सुबह ८ बजे का संवाद
माँ उम्र ७८ वर्ष , प्रीति उनकी मैड उम्र २२ वर्ष
माँ " प्रीति व्रत नहीं रखा
प्रीति " नहीं रखा "
माँ " मेहंदी भी नहीं लगाई "
प्रीति " नहीं लगाई "
प्रीति " औरत ही क्यों भूखी मरे , सजे धजे , और व्रत करे "
माँ " "........ "
अब इस संवाद के बाद क्या रहा बताने के लिये
बहुत कुछ जो प्रीति से कहा वहीँ कुछ जोड़ कर यहां कह रही हूँ
ये सब व्रत इत्यादि जिस समय शुरू किये गए थे उस समय नारी के लिये केवल घर में रहना और घर के काम करना जीवन था। उसके लिये "सुख " का मतलब उसके पति के जिन्दा होने से ही जुड़ा था। विधवा का जीवन http://indianwomanhasarrived.blogspot.in/2012/09/blog-post_24.html बहुत ही निकृष्ट था उस समय इसलिये विवाहित जीवन लंबा हो इसकी जरुरत हर विवाहित स्त्री की थी।
अगर पति ना रहे तो कम से कम पुत्र तो रहे सो उसके लिये व्रत। फिर देवी देवता रुष्ट ना हो उसके लिये व्रत।
और इन्ही व्रतों में सजना , गाना बजाना , आपस में हंसी ठिठोली नारी का जीवन कुछ बदलाव हो जाता होगा.
आज समय दूसरा हैं , शिक्षा ने नारी को सही गलत समझने में सक्षम किया। अब ये व्रत उपवास अपनी मर्जी से करना या ना करना इसकी समझ नारी को हैं।
वुमन एम्पावरमेंट का मतलब ही यही होता हैं की नारी को ये अधिकार हो जो वो करना चाहे करे अगर आज वो व्रत करना चाहती हैं तो हमे उसको आज के दिन केवल और केवल उसके लम्बे विवाहित जीवन की बधाई देनी चाहिये।
जबरन व्रत रखवाना या जबरन व्रत ना रखने देना दोनों में ही नारी के अधिकारों का हनन हैं।
माँ उम्र ७८ वर्ष , प्रीति उनकी मैड उम्र २२ वर्ष
माँ " प्रीति व्रत नहीं रखा
प्रीति " नहीं रखा "
माँ " मेहंदी भी नहीं लगाई "
प्रीति " नहीं लगाई "
प्रीति " औरत ही क्यों भूखी मरे , सजे धजे , और व्रत करे "
माँ " "........ "
अब इस संवाद के बाद क्या रहा बताने के लिये
बहुत कुछ जो प्रीति से कहा वहीँ कुछ जोड़ कर यहां कह रही हूँ
ये सब व्रत इत्यादि जिस समय शुरू किये गए थे उस समय नारी के लिये केवल घर में रहना और घर के काम करना जीवन था। उसके लिये "सुख " का मतलब उसके पति के जिन्दा होने से ही जुड़ा था। विधवा का जीवन http://indianwomanhasarrived.blogspot.in/2012/09/blog-post_24.html बहुत ही निकृष्ट था उस समय इसलिये विवाहित जीवन लंबा हो इसकी जरुरत हर विवाहित स्त्री की थी।
अगर पति ना रहे तो कम से कम पुत्र तो रहे सो उसके लिये व्रत। फिर देवी देवता रुष्ट ना हो उसके लिये व्रत।
और इन्ही व्रतों में सजना , गाना बजाना , आपस में हंसी ठिठोली नारी का जीवन कुछ बदलाव हो जाता होगा.
आज समय दूसरा हैं , शिक्षा ने नारी को सही गलत समझने में सक्षम किया। अब ये व्रत उपवास अपनी मर्जी से करना या ना करना इसकी समझ नारी को हैं।
वुमन एम्पावरमेंट का मतलब ही यही होता हैं की नारी को ये अधिकार हो जो वो करना चाहे करे अगर आज वो व्रत करना चाहती हैं तो हमे उसको आज के दिन केवल और केवल उसके लम्बे विवाहित जीवन की बधाई देनी चाहिये।
जबरन व्रत रखवाना या जबरन व्रत ना रखने देना दोनों में ही नारी के अधिकारों का हनन हैं।
अब उसका स्वरूप बदलने लगा है और व्रत सिर्फ पति की आयु के लिए नहीं बल्कि अगर उसके मन में पत्नी के प्रति सम्मान है तो उसके लिए भी रखा जाता है। अगर पति के मन में सम्मान नहीं तो व्रत कोई मायने नहीं रखता है।
ReplyDeleteJabran kuch bhi galat hai ..yah consciousness par bojh ban jata hai..Respect is the worship of God.
ReplyDeleteDev Palmistry