मैटरनिटी लीव २६ हफ्ते की कर दी गयी हैं। अच्छा हैं जच्चा और बच्चा को आराम मिलेगा। लेकिन जब देश के प्रधान मंत्री लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराते हुए कहते हैं की मैटरनिटी लीव इस लिये २६ हफ्ते कर दी गयी हैं ताकि माँ बेटे को पाल सके तो लगता हैं हम मानसिक रूप से अभी अभी कितने पिछड़े हैं।
मैटरनिटी लीव का मकसद क्या केवल यही हैं की बच्चो को पाला जाए ?
हम कब तक माँ की सेहत पर कभी बात नहीं करते ?
क्या नारी का बच्चे को जनम देना और उसको पालना मात्र ही इस लीव का उद्देश्य हैं ?
शायद नहीं
जच्चा को आराम की सख्त जरुरत होती हैं , सही समय पर सही पोष्टिक भोजन करना जच्चा के लिये बेहद जरुरी हैं ताकि जब वो काम पर वापस जाए उसके शरीर मए ताकत हो काम और माँ के कर्त्तव्य को निभाने की।
मैटरनिटी लीव को गलत ढंग से परिभाषित करके नारी को एक बार फिर केवल और केवल " माँ बनने में सक्षम " बना दिया गया हैं।
मैटरनिटी लीव का मकसद क्या केवल यही हैं की बच्चो को पाला जाए ?
हम कब तक माँ की सेहत पर कभी बात नहीं करते ?
क्या नारी का बच्चे को जनम देना और उसको पालना मात्र ही इस लीव का उद्देश्य हैं ?
शायद नहीं
जच्चा को आराम की सख्त जरुरत होती हैं , सही समय पर सही पोष्टिक भोजन करना जच्चा के लिये बेहद जरुरी हैं ताकि जब वो काम पर वापस जाए उसके शरीर मए ताकत हो काम और माँ के कर्त्तव्य को निभाने की।
मैटरनिटी लीव को गलत ढंग से परिभाषित करके नारी को एक बार फिर केवल और केवल " माँ बनने में सक्षम " बना दिया गया हैं।
पटेर्निटी अवकाश क लिए भी कुछ इसी तरह की टिपण्णी एक भारतीय राजनेता की और से आई थी....कुछ पुरुष के लिए पटेर्निटी अवकाश एक मज़ा करने की छुट्टी मात्र है ...बेहद ख़राब मानसिकता
ReplyDeleteRachna di...plesaer check your mail.
ReplyDeleteRegards
Rewa