शकुंतला वंजारा का जन्म एक नोमेडिक ट्राइब में हुआ था जहां लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था। इस वजह से शकुंतला निरक्षर ही रही।
शिक्षा के महत्व और लड़कियों को अपने पैरो पर खड़े होने के महत्व को शकुन्तला ने समझा और अपनी बेटी को Manjita Vanzara को खूब पढ़ाया और वो आज डी एस पी हैं
अपनी बेटी को तो सब पढ़ा ही लेते हैं लेकिन अपनी बहू रसोई से बहार निकाल कर कितने पढ़ने के लिये लाइब्रेरी भेजते हैं ??
शकुन्तला ने भेजा और उनकी बहु Sudhambika Vanzara ने इस साल UPSC की परीक्षा में 1,061 रैंक प्राप्त की हैं।
पूरी खबर का लिंक यहां हैं http://timesofindia.indiatimes.com/city/ahmedabad/Illiterate-saas-helps-bahu-clear-UPSC/articleshow/36512701.cms
इसी को कहते हैं THE INDIAN WOMAN HAS ARRIVED .
शिक्षा के महत्व और लड़कियों को अपने पैरो पर खड़े होने के महत्व को शकुन्तला ने समझा और अपनी बेटी को Manjita Vanzara को खूब पढ़ाया और वो आज डी एस पी हैं
अपनी बेटी को तो सब पढ़ा ही लेते हैं लेकिन अपनी बहू रसोई से बहार निकाल कर कितने पढ़ने के लिये लाइब्रेरी भेजते हैं ??
शकुन्तला ने भेजा और उनकी बहु Sudhambika Vanzara ने इस साल UPSC की परीक्षा में 1,061 रैंक प्राप्त की हैं।
पूरी खबर का लिंक यहां हैं http://timesofindia.indiatimes.com/city/ahmedabad/Illiterate-saas-helps-bahu-clear-UPSC/articleshow/36512701.cms
इसी को कहते हैं THE INDIAN WOMAN HAS ARRIVED .
बेटी और बहु में अंतर करने वालों को इससे सबक लेना चाहिए। . बहुत सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रेरक
ReplyDeleteनिश्चित ही दृढ़ निश्चय, परिश्रम और वर्जनाओं को तोड़ने वाले निर्णय का परिणाम है वंजारा परिवार की स्त्रियों का शैक्षणिक उत्थान ! बधाई ! इस परिवार को उनके परिश्रम के लिए और शकुंतला जी को उनके निर्णयों के लिए ।
ReplyDeleteअभी कुछ खास बदलाव तो नहीं है पर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाऔ में कभी कभी विवाहित महिलाएँ भी सफल होते देखी जाती हैं
ReplyDeleteरचना , मैं तो आज से ३२ से पहले की बात कर रही हूँ। मैंने के बाद ही बी एड , एम एड और कंप्यूटर डिप्लोमा लिया था। हाँ संयुक्त परिवार में सहयोग सिर्फ पतिदेव और सास जी से ही मिला। जिम्मेदारियों का बोझ खूब ढोया।
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