ना जाने कितनी पोस्ट आज कल नारियों कि सुंदरता को लेकर आ रही हैं । बार बार ये बताया जाता हैं कि भारतीये परिधान यानि साडी , चूड़ी , बिंदी , पायल इत्यादि मे नारी कितनी सुंदर लगती हैं । नारी कि सुंदरता को लेकर बड़ी बड़ी बाते होती हैं । एक ब्लॉग पर बहुत अच्छे ढंग से साडी के माह्तम को उभारा गया तो जो कमेन्ट आये उनमे बहुत से कमेन्ट नारी के उभारो को साडी कैसे सुंदर और सुडोल दिखाती हैं ये बताया गया या ये कहा गया कि साडी भी सेक्सी ड्रेस ही हैं यानी आप साडी पहन कर भी सेक्सी दिखेगी इस लिये साडी पहन ले ।
एक तरफ लोग भारतीये परिधान कि तरफदारी करते हैं तो दूसरी तरफ भारतीये संस्कृति का विरोध करते हैं क्युकी भारतीये संस्कृति मे सेक्सी शब्द का प्रयोग करना बड़ा अजीब लगता हैं ।
साडी का ये परमोशन विदेशो मे ठीक हैं लेकिन भारत मे क्या साडी एक सेक्सी ड्रेस हैं कहना सही हैं ।
कभी सोच कर देखियेगा कि नारी को आप सुंदर ही क्यूँ देखना चाहते हैं ? क्या कभी आप नए महसूस किया हैं कि यही सुंदर होने का एहसास नारी को कमजोर बनाता हैं और एक सोफ्ट टार्गेट भी बनाता हैं ।
कोई लड़की अगर किसी पुरुष को ना कहदे तो सबसे पहले आक्रमण उसकी सुंदरता पर ही होता हैं । कही उसपर तेजाब फेका जाता हैं तो कही उसे जलाया जता हैं । यानी पहले बढ़ावा दो कि सुंदर लगो और फिर अगर वो तुम्हरी बात ना माने तो उसी सुंदरता को ख़तम करके तुम अपनी जीत का आवाहन करो ।
बात गुणों कि क्यूँ नहीं होती , बात हमेशा नारी सुंदर कैसे हो इस पर ही क्यूँ ख़तम होती हैं । नारी कितना आगे जाए बात कभी इसकी क्यूँ नहीं होती । बात एक्स्सलेंस कि क्यूँ नहीं होती बात केवल ब्यूटी पर ही क्यूँ सिमट कर रह जाती हैं ।
१००% एक्स्सलेंस कि बात हो चाहे कोई भी काम क्यूँ ना हो । एक गृहणी अगर घर मे २४ घंटे केवल सज स्वर कर बेठी रहेगी तो क्या वो अपने घर को अपना १००% दे सकती हैं , या एक काम काजी स्त्री अगर चूड़ी बिंदी के फेर मे रही तो क्या वो अपने ऑफिस को अपना १००% दे सकती हैं ?
क्या जरुरी हैं गुण या सुंदरता ??
लोग भौतिक सुंदरता तक इसलिये रुके रहते हैं क्योंकि वह आसान है. वो काली है, गोरी है...
ReplyDeleteएक्स्सलेंस पर कहने के लिये खुद भी एक्स्सलेंट होना पड़ेगा.
सुन्दरता हर सभ्यता मे सराही जाती है और सराही जाती रहेगी. गुण पूजे जाते है और अधिक गहरा असर हमारे दिमाग पर छोडते है.
ReplyDeleteसाडी मे महिला सुन्दर लगती है यह भी सभी कहते है लेकिन सेक्सी लगती है जिन्होने कहा उनके मन मे क्य था ये वो जाने. सेक्सी के भाव या भवार्थ. बात अगर भवार्थ की है तो ये है आकर्षक, तो फिर तो कोई गलत बात नही है.
मेरा मानना है कि शब्द नही शब्द का प्रयोग किस मानसिकता से किया गया है ये ज्यादा मायने रखता है.
सभी को नये साल की बहुत बहुत शुभकामना.
सीइंग इज बिलीविंग एंड रेस्ट इज ओनली गेस्टीमेट
ReplyDeleteमनुष्य की सुंदरता तो प्रकृति की देन है। उसे कोई बना या बिगाड़ सकता। हाँ किसी तरह के भ्रम अवश्य पैदा किए जा सकते हैं, परिधान या मेकप कुछ भी क्यों न हो।
ReplyDeleteमेरा मानना है कि सुंदर दिखना तो मानव स्वभाव है। वह सुंदर से सुंदर दिखने का प्रयत्न करता है। यदि वह ऐसा न करे तो मनुष्य भी रह जाएगा?
हाँ परिधान हो या मेकप हो वह शालीन अवश्य होना चाहिए, चाहे वह पुरुष का हो या स्त्री का।
आज सेक्सी शब्द का एक ही अर्थ नहीं रह गया है। उस का एक अर्थ सुंदर और आकर्षक भी प्रचलन में हैं।
जहाँ तक गुणों की बात है वे कुछ प्रकृति प्रदत्त होते हैं कुछ अभ्यास से विकसित होते हैं। गुणों की तो सदैव ही महत्ता बनी रहती है। व्यक्ति की असली पहचान तो उस के गुणों के कारण ही होती है।
बहुत अच्छा आलेख।
ReplyDeleteये दोनों भी केवल स्त्रियों में क्यों देखे जाते हैं ?
ReplyDeleteguno k aage sundarta koi mayane nahi rakhti.jis stri main guno se paripurna hai,voh toh waisi hi sunder ho gayi
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