साफिया खातून की मृत्यु एक सड़क हादसे मे होगयी थी . साफिया खातून एक गृहणी थी और उनकी कोई भी आर्थिक आय नहीं थी . इस कारण से रिलायंस बिमा कम्पनी ने उनके परिवार को किसी भी तरह का हर्जाना देने से इनकार कर दिया क्युकी वो कोई भी ऐसा काम नहीं करती थी जिस से आर्थिक आय होती हो .
बिमा कम्पनी का मानना था की उनकी मृत्यु से परिवार की कोई आर्थिक हानि नहीं हुई हैं तो बीमा की कोई भी राशि के वो हकदार नहीं हैं { ध्यान दे यहाँ साफिया खातून के पर्सनल बीमे की बात नहीं हो रही हैं , एक्सीडेंट होने के कारण बिमा कम्पनी से मिलने वाले हर्जाने की बात हैं } .
Motor Accident Claim Tribunal ने बिमा कम्पनी की इस बात को नहीं माना और Rs 2,68,500 का हर्जाना देने को कहा . बिमा कम्पनी ने हर्जाना ना देकर कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी इस के आर्डर खिलाफ .
Justice Sunil Ambwani और Justice A N Mithal, ने इलाहाबाद में रिलायांस कम्पनी की अर्जी को ना मंजूर कर दिया और अपने फैसले में कहा की
गृहणी अपने घर में जितना काम करती हैं वो एक आर्थिक आय कमाने वाले से कहीं ज्यादा होता हैं . एक गृहणी अपने घर को सक्षम रूप से चलाने के लिये जितना काम करती हैं आज की तारीख में वो 1000 रूपए प्रति दिन हुआ . यानी 30000 रूपए महिना . यहाँ कोर्ट ने सरला वर्मा के केस को आय निर्धारित करने का आधार माना .
कोर्ट ने रिलायस बिमा कम्पनी को तुरंत हर्जाना देने को कहा हैं .
ये पोस्ट नारी ब्लॉग पर दे रही हूँ ताकि अगर कभी आप को कहीं कोई { ईश्वर ना करे } ऐसा केस दिख जाए तो आप उस परिवार को उसके अधिकारों से अवगत करा सके
बिमा कम्पनी का मानना था की उनकी मृत्यु से परिवार की कोई आर्थिक हानि नहीं हुई हैं तो बीमा की कोई भी राशि के वो हकदार नहीं हैं { ध्यान दे यहाँ साफिया खातून के पर्सनल बीमे की बात नहीं हो रही हैं , एक्सीडेंट होने के कारण बिमा कम्पनी से मिलने वाले हर्जाने की बात हैं } .
Motor Accident Claim Tribunal ने बिमा कम्पनी की इस बात को नहीं माना और Rs 2,68,500 का हर्जाना देने को कहा . बिमा कम्पनी ने हर्जाना ना देकर कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी इस के आर्डर खिलाफ .
Justice Sunil Ambwani और Justice A N Mithal, ने इलाहाबाद में रिलायांस कम्पनी की अर्जी को ना मंजूर कर दिया और अपने फैसले में कहा की
गृहणी अपने घर में जितना काम करती हैं वो एक आर्थिक आय कमाने वाले से कहीं ज्यादा होता हैं . एक गृहणी अपने घर को सक्षम रूप से चलाने के लिये जितना काम करती हैं आज की तारीख में वो 1000 रूपए प्रति दिन हुआ . यानी 30000 रूपए महिना . यहाँ कोर्ट ने सरला वर्मा के केस को आय निर्धारित करने का आधार माना .
कोर्ट ने रिलायस बिमा कम्पनी को तुरंत हर्जाना देने को कहा हैं .
ये पोस्ट नारी ब्लॉग पर दे रही हूँ ताकि अगर कभी आप को कहीं कोई { ईश्वर ना करे } ऐसा केस दिख जाए तो आप उस परिवार को उसके अधिकारों से अवगत करा सके
thanks
ReplyDeleteacchi post , thanks
Deleteकोर्ट ने सही निर्णय किया। इस पोस्ट को यहां लगाने का शुक्रिया।
ReplyDeleteगृहणी अपने घर में जितना काम करती हैं वो एक आर्थिक आय कमाने वाले से कहीं ज्यादा होता हैं. एक गृहणी अपने घर को सक्षम रूप से चलाने के लिये जितना काम करती हैं आज की तारीख में वो 1000 रूपए प्रति दिन हुआ.
ReplyDeleteबिलकुल सही, बल्कि इससे भी ज्यादा। बीमा कंपनियों की ही तरह की सोच पुरुषों के द्वारा रखने के कारण ही अक्सर महिलाओं को कमतर आँका जाता है, जबकि वास्तविकता बिलकुल उलट है।
मैं महिलाओं को काम के मामले में पुरुषों से आगे मानता हूँ, महिलाएं घर तो बखूबी संभाल ही सकती हैं, बल्कि कार्यालय / व्यापार में उतनी ही सक्षमता से काम कर सकती हैं, बल्कि कई बार पुरुषों से भी अधिक। जबकि पुरुष केवल कार्यालय में कार्य अथवा व्यापार ही कर सकते हैं, पुरुषों में दक्षता ही नहीं होती कि महिलाओं की तरह घर संभाल सकें।
इस पोस्ट को यहाँ लगाने का शुक्रिया।
ReplyDeleteऐसी जानकारी तो सभी को होनी चाहिये ।
ReplyDeleteजानकारी के लिए शुक्रिया !
ReplyDeleteन्यायालय का निर्णय बिल्कुल सही है।
न्यायालय के प्रति सम्मान और भी बढ़ा !
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