुरुषों और लड़को के लिये केवल इतना ही लिखा हैं की वो महिलो को देखते रहे और जहाँ भी उनको लगे की महिला हिंदू धर्म को बिगाड़ रही हैं तुंरत जाए और मार पीट करे । तब भी ना समझ आए तो बलात्कार करे । हिंदू धर्म सभ्यता इस से बची रहेगी ।
हिंदू धर्म सही रहे इसके लिये महिला / स्त्री / नारी को सही रहना बहुत जरुरी हैं ।
जिस दिन हमारा सर गर्व से ऊंचा होना चाहिये था की एक महिला राष्ट्रपति सलामी ले रही हैं उस दिन हम शर्म से आँखे नीची किये सोच रहे हैं कि धर्म को बचाया जा रहा हैं या अधर्म को बढ़ावा दिया जा रहा हैं ।
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
January 26, 2009
जिस दिन हमारा सर गर्व से ऊंचा होना चाहिये था की एक महिला राष्ट्रपति सलामी ले रही हैं उस दिन हम शर्म से आँखे नीची किये सोच रहे हैं कि ......
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प्रश्न : -- नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट {woman empowerment } का क्या मतलब हैं ?? "नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट " ...
बहुत शर्मनाक काम किया.. पता नहीं चलता कि तालीबान और भारत में क्या फर्क है.. क्यों ये सोचते है कि ये ही धर्म के ठेकेदार है.. लानत है..
ReplyDeleteआपको गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं
धर्म तो एक बहाना है। मकसद है अपने तालिबानी फ़ासिस्ट एजेण्डे को आगे बढ़ाना।
ReplyDeleteये जितने भी धर्म के ठेकेदार बनते हैं वो बस अपनी रोटियाँ सकते हैं ...उन्हें समाचारों में रहना पसंद है ...वो किसी न किसी पार्टी के सदस्य होते हैं ......भले ही ख़ुद रात के अंधेरे में कुछ भी करे ...ऐसे लोग मौका मिलने पर बलात्कार करने जैसा घिनोना अपराध करते हैं ...और धर्म की बात करते हैं ....बहुत शर्मनाक है ....
ReplyDeleteअनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
भारतीय संस्कृति की रक्षा के नाम पर राम सेना के उत्पातियों ने जो कुछ भी किया,उसे घरेलू आतंकवाद माना जाना चाहिए। उनको ये अधिकार किसने दे दिया कि वो संस्कृति बचाने के नाम पर बर्बरता पैदा करें,इसका न सिर्फ विरोध हो बल्कि इसके खिलाफ सख्त कारवायी भी होनी चाहिए।
ReplyDeleteहिन्दू धर्म और मनु स्मृति परस्पर पर्याय हैं। हिन्दू राष्ट्र की स्थापना मनु स्मृति के अनुसार ही होगी और मनु स्मृति में वर्ण व्यवस्था सहित वे तमाम वर्जनाएं हैं जिनके चलते स्त्री को 'मर्द के पैरों की जूती' से अधिक और कुछ नहीं होना है।
ReplyDeleteमेंगलोर में जो कुछ भी हुआ, यह उसी की तैयारी है।
'औरत' को 'मनुष्य' होने का कोई अधिकार नहीं है। वह केवल भोग्या है, भोग्या ही रहे, जब मर्द चाहे तब बिछ जाए, बच्चे पैदा करे, रोटी बनाए, जूते खाए और यह सब सहन करते हुए पति को परमेश्वर मानकर हिन्दू धर्म की रक्षा भी करे और गौरव भी बढाए।
जय जय श्रीराम
दो दिन से टी वी नहीं देखा था क्योंकि मैं यह देखना नहीं चाहती थी। बिना देखे ही इतनी विचलित होती हूँ ...। यदि हम सब केवल और केवल यह सोचें कि ये हम या हमारी बेटियाँ हो सकती थीं। क्या हुआ कि हम मैंगलौर में नहीं हैं। क्या हुआ कि हम पब में नहीं जाते। कल हमारा कोई न कोई आचरण किसी न किसी को तो अखरेगा ही और तब हमारी, आपकी, आपकी पुत्रियों की खैर नहीं।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
शर्मनाक कृत्य है ये ! ऐसे तत्वों को कभी माफ़ नही करना चाहिए
ReplyDeleteअब मुह मत खुलवाइए, अगर शर्म नहीं आती तो जब आधी रात को पुलिस पकड़ के ले जाती है तो मुहं क्यों छिपाया जाता है . क्यों नहीं सामने आती की मैं यहाँ ड्रग लेने आई थी. क्यों नहीं उनके परिवार वाले दुनिया को बताते की मेरी लड़की आधी रात को पब में ड्रग लेती है . अगर कोई समाज के कचरे को साफ़ करना चाहता है तो आप जेसे बुद्धिजीवी हल्ला मचने लग जाते है.
ReplyDeleteदूसरी बात ... एक चमचागिरी से लिप्त महिला ... जिसकी योग्यता मात्र इतनी है की वो गाँधी परिवार की वफादार रही है उसको रास्त्रपति बना देना . क्या वो ओरत दिल में झांक कर देखे और पुराने रास्त्रपति से अपनी तुलना करे ... उसे क्या अधिकार है सलामी लेने का ... दिल को लगे तो माफ़ करना ..
deepak ji
ReplyDeletekanun kae baarey mae aap ki kyaa raaye haen . kyaa kanun hona hi nahin chahiyae ???
aur drug , sharaab , jua yae sabkae liyae galat haen yaa kewal naari kae liya
ye koi hdarmik log nahi hain balki talivan ke samarthak hai kya talibaan ke naron ki goonj kahin paas ati sunai de rahi hai savdhaan hona padega aur in ko baar baar lanat bhejni padegi
ReplyDeleteशर्मनाक हादसा है यह ....
ReplyDeletekoi purushon ko ye batane wala sangthan nahi hai?ke rishvatkhori beimani,bhrashtachar ye sab hamare desh,samaja aur dharm ke virruddha hain.aurton ke aachran sudharne ka theka lene wale apne aachran par bhi to gour farmayen.
ReplyDeletepab jane ki sanskriti bhartiya nahi hai. agar barabri ki baat hi karni hai to achchhe kamo me karo bure kamo me nahi. jo log buro krityo me nari ko purusho ki barabari tak le jane ka nara de rahe hai vo jane anjane nari ki unnati me badhak hai. pab ka nangapan aur drug aur wine ke nashe lena na to hamari sanskriti ka hisassa hai aur na hi isase nari ka bhala hi hoga. burai ko rokna hi chahiye chahe vo kathortam tarike se hi kyon na roka jaye. Mai kisi dharam ki baat nahi kaar rahi, mai to Bhartiya Sanskriti ki baat kar rahi hoon jisane sarojini naidu, Aruna asafali jaiso ko janam diya tha
ReplyDeleteRahi nari ko purusho ki barabari aur purusho dwara nari par atyachar ki baat to mai ye kahna chahungi ki nari ke marg ka avarodhak purush nahi ek nari hi hoti hai chahe vo maa ho saas ho bahu ho chaachi ho,bua ho, nanad ho, jethani ho, devrani ho vagerah-vagerah.
हिन्दू धर्म और मनु स्मृति परस्पर पर्याय हैं। हिन्दू राष्ट्र की स्थापना मनु स्मृति के अनुसार ही होगी
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