भाइयो-बहनो, आज जब हम बलात्कार की घटनाओं की खबरें सुनते हैं, तो हमारा माथा शर्म से झुकजाता है। लोग अलग-अलग तर्क देते हैं, हर कोई मनोवैज्ञानिक बनकर अपने बयान देता है, लेकिन भाइयो-बहनो, मैं आज इस मंच से मैं उन माताओं और उनके पिताओं से पूछना चाहता हूं, हर मां-बाप से पूछना चाहताहूं कि आपके घर में बेटी 10 साल की होती है, 12 साल की होती है, मां और बाप चौकन्ने रहते हैं, हर बात पूछते हैंकि कहां जा रही हो, कब आओगी, पहुंचने के बाद फोन करना। बेटी को तो सैकड़ों सवाल मां-बाप पूछते हैं,लेकिन क्या कभी मां-बाप ने अपने बेटे को पूछने की हिम्मत की है कि कहां जा रहे हो, क्यों जा रहे हो, कौनदोस्त है? आखिर बलात्कार करने वाला किसी न किसी का बेटा तो है। उसके भी तो कोई न कोई मां-बाप हैं।क्या मां-बाप के नाते, हमने अपने बेटे को पूछा कि तुम क्या कर रहे हो, कहां जा रहे हो? अगर हर मां-बाप तयकरे कि हमने बेटियों पर जितने बंधन डाले हैं, कभी बेटों पर भी डाल करके देखो तो सही, उसे कभी पूछो तो सही।
कल १५ अगस्त को नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले से दिये अपने भाषण में जब ये कहा तो लगा समस्या का निदान यही हैं। इस ब्लॉग पर ना जाने कितनी पोस्ट इसी विषय पर लिखी हैं मैने और जगह जगह पुरुष विरोधी , परिवार विरोधी , असंस्कारी , नारीवादी और भी ना जाने कितने नाम मुझे दिये गये।
एक सो कॉल्ड कवि जो इस दुनिया में अब नहीं हैं उन्होंने तो एक कविता तुम लिंग पकड़ के बैठी रहो इस ब्लॉग जगत में लिखी थी ,
एक और जो अपने को लेखक और पत्रकार कहते हैं उन्होने रंडापा टाइप स्यापा कहा
तो एक और हैं जो अपने को वैज्ञानिक कहते हैं उन्होने विधवा विलाप का नाम दिया।
एक हैं जो जर्मनी में रहते हैं उनको तो हर महिला मांस का लथोरा लगती हैं।
एक और हैं जो बड़े फक्र से कहते हैं उनकी ३०० गर्ल फ्रेंड हैं।
एक और हैं जो सबकी हिंदी का टंकण सही करते थे और जब महिला पर पोस्ट लिखते थे तो कॉमेंट सेक्शन बंद कर देते थे लेकिन अपने को महान लेखक मानते हैं।
एक हैं जो कहते थे अच्छी औरते नहीं हैं
एक थे जो कहते थे बिका हुआ माल वापिस नहीं होगा
एक थे जो सारे नेट पर से खोज कर मेरे घर काम पता और काम अपने ब्लॉग पर डालते थे
इस ब्लॉग पर हर इस बात का लिंक किसी ना किसी पोस्ट में मौजूद होगा।
कल जब देश के प्रधान मंत्री ने वही बात कही की बेटो पर लगाम लगाओ तो लगा काश इन सब पर भी बचपन में वो सख्ती की गयी होती तो जो इनके घर की महिला पर की गयी तो शायद ये सब पुरुष ना बनकर एक बेहतर इंसान बनते और एक बेहतर समाज की रचना करते।
इन में से बहुत से ब्लॉगर अपनी बेटियों के चित्र , उनकी उपलब्धि ब्लॉग पर शेयर करते हैं और अपने को अच्छा पिता साबित करने की कोशिश करते हैं लेकिन एक अच्छा पिता केवल अपनी बेटी के लिये अच्छा होता हैं पर दूसरी महिला के प्रति उसका नज़रिया बहुत ही संकुचित हैं।
समानता का अर्थ ही हैं हर चीज़ में समानता ,
जो बेटी के लिये गलत हैं वही बेटे के लिये भी गलत हो
जो पत्नी के लिये गलत हैं वही पति के लिये भी गलत हो
बात गलत और सही की होनी चाहिये , बात स्त्री के सही और पुरुष के लिये सही की नहीं होनी चाहिए
नरेंद्र मोदी जी आप को मै एक दकियानूसी नेता समझती थी मैने आप को वोट केवल इस लिया दिया था क्युकी आप बी जे पी के थे , लेकिन आज मुझे फक्र हैं की बी जे पी ने एक सही व्यक्ति का चुनाव किया प्रधान मंत्री पद के लिये।
आप का कल का भाषण बता रहा था की इस देश को एक लीडर मिल गया हैं। आप को सादर नमन।
कल १५ अगस्त को नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले से दिये अपने भाषण में जब ये कहा तो लगा समस्या का निदान यही हैं। इस ब्लॉग पर ना जाने कितनी पोस्ट इसी विषय पर लिखी हैं मैने और जगह जगह पुरुष विरोधी , परिवार विरोधी , असंस्कारी , नारीवादी और भी ना जाने कितने नाम मुझे दिये गये।
एक सो कॉल्ड कवि जो इस दुनिया में अब नहीं हैं उन्होंने तो एक कविता तुम लिंग पकड़ के बैठी रहो इस ब्लॉग जगत में लिखी थी ,
एक और जो अपने को लेखक और पत्रकार कहते हैं उन्होने रंडापा टाइप स्यापा कहा
तो एक और हैं जो अपने को वैज्ञानिक कहते हैं उन्होने विधवा विलाप का नाम दिया।
एक हैं जो जर्मनी में रहते हैं उनको तो हर महिला मांस का लथोरा लगती हैं।
एक और हैं जो बड़े फक्र से कहते हैं उनकी ३०० गर्ल फ्रेंड हैं।
एक और हैं जो सबकी हिंदी का टंकण सही करते थे और जब महिला पर पोस्ट लिखते थे तो कॉमेंट सेक्शन बंद कर देते थे लेकिन अपने को महान लेखक मानते हैं।
एक हैं जो कहते थे अच्छी औरते नहीं हैं
एक थे जो कहते थे बिका हुआ माल वापिस नहीं होगा
एक थे जो सारे नेट पर से खोज कर मेरे घर काम पता और काम अपने ब्लॉग पर डालते थे
इस ब्लॉग पर हर इस बात का लिंक किसी ना किसी पोस्ट में मौजूद होगा।
कल जब देश के प्रधान मंत्री ने वही बात कही की बेटो पर लगाम लगाओ तो लगा काश इन सब पर भी बचपन में वो सख्ती की गयी होती तो जो इनके घर की महिला पर की गयी तो शायद ये सब पुरुष ना बनकर एक बेहतर इंसान बनते और एक बेहतर समाज की रचना करते।
इन में से बहुत से ब्लॉगर अपनी बेटियों के चित्र , उनकी उपलब्धि ब्लॉग पर शेयर करते हैं और अपने को अच्छा पिता साबित करने की कोशिश करते हैं लेकिन एक अच्छा पिता केवल अपनी बेटी के लिये अच्छा होता हैं पर दूसरी महिला के प्रति उसका नज़रिया बहुत ही संकुचित हैं।
समानता का अर्थ ही हैं हर चीज़ में समानता ,
जो बेटी के लिये गलत हैं वही बेटे के लिये भी गलत हो
जो पत्नी के लिये गलत हैं वही पति के लिये भी गलत हो
बात गलत और सही की होनी चाहिये , बात स्त्री के सही और पुरुष के लिये सही की नहीं होनी चाहिए
नरेंद्र मोदी जी आप को मै एक दकियानूसी नेता समझती थी मैने आप को वोट केवल इस लिया दिया था क्युकी आप बी जे पी के थे , लेकिन आज मुझे फक्र हैं की बी जे पी ने एक सही व्यक्ति का चुनाव किया प्रधान मंत्री पद के लिये।
आप का कल का भाषण बता रहा था की इस देश को एक लीडर मिल गया हैं। आप को सादर नमन।
वाकई नरेंद्र मोदी जी के रूप में भारत को एक सही नेता मिल गया है
ReplyDeletebahut sahi prastutikaran...umdaa
ReplyDeleteकाश....लोगों के दिल में ये बात उतरे और बदलाव की उम्मीद जागे....
ReplyDeleteसोच में बदलाव निश्चय ही आएगा , परिवर्तन समय लेता ही है सब की जागृति ही सम्भव बनाएगी अकेले मोदीकुछ नहीं कर पाएंगे
ReplyDeleteनिश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल्कुल सही दिशा में इस समस्या की जड को पहचाना
ReplyDeleteबदलाव तो होगा
ReplyDeleteसमय के साथ साथ लोगों को भी जागरुक होना होगा
सार्थकता तो यही है ----
सहमत हूं. अब बारी है उन बेटों की मांओं की जो गलत दिशा में जा रहे...उन बेटों की मांओं की, जो अभी सीखने की अवस्था में हैं.
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