September 04, 2008

आग

दुष्यंत के शब्दों में ...
मेरे सीने में नही तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
सहमत हूँ इस विचार से , यह आग ही तो जीवनशक्ति है ,जो हर कीमत पर जलाये रखना है इसी से नए विचार , नई सोच जनम लेती है ..और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी...........
---नीलिमा गर्ग

1 comment:

  1. अन्याय के विरुद्ध सीने में आग अवश्य जलती रहनी चाहिए, पर प्रेम की मधुर धारा भी बहती रहनी चाहिए.

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