बहुत से ऐसे विषय जो घरो में आज भी प्रतिबंधित हैं उन पर अगर घरो में चर्चा हो तो शायद बदलाव का रुख सकारातमक हो ।
मैने इस ब्लॉग पर हमेशा कहा हैं की नारी के अधिकार और कर्त्तव्य , हमारे कानून और संविधान में पुरुष के बराबर ही हैं । उसके साथ साथ मैने ये भी कहा हैं की एडल्ट होने तक बच्चो को सही मार्ग दर्शन की बहुत आवश्यकता हैं और ये हम तभी दे सकते हैं जब हम खुद नैतिक हो । नैतिकता की बात करना और उस नैतिकता को सबसे पहले अपने पर लागू करना दोनों में अंतर हैं । जब ये अंतर ख़तम होगा तभी नयी पीढ़ी के आगे हम किसी भी सोच को रखने का अधिकार पा सकते हैं ।
बहुत से ब्लॉग पर मैने पढ़ा हैं की नारी के लिये नैतिक क्या हैं , उसको क्या क्या करना चाहिये । प्रगतशील नारी का मतलब हमेशा लोगो को नकारात्मक छवि देता हैं नारी की यानी जो
बाल कटाती हैं
स्तन पान नहीं कराती
गर्भ निरोधक लेती हैं
अबोर्शन करवाती हैं
नौकरी करती हैं घर में मैड रखती हैं
खाना नहीं बनाती हैं
सिगरेट लेती हैं
पब में जाती हैं
डिस्को में जाती हैं
घर देर से आती हैं
शादी नहीं करती हैं
शादी से पहले कोमार्य भंग करती हैं
दुबारा वर्जिन बनने के लिये ओपरेशन करवाती हैं
इत्यादि
इसके अलावा हमारी सैलिब्रितिज़ पर भी तंज उठते रहे हैं
प्रियंका ने शराब का विज्ञापन दिया
मल्लिका ने कपडे शरीर दिखने वाले पहने
राखी सावंत ने डांस में हद कर दी
इत्यादि
इसके बाद जो और विषय हैं जिन पर चर्चा होती रही हैं वो हैं
गरीब महिला अपनी कोख बेचती हैं
गरीब माँ अपने बच्चे बेचती हैं
गरीब माँ अपना दूध बेचती हैं
और आगे जाए तो
पढ़ी लिखी लडकियां संभ्रांत परिवार की पॉकेट मनी के लिये
कॉल गर्ल का काम करती हैं
गर्ल गाइड का काम करती हैं
या
रेप का कारण लड़की का पहनावा और चाल चलन होता हैं
इन सब विषयों में जब भी चर्चा होती हैं दो बताए हमेशा कही जाती हैं
एक ये सब इस लिये गलत हैं क्युकी महिला करती हैं
दूसरा महिला ये सब करके पुरुष बनना चाहती हैं
जिसका निष्कर्ष हैं की अगर महिला करती हैं तो गलत हैं और अगर महिला पुरुष के गलत काम को देख कर करती हैं यानी पुरुष बनना चाहती हैं तो भी महिला के लिये ही गलत हैं
यानी पुरुष का करना गलत नहीं हैं क़ोई भी काम हाँ महिला करे अगर उसी काम को तो गलत हैं ।
अब आप सोच रहे होगे विषय क्या हैं
विषय हैं की आज के युवा टीन एजर लडके यानी जो अभी १८ वर्ष के भी नहीं हैं और बहुत ही संभ्रांत परिवारों से हैं , जिनके परिवारों का नाम कुलीन परिवारों में गिना जाता हैं वो अपना स्पर्म डोनेट कर रहे हैं ।
ये कानून गलत हैं पर हो रहा हैं । सुंदर और गोरे लडको के स्पर्म की मांग बहुत हैं और एक बार के डोनेशन का १००० रुपया मिलता हैं ।
किसी भी जगह किसी भी ब्लॉग पर मैने अभी तक इस विषय पर ना तो बहस देखी हैं और ना ही ये देखा हैं की किसी ने भी इसको गलत मान कर इसका प्रतिकार किया हो ।
अब या तो ब्लॉग लिखने वाले इसको गलत ही नहीं मानते हैं क्युकी लडके कर रहे हैं
या
लोग पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं की ये हो रहा हैं ।
अगर आप अनभिज्ञ हैं तो एक बार इस विषय पर सोचिये जरुर क्युकी या तो आप बेटे के माँ पिता हैं
या आप होने वाले दामाद के सास ससुर हैं
दोनों ही केस में आप इस विषय से जुड़े हैं ।
Delhi: Lure of quick money pulls school boys to sperm donation
Sperm donation for pocket money?
अगर किसी के पास किसी भी हिंदी में लिखे हुए ब्लॉग पोस्ट का लिंक हो इस विषय पर तो कृपा कर के कमेन्ट में जरुर जोड़ दे ।
जो लोग इस चर्चा को आगे बढ़ाना चाहे वो इस पोस्ट का लिंक भी जोड़ दे ।
इस विषय से सेहत संबंधी जो भी जानकारी हो उसको खोजिये और अपने बेटो से इस पर चर्चा भी कीजिये । नैतिकता का पाठ पढ़ना बेटे और बेटी दोनों के लिये जरुरी हैं
हाँ एक सम्बंधित विषय हैं जिस पर चर्चा जरुर होनी चाहिये की स्पर्म डोनेशन की जरूरत क्यूँ पड़ने लगी हैं क्या infertility on the rise,हैं । अगर ऐसा हैं तो क्या विवाह पूर्व इसकी जांच भी जरुरी हो जाएगी जैसे एच आई वी के लिये कहा जाता हैं ।
चलते चलते
अब समय आ रहा हैं जब दुनिया में क्लोन ज्यादा होगे । बच्चो की शक्ल घर के लोगो से नहीं मिलेगी । हो सकता हैं किसी का बच्चा जब उसके साथ ट्रेन में या फ्लाईट में जा रहा हो तो बगल की सीट वाले से उसकी शक्ल और व्यवहार मिल रहा हो क्युकी क्या पता डोनेट किये हुए स्पर्म से किसी सररोगेट माँ की कोख से वो जन्मा / जन्मी हो ??? !!! :-)
इसे विज्ञान की तरक्की कहेगे या इसको नैतिकता का पतन ये फैसला होता रहेगा , समय की मांग हाँ की कम आयु के बच्चो को रोका जाये इसको करने से । बेटो को भी नैतिक शिक्षा की जरुरत हैं ताकि समाज सुरक्षित रहे ।वो लोग जो संतान को जन्म देने में अक्षम हैं क्या ही बेहतर हो अगर गोद लेने का विकल्प चुने ।
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रचना, मैंने यह समाचार तो नहीं पढ़ा था किन्तु पश्चिम में यह होता है इस बात का पता था और दो समाचारों को पढ़ने के बाद इससे सम्बन्धित पोस्ट लिखने का मन बना चुकी थी व मनन भी करा था। यह एक बहुत गम्भीर मुद्दा है। शुक्राणु व अंडदान या कहिए बेचना दोनो होता है। शुक्राणुदान सरल है अतः अधिक होता है।
ReplyDeleteलड़कों को नैतिकता की शिक्षा देना अधिक आवश्यक है क्योंकि परम्परागत इन्हें नैतिकता कम ही सिखाई जाती है। वे प्रायः नैतिकता सिखाते हैं, सीखते नहीं। वे नैतिकता के रखवाले हैं न कि पालन करने वाले। इस पोस्ट के लिए बधाई।
घुघूती बासूती
रोचक जानकारी|
ReplyDeleteहम वीर्य दान के बारे में जानते थे पर हम सोचते थे कि वीर्य दान स्वेच्छा से की जाती है|
यह पैसे का मामला नई खबर है|
शायद demand and supply की स्थिति के कारण हमें इसे बर्दाश्त करना पडेगा|
पर कम आयु के लडकों से वीर्य दान वर्जित होनी चाहिए|
इसमें sperm bank का सहयोग जरूरी है|
जी विश्वनाथ
रोचक जानकारी|
ReplyDeleteहम वीर्य दान के बारे में जानते थे पर हम सोचते थे कि वीर्य दान स्वेच्छा से की जाती है|
यह पैसे का मामला नई खबर है|
शायद demand and supply की स्थिति के कारण हमें इसे बर्दाश्त करना पडेगा|
पर कम आयु के लडकों से वीर्य दान वर्जित होनी चाहिए|
इसमें sperm bank का सहयोग जरूरी है|
जी विश्वनाथ
मेरे लिये नई जानकारी है।
ReplyDeletebilkul hona chahiye..
ReplyDeleteप्रोफेसरों,डाक्टरों और वैज्ञानिकों आदि के वीर्य की मांग के बारे में तो सुना था,पर ये टीनएजर? धन्य हैं वे केंद्र भी जो इनकी कतार लगवा रहे हैं। अब क्या अस्पतालों में सरकार को यह बोर्ड भी लगवाना पड़ेगा कि यहां अमुक उम्र तक के व्यक्ति का वीर्य नहीं लिया जाता? इन्हीं पैसों से ये लड़के गर्लफ्रैंड को गिफ्ट देते हैं क्या? महानगरीय पतन का उदाहरण मालूम पड़ता है।
ReplyDeleteइन्हीं पैसों से ये लड़के गर्लफ्रैंड को गिफ्ट देते हैं क्या?
ReplyDeleteजीहाँ पहले दिये हुए लिंक को अगर आप पढ़ेगे तो ये कारण दिया हैं आखरी में
यह सच में चिंताजनक स्थिति है। इस विषय पर पहले कभी नहीं पढ़ा था, यह सच है, यह भी उतना ही सच है कि घर में इस तरह की बातें हम नहीं कर पाते।
ReplyDeleteदेखें आपका आलेख क्या करवा पाता है?
मेरी असहमति दर्ज करे पोस्ट का शीर्षक है बेटो को भी नैतिक शिक्षा दी जाने की जबकि अंदर बेटियों के लिए क्या क्या कहा जाता है की संख्या ज्यादा है जबकि बेटे के लिए एक ही विषय को उठाया गया है जानती हूं की बेटो को सारी नैतिकता का पाठ एक पोस्ट में बताना संभव नहीं होगा :) फिर भी कम से कम दो चार और तो बताना ही था | ये खबर कल या आज ही कही पढ़ी थी ये तो कुछ भी नहीं है इससे भी कही ज्यादा नैतिक रूप से ख़राब काम बेटे करते है किन्तु उन्हें सब माफ़ जैसा की आप ने कहा क्योकि सारा नैतिकता का ठेका बेटियों ने ले रखा है | इंतजार कीजिये इसके लिए भी कही ना कही महिलाओ के ही सर ठीकरा फोड़ा जायेगा , कई कारणों में से एक कारण महिला मित्र को तोहफा देना है लेकिन देखिएगा ज्यादा चर्चा इसी कारण का होने वाला है या फिर महिलाए बच्चा गोद क्यों नहीं ले लेती उन्हें जरुरत ही क्या है खुद बच्चे जन्म देने की जब पति इसमे समर्थ नहीं है आदि आदि
ReplyDeleteएक बात और कहना चाहूंगी विषय से अलग पर पोस्ट से सम्बंधित जब भी कोई महिला दान में मिले स्पर्म से गर्भवती होने जा रही है तो रंग रूप की जगह व्यक्ति का स्वास्थ्य के बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए खास कर व्यक्ति के अनुवांशिक ( खानदानी) बीमारियों के बारे में क्योकि कई बार व्यक्ति के वर्तमान स्वास्थ्य के बारे में तो जानकारी ली जाती है पर उसके परिवार में कौन कौन सी और बीमारी अनुवांशिक रूप से आगे जा सकती है के बारे में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है | कई बार कुछ बीमारिया उस व्यक्ति को तो नहीं होती है किन्तु संभव है की वो बीमारी के कैरियर का काम करे और होने वाले बच्चे में वो आ जाये |
ReplyDeletehmmm, bilkul nai jankari hai, kiraye ki kokh ke bare mei to aajkal boht charcha hai, par ye khabar abhi padhi,
ReplyDelete[ प्रवीण शाह जी के यहां इस पोस्ट की लिंक देखी और पाठकों के प्रति मोहभंग जैसा कमेन्ट भी,सो लगा कि हम भी पढ़ लें इस पोस्ट को ]
ReplyDeleteसबसे पहले इस बात से सहमत कि डोनेटेड (विक्रीत कहना सही होगा) स्पर्म का एच आई वी जैसा टेस्ट ज़रूर होना चाहिए !
@ स्पर्म डोनेशन बनाम नैतिकता ,
अगर स्पर्म डोनेशन को अनैतिकता की श्रेणी में गिना जायेगा तो फिर महाकाव्य काल के नियोगों की सामाजिक स्वीकृति को क्या कहियेगा ?
आज के सुन्दर और गोरे लड़के बनाम बीते समय के देवता और ब्राह्मण ,ऋषि ,मुनि , भला क्या अन्तर है संतति प्राप्ति के तरीके में ? कुंती ने देवताओं से बच्चे प्राप्त किये , विदुर भी ऐसे ही जन्मे !
संतान की उत्पत्ति में 'अक्षम' को ,विकल्प के चयन के लिए ,समाज की मान्यता और सम्बन्धित जोड़े की सहमति ही इसका महत्वपूर्ण पक्ष है ! पहले के जमाने में स्पर्म बैंक का उल्लेख ना भी मिले तो पति के अलावा अन्य सक्षम से सहवास की स्वीकृति तो थी ही ना ? आज के युवा केवल स्पर्म दे रहे हैं जबकि नियोग के लिए सहवास की आवश्यकता फिलहाल समाप्त हुई तो फिर इसे अनैतिक क्यों कहा जाये ?
केवल इसलिए कि युवा लड़के स्पर्म व्यर्थ नष्ट करने के बजाये उसकी कीमत ले रहे हैं ? तो फिर नियोगकर्ता देवता और ब्राह्मण हवि ( यज्ञ में आहुतियां और अन्य सत्कार ) लेकर क्या करते थे ?
अर्जित धन को कौन कहां खर्च करता है क्या इसकी चिंता भी हमें करना पड़ेगी ?
इस तरह की संतान के लिए तब भी स्त्रियों की सम्मति आवश्यक थी और आज भी है , फिर अनैतिकता का टैग क्यों ?
प्रश्न यह है कि स्पर्म डोनेशन से हमारी जनसंख्या का कितने प्रतिशत हिस्सा प्रभावित होने वाला है ? आज तो संभवतः एक प्रतिशत भी नहीं और आगे चल कर शायद पांच प्रतिशत तक पहुंचे जोकि स्टेंडर्ड एरर का लेवल है :) हमारे समाज में क्या संतानोत्पत्ति अक्षम दम्पत्तियों का प्रतिशत इससे ज्यादा है ?
केवल संतान के अतिरिक्त अगर सुन्दर नस्लों की धारणा को इसका कारण मानूं तो क्या हमारी सामाजिक मान्यतायें दम्पत्तियों की सोशल कंडीशनिंग इसके अनुकूल करती हैं ? वहां पश्चिम में एक कोशिश हिटलर ने की थी उसका क्या हश्र हुआ आपको ज्ञात ही है ! फिर आज के समय में सुंदरता का पैमाना क्या है ? केवल गौर वर्ण ? तब तो बोरिस बेकर को किसी नीग्रो से प्रेम नहीं करना चाहिए था ! जिस संसार में प्रेम में नस्लों की मिक्सिंग का चलन चल निकला हो वहां केवल स्पर्म डोनेशन की एक प्रवृत्ति को लेकर अतिशयोक्ति पूर्ण दावे करना उचित प्रतीत नहीं होता ! इस देश में गाँव और कस्बे और शहरों का बहुतायत आपकी धारणा की पुष्टि करता हो ऐसा लगता तो नहीं :)
महाकाव्य काल में नियोग की स्वतंत्रता , हिटलर की आकांक्षा का परिणाम हमें आश्वस्त करता है कि इस दुनिया में हर आदमी क्लोन नहीं होने वाला :)
बच्चे गोद लेने का फैसला या नियोग से संतान जन्मने का निर्णय सम्बंधित दम्पत्तियों का अधिकार है ! हम कौन होते हैं उन्हें उचित अनुचित का पाठ पढाने वाले ! स्वयं मेरे बच्चे ऐसा करें तो उन्हें यह करने का अधिकार है / होगा ! मैं जानता हूं कि ऐसे दम्पत्तियों से समाज को कोई खतरा नहीं है :)
----वीर्यदान आदि में नैतिकता की कोई बात नहीं है......यह बस आवश्यकता व पूर्ति की बात है जो दो -पार्टियों के मध्य का समझौता है......इसमें अनैतिकता जैसी कोई बात नहीं । हां अधिक व बार बार रक्त बेचने जैसा स्वस्थ्य हानि कारण अवश्य है.....जिसे ध्यान में रखना चाहिये...सरकार, चिकित्सा सन्स्थायें, समाज सब ही को.....
ReplyDelete---प्राचीन नियोग, गोद लेना आदि इसी श्रेणी के थे...यह लेने वाले पर निर्भर है कि क्या मार्ग अपनाया जाय.....
-----अतः चिन्ता जैसी कोई बात नहीं है..
बहुत कुछ नई जानकारी मिली यहाँ आकार ...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteयहाँ मुद्दा हैं की क्या कम आयु के लडको का स्पर्म बेचना महज अपनी पॉकेट मनी के लिये सही हैं / नैतिक हैं ???
ReplyDeleteमैने यहाँ गर्भ धारण की किसी भी पद्धति की बात कहा की हैं ???
मेरा मुद्दा साफ़ हैं की अगर लड़कियों को महज पिंक चड्ढी , सलट वाल्क जैसे विरोध करने के तरीको को लेकर लोग उनको छिनाल , वेश्या इत्यादि कहते हैं वो लोग इन लडको के जो जान कर और समझ कर ये कृत्य कर रहे हैं क़ोई ब्लॉग पोस्ट दे कर विमर्श क्यूँ नहीं करते हैं .
कितनी आसानी से प्रबुद्ध पाठक मुद्दे को गर्भ धारण की विधियों की जानकारी पर ले गए और उस जगह जहां एक माँ अपने बेटो से कह सकती थी "बाँट लो " द्रौपदी को .
मेरी पोस्ट हमेशा नारी और पुरुष को मिले अधिकारों की असमानता पर होती हैं और जितनी बाते मैने इस पोस्ट में कही हैं नैतिकता लड़कियों के लिये जिन पर पोस्ट पर पोस्ट आती हैं और सो कॉल्ड विमर्श होता हैं उतना विमर्श इस पोस्ट की दिशा को ध्यान में रख कर क्यूँ नहीं हो रहा क्युकी यहाँ गलत काम एक ना बालिग लड़का कर रहा हैं .
क्या उम्र होती है स्पर्म बनने की ?
ReplyDeleteकिन हास्पिटल्स ने कम उम्र के लडको से स्पर्म खरीदे हैं ?
कहां हैं वे नाबालिग लड़के ?
आप जिन नाबालिग लड़कों के हवाले से नैतिकता की चर्चा करना चाहती हैं तो आपको उन लड़कों के ठोस रेफरेंस भी देने चाहिए ! आपने नाबालिग कह दिया और हमने मान लिया क्या ऐसे ही विमर्श हुआ करेंगे !
( इतिहास अगर है सो उसे बताने में बुराई क्या अगर उससे साबित होता है कि स्पर्म लेने / विक्रय को सामाजिक मान्यता रही है और हजारों साल से इस समाज का कुछ नहीं बिगडा जो अब बिगड़ने वाला है )
पहली बात तो यह की यह जानकारी नयी है मेरे लिए | अंशुमाला जी से सहमत हूँ | कुछ बातें अवश्य कहूँगी -
ReplyDelete१. कम से कम भारत में तो अभी ऐसे test tube बेबी वाले गर्भादान बहुत rare होंगे, बेचने / खरीदने की स्थिति तो और भी rare होती होगी | यहाँ दी टिप्पणियों से भी यही लगता है की ऐसे केसेस के बारे में किसी को भी जानकारी नहीं है | खबर छपने का क्या है - कोई भी कुछ भी छाप सकता है |
२. हमारे यहाँ तो पति यदि किसी वजह से पिता न बन सके - तो इलाज ही करा ले, यह भी rare होगा, external sperm लेना तो बहुत दूर की कौड़ी है | या तो ऐसे परिवार अपने ही परिवार में गोद ले लेते हैं, या बाहर से, या फिर बिना ही संतान के जीवन बिताते हैं | अनजान व्यक्ति का स्पर्म लेने के यदि आपके पास कोई statistics हैं, तो इस पर आगे बात की जा सकती है | ऐसे health centres में देखा जाए - तो अक्सर - जहां पति able हो और पत्नी नहीं - वहां पत्नियाँ ही इलाज कराती नज़र आएँगी | यदि पत्नी माँ बन सकती है और पति पिता नहीं बन सकता - तो बात अक्सर वहीँ ख़त्म हो जाती है |
३. यह शायद विदेश की किसी news के reference पर हो ?
४. यदि ऐसा sperm donation हो तो ? अब हमारे देश में नारायण दत्त तिवारी जी की बात लीजिये - एक व्यक्ति DNA TEST डिमांड कर रहा है - यह साबित करने को की वे उसके पिता हैं | तो यदि ऐसे स्पर्म donation हो रहे हैं (?) तो आगे जा कर offspring के rights क्या होंगे ? क्योंकि देने वाला यह तो नहीं जान पायेगा की वह बालक जन्मा या नहीं - और जन्मा तो कहाँ ?
५, मेरे ख्याल से ये बातें व्यक्तिगत "नैतिकता" के बहुत आगे जाती है | आप जिन्हें समझाने की बात कर रही हैं - वे तो बच्चे हैं - और हर साल कितने बच्चे बड़े होते हैं ? नहीं यदि सच ही हमें यह issue discuss करना हो - तो हमें ऐसे fertility help centres के doctors को टार्गेट करना होगा, जो वेल एजुकेटेड एडल्ट्स हैं, न की potential donors को जो नाबालिग बच्चे हैं (जैसा आपने कहा )
उम्र होती है स्पर्म बनने की ?
ReplyDeleteकिन हाक्या स्पिटल्स ने कम उम्र के लडको से स्पर्म खरीदे हैं ?
कहां हैं वे नाबालिग लड़के ?
आप जिन नाबालिग लड़कों के हवाले से नैतिकता की चर्चा करना चाहती हैं तो आपको उन लड़कों के ठोस रेफरेंस भी देने चाहिए ! आपने नाबालिग कह दिया और हमने मान लिया क्या ऐसे ही विमर्श हुआ करेंगे !
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इस पोस्ट में लिंक दिये हैं उन पर जा कर खबर पढी जा सकती हैं . रही बात मैने कह दिया , नहीं मैने कहा नहीं हैं मैने खबर को आगे बढ़ा दिया हैं . आप मानने के लिये प्रतिबद्ध हैं ही नहीं .
आगे किसी का नाम लेकर क़ोई बात कभी करनी नहीं चाहिये जब तक की आप कानून क़ोई कार्यवाही नहीं करते . किसी का नाम , पहचान और चेहरा हमेशा गुप्त ही रखा जाता हैं , ह्युमन राइट्स इस परम्परा का अनुमोदन करता हैं यहाँ तक की पुलिस को भी यही हिदायत दी जाती हैं
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( इतिहास अगर है सो उसे बताने में बुराई क्या अगर उससे साबित होता है कि स्पर्म लेने / विक्रय को सामाजिक मान्यता रही है और हजारों साल से इस समाज का कुछ नहीं बिगडा जो अब बिगड़ने वाला है )
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अली जी बात अगर स्त्री पुरुष के सन्दर्भ में देखे तो सदियों से इतिहास ही कहता आ रहा हैं की स्त्री दोयम हैं और नैतिकता का ठेका उसी का का हैं आज अगर वो विद्रोह के प्रतीक स्वरुप कुछ करती हैं तो उसको समाज बिगाडने का जिम्मेदार माना जाता हैं और आलेख पर आलेख दे कर विमर्श होता हैं पर जहां पुरुष की बात आयी विमर्श के मुद्दे को ही निरस्त्र किया जाता हैं
shilpa
ReplyDeleteplease check the links
the need to write and talk about these issues is to make people aware about what is going on so that a parent may be able to guide a kid about the ethics of this issue
just think how close we are to incest births in coming future
the administration will take its ocurse to target the doctors as per law but dont you think its the parents who ultimately will have the need to sit with their boys and discuss it .
i think in case of daughter all mothers do give a guideline to her then why do we not do it for boys
true rachna - i agree to this aspect of it - we have to guide our kids
ReplyDeleteरचना जी ,
ReplyDeleteमैंने खबर पढकर ही सवाल किये थे ! अखबार नवीसों पर काफी काम करवाया है शायद इसीलिये !
मैं इतिहास के उस हिस्से से भी परिचित हूं जहां पुरुष दोयम दर्जे का है इसलिए विमर्श को खुले दिमाग से ही लेता हूं ! मैं नहीं मानता कि नैतिकता का सारा ठेका स्त्रियों का है या होना चाहिए ! बस ख्याल ये करता हूं कि मुद्दे पर चर्चा के समय पक्षपात ना कर बैठूं ! चर्चा में फेयर रहूँ !
मेरा इरादा आपकी परिचर्चा को ठेस पहुँचाने का नहीं है ! अगर आप अन्यथा ना लें तो याद दिलाऊं कि कुछ दिन पहले आपने , किसी ब्लॉग पर नाबालिग बच्चों के काम (कंडीशनल ही सही) की पैरवी की थी ! वो प्रकरण भी धनार्जन का था और यह भी ! अन्तर अगर है भी तो ये कि वे विपन्न परिवार के बच्चे थे और ये संभवतः धनसंपन्न परिवार के होंगे ! वे रोटी के लिए और ये पाकेट मनी के लिए ! आशय एक ही है 'धनार्जन', इस अर्थ में दोनों ही प्रकरण के बच्चों के 'अभाव' समान हैं अतः दोनों ही अपने अपने 'शरीर' को खटाते हैं !
धन के लिए नाबालिग बच्चे श्रम बेचें या स्पर्म नैतिकता / उचित अनुचित का तर्क तो एक जैसा होना चाहिए ना ?
बेहद विचारणीय विषय …………नाबालिग लडके ऐसा कर रहे है इसके बारे मे पता नही था और इस मुद्दे को खुलकर सबके सामने आना चाहिये ताकि समाज मे जागरुकता बनी रहे और सब सम्मिलित रूप से संभल सकें नही तो इसके दुष्परिणाम के लिये हम खुद जिम्मेदार होंगे।
ReplyDeleteउपस्थित दर्ज करें ...आप लोगों को समझने का प्रयत्न कर रहा हूँ !
ReplyDeleteसादर ...
अली जी
ReplyDeleteअगर किसी गरीब बच्चे को भूखे मरने और काम करने के बीच चुनाव करना हो और वो काम करने का चुनाव करे तो मै उसके चुनाव के साथ हूँ लेकिन अगर वही बच्चा काम करने में चोरी करने के काम को चुनता हैं तो मै उसके साथ नहीं हूँ .
संपन्न परिवारों में अगर बच्चे एंड दान या वीर्य दान करते हैं और वो भी ना बालिग बच्चे और उनके माता पिता अनभिज्ञ हैं इन बातो से जैसा की इस पोस्ट पर कयी टीप से प्रतीत हो रहा हैं तो आवश्यकता हैं की हम ऐसी बातो पर ब्लॉग माध्यम में खुल कर चर्चा करे क्युकी इन्टरनेट का माध्यम जानकारी का हैं
देखा रचना जी यदि पुरुष वो भी संम्पन्न बस अपने मौज मस्ती के लिए ( उनके परिवार पाकेट मनी तो देता ही होगा और अच्छी मात्र में देता होगा निश्चित रूप से और पैसे की चाहत उनके लिय मजबूरी तो होगी नहीं ) अपना स्पर्म बेचता है तो ये किसी को भी नैतिक रूप से गलत नहीं लगता है वही मज़बूरी में या कई बार जबरजस्ती महिलाओ को यदि सेरोगेट मदर बनती है ( जरा पता किया जाये की सेरोगेट मदर बनने वाली महिलाए कितना अपनी मर्जी से काम करती है और कितना अपने घरवालो के दबाव में ) तो समाज में खुले रूप से बहुत से लोग इसे नैतिक रूप से गलत बताते थकते नहीं है | ये कोई एक मामला नहीं है इस तरह के कई विषयों में लोगो को ये लगता है नहीं है की पुरुषो द्वारा किया गया काम कही से भी नैतिक रूप से गलत है | यहाँ तक की पुरुष वैश्यावृत्ति में भी लोग महिला ग्राहकों के ही नैतिक पतन की बात करते है ऐसे करने वाले पुरुषो का नहीं और महिलाओ के वैश्यावृत्ति में पुरुष ग्राहकों को पूरी नैतिकता की छुट होती है जबकि ऐसा करने वाली ज्यादातर महिलाए या तो जबरजस्ती इस क्षेत्र में लाई जाती है या मजबूरी उन्हें यहाँ ले आती है जबकि पुरुषो के साथ ऐसा नहीं होता है फिर भी नैतिकता के पैमाने दोनों के लिए अलग होते है , यहाँ भी यही हो रहा है | पैसे के लिए स्पर्म बेचना जैसे काम कम से कम नैतिक रूप से ही बिलकुल गलत है वो भी तब जब ये आप की मज़बूरी ना हो |
ReplyDeleteएक और जानकारी जो व्यक्ति दान में स्पर्म लेता है उसे भी उस व्यक्ति की कोई जानकारी नहीं दी जाती है जिसने स्पर्म दान दिया है और ना ही दान देने वाले को ये बताया जाता है की उसके स्पर्म का प्रयोग किस किस ने किया है , इसलिए कौन ऐसा कर रहा है ये बताना तो मुस्किल है किसी के लिए भी किन्तु जब इस तरह के कम कुछ ज्यादा हो तो इन संस्थानों से ही ये खबरे बाहर निकाली जाती है क्यों और कैसे ये बात मिडिया से जुड़े लोगो से पता किया जा सकता है |
@ अंशुमाला जी ,
ReplyDeleteवास्ते आपके कमेन्ट की प्रथम दो पंक्तियाँ ...
" देखा रचना जी यदि पुरुष वो भी संम्पन्न बस अपने मौज मस्ती के लिए ( उनके परिवार पाकेट मनी तो देता ही होगा और अच्छी मात्र में देता होगा निश्चित रूप से और पैसे की चाहत उनके लिय मजबूरी तो होगी नहीं ) "
पुरुष वो भी सम्पन्न ?
अपने मौज मस्ती के लिये ?
परिवार पाकेट मनी तो देता ही होगा ?
अच्छी मात्रा में देता होगा ?
पैसे की चाहत मजबूरी तो होगी नहीं ?
ये आपके अनुमान हैं या निष्कर्ष :)
संभावनायें या कि निर्णय :)
@ रचना जी ,
चोरी का समर्थन कौन करेगा ? बच्चों के श्रम पर मैं अपनी बात सम्बंधित ब्लाग पर कह चुका हूं ! यहां भी मैं अपनी बात कह चुका कि मेरे लिए ये दोनों ही दशायें शरीर खटने से सम्बंधित हैं !
बहरहाल खुले मन से मेरा पक्ष सुनने के लिए आपका आभार !
चोरी करना और चोरी से करना दोनों में क्या अंतर हैं
ReplyDeleteना बालिग़ लड़का चोरी से स्पर्म बेच रहा हैं कहने को वो दान कहा जा रहा , ये चोरी से बेचना एक अनेतिक कृत्य ही हैं और अगर क़ोई आर्थिक रूप से संपन्न बालक केवल पॉकेट मनी के इजाफे के लिये { यानी मौज मस्ती के लिये } अपने माता पिता से चोरी से ये कृत्य करता हैं तो उसको गलत और अनैतिक ना मानना ही अपने आप में गलत हैं
बाकी अंशुमाला ने स्पष्ट कर ही दिया हैं
रचना जी ,
ReplyDeleteजिस चीज को बेचकर वह आन रिकार्ड पैसे ले रहा है उसे चोरी से करना / या चोरी करना आप कह रही हैं ! उसका नाबालिग होना भी आपका कथन या फिर अखबार का कथन है !
आर्थिक सम्पन्नता और मौज मस्ती ,पाकेट मनी का इजाफा और माता पिता से छुपा कर करना ये सारे कथन आपके या फिर अखबार के हैं परन्तु प्रमाणित इनमें से कुछ भी नहीं है !
जो अभी सत्य साबित नहीं उस पर धारणायें आप बना सकती हैं ये आप का अधिकार है ! मुझे आपके इन कथनों के सच साबित होने का इंतज़ार रहेगा और वहीं पर मैं अपनी धारणाएं भी बना पाउँगा कि इसमें से नैतिक क्या है और अनैतिक क्या ?
मैंने अंशुमाला जी के कमेन्ट की केवल दो लाइन्स कोट की थीं जो मुझे उनका अनुमानित वक्तव्य लगीं ! उनके पूरे कमेन्ट पर प्रतिक्रिया तो बाद की बात है !
"महाकाव्य काल में नियोग की स्वतंत्रता"
ReplyDeleteएक एक्सेप्शन को जनरलाइज करना कितना उचित है.
कितना पढ़ा है नियोग के बारे में, कहाँ कहाँ लिखा है नियोग के बारे में. अभी दूसरे ग्रंथों के बारे में/ग्रंथों से लिख दिया जाए तो फिर लेखक को दोषी ठहरा दिया जायेगा.
अली जी
ReplyDeleteवास्ते आप के :)
जैसा की रचना जी ने भी लिखा है की वो बहुत ही संभ्रांत परिवार से थे और कुलीन परिवार से थे |
आज तो हर परिवार अपने बच्चो को पाकेट मनी देता है इसमे अनुमान की क्या बात है और वो सम्प्पन परिवार से है तो अच्छी मात्र में ही देता होगा | इसमे से मुझे नहीं लगता है की कुछ भी अनुमान या सम्भावनाये जैसा क्या है हा मेरा निष्कर्ष जैसा कुछ कह सकते है | क्योकि नैतिकता के पैमाने भी व्यक्ति और उसकी परिस्थिति के हिसाब से बदल जाते है मेरे हिसाब से तो | कोई गरीब पैसे के लिए अपना रक्त बेच दे तो शायद ये नैतिक रूप से गलत न हो किन्तु यदि मै किसी जरूरतमंद से ये कहूँ की भाई तुम्हे तो रक्तदान तब ही करुँगी जब तुम मुझे पैसे दोगे तो ये तो मेरे लिए बिलकुल ही नैतिक रूप से गलत होगा , हा ये संभव है की कुछ लोग कहे की इसमे क्या गलत है वो कही न कही से खरीदता ही तो तुम मुफ्त में उसे क्यों दो | मतलब ये की नैतिकता को लेकर लोगो की सोच भी अलग हो सकती है |
और मेरे पूरी टिपण्णी पर कुछ आज कह देते तो अच्छा होता शायद बाद में उसका जवाब या सफाई जो भी मै न दे सकू क्योकि आज कल ब्लॉग जगत से जरा नाता टुटा हुआ है :(
मै इसे इस रूप में भी देख रही हूँ की आज के युवा आसन रास्तो से पैसे कमाने के चलन को बड़ी तेजी से अपना रहे है ( इजी मनी ) और ये पैसे वो अपनी पढाई या रोज के खाने पीने जरूरतों के लिए नहीं बल्कि महंगे गैजेट खरीदने , पब जाने ब्रांडेड कपडे खरीदने बड़े होटलों में खाने पीने के लिए करते है जो नैतिक रूप से सही नहीं है इन आसन रास्तो में वो रास्ते भी है जब हम पढ़ते है की इन्जिनियारंग कर रहा या एम् बी ए कर रहा युवा किसी चोरी डकैती ठगी में पकड़ा जाता है | उसी तरह स्पर्म देना भी उंनके लिए एक आसन रास्ता है पैसा कमाने के लिए | वरना तो आज थोडा पढ़े लिखे लड़को को पार्ट टाइम काम कुछ समय के लिए और कुछ पैसा कमाने के लिए आसानी से मिल जाता है पर उसमे मेहनत करनी होती है जो वो करना नहीं चाहते है |
ReplyDeleteअंशुमाला जी ,
ReplyDelete:)
रचना जी के कथनों की प्रमाणिकता के विषय में मैंने उनसे ही निवेदन कर लिया है ! लेकिन क्षमा कीजियेगा अगर आप किसी अप्रमाणित कल्पना / अनुमान / कथन पर आंख मूंद कर विश्वास करके उसे ही अपना निष्कर्ष भी मान लेती हैं तो यह सार्थक बहस / चिंतन के स्वास्थ्य , के लिए अच्छे लक्षण नहीं है !
हवा में लाठी भांजने और पानी पीटने जैसे मुहावरे मेरे अभ्यास में नहीं है :)
अस्तु अब कोई सवाल जबाब नहीं ! आप निश्चिन्त रहिये ! मैं भी लौट कर नहीं आ पाउँगा मुझे भी अन्य कार्य रहते हैं ! प्रतिक्रिया के लिये आपका ह्रदय से आभारी हूं !
रचना जी माफ कीजिएगा लेकिन यदि आपको लगता है कि लोग आपके उठाए मुद्दे को हल्के में ले रहे हैं तो जरा आप अपने को भी देखें कि आप भी अपनी बात ढंग से समझा पा रही हैं कि नहीं.कलको कानून ये कहे कि सोलह से इक्कीस साल के लडके भी स्पर्म डोनेट कर सकते है,तब क्या ये सब अनैतिक नहीं रहेगा? या आपके हिसाब से अब कानून तय करेगा कि क्या नैतिक है और क्या अनैतिक.कानून तो बदलते भी रहते है.अगर आपको आपत्ति नाबालिगों द्वारा ऐसा किए जाने पर है तो नाबालिगों पर ये नैतिकता अनैतिकता वाली बातें लादना ही गलत हैं .और यदि आपको लगता हैं कि नाबालिगों में इतनी समझ हैं कि क्या सही हैं और क्या गलत तो फिर स्पर्म डोनेट करने के लिए न्यूनतम आयु सीमा भी इक्कीस की बजाए सोलह ही क्यों नहीं कर देनी चाहिए.
ReplyDeleteयदि ये लडके इन पैसों को मौज मस्ती (वैसे मौज मस्ती का केवल वो ही तो अर्थ नहीं होता)पर ही खर्च कर रहे है तो गलत वो है, न कि वो तरीका जिससे पैसा मिला है.और ये बात नाबालिगों पर ही नहीं बल्कि बालिगों पर भी लागू होती हैं.
वैसे जैसा पोस्ट में आपने कहा कि सुंदर और गोरे लडकों के स्पर्म की डिमांड ज्यादा है लेकिन ये कोई जरुरी तो नहीं कि ऐसे लडके बस गरीब गुरबों में ही हो,यदि कुलीन परिवारों में ऐसे लडके हैं तो वो स्पर्म डॉनेट कर दें.इसमें अनैतिकता कहाँ से आ गई.यहाँ तो मामला डिमांड और सप्लाई का है.ये पैसे किसीसे छीन तो नहीं रहे.
अंत में आप इस बात पर चिंतित हैं कि नाबालिग लडके चोरी छिपे ऐसा घोर अनैतिक काम कर रहे है.चलिए मान लेते हैं, लेकिन यदि आप कारणों की तह में जाएँ तो हो सकता हैं कि लडके चोरी छिपे ऐसा इसलिए ही कर रहे हैं कि घरवालों या जानकारों को पता न चल जाए.घर पर तो हो सकता हैं पिटाई भी खानी पडे.यानी रोक टोक तो उन पर भी हैं.फिर क्यों समाज को दोष दिया जाए कि वो नाबालिग लडकों को कुछ भी करने की छूट देता है.
वैसे इस खबर पर चिंतित होने की जरूरत नहीं.पढकर ही लग रहा हैं कि कई बातें अतिश्योक्तिपूर्ण और मनगढंत है.
@ या फिर महिलाए बच्चा गोद क्योंनहीं ले लेती उन्हें जरुरत ही क्या है खुद बच्चे जन्म देने की जब पति इसमे समर्थ नहीं है
ReplyDeleteअंशुमाला जी,तो इसमें दिक्कत क्या है,यदि ये बात कोई पुरूष कह भी दे तो? सही बात है तो कहने में क्या हर्ज है,जरूरी तो नहीं पुरुष इस पोस्ट पर ऐसी कोई बात कह दे तो वो मुद्दे को भटकाने की कोशिश ही कर रहा हो?जबकि ये बात खुद रचना जी ने भी पोस्ट के अंत में कही हैं और अनुवांशिक बीमारियों संबंधी रिस्क के बारे में आपने भी चर्चा की है.
दूसरी बात यदि आपको लगता हैं कि किसी महिला के सरोगेट मदर बनने पर या दूसरे कई मामलों में उसे अनैतिक ठहराया जाता है तो ठीक है, आपको ये अधिकार हैं कि आप इस दोहरे मापदण्ड का या तो विरोध करें या प्रश्न पूछें लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि जहाँ पुरुष गलत नहीं हैं वहाँ जबरदस्ती उसकी गलती निकाली जाएँ.और आप पता नहीं कैसे ये मान ले रही हैं कि जो लोग पुरुष के स्पर्म डोनेट करने को गलत नहीं मान रहे वो जरूर महिलाओं के सेरोगेट मदर बनने को गलत मानते ही होंगे?समाज स्पर्म डोनेट करने वाले लडकों के प्रति भी कोई बहुत खुला नजरिया रखता हो ऐसा मुझे तो नहीं लगता.हाँ लडकों पर लडकियों की तुलना में बंदिशें बेहद बेहद कम है ये बात मैं कई बार कह चुका हूँ लेकिन इतनी भी कम नहीं हैं जितना आप लोग अक्सर बताते रहते है और माफ जैसा तो बिल्कुल नहीं है.
खैर यहाँ मुद्दा दूसरा हैं.माना कि युवा ईजी मनी के चक्कर में बहुत से गलत रास्ते अपनाता हैं यहाँ तक कि चोरी भी(वैसे मेहनत तो लगती होगी इसमें).लेकिन स्पर्म बेचने में तो कोई चोरी नहीं,कोई डकैती या ब्लैकमेलिंग नहीं और न ही किसी को पैसे देने के लिए मजबूर किया जा रहा.हाँ पैसा कमाने का शॉर्टकट जरूर हैं.लेकिन चिंता मत कीजिए इसे कोई केरियर के विकल्प के रूप में नहीं अपनाएगा और न ही ये कोई ऐसा फलता फूलता उद्योग हैं जिसमें युवाओं की बडी आबादी खपाई जाने वाली है(वैसे मुझे तो इस खबर पर ही पर्याप्त संदेह हैं).कुछ समय के लिए पैसे की जरूरतो (या मौज मस्ती कहूँ?) को पूरा जरूर करता हैं.हो सकता हैं ये लडके भी जॉब की तलाश में हों या छोटा मोटा करते भी हों.ऐसा नहीं हैं कि बस स्पर्म बेचकर ही काम चलाया जाएगा.वैसे भी यहाँ प्रश्न ये हैं कि वीर्य के व्यर्थ बहाया जाना यदि गलत नहीं हैं तो फिर उसके बदले में पैसे ले लेना क्यों अनैतिक हैं.फिर चाहें ये काम कोई पैसे वाला करे या गरीब.
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ReplyDelete.
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अली सैयद साहब की सबसे पहली टिप्पणी अपने आप में संपूर्ण है इस मुद्दे को समझने के लिये...
आपके दिये हुऐ लिंक से उद्धृत कर रहा हूँ...
What the ICMR guidelines say
According to the Indian Council of Medical Research (ICMR):
The sperm donor has to be between 21 and 45 years of age
The ART clinic will obtain sperm from sperm banks; the identity of the donor will be kept hidden from the clinic and the couple
The clinic and the couple have the right to seek complete information about the donor such as his height, weight, skin colour, profession, family background, freedom from diseases, ethnic origin and the DNA fingerprint
The semen bank and clinic must not reveal donor’s identity to the couple.
रचना जी,
१- स्पर्म बैंक का कॉन्सेप्ट है एक ऐसा बैंक जहाँ हर वर्ग, चमड़ी के रंग, भाषा, Race, Ethnicity, कद, वजन, बालों के रंग, आँखों के रंग, व्यवसाय, शिक्षा व पारिवारिक परिवेश आदि आदि के स्वस्थ, रोगविहीन पुरूषों का वीर्य रखा जाता है।
२- जब भी कोई ऐसा संतानहीन दंपत्ति फर्टिलिटी क्लीनिक को संपर्क करता है जिसमें पुरूष संतानोत्पत्ति के लिये वीर्य बना पाने में असमर्थ है तो ऐसे मामलों में वीर्य बैंक की मदद ली जाती है, संतानहीन पुरूष की चमड़ी के रंग, आँखों के रंग, बालों के रंग, कद, वजन, शिक्षा, पारिवारिक परिवेश, Race, Ethnicity, भाषा आदि आदि कारकों में समानता रखता हुऐ डोनर का वीर्य उसकी पत्नी के गर्भधारण के लिये ढूंढा जाता है, जिससे भविष्य में होने वाला बच्चा अपने पिता की ही संतान सा दिखे।
३- संतानहीन दंपत्तियों का प्रतिशत अनुमानों के अनुसार हमारे समाज में दस से पंद्रह प्रतिशत तक है, ऐसे में हमारे वीर्य बैंको को हमारे समाज के प्रतिनिधि वीर्य सैंपल की आवश्यक्ता है... सभी को इस मामले में जागरूक होना चाहिये व हर समर्थ पुरूष को वीर्यदान भी करना चाहिये... कोई विशेष असुविधा या शारीरिक कष्ट नहीं होता इसमें...
४- संदर्भ नहीं दे रहा पर मैं जानता हूँ कि कम वय के पुरूष का वीर्य संतानोत्पत्ति के लिये सबसे अच्छा व सक्षम माना जाता है इसलिये हो सकता है कि कुछ वीर्य बैंक २१ वर्ष की आयु सीमा को नजर अंदाज कर रहे हों।
५- १०००-१५०० रूपये आज के जमाने में कुछ ज्यादा नहीं हैं... जैसा पहले बता चुका हूँ कि वीर्य केवल समर्थ का ही लिया जाता है... आखिर समय तो उसका भी जाया होता ही है... अब उस पैसे से वह क्या करे उसकी मर्जी...
६- अफसोस,जब मैं २१ बरस का था और जेब से कड़का भी, तब यह चलन नहीं था... वरना साथ पढ़ रही कई लड़कियाँ आज मेरे बारे में थोड़ा बेहतर नजरियाँ रखती... :((
...
The sperm donor has to be between 21 and 45 years of age
ReplyDeletei am talking of under age boys doing it
@praveen
इस पोस्ट का मुद्दा हैं की नैतिकता की शिक्षा की जरुरत बेटे की भी हैं लेकिन ऐसा होता ही नहीं हैं . कोई २१ साल से कम का लड़का स्पर्म बेच रहा हैं और उसमे कुछ अनेतिक नहीं हैं वाह ??? वही आप अगर याद करे तो कुछ वो पोस्ट दिमाग में जरुर आ आजाएगी जहां लड़कियों के स्किर्ट पहनने तक को अनैतिक कहा गया हैं . आप ने एक पोस्ट लिखी थी slut वाल्क पर उस पर आये कमेन्ट देखे , सारथि ब्लॉग पर slut वाल्क पर आई पोस्ट पर कमेन्ट देखे , लोग विद्रोह करती महिला के लिये कितने "कुलीन " शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं !!! वही यहाँ इस कृत्य को सही करार दे रहे हैं .
२१ वर्ष के बाद भी महिला को अपनी मर्ज़ी से विद्रोह भी करने का अधिकार नहीं हैं वही २१ वर्ष से कम के पुरुष को सब जायज़ हैं और बात करो तो मुद्दा ही गलत हैं , सोच ही गलत हैं मेरी .
क्यूँ प्रवीण ??? इन विषयों पर जहां पुरुष / बालक कुछ गलत करता हैं उसको गलत माना ही नहीं जाता हैं ???
आप हमेशा नारी मुद्दों के समर्थक हैं इस लिये आप से जवाब का आग्रह हैं की असमानता क्यूँ हैं
@rajan
ReplyDeleteजी राजन आप ने सही कहा की मेरी सोच में कानून / संविधान को ही तय करना चाहिये गलत / सही , नैतिक / अनैतिक क्या हैं ?
जब एक कानून होगा तो जाति , धर्म , लिंग , रंग इत्यादि का भेद भाव ख़तम होगा
कानून को मनवाने के लिये कड़े कदम होने चाहिये
आप तो अन्ना के समर्थक हैं क्या हैं उनका मुद्दा
भ्रष्टाचार मिटाओ , यानी सिस्टम को सही करो
ज़रा उस नज़रिये से सोच कर देखे और आग्रह हैं मेरे कमेन्ट जो मैने दुसरो के जवाब में दिये हैं उनको भी जोड़ ले इस कमेन्ट के साथ और फिर बताये की क्यूँ पुरुष और स्त्री के लिये नैतिकता अलग अलग हैं .
सस्नेह
रचना
अपराध या अनैतिकता का कोई जेंडर नहीं हो सकता...
ReplyDeleteठीक उसी तरह जैसे सज्जनता का महिला-पुरुष में विभेद नहीं किया जा सकता...
बहरहाल एक टैबू विषय पर सार्थक बहस छेड़ने के लिए साधुवाद...कोशिश करूंगा विषय पर विस्तार से पोस्ट लिखूं...
जय हिंद...
ये दुखद जानकारी नयी ही पता चली है
ReplyDeleteजो गलत है वो गलत है ....... स्त्री करे या पुरुष
मैंने ईव टीसिंग के सन्दर्भ में भी कहा था.....
ReplyDeleteहमारे समाज में जाने अनजाने लड़कों को नैतिकता के मामले कुपोषित बनाया जा रहा है|
अच्छा विचार विमर्श हुआ है , बहुत सारा ज्ञानवर्धन हुआ ...
ReplyDeleteपोस्ट और टिप्पणियां पढ़ते हुए एक बात दिमाग में आई कि पांडव और कौरवों के वंश में शायद ही कोई संतान अपने पिता की वास्तविक संतान थी , महाभारत होने का क्या इसमें कोई प्रयोजन था !!!
बच्चे नाबालिग या कुछ व्यस्क होने की उम्र में इस तरह का दान या बेचान कर रहे हैं तो शायद वे स्थिति की गंभीरता से परिचित नहीं हैं . जिस देश में हर साल तथाकथित नाजायज (हालाँकि मैं कहूँगी कि नाजायज बच्चे नहीं होते ) बच्चे दर दर की ठोकरे खाने को अभिशप्त हैं , समाजशास्त्री और नैत्तिक शास्त्रियों का ज्यादा जोर बच्चों को गोद लेने पर होना चाहिए .
अभी एक महान अभिनेता के बारे में सुना कि उन्होंने अपनी दूसरी पत्नी के लिए सरगोटे मदर और भिन्न तकनीक की मदद से एक बच्चा या बच्ची प्राप्त की , क्योंकि मिसकैरेज के बाद उनकी दूसरी पत्नी के लिए बच्चे को जन्म देना संभव नहीं था . जबकि उक्त अभिनेता के अपनी पहली पत्नी से तीन संताने हैं . क्या इसमें नैतिकता आड़े नहीं आती ?? यदि यह टिप्पणी विषयांतर में है तो मुझे खेद है !
नहीं वाणी आप का कमेन्ट सन्दर्भ से हट कर नहीं हैं , बात घूम कर नैतिकता के पैमाने पर ही आगयी हैं . नारी और पुरुष से कहते दुनिया बनी हैं , दोनों आधी आबादी माने जाते हैं पर दोनों के लिये नैतिकता का पैमाना अलग हैं
ReplyDelete@ राजन जी
ReplyDeleteजवाब देर से देने के लिए माफ़ कीजियेगा मैंने आप के सवाल देखे नहीं थे |
मै भी निजी रूप से मानती हूँ की जिन्हें बच्चे नहीं हो रहे है उन्हें गोद ले लेना चाहिए किन्तु सब ऐसा सोचे ये जरुरी नहीं है | सवाल ये है की जब पत्नी को कोई शारीरिक परेशानी होती है तब लोगो की राय इस तरह की नहीं होती है क्यों ? कई बार महिलाओ के कई दर्द और परेशानियों से गुजरना पड़ता है सारी जाँच के लिए (जब बच्चे न हो तो ,शारीरिक और मानसिक दोनों ) फिर भी लोग कहते है की माँ बनाने के लिए ये दर्द तो सहना ही पड़ेगा विरोध इस बात का है |
मै यहाँ किसी एक व्यक्ति विशेष की बात नहीं कह रही हूँ पुरे समाज के सोच की बात कर रही हूँ | हा वास्तव में कुछ लोग होंगे जो दोनों का ही विरिध करते होंगे और कुछ दोनों का ही समर्थन | आप थोड़े बड़े शहरों से जरा बाहर जा कर कुछ पारम्परिक परिवारों में जाइये आप को यही सोच मिलेगी जहा पुरुष के हर दोष माफ़ होता है | अभी हाल में ही राजेस्थान के एक मंत्री जी के किसी अन्य महिला से रिश्ते और उसकी हत्या पर उनकी पत्नी ही कह रही है की ये तो राजस्थान में आम बात है राज घराने में होता है इसमे क्या गलत है , ये पुरुषवादी समाज ( इसमे स्त्री पुरुष हर व्यक्ति शामिल है ) की सोच है जो अन्दर तक भरी है देखिये कैसे माफ़ी मिल रही है क्या पत्नी को ऐसे कृत्य पर माफ़ी मिलती |
जहा तक स्पर्म डोनेट करने की बात है तो जिस शब्द में दान जुड़ा है उसमे पैसे का क्या काम दुसरे जब २१ साल से निचे के लड़को के लिए ये नहीं है तो उनका ऐसा करना क्या गलत नहीं है | क्या आप अपना रक्त बेचना पसंद करेंगे क्या आप मौज मस्ती के लिए युवाओ को सलाह देंगे की रक्त तो चार घंटे में दुबारा बन जाता है उसे भी बेचो क्या ये नैतिक रूप से सही है और नाबालिक के लिए तो ये क़ानूनी रूप से भी सही नहीं है |
जिन्हें विज्ञानं की सहायता के लिए या समाज के लिए कुछ करना है वो इसके लिए पैसे नहीं लेंगे कम से कम हमें तो इतना नैतिक होना चाहिए की जिस शब्द के साथ दान जुड़ा है उसे धंधा नहीं बना लेना चाहिए इस नैतिक शिक्षा की बात की जा रही है यहाँ |
सबसे पहले आपके इस पोस्ट से जो लोगों को जानकारी मिली उसका शुक्रिया हम में से कई हैं जो इस खबर को नहीं जानते होंगे और यहाँ आकर ही जान पाए...
ReplyDeleteरचना जी के इस पोस्ट पर आये सारे टिपण्णी इस पोस्ट को एक नए विवाद के घेरे में ले आये हैं ,जिसका हल सोंचना था ,क्या गलत है क्या सही ? पर सही निष्कर्ष तो तब बन पड़े जब कई सोंच एक साथ उस बात पर मुहर रख दें...... रचना जी ने प्रश्न किया नाबालिग बच्चे जो ये कर रहे वो सही है के गलत ,दान कर रहे वो भी छुप कर घरवालों से इसका मतलब बिल्कुल साफ़ है वो बच्चे भी जान रहे जो वो कर रहे गलत कर रहे, तो विषय बहस का कहाँ बनता है , चाहे ये खबर अख़बार से पढ़ी या या किसी से सुनी ,पर नैतितका के मूल्य पर तो ये भी सही नहीं जैसे और बातें लोग लागू करते हैं .
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteरचना जी,
ReplyDeleteये बात तो मैं पोस्ट पढकर ही समझ गया था कि आपकी आपत्ति का कारण सिर्फ ये ही हैं कि नाबालिग लडकों को कानूनन स्पर्म डोनेट करने की अनुमति नहीं हैं.जानता हूँ कानून और संविधान पर आपकी आस्था को.इसीलिए मैंने आपसे सवाल किया था कि यदि कल को कानून सोलह से इक्कीस साल के लडकों को भी इसकी अनुमति दे देगा तब आप किस तर्क से इसे अनैतिक ठहराएंगी.क्योंकि मौज मस्ती वाली बात तो बालिगों पर भी लागू होती हैं जिन्हें आपने अनैतिक नहीं बताया.यहाँ मैं नाबालिगों के इस कृत्य का समर्थन नहीं कर रहा हूँ लेकिन हाँ इसे अनैतिक भी नहीं कहता(वैसे गलत और अनैतिक में फर्क तो होता है).क्योंकि मुझे नहीं लगता कि इस उम्र के लडकों में इतनी समझ होती है कि उन पर नैतिकता और अनैतिकता जैसी बातें लादी जाऐं.बल्कि यदि नाबालिगों द्वारा ऐसा करने पर प्रतिबंध भी लगाया गया है तो जरूर उनकी मानसिक अपरिपक्वता को भी ध्यान में रखा गया होगा.आपको कानून में ही ज्यादा आस्था है तो लीजिए सुप्रीमकोर्ट की सुनिए
कि कानून क्या कहता है इस उम्र के बारे में.
जहाँ तक समाज की बात हैं एक तरफ आप ये मान रही हैं कि इन लडकों के अभिभावक अनभिज्ञ हैं वहीं दूसरी तरफ आप और आपके समर्थक ये माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं मानो इन लडकों के माँ बाप खुद इन्हें आशिर्वाद देकर घर से भेजते हों कि जा बेटा वीर्यदान कर पुण्य और पैसा दोनों कमा और खूब मस्ती भी कर.वाह जी वाह.
कानून और नैतिकता के बारे में नहीं लिख रहा हूँ क्योंकि मेरी टिप्पणी बहुत लंबी हो गई हैं और शायद विषय से हटकर भी.फिर भी आप मेरे विचार जानना चाहें तो बस आदेश करें.
http://www.deshnama.com/2011/12/blog-post_18.html
ReplyDeleteअंशुमाला जी,
ReplyDeleteमेरा विरोध भी आपके द्वारा मनमाने निष्कर्ष निकालने को लेकर था.कि यदि किसीने ऐसा कह दिया तो जरूर महिला विरोधी मानसिकता से ही कहा होगा जबकि कोई आपकी या रचना जी की तरह भी तो सोच सकता हैं.ऐसे ही आप गर्लफ्रेंड वाली बात को भी जबरदस्ती महिलाओं पर ले लेती हैं जो कि मेरे विचार से यहाँ अवांछनीय है.
और मैं बडे शहर में नहीं संयुक्त परिवारों की परंपरा वाले शहर में रहता हूँ और गाँवों से भी परीचित हूँ.और उस ठरकी मंत्री को अच्छा कौन बता रहा हैं बल्कि उसे भी पता हैं कि समाज तो उसकी थू थू ही कर रहा हैं.हाँ पत्नी पति को (कई मामलों में पति भी पत्नी को) किसी नाजायज कारण से कुछ न कहें या विवाह को बनाए रखे या समाज के सामने बात खुलने ही न दें तो बात अलग है.गाँवों में तो कई पुरूषों को केवल शक के आधार पर ही कई बार मुँह काला कर घुमाने की सजा दे दी जाती हैं.मीडिया नहीं था तब भी ऐसी धटनाऐं होती रहती थी.अभी कुछ दिन पहले बिहार के एक गाँव की खबर आ रही थी कि कुछ पुरुषों को गाँववालों ने मार मारकर अधमरा कर दिया क्योंकि उनके संबंध पडोसी गाँव की महिलाओं से थे.मुटुकनाथ जूली प्रसंग आपको याद ही होगा.खाप पंचायतें भी पुरूषों पर कोई रहम नहीं करती.और लगता हैं कि आपको भी कानून पर रचना जी की तरह बडी आस्था हैं,तो वो भी व्याभिचार के लिए पुरुषों को दोषी तो मानता है.
सो इन सब बातों को ध्यान में रख मेंने कहा कि माफ जैसा तो पुरूषों के लिए भी नहीं हैं तो क्या गलत कहा.लेकिन हाँ महिलाओं पर पाबंदियाँ पुरूषों की तुलना में कई गुना ज्यादा हैं.ये बात मैं किस तरीके से कहूँ कि आपको विश्वास हो जाएँ कि मेरी आपसे इस विषय पर असहमति नहीं है
अब इस संबंध में बाकी बातें हो सकेगा तो खुशदीप जी के देशनामा पर.स्पर्म डोनेशन और दान वगेरह पर अभी स्पष्ट करना बाकी है.
अंशुमाला जी,
ReplyDeleteजानकर गुदगुदी हो रही है,अब आपको दान शब्द के महात्मय से खिलवाड नजर आ रहा.चलिए ठीक है,आप इसे स्पर्म बेचना ही कह लीजिए.यहाँ तक तो ठीक हैं,मुझे नहीं लगता कि उन लडकों का भी ऐसा कोई आग्रह रहा होगा कि हमारे काम को महान समझा जाए और हमारी प्रशंसा ही की जाएँ.वैसे यदि इसे शुरू से ही स्पर्म बेचना कहा जाता तब क्या आपको इसमें कोई अनैतिकता नजर नहीं आती?
मैं तो वयस्कों के शराब सिगरेट पीने और विवाह पूर्व आपसी शारीरिक संबंधों को भी अब अनैतिक नहीं मानता (पहले मानता था) भले ही मैं ये खुद न करूँ और दूसरों को सलाह मैं क्यों दूँ?मेरी तरह कई लोग भी इन कामों को अनैतिक नहीं मानते क्योंकि कानून भी नहीं मानता.उनके विचार स्पर्म डोनेशन और अनैतिकता के बारे में भी जानना रोचक रहेगा कि फिर पैसे लेकर स्पर्म बेचने में ही ऐसा कौनसा अनैतिकता का ज्वार उठ खडा हो रहा हैं जबकि बाकि बातों में उन्हें युवाओं के विवेक पर भरोसा हैं.हाँ अति तो हर चीज की बुरी होती हैं सो इसकी भी होगी लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा.अभी और बाकी है...
अंशुमाला जी यूँ तो हर पेशे के साथ सेवा जैसा शब्द जुडा हुआ हैं लेकिन शिक्षक और डॉक्टर के काम को आज भी सबसे ज्यादा महत्तव का माना जाता हैं.यदि आपकी तरह सोचें तो फिर इन्होंने विद्यादान और जीवनदान जैसे पवित्र कामों के बदले पैसा लेकर इसे भी पेशा (आपके शब्दों में धंधा)बना दिया है.लेकिन लोग तो आज भी इनका सम्मान करते हैं और सम्मान नहीं भी करते तो कम से कम अनैतिक तो नहीं ही मानते.जबकि ये लोग तो कई बार दूसरों की मजबूरियों का भी ख्याल नहीं करते.
ReplyDeleteआप कह सकती हैं कि इन्होने इसके लिए मेहनत की हैं लेकिन इनकी तुलना में स्पर्म बेचने वालों को जो मिल रहा है वो कुछ भी नहीं.रक्तदान में तो फिर भी किसीकि जान दाँव पे लगी हो सकती हैं या किसी गरीब की मजबुरी भी हो सकती हैं लेकिन यहाँ ऐसा नहीं हैं.
राजन
ReplyDeleteसेवा और कर्त्तव्य में अंतर हैं
रोजी रोटी कमाने के लिये किया हुआ कार्य सेवा में नहीं आता हैं
जो डॉक्टर जीविका के लिये ये कर रहे हैं वो अपनी सेवाये { यानी सर्विसेस } पैसे के लिये बेच रहे हैं
जो डॉक्टर किसी धर्मार्थ चिकित्सालय से जुड़े हैं वो अगर पैसा लेते हैं { यानी उस चिकित्सालय के कानून के हिसाब से नहीं लेना था } तो वो सेवा नहीं कर रहे हैं जो अनैतिक हैं क्युकी धर्मार्थ चिकित्सालय खुला सेवा के लिये हैं
लंगर में खाना सेवा भाव से खिलाया जाता हैं
पंगत में खाना बारात को भी सेवा भाव से ही खिलाया जा ता हैं पर क्या दोनों में क़ोई अंतर ही नहीं हैं ???
पोस्ट का मंतव्य आप को स्पष्ट हैं बात स्त्री के लिये अनैतिकता की बात करने वाले पुरुष के लिये अनैतिकता की बात जब तक नहीं करेगे , समाज में किसी भी बदलाव की उम्मीद ना करे
वो सब जो कहते हैं आज की नारी पुरुष बनना चाहती हैं और पुरुष को कॉपी करती हैं उनको सोचना चाहिये की अगर उनकी सोच सही तो जिसको कॉपी किया जा रहा हैं जब तक उसका आचरण सही नहीं होगा कॉपी करने वाले की क्या गलती हैं ???
ज़रा अगली पोस्ट पर नज़र डालिये और देखिये कॉल गर्ल कैसे अब अच् आई वी से बच रही हैं .
गंदगी को हटाने की बात सब करते हैं पर स्रोत नहीं देखेते या देख कर अनदेखा कर देते हैं