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फूलों से सजे वाहन पर किशोरपुरा मुक्तिधाम के लिए उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई। मुक्तिधाम पर पुलिस के जवानों ने सशस्त्र सलामी दी और हवाई फायर किए। उनके पुत्र रमन दीपावत ने मुखाग्नि दी। अंतिम यात्रा शुरू होने से पहले उनके निवास पर शहर के स्वाधीनता सैनानियों, राजनीतिज्ञों, प्रशासनिक अधिकारियों और गणमान्य नागरिकों ने पार्थिव देह पर पुष्प चक्र चढाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। अंतिम संस्कार के समय पूर्व मंत्री भुवनेश चतुर्वेदी, जुझार सिंह, रामकिशन वर्मा, पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल, जिला प्रमुख विद्याशंकर नंदवाना, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता पंकज मेहता, प्रदेश सचिव रविंद्र त्यागी, भाजपा शहर अध्यक्ष श्याम शर्मा, उपमहापौर राकेश सोरल व अतिरिक्त जिला कलक्टर [शहर] बी.एल. कोठारी मौजूद रहे। महापौर रत्ना जैन, पूर्व विधायक पूनम गोयल व उप जिला प्रमुख रेखा शर्मा भी उनके निवास पर पहंुचे और श्रद्धांजलि दी। जीवन परिचय क्रान्तिकारी केसरी सिंह बारहठ की पौत्री और प्रताप सिंह बारहठ की भतीजी नगेन्द्र बाला का जन्म 13 सितम्बर 1926 को हुआ था। उनकी शुरू से ही जनसेवा, राजनीति और महिला उत्थान में विशेष रूचि रही। 1942 के स्वाधीनता आंदोलन में उन्होंने बढ-चढकर भाग लिया। महात्मा गांधी के निधन पर वह दिल्ली से अस्थि कलश लेकर कोटा आई और चम्बल में उनकी अस्थियां विसर्जित की। पंचायतीराज व्यवस्था लागू होने के बाद वह 1960 में कोटा की पहली जिला प्रमुख बनी। वह देश की पहली महिला जिला प्रमुख भी थी। दो साल तक जिला प्रमुख रहने के बाद वह 1962 से 1967 तक छबडा-शाहाबाद और 1972 से लेकर 1977 तक दीगोद से विधायक रहीं। वह 1982 से 1988 तक समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष रहने के साथ राज्य महिला आयोग की सदस्य भी रही। विनोबा भावे के साथ पदयात्रा में शामिल नगेन्द्र बाला ने कोटा में करणी नगर विकास समिति की स्थापना भी की तथा समिति के भवन के लिए अपने परिवार की जमीन उपलब्ध कराई। ये लिंक मुझे ईमेल से कुमार राधारमण जी ने नारी ब्लॉग पर पोस्ट करने के लिये दिया हैं । सूचना पोस्ट करने मे विलम्ब हुआ हैं उसके लिये क्षमा और ऐसी महान नारी को नमन |
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
September 08, 2010
देश की पहली महिला जिला प्रमुख " नगेन्द्र बाला "
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देश की पहली जिला प्रमुख नगेन्द्र बालाजी को श्रद्धांजलि |
ReplyDeleteShraddhanjali
ReplyDeleteयह देखना अच्छा लगता है कि देश को पहली महिला जिला प्रमुख उसी प्रदेश ने दिया जहां लड़कियों के जन्मते ही उसे मार दिए जाने के असंख्य प्रकरण रहे हैं।
ReplyDeleteपहली जिला प्रमुख नगेन्द्र बालाजी को को मेरी भी श्रद्धांजलि....नमन....
ReplyDeleteसाथ ही कुमार राधारमण जी का शुक्रिया यह जानकारी बाँटने के लिए..... आभार