अभी एक ब्लॉग पर नारीवाद के विषय में पढ़ा सदियों से नारी शोषित रही है अतः अपने हक़ के लिए नारीवाद का सहारा लेना पड़ता है ....सवाल यह है की लोग नारी को व्यक्ति की तरह न लेकर एक अलग वर्ग क्यों बना रहें हें .....व्यक्ति को अपनी तरक्की के लिए कुछ भी करने का हक़ है जो आज की नारी कर रही है जिस पर हमें गर्व होना चाहिए.......विचार आमंत्रित हें ....
मुझे फक्र हैं की मे नारी हूँ और अगर इस वजह से मेरा किया हुआ काम "नारीवाद " हैं तो मुझे कोई गिला नहीं हैं . लेकिन अगर आप फेमिनिस्म को नारीवाद कहते हैं और नारी के किये हुए हर कार्य को " फेमिनिस्म " का फतवा देते हैं तो आप नारी की तरक्की की कोशिश को एक नेगेटिव एंगल देते हैं क्युकी फेमिनिस्म को समाज नेगेटिव मानता हैं . नारी को अपनी तरक्की के लिये किसी भी सहारे की जरुरत नहीं हैं . बस मेहनत और लगन और सबसे ऊपर के पायदान पर खडे होने की चाह हर काम मे चाहे वो गृहणी की रसोई हो या ऑफिस का मेनेजमेंट . मूलमंत्र हैं " BE SELF SUFFICIENT AND BEST IN WHAT EVER "YOU DO
ReplyDeleteनीलिमा जी नारी वर्ग को कमजोर समझने वाले स्वयं मानसिक रुप से कमजोर होते हैं । मुझे भी कई बार ऐसी टिप्पणी आ जाती है कि आपको महिला होने की वजह से लोग आपके पोस्ट पर आते है। लेकिन मैं इस तरह की बातों पर ध्यान नही देती ऐसे लोंगो का डर उनकी टिप्पणी देख कर ही पता चल जाता है ।
ReplyDeletebhrun hatya ka maslaa jaroor dekhe meri post per
ReplyDeleteapka sujhav amantrit hai
नारी समाज का एक अंग है. समाज का दूसरा अंग पुरूष है. जब समाज के दोनों अंग तरक्की करेंगे तभी समाज तरक्की करेगा. किसी एक अंग को दबा कर समाज तरक्की नहीं कर सकता. लेकिन यहाँ इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि एक प्रभावशाली सामाजिक व्यवस्था में सबके अधिकार और कर्तव्य निर्धारित होते हैं. कहाँ अकेले काम करना है और कहाँ मिल कर काम करना है यह सब भी निर्धारित होता है. नारी की तरक्की पुरूष की तरक्की के ख़िलाफ़ नहीं है, दोनों एक दूसरे की पूरक हैं. यह सब सामान्य रूप से होना चाहिए. नारी यदि तरक्की करती है तो उसे पुरूष को चुनौती के रूप में न तो दिखाया जाना चाहिए और न ही माना जाना चाहिए. यह कहना कि नारी को अपनी तरक्की के लिये किसी भी सहारे की जरुरत नहीं हैं क्या हासिल करता है? नारी और पुरूष दोनों को एक दूसरे की जरूरत है. इस जरूरत में कोई अपमान वाली बात नहीं है. मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि नारी को एक व्यक्ति के रूप में देखा जाना चाहिए, उसे एक अलग वर्ग बना कर देखना उचित नहीं है.
ReplyDeleteयह कहना कि नारी को अपनी तरक्की के लिये किसी भी सहारे की जरुरत नहीं हैं क्या हासिल करता है?
ReplyDeletesuresh ji
yae dikhataa haen ki ab ham competent haen , independent haen aur bina kisi saharey kae apni zindgi ko jee saktey haen
hamari tarakki kae raastey kki rukavtey ham khud dur kar rahey haen
ab purush ko bhi yae sam,jhna hoga ki naari ko ghar ki chaar diwaro mae kaed karke nahin rakha jaa sktaa
naari kae liyae khulaa asmaan haen apne pankho ko phelaa kar udnae kae liyae
sabse pahle mera aapse 1 sawal hai what is femenism? plz kisi purvagah se grasit hokar answer na de
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