हर जगह आप और हम बस यही पढ़ते और लिखते हैं की
नारी शोषण का शिकार हैं , नारी को बराबरी का दर्जा नहीं दिया गया हैं ।
आज भी बहुतायत मे नारी को शिक्षित ना करने की प्रथा हैं ।
नारी को शादी के लिये बाध्य किया जाता हैं । इत्यादि इत्यादि ।
काफी समय से ब्लॉग पर भी इसी प्रकार की चर्चा होती आ रही हैं लेकिन अभी तक कोई भी सार्थक संवाद नहीं शुरू हुआ हैं की आख़िर हम सब किस प्रकार का बदलाव चाहते हैं और इस बदलाव को लाने के लिये हम क्या करते हैं और क्या कर सकते हैं । क्या कोई भी ये सुझाव देना चाहेगा की आख़िर किस प्रकार से नारी की स्थिति मे बदलाव आ सकता हैं और वो बदलाव होगा क्या ????
आज सार्थक संवाद हो की क्या सच मे नारी अपनी स्थिति मे बदलाव चाहती हैं या हम केवल हम मुद्दे पर एक बौधिक बहस ही करना जानते हैं ।
व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना हैं की
बराबरी की बात करना मतलब हर वो काम उतनी सक्षमता से करना जैसे दूसरा करता हैं ।
बराबरी की बात यानी संरक्षण को भूल कर अपने आप को स्थापित करना ।
बराबरी की बात यानी कोई लाइन नहीं { कोई आरक्षण नहीं }
बराबरी की बात का मतलब चुनना जो ख़ुद को अच्छा लगे और अपने उस चुनाव से सम्बंधित हर लड़ाई को लड़ने के लिये तैयार रहना । चुनाव का अधिकार सबके पास होता हैं पर उसको अमल नहीं किया जाता जिसकी सब से साधारण वजह हैं वो डर की "लोग क्या कहेगे "
आप के विचारों का इंतज़ार हैं ।
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
January 22, 2009
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मुझे लगता है कि नारी को हर उस क्षेत्र में अपने आपको स्थापित करना चाहिए जहान नारी का अभाव है या कमी है ....चाहे वो राजनीति हो, प्रशासनिक सेवा में, डॉक्टर, इंजिनियर, व्यवसाय, ....इत्यादि ...सभी क्षेत्रों में नारी को आगे आना चाहिए ...खासकर राजनीति ......अपने हक़ के लिए लडाई लड़नी चाहिए जब तक कि जीत हासिल न हो जाए ....बाधाएं तो आएँगी लेकिन उन से डर कर घबरा कर रुके ना ..... नारी अपने बच्चों खासकर लड़की को पूरी आज़ादी से जीना सिखाये ...उसे हर वो बात समझाए ...सिखाये जो उसके लिए जरूरी है .... और इन सबके लिए जरूरी है नारी का शिक्षित होना ....इसकी शुरुआत शिक्षा से होनी चाहिए .....अगर आगे बढ़ना ही है तो तमाम रुकावटों और कारणों को पीछे छोड़ते हुए नारी को जीत हासिल करनी ही होगी ...चाहे इसके लिए नारी को कितनी ही मेहनत क्यों न करनी पड़े .....अपने आपको तो साबित करना ही पड़ेगा तभी नारी अपना मुकाम हासिल कर सकेगी
ReplyDeleteअनिल कान्त
मेरा अपना जहान
अनिल जी अपने विचार इतने स्वाभाविक तरीके से रखने के लिये थैंक्स
ReplyDeleteस्त्री और पुरूष, दोनो ही एक दुसरे से न कम है न ज्यादा. बस शारीरिक व मानसिक रूप से भिन्न है. यह बात दोनो ही सहजता से स्वीकार ले तो समानता आ जाएगी.
ReplyDeletenaari har us adhikar ki hakdaar hai jo purush ke paas hain lekin nari ki garima ko banaaye rakhna bhi jaroori hai kyon ki naari hi ek svsth aur sbhya samaaj kaa nirmaan kar sakti hai
ReplyDeletesahi kaha hi sanjay ji ne
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