आमतौर से पुरूष या बल्कि यूँ कहें कि अधिनायकवादी चालाक पुरूष अपनी सोच को सात तालों के भीतर छिपा कर रखने के लिए जाना जाता है। लेकिन जब ऐसी बहसें चलती हैं, तो उसके मन की बातें छींक की तरह न चाहते हुए भी पूरे वेग से बाहर आ जाती है। समझदार महिला ब्लॉगर्स इनसे सीख रही हैं, पुरूषों की रणनीतियों को समझ रही हैं, अपनी सोच को परिपक्व बना रही हैं, और सबसे बड़ी बात यह कि वे इस माध्यम में आने वाली नई लेखिकाओं को जागरूक कर रही हैं, अच्छे और बुरे लोगों को समझने का भरपूर मौका प्रदान कर रही हैं।डॉ0 ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ (Dr. Zakir Ali 'Rajnish')
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सलाम हैं... सभी महिला-ब्लोगर्स को और उनको भी जो उनके पीछे है... या जो अभी शांत है किन्तु उबाल रहीं हैं विचारों को भीतर-ही-भीतर...
ReplyDeleteमुझे तो शीर्षक ही अजीब लग रहा है "की-बोर्ड वाली औरतें", यदि शीर्षक ऐसा है तो अंदर क्या लिखा होगा, स्पष्ट है...
ReplyDeleteकी-बोर्ड वाले आदमी .. अजीब नहीं होगा..
शीर्षक में "औरतें" शब्द अच्छा नहीं लगा था. जो पूरा ब्लाग पढ़ने से पहले एक आकृति सी उकेरी जा चुकी थी, पूरा लेख पढ़ा और अच्छा लगा. फिर भी यह कहूँगा कि "महिलायें" शब्द अधिक अच्छा लगता यदि व्याकरण की दृष्टि से गलत न हो तो..
Deleteमुझे तो शीर्षक अजीब लग रहा है "की-बोर्ड वाली औरतें",
ReplyDeleteअभी पढ़ने जा रहा हूँ, लेख के बारे में फिर तब लिखूंगा.. लेकिन शीर्षक से मुझे अभी भी बेचैनी हो रही है...
ReplyDeleteआप की बात का अनुमोदन करती हूँ पर ये भी मानती हूँ लेखक की अपनी पसंद हैं शब्दों का चयन
Deleteधन्यवाद...कृपया 9:48 वाला कमेन्ट हटा दें...
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