आजकल इम्तहानों का मौसम चल रहा है और हमारे देश के भावी कर्णधार पूरी शिद्दत से किताबों और नोट्स में लिखे हरफ अपने दिमाग में सहेजने में लगे हैं.पर उनका नन्हा सा दिमाग इन सबके साथ कभी कभी आने वाली मुश्किल घड़ी की चिंता से भी आंदोलित हो उठता है और इस समय हमारी जिम्मेवारी ज्यादा बढ़ जाती है.माँ ही बच्चों के ज्यादा करीब होती है और उनके मन में चल रहें तूफानों को उनसे पहले समझने का माद्दा रखती है इसलिए उसकी जिम्मेवारी चौगुनी हो जाती है.कई सारी बातें हैं जिनका ध्यान रख इन बच्चों की उद्विग्नता थोड़ी कम की जा सकती है.
मशहूर मनोचिकित्सक डॉक्टर अंजलि छाबडिया ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं.
१.घर में एक सुखद,खुशनुमा वातावरण तैयार रखें.अपने आपस के मनमुटाव कुछ दिन के लिए मुल्तवी कर दें.
२.जोर से बातचीत ना करें,फ़ोन पर जितना संभव हो कम बात करें.टी.वी.की आवाज़ भी कम रखें.
३.बच्चों के आस-पास रहें पर ऐसा ना लगने दें कि आप उनपर नज़र रख रहें हों.
४.अगर आपका बच्चा ज्यादा ही चिंताग्रस्त लगे तो उसके बाल सहलाए,एक प्यार की झप्पी भी दे दें और यह कभी ना कहें कि "मैंने कहा था,मन लगा कर पढो...मेरी बात नहीं सुनी"
५.और आप खुद जरा भी ना घबराएं हों क्यूंकि अपने बच्चे को तभी संभाल सकती हैं अगर खुद चिंतामुक्त हों.
६.आप बच्चे को जरूरत से ज्यादा ना खिलाएं.कई बार वो ज्यादा मेहनत कर रहें हैं यह सोच,उनके खाने में दूध,अंडा,चिकेन वगैरह का जरूरत से ज्यादा समावेश ना करें.और विटामिन वगैरह की गोलियों का भी ज्यादा प्रयोग ना करें.
७.बच्चों को फोन पर रिश्तेदारों से ज्यादा बातें ना करने दें. कई बार शुभकामनाओं के साथ वे सलाह देने लग जाते हैं और बच्चों की उद्विग्नता बढ़ा देते हैं.
८.परीक्षा के बाद उस पेपर की चर्चा बिलकुल ना करें.
९.उन्हें पॉजिटिव सन्देश देना बहुत जरूरी है जैसे,'मुझे पता है तुम अच्छा करोगे'...'मुझे तुम पर पूरा भरोसा है,तुम्हारी इतनी मेहनत जरूर रंग लाएगी'वगैरह
१०.ना खुद पूछें ना दूसरों को पूछने दें कि "कितने परसेंट कि उम्मीद है ?"
कुछ सलाह बच्चों के लिए भी है.
परीक्षा के पहले
१.नए टॉपिक ना पढ़ें,पहले पढ़ी हुई चीज़ें ही फिर से पढ़ें, की-वर्ड्स..याद कर लें
२.मोबाईल फोन साइलेंट पर रखें और उल्टा रखें या खुद से दूर रखें.
३.टी.वी.और कंप्यूटर ब्रेक टाईम में भी ना देखें .इसके बदले गाना गायें.छोटे भाई बहन के साथ खेलें.थोड़ी देर खुली हवा में घूम आएं.
४.खाना ज्यादा ना खाएं और कम भी ना खाएं
५..६ घंटे की नींद जरूर लें.
परीक्षा की सुबह
१.कम से कम परीक्षा के २ घंटे पहले जरूर जाग जाएँ.
२.अच्छा नाश्ता करें.
३.जरूरी कलम,जोमेट्री बॉक्स,और हॉल टिकट के साथ अपना आत्मविश्वास और पोजिटिव सोच भी लेकर चलें.
४.आधा घंटे पहले परीक्षा हॉल पहुँच जाएँ
५.अगर कुछ पढना हो तो एक शांत कोना ढूंढ लें,पर परीक्षा शुरू होने के दस मिनट पहले पढना बंद कर दें.
६.सबको लगता है कि वे सब भूल जायेंगे,या कुछ भी याद नहीं.पर खुद को बोलिए कि सब अच्छा होगा.अपनी आँखें बंद कर मन शांत करें और अपनी सारी एनर्जी उत्तर पुस्तिका पर फोकस करें.
७.जो प्रश्न आते हैं,उसपर फोकस करें बजाये इसके कि क्या नहीं आता.अगर किसी प्रश्न का उत्तर नहीं आता तो उसे छोड़ आगे बढ़ें.सारे प्रश्न हल करें और एक नज़र घडी पर जरूर रखें
८.किसी भी समय ज्यादा घबराहट लगने लगे तो पानी मांगें. आँख बंद करअपने श्वासों को नियंत्रित करें.शांत करें मन और फिर लिखना शुरू करें.
परीक्षा ख़त्म होने के बाद
१.घर जाकर खाना खा कर,थोड़ी देर आराम करें,फिर दूसरे पेपर की पढाई शुरू करें.
२.पेपर ख़त्म होने के बाद उसे बिलकुल ही डिस्कस ना करें.
३.दूसरे पेपर पर फोकस करें अगर पहला पेपर अच्छा ना गया हो तब भी.याद रखे.टफ पेपर की चेकिंग में थोड़ी ढील दे दी जाती है.कई बार ग्रेस मार्क्स भी मिल जाते हैं.
अपने बच्चों को इन सारी चीज़ों से अवगत कराएं और उन्हें ऐसा महसूस करवाएं जैसे वो किसी लड़ाई के मैदान में नहीं बस एक परीक्षा हॉल में जा रहें हैं.
समयानुकूल पोस्ट है और उपयोगी भी. बहुत सी बातें जानते सभी हैं लेकिन उनको ध्यान में नहीं रखते हैं. उचित समय पर उचित सलाह त्वरित सोचा का प्रतीक है.
ReplyDeleteइसके लिए मैं ही नहीं कई माँएं जिनके बच्चे परीक्षा दे रहे हैं इससे लाभान्वित होंगी.
नारी ब्लोग से इस लेख का क्या संबंध है ????ॉ
ReplyDeletegreat informative post
ReplyDeleteधन्यवाद रश्मि जी , हमने इस लेख का प्रिंट आउट निकालकर बिटिया को और उसकी मम्मी को पढ़ने के लिये दे दिया है । ( मैने तो यहीं पढ़ लिया है ना )
ReplyDeleteवाह रश्मि जी, क्या मौके की पोस्ट है. अभिभावकों के लिये जो टिप्स हैं उन्हें पढ के लगा, कि मै ठीक ही जा रही हूं:) बिटिया को पढवाती हूं, उसके हिस्से क टिप्स. धन्यवाद.
ReplyDeleteक्या अब ये मान लिया जाये कि नारी ब्लोग टी आर पी बनाये रखने के लिए अपने मूल भूत उद्देश्य से भटक रहा है ????????ॉ
ReplyDeleteमिथिलेश भईया...नारी एक माँ भी तो है,ना...मैंने शुरुआत में ही लिख दिया है..."माँ ही बच्चों के ज्यादा करीब होती है और उनके मन में चल रहें तूफानों को उनसे पहले समझने का माद्दा रखती है इसलिए उसकी जिम्मेवारी चौगुनी हो जाती है".आशा है अब समझ गए होगे इसका नारी ब्लॉग से क्या सम्बन्ध है .
ReplyDelete@रश्मि दीदी
ReplyDeleteआपकी बातों से सहमत हूं , मैं मानते हूं कि जो कुछ भी आपने कहा वह सही है। लेकिन मैं आपने शायद नारी ब्लोग पर सबसे उपर लिखा यह नहीं देखा " जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " अब मुझ नहीं लगता कि हेडर से इस लेख का कुछ भी संबंध है । जहाँ तक मै पढ़ता आया हूँ इस ब्लोग को , तो इतना जरुर जान पाया कि यह ब्लोग नारी विकसा चाहता है, समाज में नारी के लिए कायम रुढिवादी नियमो को तोड़ना चाहता है । मुझे पता नहीं कि इस प्रकार की रचना इस ब्लोग पर क्यों प्रकाशित जा रही हैं , शायद रचना कम हो और नारी ब्लोग की गतिशिलता बनायें रखने के लिए इस प्रकार के लेखो का सहारा लेना पड़ रहा है ।
तुमने सही कहा,मिथिलेश..लिखा है," जिसने घुटन से अपनी आजादी खुद अर्जित की."..हाँ और अब आजादी अर्जित करके पूरे घर का ख़याल रख रही है.सिर्फ चूल्हे चौके तक सीमित नहीं है...Indian woman has arrived My dear Mithilesh and now she can take charge of her and her kids lives..she can take decision.she is no longer on the mercy of others.so my dear stop blabbering and get yourself involved in some creative works..u have lots of potential but just u need a right direction to focus ur youthful energy.Yesterday saw ur meaningless arguement wid sme very respected senior bloggers.my kind advice to u dear dear Mithilesh,make ourselves proud,and do some good works. Here most of bloggers are your senior(not only in age,in writings too) and dnt need ur imposed ADVICE.
ReplyDeleteमिथिलेश सही कह रहे हैं आलोच्य लेख और इस ब्लॉग के घोषित उद्येश्यों में मिस मैच हो गया है -वैसे लेख बहुत अच्छा है और सामयिक भी -मगर इसे आपको अपने ब्लॉग पर देना था -
ReplyDeleteमिथिलेश भाई क्या करियेगा पीछे पड़ कर आग्रह कर कर के कोई लेख लिखायेगा तो कैसे कोई सज्जन मना कर देगा !
जो लोग अल्पसंख्यक और दलित विरोधी होते हैं...वही नारी विरोधी भी.कोई चकित करने वाली बात नहीं है....
ReplyDeleteपोस्ट का परोक्ष या अपरोक्ष सम्बन्ध एक माँ से अवश्य है..और वह नारी ही है.
सही समय पर सही पोस्ट के लिए आभार .
शहरोज़
आपका नाम खींच लाया.... ज़रा मिथलेश की बात पर गौर करियेगा.... इसे अपने ब्लॉग पर आप डालतीं.... तो ज्यादा बेहतर होता... उधारी की आदत अच्छी नहीं है.... मिथलेश को दिया गया जवाब satisfactory नहीं है.... आपका एक अपना स्टैण्डर्ड है.... इसे अपने ब्लॉग पर आप डालतीं तो बहुत ख़ुशी होती.... मैं आपकी डांट और मार खाने के लिए तैयार हूँ....
ReplyDeleteबढिया आलेख .. बेटे को पढाती हूं !!
ReplyDeleteरेखा श्रीवास्तव जी एकदम सही कह रही हैं। ये पोस्त एक्दम सामयिक है और बहुत लाभदायक्। रशिम जी इसे यहां डालने का आभार
ReplyDeleteरश्मि जी,
ReplyDeleteपरीक्षाएँ आने वाली हैं, ऐसे समय पर यह पोस्ट बहुत ही उपयोगी होगी.
कुछलोग नारी ब्लॉग की एकता में फूट डालना चाहते हैं.
ReplyDelete@रश्मि दीदी
ReplyDeleteमुझे आपसे ऐसे ही कमेंण्ट की उम्मिद थी , एक बार फिर आपको ऐसी स्थिति में देखकर अच्छा लगा , आपकी सलाह पर अमल करने की कोशिश करुंगा ।
@Mithilesh
ReplyDeleteI thought the article was very relevant to Naari blog.
Your comment seemed like a TROLL, raising a non-issue.
Cheers,
रश्मि जी,
ReplyDeleteपरीक्षाएँ आने वाली हैं, ऐसे समय पर यह पोस्ट बहुत ही उपयोगी होगी.
बढिया आलेख ..
ReplyDeleteupyogi aalekh
ReplyDelete@अरविन्द जी,
ReplyDeleteयह लेख मैंने अपनी मर्ज़ी से लिखा है,मुझसे आग्रह करके नहीं लिखवाया गया है और यह ब्लॉग मुझे इस आलेख के लिए सबसे उपयुक्त लगा और बाकी लोगों के कमेन्ट से आप भी समझ गए होंगे कि यह निर्णय सही है.
आपको आलेख पसंद आया बहुत बहुत शुक्रिया.
@महफूज़ जी,
ReplyDeleteआप कब तक जोश में होश गँवा कर सॉरी बोलते रहेंगे.आपको डांट का डर है,इसका अर्थ है कि आपको लगता है आपने कोई गलती की है.एनीवे और उधारी की आदत से क्या मतलब?...मैंने हमज़बान,'अपनी बात'(वंदना अवस्थी का ब्लॉग), 'हैपी अभिनन्दन' सब पर लिखा है.मुझे अपना स्टैण्डर्ड और बाकी सभी लोगों का स्टैण्डर्ड भी पता है.जब आप 'नारी' ब्लॉग की बात करते हैं तो 'नारी' ब्लॉग के सभी सदस्यों को संबोधित करते हैं.ख्याल रहें,इस बात का.
मिथिलेश को दिया जबाब मेरे और मिथिलेश की बात है आपके संतुष्ट या असंतुष्ट होने से कोई फर्क नहीं पड़ता.
आशा है आगे से कहीं भी कमेन्ट आप जोश में नहीं करेंगे समझ कर लिखेंगे,शुभकामनाएं.
@मिथिलेश भईया
ReplyDeleteमुझे पता है,आपको अच्छा लग रहा होगा.पर आपको ये नहीं पता,आप हम जैसे क्रिएटिव लिखने वालों को अपनी निरर्थक बहस में उलझा कर हमारा कितना समय नष्ट कर देते हैं.आप हिंदी की सेवा उसके विकास की बात करते हैं,पर जो सृजनात्मक रचना चाहते हैं,उनका कितना कीमती समय आप नष्ट करते हैं,आपको इसका इलहाम नहीं.मैं कल से अपने उपन्यास की पहली किस्त टाईप करने की सोच रही हूँ,पर यहाँ बैठी आपको जबाब देना पड़ रहा है.हम अपने हज़ार कामों के बीच बड़ी मुश्किल से नेट के लिए समय निकाल पाते हैं.इसका जरा ख़याल करो भईया.तुम्हे इग्नोर भी नहीं कर सकते,हमारे प्यारे से छोटे से पर नासमझ भाई हो,मार्गदर्शन भी जरूरी है.पर मेरी बातों पे अमल कहाँ करते हो?'मनीषा पांडे' की पोस्ट पर तुम्हारे कमेन्ट देखे "पढना तो बहुत चाहता हूँ,पर समय नहीं मिलता "...कैसे मिलेगा समय?? जब नारी पर लिखने और नारियों से बहस में ही उलझे रहोगे?....मेरी सलाह पर गौर करो और अच्छी किताबें पढने की आदत डालो.All The Best
@मुक्ति
ReplyDeleteये लोग सिर्फ अपनी उर्जा नष्ट कर रहें हैं.हम सब नारियों की सोच एक जैसी है.ये क्या फूट डलवा पायेंगे.
wow rashmi
ReplyDeletenot only great post but also great replies and when will people learn to stop telling the "naari " what needs to done / written on naari blog . The blog is 2 years old and if all these people would have taken care to read all the post they would see that on this blog we have posted many such posts before .
anyways i loved rashmis to the point replies and enjoyed them
डिवायिड एंड रूल -हा हा !
ReplyDeleteकुछ प्राणियों में खतरों के समय जबरदस्त एक जुटता देखी जाती है -मानव प्रजाति में नारी को यह प्रकृतिप्रदत्त उपहार मिला है !
आप सब एक जुट रहें और मानवता हितैषी गतिविधियों को अंजाम पर ले जायं -मेरी भी यही कामना है!
नारी शक्ति जिंदाबाद!
हे भगवान जानकार बड़ी हैरानी हो रही कि नारीयों की सोच एक जैसी भी होती है । मिश्रा जी ने सही कहा , जय हो नारी
ReplyDeleteमिथलेश भाई और अरविन्द जी,
ReplyDeleteआपको नारी ब्लॉग के लेख और कविताएँ पसंद नहीं आते और इसकी लेखों से आपकी सहमति भी नहीं बनाती . ये ब्लॉग तो है ही एकदम बकवास फिर आप क्यों इस पर अपनी दृष्टि डाल कर समय नष्ट करते हैं. 'नारी' ब्लॉग के उद्देश्यों पर मत जाइए. वो हर कार्य जो नारी से जुड़ा है , इसका विषय है. जब कोई भी विषय किसी समस्या से जुड़ा है तो उसका हल नारी ही नारी के लिए प्रस्तुत करेगी बल्कि इस पोस्ट से नारी ही नहीं पुरुष भी सहमत है. इसलिए अपनी ऊर्जा जाया मत करिए - इस बेकार के पचड़े में पड़कर.
एका काम की पोस्ट के लिये शुक्रिया।
ReplyDeleteमेरी समझ में यह एक ऐसी पोस्ट है जो क्या नारी और क्या पुरूष और क्या बालक.. हर किसी के लिये समयानुकूल है.. बेवजह और फालतू का मेरा 3-4 मिनट खराब हुआ, इसमें कम से कम 2-3 पोस्ट तो पढ़ ही लेता सारे कमेंट्स के साथ.
ReplyDeleteसमय नष्ट से मेरा मतलब फालतू के बहस करने वाले कमेंट्स पढ़कर.. खुद को क्लीयर करना जरूरी था नहीं तो एक और बेबात का बहस शुरू होता.. :)
ReplyDelete