सच्चाई यही है कि हर दूसरी नौकरानी भी बलात्कार या फिर यौन शोषण का शिकार होती है।
" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
June 17, 2009
"बलात्कार" पर कुछ ब्लॉग पोस्ट का संकलन
बलात्कार पर लिखना इतना आसान नहीं हैं पर जिस देश मे रोज ऐसी खबरे आती हो उस देश मे इन मुद्दों पर ब्लॉग पर अपनी भाषा मे यानी हिन्दी मे बात ना हो ये सम्भव नहीं हैं । कम ही सही पर कुछ जरुर लिखा गया हैं ब्लॉगर की कलम से इस पर आप भी पढे और जहाँ सम्भव तो अपने विचार भी दे । इन मुद्दों पर बात करना जरुरी हैं क्युकी ये सब सालो से या कहे तो सदियों से हो रहा हैं और हम सब इसका विरोध जरुर करते रहे हैं पर मूक रहे कर । शायद संस्कार वश । पर अब समय हैं की हम इसका विरोध दर्ज करे शब्दों मे ताकि बात हो । हमेशा बात आकर् रुक जाती हैं नारी के कपड़ो पर पर क्या वाकयी नारी के कपडे ही बलात्कार का कारण हैं ?
सच्चाई यही है कि हर दूसरी नौकरानी भी बलात्कार या फिर यौन शोषण का शिकार होती है।
सच्चाई यही है कि हर दूसरी नौकरानी भी बलात्कार या फिर यौन शोषण का शिकार होती है।
रजना जी,
ReplyDeleteबलात्कार समाज का एक ऐसा केंसर है जिसका इलाज हम सबको मिलकर ढूंढना है। हालांकि इसका इलाज काफी मुश्किल है, लेकिन किसी भी बीमारी को समाप्त करने का पक्का इरादा हो तो उसको जड़ से समाप्त किया जा सकता है। बस जरूरत है सबमें एक अलख जगाने की। बलात्कार और यौन शोषण पर काफी कुछ है लिखने के लिए। हमारे पास तो कई जानकारियां हैं इसके ऊपर एक पूरा सीरियल लिखा जा सकता है। समय-समय पर जरूर ऐसी बातों को उजागर करने का काम करेंगे। अंत में हमारे ब्लाग राजतंत्र का उल्लेख अपने ब्लाग में करने के लिए हम आपके आभारी हैं।
बालात्कार ,बलात्कार और बलात्कार
ReplyDelete१६ जून के राजस्थान पत्रिका के बंगलोर संस्करण में मुख्य प्रष्ट पर अक समाचार है ,एच .ऐ .एल .थाना के अन्त्र्गत६० साल की वृद्धa के साथ सामूहिक दुष्कर्म .करने वाले ५ युवक गिरफ्तार .
इस विषय पर चर्चा करना ही व्यर्थ मालुम होता है, जितने कानूनी व सामाजिक प्रयास हो रहै है यह अपराध उतना ही प्रतीत होता है शोभना जी ने जो उदाहरण दिया है इससे भी विकृत मानसिकता देखने को मिल रही है. वातावरण व शिक्षा पद्धति पर सामाजिक व्यवस्थाओं पर पुनर्विचार की आवश्यकता प्रतीत होती है.
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