तीन दिन पहले समाचार था की एक महिला ने ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिये ब्रेस्ट की सर्जरी करवा ली . उस महिला की माँ को कैंसर था और महिला BRCA1 gene defect को अपने अन्दर रखती थी . इस दिफेक्टिवे जीन से कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती हैं . कैंसर होने की सम्भावना को रोकने के लिये महिला ने preventive double mastectomy करवा ली . साधरण शब्दों में कहे तो उन्होंने अपने ब्रेस्ट की सर्जरी करवा ली , नेचुरल टिशु को निकाल कर "फिल्लर " के साथ दुबारा ब्रेस्ट को बनाया जाता हैं .
महिला का मानना हैं की ऐसा करना से उन्होने कैंसर होने की सम्भावना को कम कर लिया हैं . जो सम्भावना पहले ८७ % थी वो अब घट कर ५% रह गयी .
जब से मैने ये समाचार पढ़ा मन में कई सवाल रहे इस लिये पोस्ट नहीं बनाई .
पहला सवाल था क्या महज किसी बीमारी की सम्भावना मात्र से हम अपने शरीर के नेचुरल कोशिका को निकाल कर नकली कोशिका लगवा ले
क्या प्रक्रति से इतना खिलवाड़ ठीक हैं
क्या जिन्दगी इतने डर के साथ जी जा सकती हैं
इन सवालों के जवाब तो सबके अपने और अपनी जरुरत के हिसाब से होने वाले हैं
लेकिन
तीसरा सवाल ये महिला जो एक बहुत बड़ी सेलिब्रिटी मानी जाती हैं होलीवुड की सचमुच ये सब कैंसर से बचने के लिये कर रही हैं या ये सब एक तरह की स्पोंसर की हुई पी आर प्रक्रिया हैं .
आज खबर आ रही हैं की ये सब एक प्रकार की स्पोंसर प्रक्रिया ही हैं . इस प्रकार के महंगे इलाज को प्रमोट करने का तरीका . दुनिया में इस समय शायद महज एक कम्पनी के पास इस इलाज का पेटेंट हैं और वो उसको भुनाना चाहती हैं वही कुछ नयी कम्पनिया इस इलाज को शुरू करना चाहती हैं और उस कम्पनी से मुकदमा तकरीबन जीत गयी हैं और एक दो दिन में फैसला आने ही वाला हैं .
इस समय ये सेलिब्रिटी अपनी कहानी सुना कर उन लोगो के फायदे का रास्ता खोल रही हैं
ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिये जांच अत्यंत आवश्यक हैं और समय रहते पता चल जाए तो इलाज से इसका निवारण भी संभव हैं जैसे किसी भी अन्य बिमारी का .
अभी भारत में ब्रेस्ट कैंसर या किसी भी तरह के कैंसर का इलाज महंगा माना जाता हैं तो करोड़ो खर्च कर के बीमारी से बचने के लिये जीन म्यूटेशन की प्रक्रिया कितनी "आम महिला " करवा सकती हैं सोचिये
इसके लिये preventive mestectomy करवाना मुझे तो कुछ समझ नहीं आया . ये कुछ उसी प्रकार की बात हुई जैसे कॉस्मेटिक सर्जरी करवा कर सेलिब्रिटी / मॉडल अपनी नाक , आँख , भों , कमर , पेट और भी ना जाने क्या क्या बदलते रहते हैं .
ये पोस्ट महज मेरी सोच को दर्शाती हैं , ये कोई मानक नहीं हैं किसी मेडिकल इलाज या प्रक्रिया की .
मैने कोई नाम या लिंक महज इस लिये नहीं दिया हैं क्युकी ये एक पर्सनल , निजी निर्णय हैं और जो भी लेता हैं उसको पूरा अधिकार हैं ये निर्णय लेने का . वो सही हैं या गलत ये उसकी जिंदगी हैं .
आप सब क्या कहते हैं ? कमेन्ट मे भी कोई नाम ना दे ये आग्रह हैं क्युकी निजता का सम्मान जरुरी हैं
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (20-05-2013) के 'सरिता की गुज़ारिश':चर्चा मंच 1250 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
ReplyDeleteसूचनार्थ |
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ReplyDeleteइसमें कोई दोराय नहीं है कि चिकित्सा जगत में भी व्यापार और लाभ के लिए क्या कुछ नहीं किया जाता...फिर भी जितना संभव होता है रोग से जूझने वाला और उसका परिवार हर मुमकिन कोशिश करके जीना आसान करना चाहते हैं....हमारे परिवार में अभी हाल ही में मेरी जेठानी Double Mastectomy करवाने के बाद राहत महसूस कर रही हैं..बड़ी ननद ने सालों पहले इस रोग से ऐसे ही मुक्ति पाई थी...मेरी बहन की देवरानी ने बच्चों के मोह में फैंसला लेने में देर कर दी...अब उन्हीं छोटे छोटे बच्चों का बिना माँ के जीना मुहाल हो रहा है...
ReplyDeletehttp://www.ncbi.nlm.nih.gov/gene/672
ReplyDeleteसब पैसे का खेल है और बड़े आदमियों के चोंचले. साधारण व्यक्ति तो इस विषय में सोचेगा ही नहीं. सावधानी जरूरी है पर ऐसे तो किस किस चीज़ से बचेंगे. आज ही खबर थी की दो लड़कियां सुबह सैर को जा रहीं थी एक डम्पर पास से गुजरते हुए पलट गया और उनमे से एक की मौत घटनास्थल पर ही हो गई दूसरी अस्पताल में है बचने की उम्मीद बहुत कम. अ उनको क्या सावधानी बरतनी चाहिए थी?
ReplyDeleteसब पैसे का खेल है और बड़े आदमियों के चोंचले. साधारण व्यक्ति तो इस विषय में सोचेगा ही नहीं. सावधानी जरूरी है पर ऐसे तो किस किस चीज़ से बचेंगे. आज ही खबर थी की दो लड़कियां सुबह सैर को जा रहीं थी एक डम्पर पास से गुजरते हुए पलट गया और उनमे से एक की मौत घटनास्थल पर ही हो गई दूसरी अस्पताल में है बचने की उम्मीद बहुत कम. अ उनको क्या सावधानी बरतनी चाहिए थी?
ReplyDeleteरचना दिक्षित जी - यह "चोंचले" बिलकुल नहीं है - यह पढ़िए
Delete" कैंसर होने की सम्भावना को कम कर लिया हैं . जो सम्भावना पहले ८७ % थी वो अब घट कर ५% रह गयी "
क्या आपको किसी के जीने की कोशिश को चोंचले कहना ठीक लगता है ?
यही सोच हो तो फिर तो किसी को कैंसर का इलाज भी कराना बड़े आदमियों के चोंचले लग सकता है - क्योंकि इलाज खर्चीला तो है ही और बचने की संभावना भी कम होती है - फिर तो बेहतर है कि इलाज़ किया ही न जाया और परिवार के पैसे बचाए रखे जाएँ ? नहीं ?
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रचना जी अच्छी पोस्ट है, और अच्छी जानकारी है । शुरुआत में हो सकता है इलाज महंगा हो और आम महिला इसे न करा सकती हो - लेकिन प्रगति होगी अवश्य धीरे धीरे ...
रचना दीक्षित जी, कोई व्यक्ति ने कैंसर होने की सम्भावना को ८७ % से कमकर ५% पर ला सकता है और ले आए तो आप इसे बड़े आदमियों के चोंचले कह रही हैं!
ReplyDeleteशायद यदि हमारे जीवन पर खतरा मंडराए तब ही हम जान पाएंगे कि हम क्या क्या चोंचले करेंगे. हमारी महरियां, हमारे चश्मे लगवाने, यहाँ तक कि धूप में छाता लेकर चलने को भी चोंचले मानती होंगी. हमारा यह नेट पर बैठ लोगों पर टिप्पणियाँ करना क्या है? जितना हम अपने लिए करते हैं, कर सकते हैं वह सब सही, कोई हमसे अधिक कर लेता है तो चोंचले?
घुघूतीबासूती