"अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी,
आँचल में है दूध और आँखों में पानी."
महिलाओं के लिए यही शब्द बहुत समय से प्रयोग किये जाते हैं किन्तु यदि हम भारतीय कानून की बात करें तो उसमे महिलाओं के अधिकारों के लिए कहीं कोई कोताही नहीं बरती गयी है.अब यदि महिलाएं ही अपने अधिकारों का प्रयोग ना करें तो इसके लिए कानून को दोष नहीं दिया जाना चाहिए.महिलाओं का अपने अधिकारों का इस्तेमाल ना करना दो कारणों से होता है एक तो वे भावनात्मक रूप से अपने परिवार से जुडी होने के कारण अपने परिजनों के या उनकी इच्छा के खिलाफ नहीं जाती और दूसरे वे अपने अधिकारों के विषय में कुछ जानती ही नहीं.ऐसे में जो पहली तरह की महिलाएं हैं उनका तो भगवान ही रखवाला कहा जा सकता है किन्तु जो दूसरी तरह की महिलाएं हैं उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी देकर अत्याचार से लड़ने में कानून उनकी मदद कर सकता है.
आज मैं जहाँ तक मुझे जानकारी है उसके अनुसार भारतीय संविधान द्वारा महिलाओं के हित में की गयी व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी देकर अपना यह पुनीत कर्त्तव्य पूर्ण करना चाहूंगी.मेरा यह कार्य यदि मेरी एक भी बहन के काम आ सका तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी.
- अनु.१५ के अनुसार लिंग, धर्म ,जाति अथवा जन्म स्थान के आधार पर किसी के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता किन्तु महिलाओं हेतु राज्य अनु.१५[३] के अंतर्गत विशेष व्यवस्था कर सकता है . .
- अनु.४० के अंतर्गत त्रिस्तरीय ग्रामीण पंचायतों और शहरी निकायों में सभी स्तरों पर उन्हें एक तिहाई पद आरक्षित करने हेतु संविधान में ७३ वां और ७४ वां संविधान संशोधन किया गया है जिसके परिणाम स्वरुप देश की त्रिस्तरीय पंचायतों में ८० लाख महिलाओं को जनप्रतिनिधि के रूप में राजनीति और विकास प्रशासन में भाग लेने के अवसर प्राप्त हुए हैं .
- अनु.३३० व अनु.३३२ क में प्रस्तावित ८४ वें संविधान संशोधन द्वारा लोकसभा व विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था हेतु प्रयास किये जा रहे हैं .
- अनु.४२ द्वारा स्त्रियों के लिए विशेष प्रसूति सहायता की व्यवस्था की गयी है
अच्छी पोस्ट है .. कमेन्ट्स से होने वाले ज्ञानवर्धन का इतंजार रहेगा
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी देने वाली पोस्ट हैं.... इन बातों के बारे में महिलाओं में जागरूकता होना ज़रूरी हैं...
ReplyDeleteshalini
ReplyDeletewelcom to naari blog
thank you for such an valuable post
mujh vishvaas haen ki aap ke aane sae kanun sambandhi baato mae bahut sahaytaa milage
hindi blog mae bahut baar gender bias ki baat hotee haen aur hamarey usko dur karnae kae prayaas ko galat bataya jaata haen aasha hean aap ke aanae sae hamey aur samjhane kaa mauka milaega ki ham galt haen yaa sahii
शालिनी जी
ReplyDeleteजानकारिया अच्छी लगी धन्यवाद | यदि आप कानून की जानकार है तो आप से उम्मीद होगी की आगे आप घरेलु महिलाओ से सम्बंधित कानूनों और खास कर घरलू हिंसा कानून के बारे में कुछ और जानकारिया देंगी |
Bahut hi sundar jankari di hai apne
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी जानकारी |अन्शुमालाजी की बात से सहमत |
ReplyDeleteआभार
सराहनीय प्रयास है यह आपका...
ReplyDeleteअधिकाँश ही महिलायें क़ानून द्वारा प्रदत्त अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं करतीं,सत्य कहा आपने..
पर समय के साथ जागरूकता बढ़ रही है और हमें आशापूर्ण रहना चाहिए कि भविष्य में स्त्रियाँ इस पथ पर और आगे बढेंगी.
utsahverdhan hetu dhanyawad.meri galtiyon ki aur bhi yadi aap mera dhyan aakarshit karen to aabhari rahoongi.
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