भारतीये महिला अगर पोर्न स्टार बनती हैं और इस बात को निसंकोच कहती हैं तो क्या वो
बेशर्म हैं
भारतीये नहीं हैं
महिला ही नहीं हैं
महिला के नाम पर धब्बा हैं
क्या किसी हार्ड कोर पोर्न स्टार को हम कलाकार मान सकते हैं
क्या किसी हार्ड कोर पोर्न स्टार को भारतीये टी वी पर किसी प्रोग्राम में आना चाहिये
{ अब ये प्रश्न बेकार हैं क्युकी एक बिग बॉस में आ चुकी हैं }
पोर्न फिल्मो का बाज़ार बहुत बड़ा हैं और केवल पुरुष ही नहीं महिला भी इसको बड़े चाव / inquisitiveness से देखती हैं और बच्चो की बात तो रहने ही दे । किसी भी घर के कंप्यूटर पर कुछ शब्द डाल कर सर्च करे कंप्यूटर को अनगिनत शब्द दिख जाते हैं जिनको डाल कर इन साईट पर पहुचा जाता हैं
लेकिन टी वी पर आना और नेट पर देखना दो अलग अलग बाते हैं । नेट पर जो देखते हैं वो स्वेच्छा से उन साईट पर जाते हैं और टी वी पर देखना कई बार थोपा जाना होता हैं । यानी जैसे बिग बॉस के दर्शको के लिये एक पोर्न स्टार का आना या वीणा मालिक जैसी पाकिस्तानी अभिनेत्री का स्वयम्बर टी वी पर होना । क्या भारतीये परिवेश में एक पाकिस्तानी लड़की का स्वयंबर होना सही हैं । क्या ये एक प्रकार का आमत्रण नहीं हैं की हमारे यहाँ के युवा के लिये वो आये और खुले रूप में विना मालिक के साथ नाचे गाये । चलिये लोग कहेगे ये काम हैं और मै भी यही मानती हूँ रियल्टी शो मात्र एक काम हैं लेकिन वो काम हमारे यहाँ के लोगो को दिया जाये { वीणा मालिक को ४ करोड़ की डील देना कितना जायज़ हैं जबकि हमारे यहाँ भी कलाकार हैं जो ये नकली स्वयम्बर रच सकते हैं } । बड़ी बात ये हैं की क्या इस प्रकार के स्वयंबर होने ही चाहिये । क्या पोर्न स्टार को टी वी के जरिये हमारे घरो में प्रवेश करना चाहिये ??
अगर आप समझते हैं नहीं तो ये लिंक आप के काम के हैं जहां जा कर आप अपनी आपत्ति दर्ज तो करवा ही सकते है
लिंक १
लिंक २
आज कल अगर आप ने ध्यान दिया हो तो हर प्रोग्राम में जिसमे न्यूज़ भी शामिल हैं बराबर एक टिंकर दिखाया जाता हैं की अगर दर्शक को आपत्ति हैं तो यहाँ दर्ज कर के । वो लिंक http://ibfindia.com का हैं वहाँ जा कर अपनी बात कहने के लिये इस लिंक को क्लिक करे ।
आपत्ति हो और दर्ज ना करवाई जाये तो आपत्ति होनी ही नहीं चाहिये । हमे नहीं पसंद हैं ये सब , ये सब बदला जाए कौन बदलेगा ? आप बदलने के एक कंप्लेंट तो कर ही सकते हैं
अनुग्रह मानिये और करिये ।
लिंक ३
लिंक ४
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Indian Copyright Rules
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
हिन्दी ब्लोगिंग का पहला कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।
यहाँ महिला की उपलब्धि भी हैं , महिला की कमजोरी भी और समाज के रुढ़िवादि संस्कारों का नारी पर असर कितना और क्यों ? हम वहीलिख रहे हैं जो हम को मिला हैं या बहुत ने भोगा हैं । कई बार प्रश्न किया जा रहा हैं कि अगर आप को अलग लाइन नहीं चाहिये तो अलग ब्लॉग क्यूँ ??इसका उत्तर हैं कि " नारी " ब्लॉग एक कम्युनिटी ब्लॉग हैं जिस की सदस्या नारी हैं जो ब्लॉग लिखती हैं । ये केवल एक सम्मिलित प्रयास हैं अपनी बात को समाज तक पहुचाने का ।
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
15th august 2011
नारी ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला ब्लॉग था जहां महिला ब्लोगर ही लिखती थी
२००८-२०११ के दौरान ये ब्लॉग एक साझा मंच था महिला ब्लोगर का जो नारी सशक्तिकरण की पक्षधर थी और जो ये मानती थी की नारी अपने आप में पूर्ण हैं . इस मंच पर बहुत से महिला को मैने यानी रचना ने जोड़ा और बहुत सी इसको पढ़ कर खुद जुड़ी . इस पर जितना लिखा गया वो सब आज भी उतना ही सही हैं जितना जब लिखा गया .
१५ अगस्त २०११ से ये ब्लॉग साझा मंच नहीं रहा . पुरानी पोस्ट और कमेन्ट नहीं मिटाये गए हैं और ब्लॉग आर्कईव में पढ़े जा सकते हैं .
नारी उपलब्धियों की कहानिया बदस्तूर जारी हैं और नारी सशक्तिकरण की रहा पर असंख्य महिला "घुटन से अपनी आज़ादी खुद अर्जित कर रही हैं " इस ब्लॉग पर आयी कुछ पोस्ट / उनके अंश कई जगह कॉपी कर के अदल बदल कर लिख दिये गये हैं . बिना लिंक या आभार दिये क़ोई बात नहीं यही हमारी सोच का सही होना सिद्ध करता हैं
15th august 2012
१५ अगस्त २०१२ से ये ब्लॉग साझा मंच फिर हो गया हैं क़ोई भी महिला इस से जुड़ कर अपने विचार बाँट सकती हैं
"नारी" ब्लॉग
"नारी" ब्लॉग को ब्लॉग जगत की नारियों ने इसलिये शुरू किया ताकि वह नारियाँ जो सक्षम हैं नेट पर लिखने मे वह अपने शब्दों के रास्ते उन बातो पर भी लिखे जो समय समय पर उन्हे तकलीफ देती रहीं हैं । यहाँ कोई रेवोलुशन या आन्दोलन नहीं हो रहा हैं ... यहाँ बात हो रही हैं उन नारियों की जिन्होंने अपने सपनो को पूरा किया हैं किसी ना किसी तरह । कभी लड़ कर , कभी लिख कर , कभी शादी कर के , कभी तलाक ले कर । किसी का भी रास्ता आसन नहीं रहा हैं । उस रास्ते पर मिले अनुभवो को बांटने की कोशिश हैं "नारी " और उस रास्ते पर हुई समस्याओ के नए समाधान खोजने की कोशिश हैं " नारी " । अपनी स्वतंत्रता को जीने की कोशिश , अपनी सम्पूर्णता मे डूबने की कोशिश और अपनी सार्थकता को समझने की कोशिश ।
" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की "
हाँ आज ये संख्या बहुत नहीं हैं पर कम भी नहीं हैं । कुछ को मै जानती हूँ कुछ को आप । और आप ख़ुद भी किसी कि प्रेरणा हो सकती । कुछ ऐसा तों जरुर किया हैं आपने भी उसे बाटें । हर वह काम जो आप ने सम्पूर्णता से किया हो और करके अपनी जिन्दगी को जिया हो । जरुरी है जीना जिन्दगी को , काटना नही । और सम्पूर्णता से जीना , वो सम्पूर्णता जो केवल आप अपने आप को दे सकती हैं । जरुरी नहीं हैं की आप कमाती हो , जरुरी नहीं है की आप नियमित लिखती हो । केवल इतना जरुरी हैं की आप जो भी करती हो पूरी सच्चाई से करती हो , खुश हो कर करती हो । हर वो काम जो आप करती हैं आप का काम हैं बस जरुरी इतना हैं की समय पर आप अपने लिये भी समय निकालती हो और जिन्दगी को जीती हो ।
नारी ब्लॉग को रचना ने ५ अप्रैल २००८ को बनाया था
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प्रश्न : -- नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट {woman empowerment } का क्या मतलब हैं ?? "नारी सशक्तिकरण या वूमन एम्पोवेर्मेंट " ...
बेहतरीन पोस्ट है यह ....
ReplyDeleteअगर लोगों में जागरूकता आ जाए तो आधी समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो जायेंगी !
शुभकामनायें आपको !
रचना जी
ReplyDeleteलिंक के लिए धन्यवाद मै बस यही खोज रही थी मुझे भी एक समाचार चैनल की शिकायत करनी थी | पहला वाला खुल नहीं रहा है |
आपका बहुत बहुत धन्यवाद . लोग केवल चटखारे लेकर लिखते है की ऐसा होना नहीं चाहिए लेकिन उसके लिए करते क्या है . आप साधुवाद की पात्र हो .
ReplyDeletesarthak post .aabhar
ReplyDeleteअंशुमाला
ReplyDeleteलिंक सही करदिया हैं
आशीष
हिंदी ब्लॉगजगत में लोग परिवार की बात करते हैं लेकिन अपनी पोस्ट में पोर्न साईट के लिंक लगाते हैं और चाहते हैं नैतिकता पर बहस हो , लोग खुल कर बहस करे
शिखा
आप को पोस्ट पसंद आगयी आभारी हूँ
सतीश जी
जागरूकता कुछ नहीं कर सकती हैं जब तक हम अपने पर और अपनों पर भी आपत्ति ना करे . किसी की पोस्ट में खुले आम पोर्न साईट का लिंक हो और आप का कमेन्ट वहाँ हो पर आपत्ति का नहीं तो अफ़सोस होता हैं
फिर आप ने शुभकामना दी सो थैंक्स
बहुत ही आवश्यक जानकारी युक्त पोस्ट है।
ReplyDeleteआभार इस सार्थक संदेश के लिए।
बहुत उपयोगी जानकारी है.कभी फिल्मों में जो अश्लीलता थी वो अब टी.वी. पर आ गई है और एफ एम तो उससे भी आगे निकल गया है.इसे रोकने के लिए कुछ तो उपाय करने ही पडेंगे.
ReplyDeleteसही मायने में लोगों को जागरूक और अपनी विचारों की भागीदारी दर्ज करवाने को प्रेरित करती पोस्ट......
ReplyDeleteहम तो यहां आपत्ति दर्ज़ करते हैं।
ReplyDeleteउपयोगी जागरूक करती पोस्ट ...
ReplyDeleteआभार!
कलाकार वर्ल्ड सिटिजन होता है,उसकी प्रतिभा का सर्वत्र इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पाकिस्तानी लड़की के साथ नाचने-गाने पर सवालिया निशान लगाना शिवसेना का स्टाइल है। स्वयंवर में कुछ भी गलत नहीं है,बशर्ते वास्तव में हो तो सही। जब फिल्मों में इतना कुछ हो रहा है,तो फिर स्वयंवर में क्या आपत्ति है? हां,नौटंकी स्वीकार्य नहीं हो सकती,चाहे वह भारतीय कलाकार की ही क्यों न हो।
ReplyDeleteभारतीय लोग अश्लील सामग्री सर्च करने के मामले में अव्वल हैं। जैसे अब कई फिल्में केवल मेट्रो दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं,वैसे ही कार्यक्रम भी बनाने की शुरूआत हो चुकी है। जब एक तरफ इस पर बहस चल रही हो कि यौन-शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए या नहीं,ऐसे वक्त में एक पोर्न स्टार को किसी चर्चित कार्यक्रम का हिस्सा बनाना यौन-कुंठा की परोक्ष तृप्ति अथवा प्रचार का सस्ता तरीक़ा ही हो सकता है।
हम देख चुके हैं कि फिल्मों और टीवी की कुछ नामी कलाकार पिछले कुछ वर्षों में कॉलगर्ल के धंधे में पकड़ी गई हैं परन्तु उन्होंने भी स्वीकार नहीं किया कि वे कोई कलाकारी कर रही थीं। पोर्नबाज़ी कोई कलाकारी नहीं है। विदेशों में हो सकता है होती होगी,हमारे यहां तो बिल्कुल नहीं है। इसलिए ऐसे कलाकारों और कार्यक्रमों-दोनों का बहिष्कार होना चाहिए, पर अफ़सोस कि कोई ठोस आवाज़ उठती नहीं दिखती। उल्टा,कमाल खान तो शादी तक को तैयार है। कमाल है!
वो स्वंवर मात्र एक प्रोग्राम है... हमे उस प्रोग्राम पर आपत्ति होनी चाहिए न कि उसमे राखी सावंत है या रत्न राजपूत या वीणा मालिक... मैंने कभी गलती से भी इसका एक एपिसोड भी नहीं देखा...
ReplyDeleteवैसे यह देश महान है... हम ब्लॉग पर विरोध करते हैं और हो सकता है कि राहुल महाजन को बीजेपी, जो संस्कृति के ठेकेदार है, टिकट देगी जब तो हम उन्हे पार्लियामेंट मे भी भेज देंगे...
लेकिन अपनी आपत्तियाँ दर्ज कराते रहें... नक्कारखाने मे तूती!!!