अभी कुछ दिन पहले एक समाचार अखबार में पढ़ा
एक गुडगाँव में कक्षा 1२ में पढ़ने वाली लड़की ने अपनी प्रिंसिपल के पास जा कर अपने एक्सपोर्टर पिता की शिकायत की
लड़की ने कहा उसके पिता ३ साल से उसका बलात्कार कर रहे हैं , वो जबरन उसको अपने साथ बाहर ले जाते हैं और अबकी बार वो उसको विदेश ले जाना चाहते हैं . क्युकी वो उस घिनोनी प्रक्रिया से बचना चाहती थी इस लिये उसने अपनी प्रिंसिपल की मद्दत मांगी
लिंक
समाचार पढ़ कर लगा क्या ये सब अब इतना आसान होगया हैं और क्या इतने पढ़े लिखे समाज का तबका नैतिकता में इतना नीचे गिर गया हैं . अजीब सी घिन और वितिश्ना होती हैं जब इस प्रकार के समाचार आते हैं क्युकी रक्षक अगर भक्षक बन जायेगा तो कौन बच्चो संभालेगा और संस्कार देगा ???
तीन दिन पहले फिर एक समाचार देखा लिंक
लड़की ने सारा दोष अपनी प्रिंसिपल पर डाल दिया और कहा उसने तो प्रिंसिपल से ऐसा कुछ नहीं कहा . उसने तो बस इतना ही कहा की उसके पिता ने उसको चांटा मारा था और प्रिंसिपल ने पुलिस के पास रेप की शिकायत दर्ज करवा दी
दूसरा लिंक
उसी समाचार को दूसरी तरह प्रस्तुत कर के कहता हैं की रेप कन्फर्म होगया हैं
इन सब समाचारों को पढ़ कर लगता हैं कहां हैं वो भारतीये परिवार जिनकी हम चर्चा कर के गर्व करते रहे हैं
अगर पिता ने रेप किया तो क्या वो परिवार का प्रतिनिधि करता हैं ??
अगर बेटी ने महज पिता पर चांटा मारने की वजह से रेप का केस बनवा दिया तो क्या वो परिवार का प्रतिनिधि हैं ???
इस लड़की की माँ एक गृहणी हैं कोई काम करने और नौकरी पर जाने वाली महिला नहीं जिसको हमेशा दोष दिया जाता रहा हैं की उसकी नौकरी की वजह से पारिवारिक समस्या बढ़ रही हैं
क्या माँ को कुछ कभी पता नहीं चला
३ साल से एक लड़की के साथ सेक्स होता रहे और उसके शरीर में कोई बदलाव ना आये क्या ये संभव हैं ???और माँ अनभिज्ञ रही ??????
अगर रेप हुआ ही नहीं और लड़की ने क्रोध में ये सब किया तो कहां हैं वो पारिवारिक संस्कार जो बेटी को दिये जाने चाहिये थे की वो पिता / माता के अनुशासन को तब तक माने जब तक वो १ ८ वर्ष की नहीं हो जाती उसके बाद अगर उसको अपने रास्ते खुद बनाने हैं तो नौकरी करे और अपनी खुद की जिंदगी जिये
आप को क्या लगता हैं
मुझे तो समाचार के दोनों हिस्से नियायत गंदे , भद्दे लगे और मुझे लगा की परिवार नाम की संस्था अब ख़तम हो रही या विलुप्त होने की कगार पर ही
ब्लॉग पोस्ट ख़तम करते करते एक और बात मन में आ गयी बाँट रही हूँ
पिता ने बेटी का रेप किया जैसे समाचार पढने में आ जाते हैं लेकिन माँ ने बेटे को सोडोमईज़ किया ऐसा समाचार कभी कहीं नहीं दिखा
ऐसा क्यूँ हैं , क्या स्त्री अपने बेटे की तरफ यौन आकर्षण नहीं महसूस करती हैं जबकि पुरुष अपनी बेटी की तरफ यौन आकर्षण महसूस करता हैं ???
अजीब हैं ये दुनिया , इसके समाचार
रचना जी पिता ने रेप किया आपको बुरा लगा। सभी को लगता है। पर ऐसी घटनाएँ अपवाद है जिन पर रोक लगाना तो शायद किसी के बस की बात नहीं। पिता निश्चित रूप से मानसिक रोगी होगा जिसे सदा के लिए पागलखाने भेज दिया जाना चाहिए। घटना में जो मोड़ आया है वो पिता के डराने धमकाने का असर हो सकता है। मैंने भी ये खबर पढ़ी थी उसमे लिखा था की मेडिकल जाच में शारीरिक समपर्क बनाने की पुष्टि हुयी है। इस बात की जाच होनी चाहिए की लड़की के किस व्यक्ति के साथ संपर्क हैं।
ReplyDeleteकिसी माँ का अपने बेटे को सोडोमईज़ करने वाली बात मुझे समझ नहीं आयी। बस यहीं आकर मैं नारीवादियों के खिलाफ हो जाता हूँ। आप लॊग हर चीज में पुरुष से बराबरी करना चाहती हैं चाहे वो कितनी ही बुरी क्यों न हो। इस विषय पर ज्यादा न कह कर सिर्फ आपसे ये पूछूँगा की ये प्रश्न पूरी तरह से आपकी कल्पना है या इसमें कुछ रिसर्च वगेरह भी हुयी है और प्रमाणित किया गया है की स्त्रियाँ अपने पुत्रों से यौन सम्बन्ध नहीं बनती। वैसे ऐसे विषयों पर बेकार बहस करना ठीक नहीं जरा सी भी भटकन सम्हाली नहीं जाएगी।
दीप आप ने शायद सोदोमाइश वाली बात से ऊपर लिखी ये दो लाइन पढी ही नहीं
Deleteमै कोई व्यक्तव्य नहीं दे रही केवल अपने मन में उठे प्रश्न को जो पोस्ट ख़तम करते करते ही उठा यहाँ दे रही हूँ की क्या ऐसा भी होता हैं , या हुआ हैं
क्या कभी आप के मन में कुछ लिखते हुए कुछ और नहीं आ जाता हैं ?????
इसमे नारीवादी , अतिवादी इत्यादि क्यूँ कहना
और जो समाचार सुन क्र आ रही हूँ टी वी पर वो भयानक हैं जहां ५ साल की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ हैं और पेट में बोटेल और मोमबती मिली हैं अफ़सोस हो रहा हैं ये पोस्ट भी क्यूँ दी
नारी वादी कह देना कितना आसान हैं , किसी के भी काम को एक नेगेटिव छवि के साथ जोड़ देना बाकी आप खुद ही बहुत समझदार हैं
रचना जी आपके सवाल पर क्रोध आया और आपके प्रश्न को सही ढंग से समझने के पहले ही प्रतिक्रिया व्यक्त कर दी। आप सही हैं एक पुरुष तो निश्चित रूप से रिश्तों की सभी हदें पार कर सकता है पर कोई स्त्री ऐसा करे शायद कभी नहीं हो सकता। मैं तो राज पढता ही हूँ " कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति।" अर्थात कुपुत्र तो हा सकता है पर कहीं भी कुमाता नहीं होती।
Deleteवैसे बहुत पहले मैंने अपने ब्लॉग पर एक पोस्ट में ये लिखा था की करीबी रिश्तों की डोर से मुक्त पुरुष केवल पुरुष होता है उसका भरोसा नहीं करना चाहिए तो ब्लॉगजगत की बहुत सी महिलाओं ने मेरे वक्तव्य को एकदम बकवास करार दिया था। कहीं कहीं तो रिश्तों की डोर भी पुरुष को रोक नहीं पाती। शायद इसलिए ही हमारे पुरखों ने समाज में स्त्रियों की सुरक्षा के लिए नियमों का एक कवच बुन जो कालांतर में उसके लिए पिंजरा बन गया । अब मैं सिर्फ ये चाहता हूँ की पिंजरा टूटे पर रक्षा कवच न टूटे।
सच्चाई ये है कि पुरुषों को परुषों से ही डर रहता है, नारी से नहीं। कितनी अजीब बात हैं , सारे पुरुष नारी के पीछे पड़ जाते हैं, नारी में हर तरह की कमियाँ निकालते हैं, नारी पर दोष लगाते हैं, वो भी खुद से ही बचाने के लिए। पुरुष बहुत अच्छी तरह जानते हैं, नारी को और किसी से खतरा नहीं है, अगर कोई खतरा है तो वो सिर्फ पुरुष से ही है। बात फिर वही हुई न, सबसे ख़तरनाक पुरुष ही हुए। अब उनसे नारी को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें ही खुद करना होगा न। जैसे अपराध यहाँ बताये गए हैं, ऐसे अपराधों के लिए छी छी के सिवा और क्या कह सकते हैं। जिस दिन एक पुरुष दूसरे पुरुष पर भरोसा करना शुरू कर देगा, जिस दिन एक पुरुष दुसरे पुरुष के संरक्षण में अपने परिवार को सुरक्षित महसूस करेगा, वही दिन होगा नारी की भी सुरक्षा का।
ReplyDeleteरचना जी अच्छा सवाल उठाया है | यह हिन्दुस्तान है और यहाँ के गाँव में शादी के बाद पत्नी के पास केवल एक ही रास्ता रहता वो है पति की सेवा | माँ अनभिज्ञ रही ऐसा नहीं बल्कि माँ रोती भी रही होगी और समाज में घर की बदनामी और पति के छोड़ने के डर से चुप भी |अधिकतर ऐसा ही हुआ करता है |
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