दुष्यंत के शब्दों में ...
मेरे सीने में नही तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
सहमत हूँ इस विचार से , यह आग ही तो जीवनशक्ति है ,जो हर कीमत पर जलाये रखना है इसी से नए विचार , नई सोच जनम लेती है ..और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी...........
---नीलिमा गर्ग
अन्याय के विरुद्ध सीने में आग अवश्य जलती रहनी चाहिए, पर प्रेम की मधुर धारा भी बहती रहनी चाहिए.
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